बेटा 2 साल हो गए तुझे देखे हुए कब आएगा आंखें तरस गई हैं परदेस जा के ऐसा बैठ गया की मां-बाप की सुध भी नहीं रही तुझे, तेरी मां भी हर समय तुझे याद किया करती है हमारा इकलौता सहारा है तू जीने का। अरे यहां दिल्ली में दो-दो मकान है हमारे । मेरी पेंशन आती है। कितना तो मकान का किराया ही आ रहा है।
अरे खानी तो रोटी ही है पैसा कोई खाना है। बस बेटा अब घर आ जा और यहीं पर नौकरी ढूंढ ले तुम और बहू यहां भी तो नौकरी कर सकते हो। दिल्ली में क्या कम कंपनियां है जो पैसा कमाने को विदेश में जाकर बस गया। पीहू को देखने को बहुत मन कर रहा है वीडियो कॉल पर तसल्ली नहीं होती बेटा।
रमेश जी अपने बेटे रोहित से जो अमेरिका में रहता है वीडियो कॉल पर बात करते हुए कह रहे थे। पापा हम लोग अगले महीने 15 दिनों के लिए आ रहे हैं। यही कहने के लिए मैंने आपसे फोन किया था। अरे हां पापा आप कल डॉक्टर के पास जाकर अपना और मम्मी का फुल बॉडी चेकअप करा लेना, और इस बार आप दोनों को भी मेरे साथ आना पड़ेगा, अगर कोई दिक्कत हो तो हम आपके साथ तो रहे। हां पापा रोहित बिल्कुल सही कह रहा है।
अब आप दोनों को हमारे साथ आना ही पड़ेगा पीहू को भी दादी बाबा का प्यार जरूर मिलना चाहिए। बहु नेहा ने भी अपने पति की हां में हां मिलाई। देख बेटा हमारी जिंदगी बीत गई यहां पर ।हम वहां विदेश में नहीं रह सकते। आखरी समय में अपने देश की मिट्टी मिल जाए वही अच्छा है। अभी तो हम दोनों साथ हैं।
क्या पता कब किस मोड़ पर कौन अकेला रह जाए फिर तो उसे तेरे पास आना ही पड़ेगा अभी हम तुम्हारे साथ नहीं चल सकते? अच्छा चलो बाद की बाद में देखी जाएगी अभी तो तू जल्दी से आजा तुम सबको देखने को मेरा बहुत मन कर रहा है कहते कहते मां सुनंदा जी रोने लगी।
हा दादी इतनी बड़ी होकर रो रही हो आप बच्ची थोड़ी हो जो रो रही हो। पांच साल की पीहू सुनंदा जी की मजाक बनाते हुए बोली। अच्छा नहीं रो रही अम्मा चल ज्यादा मत बोल। सुनंदा जी ने अपने आंचल से अपने आंसुओं को पूछते हुए अपनी पोती से कहा। और उन्होंने बाय करके फिर कॉल काट दी।
रमेश जी के बेटे रोहित को अमेरिका में बसे 4 साल हो गए हैं 2 साल तक तो वह हर दिवाली और होली को आया था लेकिन अब उसे आए हुए अपनी व्यस्तता के कारण पूरे 2 साल हो चुके थे इसीलिए उसके माता-पिता उसे यहां आने के लिए बार-बार कहते रहते थे। 4 साल विदेश में रहने पर भी रोहित में संस्कार अपने देश के ही हैं।
और बहू नेहा भी बहुत सरल स्वभाव की है वे अपनी बेटी पीहू से रोज अपने दादी बाबा से वीडियो कॉल पर बात कराते हैं और खुद भी करते हैं। बस वहां पर ज्यादा पैकेज होने की वजह से उन्हें लगता है कि वहां रह कर उनका भविष्य ज्यादा सुरक्षित हो सकता है, इसीलिए वे लोग वहीं सेटल होना चाहते हैं।
लेकिन रमेश जी और सुनंदाजी चाहते हैं कि उनका बेटा उनके साथ रहे और वही दिल्ली में रहकर ही नौकरी करें। अगले दिन अचानक रमेश जी की तबीयत बहुत खराब हो जाती है वह तो उनके मकान में किराए पर रहने वाले शर्मा जी उन्हें तुरंत अस्पताल लेकर चले गए शायद किस्मत ही मेहरबान थी जो जल्दी ही डॉक्टर ने उन्हें एडमिट भी कर लिया।
डॉक्टर ने हार्ट अटैक बताया था और कहा , 72 घंटे का समय बीत जाने पर ही खतरे से बाहर निकल पाएंगे। सुनंदा जी ने अपने बेटे को फोन पर भी बता दिया था और जिससे वह घबरा ना जाए केवल इतना ही कहा कि अब तुम्हारे पापा खतरे से बाहर है और उन्हें आईसीयू में रखा गया है। इतना सुनकर रोहित के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई उसने तुरंत फ्लाइट बुक कराई और वो अपने देश के लिए निकल गए।
