माँ बाप का फर्ज है बच्चो को सही राह दिखाए – संगीता अग्रवाल   : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : उमा जी अभी पति और सास के लिए नाश्ता मेज पर लगा रही थी तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।

” अरे सोनाली तुम इस वक्त और ये बैग सब ठीक तो है ना ?” उमा जी दरवाजा खोलते ही सामने बेटी को देख बोली।

” मम्मी पहले अंदर तो आने दीजिये फिर सवाल पूछ लेना !” ये बोल सोनाली अंदर आ गई। 

” क्या हुआ बेटा तू बड़ी परेशान सी लग रही है आ बैठ नाश्ता कर पहले फिर बात करते है !” सोनाली के पिता महेन्द्र जी अपनी लाडली को देख बोले। 

” नही पापा मुझे कोई नाश्ता वाश्ता नही करना आपने कैसे घर मे मेरी शादी कर दी जहाँ मुझे सभी कैद मे रखना चाहते है !” सोनाली गुस्से मे बोली। 

” ऐसा क्या हो गया जो इतना गुस्से मे यहां चली आई हो ?” उमा जी परेशान हो बोली। 

” तुम तो रहने दो ये उसके पिता का घर है जब उसका मन करेगा आएगी समझी तुम जाओ मेरी पोती के लिए नाश्ता बनाओ !” किसी के कुछ बोलने से पहले सोनाली की दादी शारदा जी बोली। 

असल मे सोनाली शारदा जी और महेन्द्र जी की लाडली है ऐसा नही की उमा जी उसे प्यार नही करती पर जहाँ उमा जी सोनाली को अच्छे बुरे की गलत सही की पहचान करवाने को थोड़ा सख्ती बरतती है वही महेन्द्र जी और शारदा जी उसे शय देते है जिससे सोनाली थोड़ी जिद्दी और नकचढ़ी बन गई है । सास और पति के आगे उमा जी की चल नही पाती और वो मन मसोस कर रह जाती है । अभी एक महीने पहले ही उसकी शादी शांतनु के साथ जोर शोर से हुई थी और आज वो अपना सामान बाँध मायके आ गई थी।

उमा जी वहाँ से जाने लगी तभी फोन बजा ।

” हेलो मम्मी नमस्ते मैं शांतनु .. सोनाली वहाँ आई है क्या ? पता नही कहाँ चली गई बिन बताये हम सब यहां परेशान है !” उमा जी के फोन उठा हेल्लो बोलते ही शांतनु परेशान सा बोला। 

” जीते रहो बेटा हां वो यही आई है पर ऐसा क्या हुआ जो वो बिन बताये अपना सामान लेकर आ गई ?” उमा जी ने पूछा। 

” कुछ नही मम्मी रात ये देर से घर आई दोस्तों के साथ पार्टी मे गई थी हम यहाँ फोन मिला मिला परेशान थे तो बस मम्मी ने इतना बोल दिया की कम से कम फोन करके बता तो देती लेट होगा । बस इसे गुस्सा आ गया बोली मैं हर बात के लिए आपसे परमिशन लूंगी क्या ये घर है या जेल । मैने इसे इतना बोल दिया कि मम्मी से कैसे बात कर रही हो उन्हे तुम्हारी फ़िक्र है इसलिए बोल रही । बस इतनी सी बात पर उल्टा सीधा बोलने लगी और कमरा बंद कर लिया अपना । सुबह मैं वॉक पर गया था मम्मी मंदिर गई थी तो ये अपना सामान उठा चल दी हम कितने परेशान थे !” शांतनु एक सांस मे बोल गया। 

” हम्म देखो शांतनु मैं सोनाली की तरफ से माफ़ी मांगती हूँ और तुमसे मिल कर बात करना चाहती हूँ !” उमा जी बोली। 

” मम्मी आपको माफ़ी मांगने की जरूरत नही और आप जब कहोगी जहाँ कहोगी मैं आ जाऊंगा !” शांतनु आदर से बोला। जगह और समय तय कर दोनो तरफ से फोन रख दिया गया। 

” अरे किसका फोन है जल्दी से नाश्ता लाओ ना !” तभी महेन्द्र जी ने आवाज दी ।

” लो सोनाली और ये बताओ क्या बात हुई थी वहाँ ?” नाश्ता दे उमा जी ने पूछा। 

” मम्मी उन लोगो को मेरे बाहर जाने से परेशानी है बोलते है बताया क्यो नही अब हर बात बता कर थोड़ी करूंगी मैं अपनी सास को वो कोई जेलर और मैं कैदी थोड़ी !” सोनाली बोली। 

