निर्णय (भाग 25) – रश्मि सक्सैना : Moral Stories in Hindi

गतांक से आगे

दूसरे दिन नेहा और रोहित अंजलि तीनों डॉक्टर सरिता के पास जाते हैं , सरिता वही औपचारिकताएं करके अंजलि से कह देती है ,कि 3 दिन तक आना है।

इसी तरह दोबारा नेहा अंजलि के साथ जाती है ,लेकिन तीसरी बार रोजी की तबीयत ठीक ना होने के कारण वह घर पर ही  रोजी को लेकर रुक जाती है ,और अकेले रोहित और नेहा सरिता के पास जाते है,    रोहित नेहा के लिए कुछ अच्छा ट्रीटमेंट लिखा लेता है ,सरिता नेहा से पूछती है, रोजी के टाइम कुछ ऐसा विशेष हुआ था जिसे तुम बहुत परेशान हुई हो , नेहा कहती है ,कि मुझे बस वोमिट और वीकनेस बहुत आती है , और कुछ अलग से तो नहीं हुआ सरिता उसको इन सब की टेबलेट लिखकर दे देती है , और रोहित को समझाती है की खाने पीने का पूरा ध्यान रखें,   रोहित नेहा को देख कर मुस्कुरा देता है ,और फिर दोनों बाहर आ जाते हैं नेहा के लिए सारी टेबलेट लेकर उसको दे देता है । नेहा रोहित से कहती है कि मैं कुछ समय के लिए अपने घर जाना चाहूंगी ,यहां मुझे परेशानी नहीं है लेकिन फिर भी मैं दीदी से नजर नहीं मिला पाती हूं ,मुझे अपने आप में बड़ी शर्मिंदगी होती है ,और तीन महीने का कंप्लीट रेस्ट तो उसमे था  सावधानी की जरूरत ही है इसमें इतनी परेशानी नहीं आएगी

,रोहित हंसते हुए नेहा से कहता है, ठीक है तुम्हारे लिए यह दूसरा चांस है और तुम्हें एक्सपीरियंस भी है लेकिन मैं भी उस सब को फील करना चाहता हूं बस इसलिए तुम तुम्हें यहां रुकना चाहता हूं लेकिन तुम्हारी इच्छा नहीं है तो कोई बात नहीं तुम घर चले जाना मैं और अंजलि आएंगी लेकिन फिर मैंज्यादा आऊंगा नेहा रोहित से कहती है कि मैं भी जितने समय आपके साथ भी ताऊ खुल कर जिओ मैं वहां पर बीवी के कारण अपनी भावनाओं को भी व्यक्ति नहीं कर पाऊंगी इसलिए उस समय मैं वहां आ जाया करूंगी और कुछ समय में यहां आ जाऊं रोहित यहां को देखकर कहता है कि नेहा तुम बहुत समझदार हो गई हो कुछ महीनों में ठीक है तुम्हें उचित लगे  तुम करना लेकिन बस आना-जाना 5 महीने तक उसके बाद फुल टाइम में और अंजलि तुम्हें अपनी ही कस्टडी में रखेंगे, जिससे तुम्हारी उचित देखभाल हो और रूबी को भी कोई परेशानी ना हो और मेरे लिए नेहा हमेशा यूं ही ही बड़ी बेटी के रूप में रहेगी किसी दूसरी बच्ची आ जाने से उसकी प्यार में कभी कोई कमी नहीं होगी मुझे नहीं पता कि आगे आने वाली फ्यूचर में हमारा रिश्ता कैसा रहेगा लेकिन उसके बाद भी तुम कभी रोजी की तरफ से परेशान ना होना और अंजलि के सामने जब यह बात आएगी तो उसका रिएक्शन क्या होगा

अभी तो यह भी नहीं पता इसलिए नेहा रोहित की बात सुनकर उससे कहती है दीदी को मां बनाने के लिए ही मैं शायद आपकी इतनी करीब आ गई यह तो मैं भी बहुत अच्छी तरह से जानती हूं हमारे रिश्ते की अहमियत क्या होगी कभी-कभी मुझे भी इस बात से डर लगता है ,अगर जब दीदी के सामने इस रिश्ते के बारे में यह बात खुलेगी और इस झूठ को कब तक हम बांध पाएंगे झूठ के पैर बहुत लंबी नहीं होती इसलिए हमेशा सभी कुछ पॉजिटिव हो यह जरूरी नहीं मुझे पता है कि इस बच्चे को दीदी को देने के बाद मुझे यहां से बहुत दूर जाना है और मैं चली जाऊंगी क्योंकि हो सकता है आप से होने वाला प्यार उन बच्चों के प्रति सही मेरा डिसीजन ना बदल दे रोहित हफ्ता उसका चेहरा देखता रह जाता है और बहुत ही रहता है नेहा तुम सच में इतनी ज्यादा प्रैक्टिकल हो या राजेश के जाने के बाद ऐसी हो गई नेहा मुस्कुराते हुए