अगले दिन सुबह तक वो दिल्ली पहुंच गए और जल्दी से एक कैब बुक कराकर अस्पताल की तरफ चल दिए। रोहित लगाताऱ पापा की तबीयत के बारे मेंअपनी मम्मी को फोन किये जा रहा था। उसकी आंखों से बार-बार आंसू बहे जा रहे थे। और हिम्मत करके अपनी मां को भी बार-बार तसल्ली दिए जा रहा था कि मम्मी घबराना मत सब कुछ ठीक हो जाएगा मैं आ रहा हूं।
उसका ध्यान किसी और चीज में भी नहीं था। आज एयरपोर्ट से अस्पताल तक पहुंचाना ही उसे ऐसा लग रहा था जैसे कितना समय लग रहा हो। ऊपर से दिल्ली की सड़कों पर लगा जाम। उसे एक एक मिनट बहुत भारी हो रही थी।
जब वह अस्पताल पहुंचा तो उसकी मम्मी उसके गले लगकर फूट कर रोने लगी और बहू नेहा उन्हें संभाल ते हुए कहने लगी आप चिंता मत करो मम्मी जी सब ठीक होगा भगवान हमारे साथ अन्याय नहीं करेंगे। पीहू तो बहुत सहम गई थी। रोहित ने अपनी मम्मी और नेहा को पीहू के साथ जबरदस्ती थोड़ी देर के लिए उनके मना करने के बाद भी घर भेज दिया था और खुद अपने पापा के पास रुक गया था।
आज उसे अपने पापा की हर छोटी बड़ी बात सब याद आ रही थी। वह सोच रहा था अगर पापा को कुछ हो गया तो नहीं मैं यह क्या सोच रहा हूं ऐसा सोचते ही उसकी आंखे डबडबा गई। अगले दिन डॉक्टर ने बताया कि वह अब खतरे से बाहर है और उन्हें शाम तक रूम में शिफ्ट कर दिया जाएगा। जब उसके पापा को रूम में लाया गया और उन्हें होश आया और अपने बेटे को सामने देखा तो उनकी आंखें भर आई अपने बेटे को देखकर उनकी बूढ़ी आंखों में जैसे चमक आ गई थी।
रोहित ने उनका हाथ पकड़ लिया। और कहा, पापा अब आप बिल्कुल ठीक हैं। देखो सुनंदा मैंने बुला ही लिया अपने बेटे को अपने पास। बीमारी की वजह से ही सही। आप बिल्कुल सही कह रहे हैं लेकिन अब आप चुप रहिए डॉक्टर ने ज्यादा बोलने को मना किया है आपको। 2 दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है और वह घर आ जाते हैं। 8 दिन पूरी देखभाल और अपने बेटे और पत्नी की सेवा की वजह से अब वह ठीक लगे लगे थे।
पीहू तो अपने बाबा के पास से हटती ही नहीं थी। उसकी मीठी-मीठी बातों से घर का माहौल ही बदल गया था। यूं ही उन लोगों को यहां पर आए हुए 20 दिन हो चुके थे। अब उन्हें जाना था। रमेश जी और सुनंदा जी को फिर से उनके जाने की घबराहट होने लगी थी। रोहित नेहा और पीहू के साथ तैयार होकर जाने के लिए जब अपने पापा के पास आया तो उनका हाथ पकड़ कर कहने लगा,
पापा मैं जा रहा हूं लेकिन कुछ ही दिनों में वहां की औपचारिकताएं पूरी करके हमेशा के लिए फिर आ जाऊंगा। मैंने यहां कंपनी में बात भी कर ली है। हम दोनों को एक ही कंपनी में जॉब मिल रही है। इसी महीने पीहू का यह सेशन भी खत्म हो जाएगा। अब उसका एडमिशन भी यही करा दूंगा। मुझे भी ऐसा पैसा नहीं चाहिए। जिसकी वजह से मैं अपने मां-बाप से दूर रहूं।
आपके बीमार होने से मेरी दुनिया ही थम गई थी। अगर आपको कुछ हो जाता तो मैं जीवन भर खुद को माफ नहीं कर पाता। हम 15 20 दिन में वापस आ जाएंगे तब तक आप अपना अच्छे से ध्यान रखना। और वे दोनों अपने माता-पिता के चरण स्पर्श करके एयरपोर्ट की तरफ निकल जाते हैं। और कुछ ही दिन में हुए वापस भी आ जाते हैं हमेशा के लिए।
सच ही है पैसा बहुत कुछ होता है लेकिन सब कुछ नहीं होता। अपनों के साथ काम में भी सुकून ही मिलता है। और सच्ची खुशी भी अपनों के साथ रहने से ही मिलती है।
दोस्तों कमेंट करके बताएं मेरी रचना आपको कैसी लगी।
पूजा शर्मा
स्वरचित।
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