एक बार फिर (भाग 36 ) अंतिम भाग – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

शेखर और प्रिया के बीच तनाव के चलते प्रिया शेखर से कहती है कि उसे इस रिश्ते के बारे में फिर से सोचना है। शेखर अपनी मॉम को बता देता है कि उसने प्रिया के साथ क्या किया है?? इससे‌ वह बेहद अपसैट हो जाती हैं और प्रिया से माफी मांगती हैं।

प्रिया को सॉरी कहने के बाद शेखर चला जाता है

अब आगे-

शेखर घर पहुंचा आज उसका दिल खाली था। उसे महसूस हो रहा था कि जैसे वह किसी वीराने में भटक गया हो और वहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा है।

काश! मैंने वो सब न किया होता अब मैं क्या करूं?? कैसे सब कुछ ठीक करूं??? सब खत्म हो गया। मैंने उसे हमेशा के लिए खो दिया।

मैं क्यों नहीं समझ पाया कि प्यार में जबरदस्ती नहीं समर्पण होता है???

सोचते हुए उसकी आंखें नम हो गई। उसने गहरी सांस ली और बेड पर लेट गया।

इतने में डोर पर नॉक हुआ। वो खड़ा उठा उसने डोर खोला तो मम्मी अंदर आ गईं।

उन्होंने डोर बंद किया, और एक जोरदार तमाचा उसके गाल पर रसीद कर दिया।

वो खामोश खड़ा था। मॉम बैड पर बैठ कर रोने लगी।

तुमने ये क्या किया??? चंद दिनों में शादी थी।

ये तुमने क्या कर दिया शेखर!

तुमने प्रिया के साथ गलत नहीं किया तुमने खुद के साथ गलत किया, एक अच्छी लाइफ पार्टनर को खो दिया।

मॉम वो एक पल उसमें सब कुछ तबाह हो गया। मैं कैसे सब ठीक करूं?? उसने रोते हुए मुंह छिपा लिया।

कभी सोचा तुमने कि अगर प्रिया की जगह रिनी होती तो…. अभी तुम सब जगह न्यूज में होते।

शादी की डेट नजदीक आ गई है अब अगर नहीं हुई तो हम सबको क्या जवाब देंगे???

मैं……. शेखर के शब्द मुंह में रह ग‌ए।

मैं क्या???

मैं अब प्रिया से इस बारे में कोई बात नहीं करूंगी। तुम्हारी इस ग़लती को मैं जस्टीफाई नहीं कर सकती।

उनके जाने के बाद शेखर धम्म से बैठ गया।

सच में सब‌ कुछ बदल गया था। वो प्यार भरी दुनिया खत्म हो गई थी। प्रिया से मिलना, उसके सपने देखना, उसे छेड़ना, बातें करना सब खत्म हो गया था।

उधर प्रिया शेखर की यादों से खुद को निकालने में असमर्थ थी। वो सपनों में शेखर को करीब पाती, जागती तो उसकी हंसी, उसका अंदाज सब मिस करती।

उसके दिल का डर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था। उसे रिनी खन्ना की बातें सच होती लग रही थी।

इस बीच शेखर ने प्रेस कांफ्रेंस की और शादी की डेट पोस्टपोंड करने का ऐलान कर दिया।

प्रिया का दिल धक हो गया। ये बात बाहर आते ही मीडिया वाले प्रिया के घर के बाहर भीड़ लगा कर खड़े हो गए।

प्रिया घबरा गई पर कुछ जवाब तो देना ही था। सवालों का सामना करना जरूरी था। हमेशा अंदर बंद रह कर नहीं रहा जा सकता ये सोचकर वह बाहर आई, और उसने मीडिया से कहा कि “इस बारे में शेखर आपको सब बता चुके हैं।”

मुझे कुछ नहीं कहना है।

तो मैम शादी कब होगी??? क्या शादी की न्यूज एक रयूमर्स थी??

या ये सिर्फ राजशेखर बाधवा का एक पब्लिसिटी स्टंट था???

ये कैसा बेतुका सवाल है???

उन्हें पब्लिसिटी की क्या जरूरत है??? वो कितने बड़े एम्पायर के मालिक हैं, उन्हें कौन नहीं जानता??

क्या आप लोग उन्हें नहीं जानते हैं???