कहती है राजेश की जाने की बात तो मैंने बहुत कुछ जिंदगी में जीना उसी का नतीजा है जो मैं इतनी ज्यादा प्रैक्टिकल हूं दोनों बातें करते-करते कब घर पहुंच जाती हैं उन्हें पता ही नहीं चलता अंजली नेहा को गले लगाती है हुए कहती है ईश्वर इस बार बस सब कुछ अच्छा हो अब तुम्हें भी जरूरत नहीं है अंजली हंसते हुए कहती है दीदी हर बार ऐसा थोड़ी होगा इस बार लगता है सब अच्छा ही होगा और वह उसे अपने घर जाने की बात करती है लेकिन अंजलि भी गुजर जाती है बिल्कुल आ जाती है 3 महीने तक मैं तुम्हें तुम्हारे घर बिल्कुल नहीं भेजूंगी और अगर तुम ही जाना भी है तू मेरी रोहित के साथ वहां जाकर आज मैं यहां से सर्वेंट भेजकर समय-समय पर उस घर की सफाई करवाती रहूंगी मैंने डॉक्टर सरिता से पूरा चार्ज ले लिया है अब तुम्हारी टैबलेट और खाना पीना सब का ध्यान में रखूंगी ,नेहा बहुत कोशिश करती है अपने घर आने के लिए लेकिन अंजलि उसे आने नहीं देती जब भी कभी समय मिलता तो रोहित उसके पास आकर उससे बात करता था था लेकिन धीरे-धीरे रोहित अंजलि के सामने भी उसको बहुत सारी इंस्ट्रक्शन देने लगा

,बारे में समझाना और ,अंजली रोहित के इस नए रूप को देखकर बहुत हैरान होती लेकिन फिर उसे लगा सच है ,तो हमारा होगा हमारा तो फिर शायद उसमें संस्कार भी अभी से  होने चाहिए जैसा हम चाहते हैं समय-समय पर घर में गायत्री हवन का अनुष्ठान कराना कभी-कभी किसी पंडित को बुलाकर गीता सुनवा ना अंजलि भी उसकी हर चीज का ध्यान रखती थी, लेकिन इन सब वस्तुओं के बाद भी रोजी के प्रति अंजलि और रोहित का प्यार कभी कम नहीं हुआ ,अंजलि रोज रोजी को शाम के समय गार्डन में ले जाकर खिलाती थी और अब धीरे-धीरे अंजलि भी रोहित और नेहा को थोड़ा अकेला छोड़ने लगी थी ,उसे लगता था मां बनने से वंचित है लेकिन रोहित को सीता की पिता के सुख से वंचित करूं शाम के समय अकसर रोहित और नेहा अकेले रहते थे ,उस समय रोहित नेहा के गर्भ में पल रहे अपने बच्चे से ढेर सारी बातें किया करता था ,और उस नेहा के मूवमेंट को एंजॉय करता था ,धीरे-धीरे रोजी और भी ज्यादा बोलना सीखने लगी , वहां सभी बच्चे अपनी मम्मी यों के साथ आते थे ,जब सब बच्चे अपनी मम्मी को आवाज देती थी, तो रोजी भी बोलने की कोशिश करती थी ,लेकिन वह साफ नहीं बोल पा रही थी, और अंजलि के मन में बड़ी उत्सुकता थी ,कि यह कब मम्मी बोले और ज्यादातर अंजली  सोचती , उसी को मम्मी बोलेगी ,और जिसका इंतजार अंजली बहुत समय से कर रही थी

,वह दिन आ गया गार्डन में अंजली रोजी को एक बच्चे के पास छोड़कर  चड्डा से बात करने लगती है इतने में वह बच्चा रोजी को मार देता है ,और रूसी बहुत जोर से चिल्लाकर मम्मी मम्मी करके रोने लगती है ,और वह अंजलि की तरफ रोती हुई धीरे-धीरे दौड़ लगाती है ,और उसमें भी वह गिर जाती है अंजलि दौड़कर रोजी को गोद में लेती है ,और उसे अपनी छाती से चिपका लेती है , रोजी बहुत तेज रो रही थी, और साथ में अंजली की आंखों में भी आंसू आ जाते है , यह सब रोहित ऊपर से देख रहा था हालांकि उसका मन हुआ कि वह चले जाए ,लेकिन वह गया नहीं और उसे लगा कि अब अंजली का रिएक्शन क्या होगा ,अंजली खुशी रोते हुए उसे लेकर आती है ,और बहुत प्यार से उसे चुप कराती है घर के अंदर लाकर तो नेहा उन दोनों को देखकर एकदम डर जाते है उसे लगता है ये क्या हो गया और जब वह देखती है ,मम्मी मम्मी कह कर   गले लग कर बहुत रो रही है और अंजलि भी रो रही है , तो सिर्फ समझ में आने लगता है और वह दोनों के बीच में बिल्कुल नहीं आती ,रोहित जाकर फर्स्ट एड बॉक्स लेकर आता है ,रोजी की घुटनों पर बैंडिट लगाता है

और अंजलि और रोजी को दोनों को गले लगा लेता है ,नेहा दूर से देख रही थी और वह भी मन ही मन खुश हो रही थी कि चलिए दी दी को बहुत दिन से था कि रोजी उन्हें मम्मी बोले और आज उनकी यह इच्छा ईश्वर ने पूरी कर दी ,अंजलि रोजी को गोद मैं लेकर बैठ जाती है ,और ऐलान करती है कि उसकी बेटी को चोट लग गई है इसलिए आज वह खाना नहीं बनायेगी ,रोहित और नेहा हंसने लगते है ,और रोहित कहता की मां और बेटी इसी तरह बैठे रहे, मैं खाना बाहर से आर्डर कर देता हूं नेहा कहती है ,कि आप और रोजी दोनों बैठे खाना मैं बना दूंगी क्योंकि इतनी आसानी से बाहर खाना नहीं मिलेगा, जिस तरह से आप ने ऐलान किया है रोहित कहता है मदद कर दूंगा रोहित अंजलि के चेहरे की खुशी देख कर बहुत खुश होता है, जिस मां शब्द को सुनने के लिए अंजलि परेशान थी ,आज ईश्वर उसकी इच्छा पूरी कर दी

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