संस्कार के बीज – पुष्पा जोशी
वसुधा जी ने कहॉ – ‘बेटा नील मुझे बाहर बगीचे में ले चलो। बगीचा क्या था घर के बाहर लान में, शैला ने रंग बिरंगे फूलों की फुलवारी लगा रखी थी, माँ इसे बगीचा कहती थी। रोज शाम को नियम से नील और शैला माँ को बगीचे में ले जाते। नील ने कहॉ – ‘माँ … Read more