” पर बेटा जैसे मुझे तुम्हारी फ़िक्र है उन्हे भी है फिर ये गलत भी तो नही । रिश्तो मे छोटी छोटी बाते कई बार बड़ा रूप ले लेती है तुम्हे उन लोगो को बता कर यहाँ आना चाहिए था वो लोग कितना परेशान थे तुम्हारे लिए !” उमा जी बोली। 

” ओह तो शांतनु ने मेरी शिकायत लगा दी वो तो है ही मम्मी का चमचा !” सोनाली गुस्से मे बोली। 

” हो गये तुम्हारे सवाल जवाब । अरे मेरी बेटी किसी की गुलाम नही वो अपने पापा के घर आई है और जब तक चाहे यहाँ रहेगी किसी को क्या परेशानी है !” महेन्द्र जी बीवी को झिड़कते हुए बोले। 

” पापा मैं उस घर मे दुबारा नही जाउंगी जहाँ मेरी इज्जत नही !” पिता की शह मे सोनाली बोली। 

” सोनाली शादी कोई बच्चो का खेल नही है समझी तुम !” उमा जी बोली। 

” चुप रहो तुम अब मैं अपनी बेटी को तभी वहाँ भेजूंगा जब शांतनु अलग घर लेकर रहेगा क्योकि मेरी बेटी किसी की कैद मे नही रह सकती !” महेन्द्र जी चिल्लाए । 

उमा जी समझ गई पिता और दादी का लाड सोनाली का दुश्मन बन रहा है उन्हे ही बेटी का घर बसाने को कुछ करना होगा वरना इतनी सी बात इतनी बड़ी बन जाएगी कि उनकी बेटी नासमझी मे अपना ही घर बर्बाद कर लेगी । फिलहाल उन्होंने चुप रहना मुनासिब समझा क्योकि वैसे भी सास और पति सोनाली के मामले मे उसकी एक नही चलने देते। वो शाम को शांतनु से मिलने का इंतज़ार करने लगी।

” शांतनु बेटा सोनाली थोड़ा नासमझ है पर दिल की बुरी नही है !” सारी बात करने के बाद उमा जी शांतनु से बोली जिससे मिलने वो एक कैफे मे आई थी। 

” मम्मी मैं भी जानता हूँ ये बात और मैं और मेरा परिवार सोनाली से प्यार करते है उसकी फ़िक्र करते है पर सोनाली इसे नही समझ रही । अब बताइये मैने उसे फोन किया तो बोलती है उसे अलग घर मे रहना है । मैं भला अपने माता पिता को कैसे छोड़ दूँ !” शांतनु बोला। 

“बेटा तुम्हे किसी को छोड़ने की जरूरत नही और अब तुम सोनाली को फोन भी नही करोगे अपनी नासमझ बेटी को कैसे सही राह पर लाना है वो तुम मुझपर छोड़ दो !” उमा जी मुस्कुराते हुए बोली । 

” मम्मी आप क्या करेंगी ? देखिये मैं सोनाली से बहुत प्यार करता हूँ इस बात का ध्यान रखियेगा !” शांतनु बैचेनी से बोला। 

” जानती हूँ बेटा और मेरी बेटी का नसीब अच्छा है कि तुम उसे पति के रूप मे मिले हो तुम फ़िक्र मत करो सोनाली खुद अपने घर वापिस आएगी ये मेरा वादा है तुमसे !” उमा जी बोली । फिर दोनो ने एक दूसरे से विदा ली । 

” इतनी देर कहाँ लगा दी बहू तुमने तुम तो बाज़ार गई थी ना ?” घर मे घुसते ही शारदा जी ने उमा जी से पूछा। 

” वो मांजी मैं वकील के पास गई थी !” उमा जी बोली। 

“वकील के पास पर क्यो ?” तभी वहाँ महेन्द्र जी सोनाली के साथ आये और बोले। 

” सोनाली और शांतनु के तलाक की बात करने !” उमा जी शांत स्वर मे बोली। 

” तलाक …!!! ये क्या कह रही हो आप मम्मी मैने कब कहा मुझे शांतनु से तलाक चाहिए ?” सोनाली तलाक की बात सुन भड़कते हुए बोली। 

” बहू ये क्या बोल रही है तू कैसी माँ है जो अपनी एक महीने पहले ब्याही बेटी के तलाक की बात इतने आराम से कर रही है !” शारदा जी भी भड़क कर बोली।

