‘मैं सिर्फ आपकी पत्नी नहीं किसी की बेटी भी हूंँ’ – मनीषा गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :संगीता संयुक्त परिवार की लाडली बेटी थी, मम्मी पापा ताऊ ताई चाचा चाची सभी परिवार में थे, कुल मिलाकर संगीता हर पांच भाई बहन थे, परिवार के सभी बच्चों में बहुत प्रेम था।

यह पता लगाना बहुत मुश्किल था कि कौन किसकी संतान है। परिवार के सभी सदस्य दूसरे से बहुत प्रेम करते थे।

संगीता घर की बड़ी बेटी थी इसलिए उसकी रिश्ते की बात चल रही थी, संगीता से घर के बड़े लोगों का लगाव कुछ ज्यादा ही था।

आखिरकार एक बढ़िया रिश्ता इस शहर में मिल गया, लड़का भी इंजीनियर और सुशील था। घर के सभी सदस्यों की रजामंदी से संगीता का विवाह तय हो गया।

संगीता का विवाह बहुत ही धूमधाम से हुआ।

परिवार की लाडली बेटी आज विदा हो गई थी

ससुराल में भी संगीता का बहुत लाड प्यार से स्वागत हुआ परिवार की बड़ी बहू होने के नाते खुब मान सम्मान मिला।

संगीता दोनों ही परिवारों से प्यार और सम्मान पाकर बहुत खुश थी, वह भी दोनों ही परिवारों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने की पूरी कोशिश करती थी।

ससुराल में भी उसने अपनी अच्छी खासी जगह बना ली थी, पर संगीता का बार-बार पीहर जाना ससुराल वालों को अखरता था। संगीता के देवर का विवाह तय हो गया था, विवाह की सारी तैयारियां संगीता को ही करनी थी संगीता भी बहुत खुश थी और वह शादी के सभी कार्य बहुत ही मन से कर रही थी।

राजीव ने साफ कह दिया था कि इस ऑफिस से अधिक छुट्टियां नहीं मिलेगी, इसलिए सारी तैयारियां तुम्हें ही देखनी है।

अब तुम थोड़े दिन मायके मत जाना विवाह का काम निपट जाए उसके बाद चले जाना।

संगीता ने कहा आप चिंता नहीं करें मैं सारी तैयारी कर लूंगी और अपनी पीहर को भी संभाल लूंगी मेरे लिए दोनों परिवार ही बराबर हैं।

आज देवर का तिलक था सभी तैयारियां बहुत ही अच्छी की गई थी सभी संगीता की तारीफ कर रहे थे। सास ससुर भी संगीता से बहुत खुश थे

सभी मेहमान आ चुके थे, संगीता अपने मायके वालों का इंतजार कर रही थी। तभी उसने देखा कि सभी लोग आ गए हैं

राजीव और कामों में व्यस्त था इसलिए वह खुद ही अपने परिवार वालों की आव भगत में लग गई। वह अपने पीहर वालों को देखकर बहुत खुश थी। संगीता के घरवाले भी संगीता को इस ढंग से ससुराल की जिम्मेदारियां संभालते देख बहुत खुश हुए।

तिलक की रस्म बहुत ही अच्छे से पूर्ण हुई।

अब विवाह में दो दिन बाकी थे, अगले दिन संगीता कुछ समय के लिए अपने मायके चली गई, ताऊ जी की तबीयत खराब चल रही थी इसी कारण वह तिलक में भी नहीं आ पाए थे , सोचा तिलक की मिठाई भी दे आऊंगी और ताऊजी से मिल भी आऊंगी।

पर संगीता को घर वापसी में थोड़ी देरी हो गई है

संगीता के घर आते ही राजीव उस पर चिल्ला पड़ा! कल ही तो सब लोग मिलकर गए हैं तुमसे आज तुम वापस पीहर चली गई तुम्हें मालूम है ना शादी की सारी जिम्मेदारी तुम पर ही है।

अगर तुमसे नहीं हो रहा था तो तुम मना कर देती मैं और छुट्टियां ले लेता । आखिर भाई मेरा है तुम्हारा थोड़ी ना है, चिल्लाते हुए राजीव ने कहा।

संगीता को राजीव की यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आई उसने भी जवाब देते हुए कहा, मैंने कभी अपने और तुम्हारे भाई में अंतर नहीं किया। मेरे लिए ससुराल और पीहर दोनों बराबर है।

पर “मैं सिर्फ आपकी पत्नी नहीं किसी की बेटी भी हूं”

आपने कल तिलक के कार्यक्रम में ध्यान ही नहीं दिया की ताऊ जी नहीं आए थे उनकी तबीयत कई दिनों से खराब चल रही है इसलिए मैं उनका हाल-चाल पूछने थोड़ी देर के लिए चली गई थी, लेकिन आपको तो यह भी नहीं पता शायद कि कल ताऊजी कार्यक्रम में नहीं आए थे।

मैंने आपको परेशान करना उचित नहीं समझा इसलिए मैं स्वयं ही उनका समाचार लेने चली गई परंतु आने में थोड़ी देरी हो गई डॉक्टर साहब घर आए हुए थे इसी कारण। मैं अपने ससुराल के प्रति सभी फर्ज बखूबी निभा रही हूं पर अपने पीहर के प्रति भी मेरी कुछ जिम्मेदारियां हैं मैं उनसे मुंह नहीं मोड सकती। मेरी खुशी के लिए ही कल मेरे परिवार के लोग यहां आए थे। लेकिन आपके पास तो उनके लिए मिलने तक का वक्त नहीं था। पर मैंने आपसे कोई शिकायत नहीं की।

आज थोड़ी सी देर होते ही आपने मुझे मायके और ससुराल का अंतर करवा दिया। मैं अभी सारे काम निपटा देती हूं आप चिंता ना करें। यह बोलते हुए संगीता अपने कमरे से बाहर चली गई।

राजीव को अपनी गलती का एहसास हो चुका था उसने व्यर्थ में ही संगीता को इतना कुछ सुना दिया। जबकि वह जानता है कि संगीता अपने काम से कभी पीछे नहीं हटती।

राजीव ने देरी न करते हुए तुरंत गाड़ी निकाल और ताऊजी का समाचार लेने ससुराल पहुंच गया। और संगीता खुशी-खुशी अपने देवर की शादी की तैयारी में जुट गई ।

“मैं सिर्फ आपकी पत्नी नहीं किसी की बेटी भी हूं”

अप्रकाशित रचना

मनीषा गुप्ता

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