मायका तो पराया है – अंजना ठाकुर  : Moral stories in hindi

बहू  सातवां महीना लग चुका है  तो अपने मायके मैं बोल दो तुम्हारे पापा लेने आ जाए 

हमारे यहां डिलीवरी मायके मैं ही होती है ।

अनु बोली नहीं मम्मी मैं मायके नहीं जाऊंगी आप ही तो कह रही थी शादी के बाद लड़की के लिए मायका पराया हो जाता है फिर पराए घर में,मैं अपने बच्चे को क्यों जन्म दूं ।

कांति जी बोली ये क्या कह रही हो बहू ये तो रिवाज है इसमें पराए वाली बात कहां से आ गई।

अनु बोली लेकिन मम्मी जी ये कैसा रिवाज है

जब अपना काम हो तो मायके वाले अपने और जब उन्हें जरूरत हो तो मायका पराया हो जाता है ।

अनु दो साल पहले शादी हो कर आई थी ससुराल मैं सास ,ससुर,पति निखिल ,और एक ननद रुचि है।

और मायके मैं अनु की एक छोटी बहन और है शुरू शुरू मैं अनु को मायके की बहुत याद आती वो कई बार सासूजी से इजाजत मांगती की वो एक दो दिन मायके रह आए उसका ससुराल  मायके से चार घंटे की दूरी पर ही था पर कांतिजी बस कोई रस्म होती तभी मायके जाने देती नही तो बोलती बहू अब यही घर तुम्हारा है इस पर ही ध्यान दो अब मायका पराया है।

अनु को महसूस होता इतने साल जिस घर में रही उसे कैसे पराया मान ले उसने निखिल से भी बात करी तो उसने कहा की अब मै मां को क्या बोलूं वो बात का बखेड़ा खड़ा करेंगी ।बेचारी अनु मन मार कर रह जाती ।

पर उस दिन अनु को बहुत दुख हुआ उसकी मां की तबीयत ज्यादा खराब थी छोटी बहन भी घबरा रही थी उसने सास से कहा कि दो -तीन दिन रहकर आ जाएगी ।पर कांति जी बोली अरे इस उम्र मैं तो ये सब चलता रहता है कोई न कोई बीमार होता रहेगा तो ऐसे कहां तक जाओगी कल निखिल के साथ जा कर देख आना  उस दिन अनु ने सोच लिया की अब  सबक सिखाना ही पड़ेगा ।

अनु ने मां बनने की खुशखबरी सुनाई घर मैं सब खुश थे ।तभी सास ने बताया की उनके यहां डिलीवरी मायके मैं होती है पहले तो अनु बहुत खुश हुई की इतने दिन मायके मैं रहने को मिलेगा

लेकिन दूसरे पल याद आया की मेरे मायके वाले क्यों परेशान हो ये जिम्मेदारी भी सास की होनी चाहिए ।उस समय तो अनु शांत रही पर आज उसने बोल ही दिया ।

अब जिम्मेदारी बढ़ती देख कांति जी बोली अरे मेरा मतलब मायका पराया है से ये था की तुम इस घर को अपना समझो नहीं तो तुम मायके को ही अपना समझने लगती तुम तो बुरा मान कर बैठ गई।

अनु बोली मांजी एक लड़की को बचपन से ही पता होता है की उसे मायका छोड़ कर ससुराल जाना है और वो जिम्मेदारी उठाने से पीछे नहीं हटती।लेकिन जिस घर मैं इतने साल रही उसको एकदम भूलना मुश्किल होता है आप भी एक औरत है आपको तो ये बात समझनी चाहिए ।

कांति जी बोली बहू तुम सही कह रही हो पर हम जो देखते चले आते है ,हमें लगता है बही सही है और हम बही करते चले जाते है मै अपने विचार बदलने की कोशिश करूंगी आगे तुम्हारी मर्जी है जहां तुम्हे खुशी मिली वहां बच्चे को जन्म देना ।

और हां तुम सही कह रही हो मायका कभी पराया नहीं होता ।

अनु खुश थी उसने सास की सोच को बदल दिया था अब भले ही वो कम जाए पर ये अहसास तो रहेगा की मायका अपना है ।।

#बेटियां 6 जन्मोत्सव #कहानी 2

स्वरचित

अंजना ठाकुर 

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