
मेरी रोज़ -रीता मिश्रा तिवारी
- Betiyan Team
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- on May 07, 2022
रुक जा तराना ! हम कह रहे हैं
भला मन से रख दे नाहीं तो …
नाही तो का ज़रा पकड़ कर दिखाओ ही ही ही कर तराना जो लेना था वो लेकर भाग गई ।
दीनू चिल्लाता रहा अरे कोई पकड़ो उसे, उफ्फ मेरा पचास रुपए का नुकसान कर दिया । एक न एक दिन इस लड़की से नुकसान का बदला लेकर रहूंगा।
भाई लाल गुलाब का एक गुलदस्ता अच्छे से बनाकर दो।
हूं…
क्या हुआ भाई रोज तो मुस्कुराते रहते हो और आज रोज डे के दिन आपके मुखड़े पर बारह क्यूं बजे हैं।
का बताएं बाबू पचास रुपए का नुकसान हो गया।
क्यूं कोई फूल लेकर भाग गया क्या ?
आज जादे मुनाफा कमाने का दिन है और ऊ हैन की आज के दिन हर साल दू गो लाल गुलाब लेकर भाग जाती है । हम सोचते रह जाते है की एक ठो हम बचा के रक्खे और उसको दें। पर नाही .. हमरे अरमान पर पानी फिर जात है।
ना जाने ऊ दुई लाल गुलाब लेकर किसको देवे है। और अपना सिर खुजाने लगा।
लगता है भाई तुम भी किसी को प्रेम…
बीच में ही शर्माते हुए वह बोला, नाही_नाही बाबू ऐसन कछु बात नहीं है।
अरे भैया कौन है वो ? जो फूल चुराती है ?
है एक पगली लड़की।
कहां रहती है क्या करती है ?
अपनी बूढ़ी माई के साथ , ऊ देखो हुआं.. झोपड़ी देखत हो हुंए (वहीं) रहवे है । लोगन के घर काम करती है।।
हूं… तो आप पूछते नहीं की रोज रोज दो गुलाब चुरा कर करती क्या है ?
रोज नाही बाबू बस आजे के ही दिन बचपन से चुराबे है।
हूं… ये तो सोचते वाली बात है । एक काम करो आज तुम उसके घर जाकर देखो और पूछो , कि वो गुलाब किसे देती है।
गुलदस्ते का पैसे देकर बाबू चला गया।
दीनू सिर खुजाते वक्त मन में कहा पता लगावे की बात तो बाबू सही कहे । आज घर जाय के पहिले ऊका जात हैं।
शाम को दीनू जब उसके झोपड़ी के अंदर गया तो देख कर दंग रह गया ।
दिल के आकार का लाल बैलून से सजा हुआ था।तराना की माई सुंदर सी एक लाल साड़ी पहनी टूटे हुए मोढ़े पर बैठी थी।
एक मोढे पर दो लाल गुलाब रखा था।
तराना आज बहुत सुंदर लग रही लाल ड्रेस, लाल लिपिस्टिक , लाल रंग के छोटी सी गुलाब की कली की टॉप्स एक दम लाल परी ।
हाथ में तीन कप लेकर आई मोढ़े पर रखी और माई के पैर के पास बैठ गई।
एक गुलाब उठा कर माई को देते हुए बोली हैपी रोज़ डे माई और उनके गालों को चूमकर गले से लिपट गई।
माई ने उसके कपोल को चूमा और अपनी थरथराती आवाज़ में बोली…
कब तक ऊका राह देखेगी बिटिया। बचपन अतना परेम करती है, हम दोनों के वास्ते फूल चोराती है।
त पहिले तू ही काहे नाही बोल देती है।
बिटिया ! कहीं उके राह ताकत ताकत ऊके जिनगी में कोई औरों आ गई त का करोगी ।
बिटिया हमरी जिनगी का कोई भरोसा नाही है । तू अभी जा और दुकान बंद होवे के पहिले दीनू को इ गुलाब दे आओ।
तराना जैसे ही बाहर निकलने को हुई तो सामने दीनू को देख अचकचा गई मुंह से कोई बोल न फूटा।
दीनू ने कहा हम सब सून लिए हैं।
तराना शर्म के मारे नज़रें झुका ली।
उसने पिछे से पांच गुलाब का एक गुलदस्ता , जो किसी ने ऑर्डर दिया था , पर बाद में कैंसिल कर दिया था । शायद भगवान को यही मंजूर था,तराना को देते हुए कहा ” मेरी रोज़ ” हैप्पी रोज डे ।
तराना गुलाब लेते हुए बोली सेम टू यू और दोनों मुस्कुरा दी।
माई हाथ उठाकर बोली जुग जुग जियो ।
स्वरचित
रीता मिश्रा तिवारी