बेवजह गॉसिप न करें ऐसा कह कर उसने उन सबका मुंह बंद कर दिया था।

आखिरी बार भी उसने शेखर की साईड ली थी।

शेखर उसे टीवी पर देख रहा था उसने गहरी सांस ली और टीवी ऑफ कर दिया।

दी ये सब देख कर अवाक थीं। उन्होंने कुछ पूछना चाहा प्रिया ने मना कर दिया उन्होंने कहा वो शेखर को पूछेंगी तो प्रिया ने खुद की कसम देकर उन्हें चुप कर दिया।

शेखर के पापा और दादी उससे बेहद नाराज थे। उन्होंने उसे कहा, तुमने रिश्तों की कद्र नहीं की तुम खुश नहीं रह सकते। शादी, विवाह कोई गुड्डे गुड़ियों का खेल नहीं है।

असलियत क्या थी??? सिर्फ शेखर,उसकी मॉम और प्रिया जानते थे।

वक्त अपनी गति से भाग रहा था। शेखर लंदन चला गया।

और प्रिया ने अपना ट्रांसफर करवा लिया। वो सब चीजों से भाग जाना चाहती थी।

इस बात को आठ महीने बीत चुके थे। इस बीच शेखर की मॉम ने प्रिया से बात की। उनसे ही उसे पता चला कि शेखर लंदन से लौटा नहीं है।

एक बार वह मीटिंग के सिलसिले में ट्रैवल कर रही थी। अचानक उसकी नजर अपनी बगल में बैठे सहयात्री पर पड़ी। उसके हाथ में मैगजीन थी फेमस बिजनेस मैगजीन “फाॅर्च्यून” में राजशेखर बाधवा का कवर फोटो था।

उसने वह मैगजीन मांग ली। मैगजीन के पेज पलटते हुए उसने शेखर के बारे में पढ़ना शुरू किया।

उसमें उसके प्रोजेक्ट के बारे में जिक्र था। उसकी कामयाबी का जिक्र था।

पढ़ते हुए उसका दिल जोर से धड़क रहा था। उसने धीरे से उसकी फोटो पर हाथ फेरा और मैगजीन वापस कर दी।

शेखर, आपको तो कोई न कोई मिल गई होगी।

पहले रिनी फिर मैं अब आप किसी और के साथ होगें???

“आई मिस यू सो मच” ‌मैनें तो आपसे सच्चा प्यार किया था।

सोचते हुए उसने पलकों पर आए हुए आंसू धीरे से पोंछ लिए।

मुंबई में तीन दिन का प्रोग्राम था। प्रिया ने मुंबई पहुंच कर मीटिंग अटैंड की। उसके बाद वह होटल के रूम में आ गई।

जो उनके लिए बुक किया गया था।

वो होटल बाधवा ग्रुप्स का ही था।

उसने तुरंत होटल चेंज करने का मन बना लिया।

तभी रूम सर्विस पर कॉल आ गई।

मैम लंच में क्या लेंगी???

कुछ नहीं,

मैं चेक आउट कर‌ रही हूं।

उसने अपना सूटकेस लिया और बाहर निकलने के लिए तैयार हो गई।

तभी उसका फोन बज उठा, उसने देखा तो हड़बड़ा गई।

शेखर की कॉल थी।

उसने फोन ऑन किया और खामोश हो गई।

कुछ देर की खामोशी के बाद शेखर ने चुप्पी तोड़ी।

लगता है तुम्हें मुझसे जुड़ी हर चीज से नफ़रत है। अब होटल ने तुम्हारा क्या बिगाड़ दिया???

हैरान मत होना कि मुझे कैसे पता चला?? मेरा मैनेजिंग स्टाफ तुम्हें जानता है।

हमले के दौरान तुम्हारी तस्वीरें वायरल हुई थी, फिर तुम्हारा नाम उससे भी उन्हें पता चल गया।

कुछ देर सन्नाटा पसर गया।

कुछ कहोगी नहीं ??? तुम्हारे होठों से अपना नाम सुनने को तरस गया हूं।

तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं कि कभी तो तुम्हारा दिल पिघलेगा।

कुछ मिनट खामोशी में बीत गए। प्रिया का दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था उसे लग रहा था कि कहीं शेखर उसकी खामोशी न पढ़ लें।

एक बात कहूं, मेरी तरफ से वादा है कि तुम्हारी जगह कोई और नहीं ले सकती।

प्लीज! होटल से मत जाओ।

मेरी जिंदगी से तो जा चुकी हो दोबारा मेरी किसी चीज में दाखिल हुई हो मेरे लिए यही बहुत है।

प्रिया खामोश थी उसके आंसू बहने लगे और उसने फोन काट दिया।

सूटकेस रख कर खिड़की के पास खड़ी हो गई।

इतने दिनों से उसने शेखर को भूलने की कोशिश की थी आज वो जाया हो गई थी।

उसे बहुत अकेला फील हो रहा था। उसने फोन करके अपनी कुलीग सुनीता उपाध्याय को बुला लिया।

