ऑनर किलिंग  (A crime story) – अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा “

गांव में सुबह ही हड़कंप मच गया था। गांव के बाहर एक सर कटी लाश पड़ी हुई थी। पता चला कल सुबह से रामदीन का लड़का विनोद लापता है और लाश का हुलिया, कपड़े और हांथ के कड़े को देखकर रामदीन ने उस लाश की पहचान अपने लड़के विनोद के रूप में की थी। विनोद एक 22 साल का नवयुवक था। लाश देखकर रामदीन ने तुरन्त पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौके पर आकर लाश का पंचनामा किया और जरूरी कार्यवाही कर गांव वालों के बयानात दर्ज किये। रामदीन ने अपने पड़ोसी कौशल पर उसके पुत्र की हत्या का शक जताया। पुलिस द्वारा मामले की विवेचना की गयी और शक के आधार पर कौशल को गिरफ्तार किया गया और पूंछताछ के दौरान कौशल द्वारा जो सच बताया गया उससे तो पूरे गांव वालों और पुलिस वालों के होश उड़ गये। तो सच्चाई जानने के लिये अतीत में चलते हैं। 

कौशल और उसके तीन भाईयों का परिवार गांव का एक ब्राम्हण परिवार है। संयुक्त परिवार के रूप में वह गांव में कई पीढ़ियों से रह रहे हैं और उनका गांव में बहुत मान सम्मान है। रामदीन का मकान कौशल के मकान के ठीक सामने है जो कि अनुसूचित जाति का व्यक्ति है जो अपने पत्नी और दो पुत्रों के साथ गांव में रहता हैं। दोनों ही परिवारों का आय का स्रोत खेती किसानी है। कुछ दिनों से सुगबुगाहट थी कि कौशल की छोटी बहन मृदुला का प्रेम सम्बन्ध रामदीन के पुत्र विनोद से है। एक दिन सुबह सुबह कौशल ने अपने घर के पीछे बनी कोठरी में विनोद और मृदुला को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया। पहले तो कौशल ने विनोद को दो चार झापड़ मारे और उसी कोठरी में बन्द कर दिया और विनोद को धमकी दी कि अभी तुम्हारे बाप को जाकर सारी बात बताता हूॅं। कौशल मृदुला को घर के अन्दर लेकर आया और उसकी भी पिटाई कर दी तब परिवार के और लोगों को भी इस घटना की जानकारी हुई। कौशल ने यह राय रखी कि रामदीन से इस बात की शिकायत की जानी चाहिये लेकिन कौशल के पिता को यह रास नहीं आया। 




“क्या फायदा शिकायत करके, हमारी तो नाक कट ही चुकी है। वो तो बाहर जाकर नाक उॅंची करके यही बतायेगा कि पण्डित की इज्जत तार तार कर दी है।’’

“तो क्या किया जाये। अब तो हमारी इज्जत मिट्टी में मिल गयी है। इससे शादी भी तो नहीं कर सकते हैं, हमसे नीची जाति का जो है।’’ कौशल ने झुंझलाकर पूंछा। 

“मार देते हैं साले को। न वो बाहर जायेगा ना बात बाहर जायेगी और गांव में हमारी शान भी बनी रहेगी।’’ कौशल के छोटे भाई जमुना ने गुस्से में तमतमाते हुये कहा। 

“इतना आसान है क्या किसी को मार देना। लाश का क्या करोगे। उसका घर बिल्कुल सामने ही है। सबको पता चल जायेगा।’’ पिता ने संशय जाहिर किया। 

सुबह से शाम हो गयी। लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया था। घर में चिन्ता का माहौल था। क्या किया जाये, कुछ समझ नहीं आ रहा था। अगर विनोद को घर जाने देते हैं तो बनी बनायी इज्जत की धज्जियाॅं उड़ जायेगी और अगर उसके बाप से उलाहना देते हैं तो अपने मुंह से पूरे गांव में इस बात को ढोल पीटकर बताने वाला हाल हो जायेगा। उधर विनोद कोठरी के अन्दर भूखा प्यासा बैठा ये सोच रहा था कि जाने उसके पिता से कौशल क्या कह रहा होगा। आज तो उसकी खैर नहीं। सोच सोच कर उसका हाल बुरा हो रहा था। 

रात को लगभग आठ बजे मृदुला ने कोठरी का दरवाजा खोला और विनोद से कहा कि,”जल्दी यहाॅं से भाग जाओ। मेरे भाई और पिता तुम्हारी हत्या की योजना बना रहे हैं।’’ मृदुला ने घर के पीछे का दरवाजा खोल दिया। ये बात सुनकर विनोद की हवाईयाॅं उड़़ गयी लेकिन उसने मृदुला से कहा, “पर मैं अकेले नहीं जा सकता, तुम भी मेरे साथ चलो। कहीं उन्होने तुम्हे भी कुछ कर दिया तो?’’ इस बात पर मृदुला  भी सहमत हो गयी और दोनों घर से भाग निकले। जैसे ही परिवार वालों को इस बात की खबर हुई। उन्होने विनोद और मृदुला की खोज शुरू कर दी। 




काला घना अंधेरा छाया हुआ था। विनोद और मृदुला एक दूसरे का हाँथ पकड़े भागे जा रहे थे और जितनी जल्दी हो सके इस गांव से बाहर निकल जाना चाहते थे लेकिन उन्हे क्या पता था कि वो किस मुसीबत में फंसने जा रहे थे। गांव के बाहर पहुंचते पहुंचते विनोद औेर मृदुला को कौैशल और उसके भाईयों ने पकड़ लिया। 

कौशल ने विनोद को देखते ही अपने हांथ में लिये लाठी से उस पर वार किया और वह मुंहभरा जमीन पर गिर गया। मृदुला चिल्लाती रही। लेकिन उसे भी एक लाठी में बेहोश कर दिया। तीनों भाई क्रोध और अपमान की ज्वाला में इस कदर जल रहे थे कि उन्होने विनोद का सर गड़ासे से काट कर अलग कर दिया और उसका सिर पास ही बह रहे नाले में फेंक दिया ताकि लाश की शिनाख्त न हो सके और मृदुला को लेकर घर चले आये। उन्होने कभी सोचा भी नहीं था कि ये राज इतनी जल्दी खुल जायेगा। 

कौशल और उनके भाईयों की गिरफ्तारी के बाद हत्या में प्रयुक्त आला कत्ल गड़ासा को भी बरामद कर लिया गया और हत्या के समय मुल्जिमों द्वारा पहने हुये कपड़ों को भी बरामद किया गया जो उनके द्वारा वहीं झाड़ियों में छिपा दिये गये थे। फारेंसिंक रिपोर्ट में मुल्जिमों के कपड़ों और गड़ासे पर भी विनोद का खून पाया गया। 

पुलिस ने मृदुला से भी पूंछताछ की और उसने भी घटना के बारे में सब कुछ पुलिस को बता दिया। कौशल और उसने तीनों भाई विनोद की हत्या के जुर्म में जेल चले गये और पीछे छोड़ गये तो एक बिलखती हुई माॅं और दर्द में कराहता एक पिता, एक प्रेम में जलती प्रेयसी और एक पूरा परिवार जिसका वो तीनों सहारा थे। आज एक और प्रेम सम्मान की भेंट चढ़ गया और जाति की इज्जत किसी की जान से ज्यादा कीमती हो गयी।

मौलिक 

स्वरचित 

अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा “

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