संघर्ष…. सुधा सिंह भाग 1

रवि बालकनी में बैठा लॉन में खेलते बच्चों को बड़े ध्यान से देख रहा था कितने खुश थे ! सब बच्चे एक अजीब सी चमक थी  सबके चेहरे पर मानो  दुनिया से बेखबर किसी की भी परवाह नहीं बस लक्ष्य था केवल जीतना! कोई बॉल खेल रहा था कोई छुपन छुपाई खेल रहा था !उनकी वह मासूम हरकतें देखकर रवि को अपना बचपन याद आ रहा था कि किस तरह वह मम्मी को अपने पीछे दौड़ाया   करता था ! लेकिन अब तो यह सब उसके लिए सपना हो गया था उसने अपने पैरों की तरफ देखकर एक ठंडी आह भरी उसकी आंखों के सामने नैनीताल में हुए हादसे का दृश्य घूम गया वह दिन शायद वह कभी नहीं भूल सकता ! जिसकी वजह से उसकी पूरी जिंदगी बदल गई थी सोमवार का दिन था आज की  उसका फाइनल ईयर का रिजल्ट निकलने वाला था पूरे कॉलेज में उसने टॉप किया था सारे दोस्तों ने उसे बधाई दी रवि आज बहुत खुश था उसने अपने घर पर बताने के लिए फोन किया” हेलो हेलो मामा आप कैसी हो,,

” ठीक हूं बेटा तुम बताओ कैसे हो और हां आज तुम्हारा रिजल्ट निकलने वाला था क्या हुआ सुबह ही पापा कह रहे थे कि शायद आज या कल तक रवि का रिजल्ट आ जाएगा और तुम जल्दी ही घर आ जाओगे,, मम्मी ने पूछते हुए कहा !

“अरे मम्मा  वही तो बताने के लिए फोन किया है आपकी बेटे  ने पूरी यूनिवर्सिटी में टॉप किया है,, रवि ने खुश होकर कहा !

“क्या सच-सच बेटा आज तो बहुत पापा खुश हो जाएंगे बेटा सच में आज तुमने हम दोनों का सर फक्र से ऊंचा कर दिया,, माँ ने  बड़े गर्व से कहा !

“पापा और छोटी कहां है,, रवि ने मां से पूछा !

“पापा और रीवा सिंह अंकल के घर गए हैं उनकी बेटी को कुछ लोग देखने आए हैं,, मां ने बताया

“वही मै सोचु  कि अभी तक उस छिपकली की  आवाज क्यों नहीं आई,, रवि ने हंसते हुए कहा !

“रवि तू नहीं सुधरेगा तुझे पता है ना छिपकली कहने से कितना चढ़ती है फिर भी माँ ने रवि को डांटते हुए कहा “क्या करूं जब तक मैं उसे चिढ़ा  नहीं लेता तब तक कुछ अधूरा अधूरा सा लगता है एक ही तो मेरी छोटी बहन है जिस पर पूरा हुक्म  चला लेता हूं,, रवि ने हंसते हुए कहा “बेटा घर कब आ रहे हो,, माँ ने  बड़ी उत्सुकता से पूछा “माँ  आप से परमिशन लेनी थी मेरा एक दोस्त नैनीताल में रहता है बड़े दिनों से  वो घर चलने को कह  रहा है क्या मैं 1 हफ्ते के लिए उसके घर चला जाऊ ,,  रवि ने मां से इजाजत लेने के अंदाज में कहा !


“बेटा इसके बारे में तो आपको पापा ही  बता सकते हैं आपको  उन्हीं से बात करनी पड़ेगी मेरी तरफ से तो हां है लेकिन बस एक हफ्ता उससे ज्यादा नहीं क्योंकि हम लोग भी बहुत दिनों से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं,, मम्मी ने आज्ञा देते हुए कहा !

“माँ पापा से मैंने एक बार पूछा था उन्होंने आपसे पूछने के लिए कहा था वैसे मैं शाम को पापा से फिर बात कर लूंगा,, रवि ने मां से कहा और नमस्ते बोल कर फोन रख दिया !शाम को फोन करके पापा से बात की पापा तो खुशी से फूले नहीं समा रहे थे उन्होंने रवि को नैनीताल जाने की आज्ञा दे दी वह रवि से इतना खुश था कि शायद आज रवि उनसे कुछ भी मांग लेता तो उसे वह दे देते रवि ने अपना सामान पैक किया और अपने दोस्तों के साथ उसके घर नैनीताल के लिए निकल पड़ा रास्ते में खाते पीते मस्ती मजाक करते वह सुबह लाल कुआं स्टेशन पर उतरे वहां से गाड़ी करके देव के घर नैनीताल पहुंच गए ! देव के घर वाले बहुत खुश थे रवि को देव की मां में अपनी मां नजर आती थी !वैसे देव बहुत अमीर नहीं था लेकिन फिर भी उसके घरवालों ने रवि की खातिरदारी में कोई कमी नहीं छोड़ी थी रवि और देव ने नैनीताल की खूब सैर की देव को वहां के बारे में सारी जानकारी थी  इसलिए शायद रवि को घूमने में खूब मजा आ रहा था तीन-चार दिन घूमने के बाद एक दिन देव  और रवि ने मोटरसाइकिल से घूमने का प्रोग्राम बनाया लेकिन देव के पापा ने मना किया कि यहां के पहाड़ी रास्ते घुमावदार है इसलिए वह  गाड़ी ले जाएं लेकिन दोनों ने पापा की बात नहीं मानी उनसे कहा वह दूर तक नहीं जाएंगे बस पास ही  थोड़ी दूर जाकर वापस लौट आएंगे दोनों की जिद करने पर पापा ने मोटरसाइकिल दे दी लेकिन बस थोड़ी दूर जाने की इजाजत दी दोनों ने हामी तो भर ले लेकिन जब वह घर से निकले तो आगे ही बढ़ते चले गए! दोनों मस्ती करते प्राकृत का आनंद लेते हुए जा रहे थे हंसी मजाक के दौरान उनका ध्यान सड़क पार करते हुए बच्चे  पर नहीं गई और उसे बचाने के चक्कर में उनकी मोटरसाइकिल असंतुलित होकर गहरी खाई में जा गिरी………… आगे….

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