मैम! आप बहुत थकी हुई लग रही हैं आपकी तबीयत तो ठीक है।

कुछ नहीं बस सरदर्द है। कुछ खा कर दवाई ले लीजिए आराम मिलेगा।

क्या खाएंगी?? एक वेज सैंडविच मंगा दूं। उसने एक वेज सैंडविच खा कर डिस्प्रीन ले ली।

उसने सुनीता से कहा अब मैं आराम करती हूं तुम चाहो तो यहीं पर आराम कर लो,

नहीं मैम, मेरे हसबैंड भी आए हुए हैं उन्हें कंपनी कौन देगा??? उसने मुस्कुराते हुए कहा, वो यहीं पूना में पोस्टेड हैं। मैं ‌आ रही थी पर मैंने उन्हें नहीं बताया उनके लिए ये सरप्राइज था।

मैम दस साल की शादी है हमारी छोटे छोटे सरप्राइज जिंदगी का मजा दोगुना कर देते हैं। अगर मैं रूठ जाती हूं तो जनाब मनाने के लिए बहुत जतन करते हैं। ये रूठना मनाना ये भी लाइफ का जरूरी हिस्सा हैं।

जब आपकी शादी होगी तो समझ जाएंगी।

उसके जाने के बाद प्रिया सोच में गुम हो गई।

सोचने लगी कि क्या शेखर को सचमुच पछतावा है या केवल दिखावा कर रहे हैं।

ऐसा ही था तो कभी पूछा क्यों नहीं??? उसका हाथ रिंग पर चला गया। रिश्ता नहीं रहा पर रिंग अब भी उसके हाथ में थी।

इस रिंग पर मेरा कोई हक नहीं है।

फोन करूं नहीं नहीं, मैसेज कर देती हूं।

उसने व्हाट्सएप पर मैसेज भेज दिया आपकी रिंग मेरे पास है मैं इसे वापस करना चाहती हूं।

पर शेखर ने मैसेज नहीं देखा। शाम गहरा रही थी वो बेहद बेचैन थी, तीन चार बार फोन चैक कर चुकी थी।

पर मैसेज रीड नहीं किया गया था।

डिनर के बाद जब अपने रूम में आई ,तो इंतजार था कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था।

करीब रात दस बजे कॉल आई शेखर ही था। प्रिया ने झटपट फोन उठा लिया।

प्रिया खामोश थी। शेखर ने दूसरी तरफ से कहा, वो केवल रिंग नहीं है, मेरी मोहब्बत का पहला तोहफा था।

खैर वापस करना चाहती हो तो तुम्हारा हुक्म पहले भी कभी नहीं टाला, आज भी नहीं टालूंगा।

मेरी एक गलती की वजह से आज मैं कहां हूं ये मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता।

रिंग मेरे मैनेजर को दे देना।

नहीं इतनी महंगी चीज मैं किसी दूसरे के हाथों में नहीं सौंप सकती।

तो ठीक है घर पर मॉम को दे देना। मैं…. मैं वहां नहीं जा सकती।

तो फिर….. मेरी शक्ल देखना तुम्हें मंजूर नहीं है।

तुम्हें जो ठीक लगे वो करो। उसने फोन रख दिया।

ये सुन कर प्रिया का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।

उसने दोबारा फोन किया। ये रिंग लेने आप ही आएंगे।

कब आना है ??? शेखर ने शांत भाव से पूछा।

जब मैं कहूंगी तब

‌प्रिया के लहजे में गुस्सा था।

ठीक है बता देना, कह कर शेखर ने फोन रख दिया।

वो गुस्से में बड़बड़ाने लगी शेखर यही है आपकी सच्चाई देखा आपने नहीं कहा कि ये तुम्हारे लिए है किसी और के लिए नहीं।

अगले दिन मीटिंग खत्म हुई सबने जुहू चौपाटी घूमने का प्लान बनाया प्रिया का मन नहीं था पर अकेले रहने का मतलब था बेवजह के ख्यालों से जूझना इसलिए न चाहते हुए भी चली गई।

‌वहां पर घूमते हुए उसने दी से बात की, दी ने उसे कहा कुछ दिन मेरे पास आ जाओ। उसके मन में बहुत सूनापन था इसलिए उसने हां कर दी।

