Moral Stories in Hindi : मुस्कान की शादी की छे महीने हो गए थे मुस्कान की ससुराल मैं उसे सब बहुत प्यार करते थे घर की इकलौती बहू थी दो ननद थी दोनों की शादी हो गई थी बड़ी ननद रेणु की शादी एक अमीर परिवार मैं हुई थी छोटी विधि की साधारण परिवार मै मुस्कान की ससुराल भी मध्यमवर्गीय थी लेकिन गुजारा आसानी से हो जाता था ज्यादा दिखावा नही कर पाते पर परिवार मै सब के बीच मै बहुत प्यार था मुस्कान का पति नवीन अपनी दोनों बहनों को बहुत प्यार करता था
रेणु यूं तो बहुत अमीर घर मैं गई थी पर उसकी सास उसको चाहे जब गरीबी का ताना मारती रहती उसके पति भी ससुराल कम आते पर रेनू माता पिता को दुख न पहुंचे इसलिए खूब खुश रहने का नाटक करती रेनू जब भी मायके आती मुस्कान को उसकी खुशी से अंदर ही अंदर जलन होती की दीदी के पास कितनी अच्छी साड़ियां है कितना सोना पहन कर आती है धीरे धीरे जलन उस पर हावी होने लगी और वो घर वालों का प्यार देखने की जगह कमी देख उन्हे ताने सुनाती।
एक दिन किसी रिश्तेदारी मैं जाना था तो मुस्कान ने बिलकुल साधारण साड़ी पहन ली जिसे देख सास ने कहा बहु थोड़ी अच्छी साड़ी पहन लो
मुस्कान चिढ़ कर बोली जैसी दी थी उसमें से ही पहनी है और अच्छी कहां से लाऊं ।
मांजी ने समझाया ऐसे क्यों बोल रही तुम्हे भी अच्छी साड़ियां ही दिलाई थी ।
मुस्कान बोली रेणु दीदी की साड़ी देखी है कितनी अच्छी है किस्मत हो तो रेनू दीदी की तरह ।
इस कहानी को भी पढ़ें:
पारिवारिक संस्कार – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi
मांजी चुप हो गई रेनू की आंख मैं भी आंसू आ गए मन ही मन सोचने लगी अब कैसे समझाए सुख जो दिखता है बही नही होता उसने मुस्कान से कहा जो मिल रहा है उसमे खुश रहो देखो सब तुम्हे कितना चाहते है पर जलन मै तुम सब खो रही हो ।
मुस्कान चिढ़ गई बोली मैं क्यों जलूंगी आपसे मैं भी खरीद सकती हूं और फिर वो नवीन से नई साड़ी और गहने की जिद्द करने लगी नवीन ने समझाया हमारी हैसियत इतनी नही है जो है उसमें खुश रहो पर मुस्कान तो कुछ समझने को तैयार नहीं थी उसने मायके जाने की धमकी दे दी
रेनू को ससुराल मैं ये बात पता चली तो वो समझ गई की मुस्कान जलन के कारण भला बुरा सोच नही पा रही उसने दूसरे दिन अपनी तबियत का बहाना बना कर मां से बोलकर मुस्कान को अपने ससुराल बुलवा लिया ।
उसे पता था भाई का घर बसाना है तो मुस्कान को सच्चाई जाननी होगी।
मुस्कान खुशी खुशी राजी हो गई की कुछ दिन बड़े लोगों के बीच रहूंगी ।दूसरे दिन ही मुस्कान आ गई इतना आलिशान घर देख मुस्कान और जल गई
तभी रेणु की सास की आवाज सुन वो चौंकी क्या देख रही हो तुमने तो सपने मैं भी ऐसा घर नही देखा होगा तुम्हारी ननद की तो किस्मत खुल गई
वो तो हमारे लड़के को लड़की पसंद नही आ रही थी इसलिए राजी हो गए नही तो हम तो ऐसी नौकरानी भी नहीं रखते ।
मुस्कान सोचने लगी कैसी छोटी सोच है इनकी अपनी बहु के बारे मैं कैसा बोल रही है और मेरी सास हमेशा मुझे लक्ष्मी ही बोलती है कितना मान देते है मुझे सब ।
रेणु दीदी के कमरे मै गई तो वो आराम कर रही थी उन्होंने कहा मुस्कान मेरे लिए थोड़ी खिचड़ी बना दो और थोड़े काजू मखाने भी सेक देना
इस कहानी को भी पढ़ें:
आखिर खानदान का नाम मिट्टी में थोड़े ही न मिलने दूंगी.! – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi
मुस्कान रसोई मैं गई उनकी सास से सामान पूछा तो बोली खिचड़ी बना दो काजू मखाने खाए है कभी अपने मायके मैं बिस्किट खा लेगी।
अब मुस्कान से रहा नही गया वो खिचड़ी बना कर कमरे मै गई बोली दीदी माफ करना मुझे आपकी चकाचौंध देख जलन हो गई थी उसके पीछे का दर्द देख नही पाई जिसके कारण मैं अपनों को ही दुख दे रही थी ।
रेणु बोली मुस्कान घर पर मत बताना मां को दुख होगा अक्सर यही होता है हम दूसरों की खुशियां देख जलने लगते है पर सबके पीछे कोई न कोई दर्द भी होता है जो हम नही देख पाते मैने आपको इसलिए ही बुलाया था जिस से आप समझ सको और अपना घर बरवाद नही करो घर मैं सब आपको बहुत प्यार करते है ।
मुस्कान बोली हां मैं समझ चुकी हूं असली खुशी जो मिल रहा है उसमें है किसी से जलने मैं नही
अब मैं जल्दी अपने घर जाऊंगी ।
स्वरचित
अंजना ठाकुर
GKK S