” मांजी सलोनी उस घर मे रहना नही चाहती और शांतनु अपने माँ बाप को छोड़ना नही चाहता इसलिए इन दोनो का तलाक हो जाना ही बेहतर है क्या फायदा रिश्ते को बेवजह खींचने का । क्यो सोनाली बेटा ?” उमा जी बोली। 

” लेकिन उमा हम शांतनु को समझायेंगे और मुझे यकीन है वो मान जायेगा और हमारी बेटी के लिए अलग घर ले लेगा और अगर उसे घर लेने मे दिक्कत होगी तो हम दिला देंगे नया घर पर यूँ बेटी के तलाक की बात करना सही नही है !” महेन्द्र जी जो खुद तलाक की बात से सकते मे थे बोले। क्योकि माँ बाप भले अपने बच्चो की नाजायज बातों का भी समर्थन करते है पर कोई माँ बाप नही चाहते उनके बच्चो का तलाक हो। 

” देखिये जी हमारी बच्ची ससुराल मे खुश नही उसके ससुराल वाले उसे तंग करते है और शांतनु भी उन्हे कुछ नही कहता कल को वो हमारी बेटी पर और अत्याचार करे इससे पहले हमें इनका तलाक करवा देना चाहिए और मैं तो कहती हूँ लगे हाथ दहेज़ का केस भी डाल दो जब जेल की चक्की पीसेगा वो तब समझ आएगा हमारी बेटी का मोल !” उमा जी बोली। 

” मम्मी क्या बोल रही हो आप शांतनु की इसमे क्या गलती और उन लोगो ने मुझसे दहेज़ कहाँ मांगा ना ही कोई अत्याचार किया है बल्कि वो तो मुझे अपनी बेटी की तरह रखते है जो खाना है खाओ जो पहनना है पहनो । हाँ थोड़ी टोका टाकी करते है पर उसकी वजह से तलाक थोड़ी लिया जाता है  !” सोनाली माँ की बातो से परेशान हो महेन्द्र जी और शारदा जी भी परेशान हो उमा जी को ही देख रहे थे।

” पर बेटा तुम्हे जब उस घर मे रहना नही और शांतनु वहाँ से अलग होगा नही तो हम तुम्हारा तलाक करवा कर ऐसी जगह तुम्हारी शादी कर देंगे जहाँ लड़के के माँ बाप ही ना हो फिर तो कोई टोका टाकी नही रहेगी …हाँ ये ठीक रहेगा क्यो जी !” उमा जी बोली । 

” मुझे कहीं शादी नही करनी ना तलाक लेना मैं अभी अपने घर जा रही हूँ पापा वरना मम्मी मेरा तलाक ही करवा कर मानेगी मैं अपने सास ससुर की थोड़ी टोका टाकी बर्दाश्त कर लूंगी पर शांतनु से अलग नही होना मुझे  !” परेशान सोनाली बोली और अपना सामान लेने अंदर चली गई और फिर तेजी से बाहर निकल गई। 

” बेटा सुन तो …!” महेन्द्र जी उसे आवाज देते रह गये। 

” जाने दीजिये उसे क्योकि सही मायने मे वो अब शादी का मतलब समझी है !” उमा जी सख्त लहजे मे बोली। आज पहली बार महेन्द्र जी की हिम्मत नही हुई पत्नी से कुछ बोलने की। 

दोस्तों जब बेटी शादी बाद नये घर जाती है हो सकता है उसे थोड़ी परेशानियां हो ऐसे मे माँ बाप का फर्ज है उसे सही राह दिखाए क्योकि कई बार रिश्तो मे छोटी छोटी बाते भी बड़ी हो जाती है और परिवार टूटने का कारण बनती है। 

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल

# बेटियाँ वाक्य कहानी प्रतियोगिता 

#रिश्तों के बीच कई बार छोटी छोटी बातें बड़ा रूप ले लेती है।

1 thought on “माँ बाप का फर्ज है बच्चो को सही राह दिखाए – संगीता अग्रवाल   : Moral Stories in Hindi”

  1. घर वालोंके अती लाड प्यार में बच्चे जायज नाजायज कामोमे फर्क नही कर पाते. उन्हे अपनी ही बाते सही लगती हैं. उन्हे समाजाने के लिये कई बार सिधी उंगली से घी न निकले तो उंगली टेढी करनी पडती हैं. कभी कभी उलटा तरिका अपनाकर भी समस्या को सुलझायां जा सकता हैं.

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