मीटिंग खत्म होने के बाद वह दी के घर चली गई। ‌दी उसे देख कर बहुत खुश थी।

दी ने शेखर के बारे में बात करना बंद कर दिया था।

वो प्रिया को खुश देखना चाहती थीं इसलिए उन्होंने अकेले में उससे बातचीत शुरू की, प्रिया कुछ रिश्ते तुम्हें बताए थे वो बहुत अच्छे हैं अब मैं चाहती हूं कि ये बंजारों वाली जिंदगी छोड़ो और सैटल हो जाओ।

नहीं दी,इस बारे में कोई बात मत कीजिए, शादी ही सब कुछ नहीं है। आपने अगर ये बातें की तो मैं यहां नहीं आऊंगी।

दी के साथ रहते हुए हफ्ता बीतने वाला था। प्रिया के दिमाग में अंगूठी वाली बात अभी भी चल रही थी। उसके ख्याल से वो सिर्फ अंगूठी वापस करना चाहती थी और कुछ नहीं।

वो यहीं उसे अंगूठी वापस कर देगी और फिर कभी बात नहीं करेगी।

उसने शेखर को फोन किया।

हैलो!

आप इंडिया वापस कब आएंगे???

वैसे भी प्राइवेट जेट वालों के लिए कहीं भी आना जाना कोई बड़ी बात नहीं है।

टोंट मार रही हो।

मैं नेक्स्ट वीकेंड पर ही आ पाऊंगा। यहां बहुत से काम पैंडिंग हैं।

कहां आना है??

मैं आपको अपने घर पर मिलूंगी।

ठीक है।

प्रिया दी के घर से वापस आ गई।

रूटीन वैसे ही चलने लगा था, पर इसमें एक बदलाव हुआ था वो था वीकेंड का इंतजार।

वीकेंड पर प्रिया वापस अपने घर आ‌ गई।

आज वो दिन आ गया था जब शेखर उससे मिलने आ रहा था। जब वह तैयार हुई तो उसने शीशे के आगे खड़े हो क‌ई मर्तबा खुद से पूछा कैसी लग रही हू मैं???

पूरे आठ महीने बाद आज वो दोनो एक दूसरे के सामने थे??

शेखर ने प्रिया को ध्यान से देखा फिर नजरें हटा ली।

कैसे हैं आप???

ठीक हूं।

अंदर नहीं आएंगे?? प्रिया ने पूछा

नहीं, मैं यहीं ठीक हूं उसने इधर उधर देखते हुए कहा।

अकेले में गुस्ताखियां हो जाती हैं, उसने प्रिया की आंखों में देखा।

प्रिया ने नजरें नीची कर ली।

कॉफी पिएंगे??

नहीं, अब दूर रहना ही बेहतर है। जब तुम मुझे छोड़ चुकी हो, भूल चुकी हो तो अब फार्मेलिटी की कोई जरूरत नहीं है।

प्रिया की आंखें भर आईं उसने धीरे से कहा इसका मतलब रिनी सही थी।

हां, रिनी सही थी,तुम सही हो, गलत तो सिर्फ मैं हूं उसका स्वर तल्ख हो उठा।

इतने महीनों बाद भी आप मुझसे लड़ने आए हैं।

चलो छोड़ो ये सब बातें तुमने मुझे यहां क्यों बुलाया था?? वो तुम भूल रही हो।

ये आपकी अंगूठी उसने अंगुली से अंगूठी निकाली और उसकी तरफ बढ़ा दी।

शेखर ने उसका हाथ थाम लिया।

ये अंगूठी मेरी आखिरी उम्मीद थी। मैं सोचता था कि शायद तुम्हें मुझसे प्यार है इसलिए तुमने इसे वापस नहीं लौटाया।

पर वो उम्मीद भी आज टूट गई कहते हुए उसका गला भर आया।

अब प्रिया के सब्र का बांध टूट गया वो जोर से रो पड़ी।

गलती आप करें भुगतान मुझे करना पड़े यही तो हो रहा है।

चाहे जो भी हो सहना मुझे ही पड़ेगा।

शेखर उसके करीब आया और उसे बाहों में समेट लिया।

रिपोर्ट लिखवा दो मेरी

मैं एक और गुनाह कर रहा हूं कहते हुए उसने उसके होंठों को चूम लिया।

प्रिया ने उसकी आंखों में देखा और धीरे से पीछे हट गई।

शेखर ने उसका हाथ पकड़ कर अंगूठी दोबारा उसकी अंगुली में पहना दी।

अब मैं तुम्हें कहीं नहीं जाने दूंगा। हम शादी कर रहे हैं।

“मेरी मर्जी के बगैर” प्रिया ने उसकी बाहों के घेरे में सिमटते हुए कहा।

तुम्हारी मर्जी पर चलूंगा तो शायद कुंवारा ही मर जाऊंगा।

सुनो! उस समय कोर्ट मैरिज के लिए अर्जी दी थी।

सोमवार को शादी कर लेते हैं। अब ये मत कहना कि जल्दबाजी क्यों???

