मायके ससुराल – अंजूओझा : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : शुभ्रा बहू जरा आओ ना मेरे कमरे में , आवाज देती हैं सास अनिता , जी मम्मी जी कहिए, बहू मेरे भतीजे गौरव की शादी है  दो दिन बाद जाना है और तुरंत से गिफ्ट खरीद पाना संभव नहीं , इसलिए तुम्हारी माँ ने तीज में जो पायल और लाल शिफाॅन साड़ी भेजी थी उसे ही दे हो , वही अपने भतीजे की शादी में मुँह दिखाई रस्म में बहू को दे देती हूँ ठीक है ना शुभ्रा बेटा , सास के लहजे में जलेबी जैसी चाशनी झलक रही और शुभ्रा क्या बोलती ,

सास की तानाशाही से वही नहीं बल्कि सारा घर काँपता और सहज भी कहता कि माँ से बहस मत करना , वर्ना तुम पर ऐसा वैसा झूठा आक्षेप लगा देंगी और तुम अपना दामन बचा नहीं पाओगी । बड़ी भाभी को इतना प्रताड़ित किया गया सास के द्वारा , बिचारी भाभी के साथ साथ भैया भी दूसरे स्थान पर किराए के घर में रहने को चले गए ,भाभी सास की कर्कश आवाज व कलह से हाई ब्लड प्रेशर की पेशेंट हो गई थी चक्कर आने लगे थे इसलिए भैया घर में शांति रहे , अलग रहने लगे और ससुर व सहज भी चुप्पी साधे रहते । खैर शुभ्रा हामी भर देती है आनन फानन में वो गिफ्ट लाकर सास को दे जाती है ।

शुभ्रा मन मसोस कर रह जाती है , सास अनिता एक तो तीज त्योहार या बर्थ डे या शादी सालगिरह पर एक रूमाल भी नहीं देती थी और तो और यह गुमान से कहती कि कमाऊ बेटा दे ही दिए हैं , अपना खरीदो पहनो ओढ़ो। शुभ्रा का अधिकतर चीजें माँगती रहती और वापस देने का नाम नहीं था ?

एकदम से शुभ्रा सास के लालचीपना से त्रस्त है लेकिन इससे निजात कैसे मिले , यह भी समझ नहीं पा रही । अपनी माँ से कहती तो यही राय मिलता , जाने दे ना वो तुझ पर अपना हक समझती हैं ना , इसलिए तुमसे कुछ कहती हैं और मायके से मिले चीजों से हर ब्याहता का दिल से जुड़ाव रहता है , अपनी माँ का प्यार दिखता है उन छोटी छोटी चीजों में ,  मसलन चूड़ी  बिन्दी,  साड़ी कपड़ा और खाने पीने की चीजें।


एक दिन तो हद हो गई,  इस बार सास का फरमान हुआ कि अपने पापा से कहो कि हमारे लिए एक पलंग भिजवा दें , शुभ्रा के पापा का फर्नीचर दुकान है इसलिए माँग बैठी है । लेकिन मम्मी जी एक पलंग चालीस पचास हजार में आता है , सांगवान लकड़ी बहुत महंगा होने के वजह से लाख दो लाख से ज्यादा में आता है । कैसे कहूँ उनसे , किराए के फ्लैट में मम्मी पापा और छोटा भाई रहता है  , भाई के इंजीनियरिंग की फीस भरनी होती है और भी खर्चे हैं । नहीं नहीं मैं नहीं बोल सकती , आप सहज से कहिए वो खरीद देंगे ।

ये क्या बकवास करती है रे छोकरी ! समधीजी का दुकान है तो पलंग बाहर से क्यों कर खरीदें? जा अपने बाप को फोन कर और कह दे कि कल शाम तक सांगवान लकड़ी का पलंग डबल बेड का भिजवा दे , बेटा की शादी किसी गरीब के घर नहीं किए,  जिसकी औकात ना हो कि वो अपनी लड़की के ससुराल पक्ष की जरूरत को पूरी ना पाए ? ये तो मुझसे नहीं हो पाएगा मम्मी जी , आप अपनी सीमा रेखा लाँघ रही हैं और मुझे भी आप बोलने पर मजबूर कर रही हैं ।

आपके लिए सहज खरीद देंगे , कोई जरूरी नहीं कि हर बात को समधियाना में कहा जाए और आपका बेटा सक्षम है और आप ही का बेटा है , आने दीजिए उनको , आज ही पलंग आ जाएगा ।

ओह हो , तो तुम मुझे सीखाओगी कि क्या करना चाहिए मुझे , हद में तुम रहो बहू और सास जो बोले वही रामबाण है समझी , जा अपने बाप से फोन पर बोल कि वो ••••  अब आप मुझे बड़ी भाभी समझ रही हैं , बिचारी भाभी का जीना दूर्भर किया था आपने , इतना ज्यादा हाई ब्लड प्रेशर है कि चार चार गोली एक दिन में खा रही हैं वो ।

आप चुपचाप अपने कमरे में जाईये नहीं अभी चली जाऊंगी पुलिस स्टेशन,  आपको जेल की चक्की ना पिसवाई तो मैं भी असल बाप की बेटी नहीं । इतना सुनना था कि सास सटक गई और अपने कमरे में जा दुबकी । ससुर अपनी छोटी बहू का रणचंडिका रूप देख मुस्कुराने लगे हैं 

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