पत्नी के विश्वास का पर्व – संगीता अग्रवाल 

” मीनल  परसो करवा चौथ है क्या पहनेगी तू!” मीनल की सहेली चारु ने पूछा ।

” चारु सुरजीत से बात नहीं हो पा रही मेरी बहुत परेशान हूं ऐसे में करवा चौथ के बारे में कुछ नहीं सोचा मैने !” मीनल चिंता से बोली।

” क्या ….कबसे बात नहीं हुई तेरी …तूने हेड क्वार्टर में फोन किया था ?” चारु चिंतित हो बोली।

“कोई भी ठीक से जवाब नहीं दे रहा मेरा मन बैठा जा रहा है मां  को भी कुछ नहीं बता सकती परेशान हो जाएंगी  वो !” मीनल रुआंसी होते हुए बोली।

“तू चिंता ना कर सब अच्छा होगा बस अपने रब पर भरोसा रख मैं अभी चलती हूं बाद में आती हूं तेरे पास तब तक तू फोन मिलाती रहियो !” चारु मीनल को तसल्ली दे चली गई।

मीनल जिसकी शादी अभी दो साल पहले ही सुरजीत से हुई थी सुरजीत एक सैनिक है जिसकी पोस्टिंग भारत पाकिस्तान बॉर्डर पर है। दोनों के एक छह महीने का बेटा भी है । पिछले दो दिन से सुरजीत का फोन नहीं लग रहा था इसलिए वो परेशान थी। चारु उसके पड़ोस में रहती थी और उसकी खास मित्र थी।

” हुई क्या तेरी सुरजीत भाईसाहब से बात ?” शाम को चारु ने फिर पूछा।

” नहीं हो पा रही !” मीनल अभी भी रुआंसी ही थी।

” देख तू सच्चे मन से करवा माई की पूजा कर उनसे सदा सुहागन होने का आशीर्वाद मांग सब अच्छा होगा घबरा मत !” चारु ने तसल्ली दी।

” हम्म!” बस इतना ही बोल पाई मीनल ।

आज करवा चौथ है मीनल सुबह से बस ये प्रार्थना के रही है सब सही हो और सुरजीत आ जाए।




” बहू सुरजीत से बात हुई थी तेरी कब तक पहुंच रहा वो !” तभी मीनल की सास विमला देवी ने आवाज़ दी।

” हां मां हुई थी आ जाएंगे वो !” मीनल झूठ बोल गई और फिर आंसू बहाने लगी।

सारा दिन भूखी प्यासी बस सुरजीत की सलामती की दुआ मांग रही थी।

” बहू तैयार हो जा सुरजीत आता ही होगा !” शाम को विमला देवी जी बोली।

” हां मां !” मीनल ये बोल बेमन से तैयार होने लगी क्योंकि सास को सुरजीत के बारे में बता दुखी नहीं करना चाहती थी।

” मीनल चांद निकलने वाला है चल छत पर !” तभी चारु उसे बुलाने आईं ।

” मेरे चांद की तो कोई खबर नहीं है मैं कैसे उस आसमान के चांद के दीदार करूं चारु !” मीनल भरी आंखों से बोली।

” देख मीनल मैं तेरी हालात समझती हूं पर तू हौसला नहीं रखेगी तो कैसे होगा । आंटी जी को संभालना है तुझे अपने बच्चे को देखना है यूं आस तोड़ देगी तो कैसे सबको संभालेगी !” चारु ने उसके आंसू पोंछते हुए उसे समझाया और उसे पूजा की थाली सहित छत पर ले आईं।

” सुरजीत नहीं आया बहू अभी तक अब तो चांद भी निकलने वाला है !” विमला जी पोते को गोद में ले छत पर घुमाती हुई बोली।

” मां अभी फोन नहीं लग रहा आप चिंता ना करो आ जाएंगे !” मीनल आंसू पीती हुई बोली।

” चांद आ गया चांद आ गया !” तभी शोर हुआ ।




सब औरतें चांद के दीदार कर अपने पति के हाथों व्रत खोलने लगी । मीनल दिखाने को चांद का दीदार कर रही थी छलनी से पर आंख बन्द थी उसकी। आंखों से आंसुओं की धार निकल रही थी। कैसे करती चांद का दीदार जब उसके सुरजीत की कोई खबर ही नहीं थी उसका चांद तो कहीं छुप गया था।

” मुझे नहीं देखेगी छलनी में !” मीनल बन्द आंखों से चांद की पूजा कर जैसे ही पलटी एक आवाज उभरी।

आवाज़ पहचान कर मीनल खुशी के आंसू आंख में भर कर पलटी ” आप आ गए ” ये बोल सुरजीत के गले लग गई।

” नहीं मीनल आंसू मत बहा तू एक सैनिक की बीवी है ये आंसू तेरी आंख में शोभा नहीं देते चल चांद के दीदार कर और व्रत पूरा कर पहले अपना !” सुरजीत उसके आंसू पोंछ बोला।

मीनल ने खुशी खुशी चांद का दीदार किया फिर सुरजीत को छलनी से देखा इस बार गौर से देखने पर पता चला उसके कपड़े फटे हैं और हलकी चोट भी लगी है शायद अंधेरे में खड़े होने के कारण किसी की इस पर नजर नहीं गई थी। पर अभी मीनल ने चुप रहना ही मुनासिब समझा और व्रत पूरा किया अपना । उसकी सास पड़ोसन औरतों से बातों में लगी थी तो मीनल सुरजीत के साथ नीचे उतर आई।

” कहां चले गए थे कितना परेशान रही मैं इन दिनों कोई अंदाजा भी है और ये सब चोट कैसे ?” बहुत देर से रोका आंसुओं का सैलाब बह निकला और मीनल फूट फूट कर रो दी।

” चार दिन पहले अचानक बॉर्डर पर उस तरफ से फायरिंग होने लगी थी जवाबी फायरिंग करते हुए मुझे एक संदिग्ध दिखाई दिया जो इस पार घुस आया था उसका पीछा करते में काफी अन्दर जंगल में चला गया वहां उसका एक साथी भी था उन्होंने मुझे पकड़ लिया।मुझे मारा पीटा भी। कल रात किसी तरह उनकी कैद से निकला उनमें से एक मेरे हाथों मारा गया एक सेना को सौंप कर सीधे तेरे पास आने को भागा आया हूं क्योंकि इन सब चक्करों में फोन की बैटरी भी डैड ही गई जो फोन करता तुझे !” सुरजीत एक सांस में बोल गया।

” ज्यादा तो नहीं लगी आपको !” मीनल चिंतित हो उसकी चोट देखने लगी।

” अरे पगली सैनिक हैं हम गोली भी खा जाएं सीने पर बिना उफ्फ किए ये चोट तो बहुत मामूली पर हां तुझपर जो बीती उसके लिए माफी चाहता हूं मैं तेरे पास आने की जल्दी मैं कहीं से तुझे फोन भी नहीं कर पाया।” सुरजीत बोला।

” कैसी माफ़ी जी आप सलामत हो मेरे लिए यही बहुत है !” मीनल ये बोल सुरजीत के गले लग गई।

दोस्तों मैं ये नहीं जानती करवा चौथ के व्रत से पति की उम्र बढ़ती है या नहीं पर ये पर्व पत्नी के अटूट विश्वास का पर्व है उसे विश्वास होता है कि कहीं ना कहीं ईश्वर उसके सुहाग की रक्षा जरूर करेगा और विश्वास में बहुत शक्ति होती है ऐसा मेरा मानना है ।

आपकी दोस्त

संगीता

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!