क्योंकि तुम्हें वादे से मुकरने का बड़ा शौक है और मैं अपने प्यार को तुम्हारे शौक की बलि नहीं चढ़ने दूंगा।

कोर्ट मैरिज के बाद शानदार शाही शादी होगी।

पर शेखर!

नहीं, मैं चाहता हूं कि तुम जल्दी से मेरी हो जाओ।

“एक बार फिर” तुमसे अलग होना मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगा।

सोमवार को कोर्ट में शादी हो रही थी। शेखर और प्रिया दोनों के परिवार मौजूद थे।

प्रिया और शेखर दोनों ने सभी बड़ों का आशीर्वाद लिया।

दादी इस बात से बेहद नाराज थीं कि शेखर ने कोर्ट मैरिज करके खानदान की नाक कटवा दी।

पर शेखर ने दादी की लल्लो-चप्पो करके दादी को मना लिया।

शेखर की मॉम ने प्रिया का स्वागत बड़ी खुशी और पारंपरिक तरीके किया।

वो मुस्कराते हुए बोलीं कि हमने डिसाइड किया है कि जोधपुर के उम्मेद भवन पैलेस में डेस्टिनेशन वैडिंग होगी और रिशेप्सन हमारे फाइव स्टार होटल में होगा।

मुझे अपने इकलौते बेटे की शादी के सभी अरमान पूरे करने हैं।

आज शेखर की खुशी संभाले नहीं संभल रही थी। उसके चेहरे पर एक शरारती अंदाज था‌ जिसे देखकर प्रिया मन ही मन सोच रही थी, शेखर! आप कभी नहीं सुधरेंगे।

सारे दिन प्रिया कभी मम्मी,कभी दादी के साथ बिजी रही।

मीडिया में एलान होते ही बाधवा हाऊस में चहल पहल बढ़ गई थी।

सारा दिन बहुत बिजी था।

आखिर वो रात भी आ ही गई।

प्रिया रेड कलर की साड़ी में घूंघट ओढ़े शेखर के रूम में बैड पर बैठी हुई थी, उसके गालों का रंग साड़ी को मैच कर रहा था, शेखर आया और उसने डोर बंद कर दिया।

हौले से उसका घूंघट उठाया और गुनगुनाते हुए कहा “अजी रूठ कर कहां जाइएगा जहां जाइएगा हमें पाइएगा”

“कोई ऐतराज ???” प्रिया की पलकें झुकी हुई थीं, वो लाज से सिमट गई।

हाय! इतना शरमा कर कहां जाओगी, कहते हुए उसने दिल पर हाथ रख लिया।

हर कोई आप जैसा बेशर्म नही होता प्रिया ने धीरे से कहा।

मैंने अपनी तारीफ सुन ली है, बेशर्म कैसे होते हैं??? अभी बताता हूं।

मैंने कहा था न तुम्हें पाने के लिए मैं हद से गुजर जाऊंगा।

हां आप तो ऐसे ही हैं, प्रिया ने मुंह फेर कर धीरे से कहा।

मेरी जान गुस्सा करने के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है आज के दिन तो बख्श दो।

कह कर शेखर ने मुस्कराते हुए उसे अपनी बाहों में कस लिया।

समाप्त

©® रचना कंडवाल

एक बार फिर (भाग 37 )

एक बार फिर (भाग 35 ) 

8 thoughts on “एक बार फिर (भाग 36 ) अंतिम भाग – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi”

  1. Mam nice and wonderful story please m aapko ek baar call karke thanks bolna chahti hu thankyou so much aisi lajawab story likhne ke liye 👍

    Reply
  2. ये कहानी खत्म हो गई लेकिन मैं सोच रहा था की ये ऐसे ही चलती रहे।

    Reply
  3. story bahut acchi har part bahut bariki se likha gya h but jaldi hi khatam ho gyi plz iska part two bhi likho ab isse aage dono ki happy married life hogi ya phir kuch aur adventure hoga Rini Khanna ya Priya ke ex ki taraf se

    Reply
  4. Amazing👍😍🤩, superb👌👌 n excellent👍👏💯 story thi…. Finally Shekhar aur Priya ek ho gye and happy ending hui 😌…. But kaash ye story kbhi khtm hi na hoti 🥺🙂….

    Reply

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!