रिश्तों के बीच कई बार… – वीणा सिंह   : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :सावन में मायके से हर साल की तरह इस साल भी बुलावा आया तो शुभा आत्मग्लानि और शर्मिंदगी से गड़ गई.. शुभा की शादी के पांचवे सालगिरह पर उसकी ननद कनाडा से दो महीने के लिए अपने मायके आई थी.. शादी में सिर्फ तीन दिन हीं रही फिर पति को छुट्टी खत्म होने के कारण रिसेप्शन पार्टी के दूसरे दिन हीं वापस कनाडा जाने के लिए निकल गई.. ननद के साथ रहने का अवसर अब पांच साल बाद मिल रहा था.. ननद का पूरा परिवार कनाडा में हीं सेटल था..

ननद ममता बेहद हंसमुख और मिलनसार लड़की थी.. दो साल का बेटा और पांच साल की बेटी दो बच्चे थे खूब प्यारे से.. विडियो कॉलिंग कर ममता अकसर बच्चों को दिखाती थी..

पूरा घर ममता के आने से चहक उठा.. सास ससुर और भाई रमन ममता का स्वागत दिल खोल के किया.. पांच साल बाद आई थी घर की दुलारी बेटी..

शुभा के दोनो जुडवां बच्चे कुहू और कार्तिक भी खूब खुश थे.. ममता सब के लिए विदेशी उपहार लाई थी.. बच्चे खिलौने देख निहाल थे साथ हीं दो दोस्त भी साथ खेलने वाले मिल गए थे.. घर में खूब रौनक आ गया था..

रात के खाने में ममता के पसंद का खाना बना.. पूरा घर हंसी ठहाकों से गूंज उठा..

बेटियां अपने साथ रौनक ले कर आती है..

दो दिन ममता को अपने को व्यवस्थित करने में लगा.. तीसरे दिन सुबह ममता किचन में शुभा के लाख मना करने पर भी पहुंच कर काम में हाथ बटाने लगी..

चारो बच्चों को नहला कर एक साथ खिला देना दूध पिला देना वाशिंग मशीन में कपड़े डाल देना ये सारे काम ममता कर देती.. सूखे कपड़े लाकर मां से बात करते करते मोड़ देती.. शुभा को किचेन से निकाल नहाने भेज देती .. शुभा का काम बहुत आसान हो गया था.. एक दिन बातों बातों में शुभा ने कहा उसे सलमान खान की मूवी बहुत पसंद है पर बच्चों के जन्म के बाद से कोई मूवी देखा हीं नहीं! शनिवार को रमन के ऑफिस की छुट्टी थी.. ममता सलमान खान की मूवी का टिकट ऑनलाइन ले लिया.. दोनो बच्चों को अपने पास रख शुभा और रमन को मूवी देखने भेज दिया.. शुभा की आंखे भर आई..

बच्चे भी बुआ से खूब घुल मिल गए थे.. कभी मांजी शुभा को नही कहती ममता के लिए ये बना दो या ममता इतना काम क्यों कर रही है.. ममता भी कभी मांजी से एकांत में बैठ कर कुछ खुसुर फुसुर नही करती थी.. उसे बहुत आश्चर्य होता.. सब के लिए ममता का व्यवहार एक समान था..

देखते देखते समय बीतता गया ममता के जाने में एक सप्ताह बचे थे.. शुभा ममता को रमन और मांजी के साथ खरीदारी के लिए भेज देती.. मांजी को कभी कुछ छुपा कर ममता को देते नही देखा.. सारी चीजे शुभा को दिखाती और उसकी राय पूछती.. जाने अनजाने में ममता से शुभा दिल से जुड़ गई थी..

जाने का दिन आ गया ममता शुभा के गले लगकर रो पड़ी और मां जी को बोली भाभी का ख्याल रखना.. बच्चे भी बिलख पड़े बुआ से लिपटकर. बुआ मत जाओ अपने तोतली जुबां से बुआ से मिन्नते करने लगे.. मां जी से ज्यादा शुभा रो रही थी ननद के लिए.. जल्दी आने का वादा कर ममता चली गई.. सबको रुला कर..

और शुभा को बहुत बड़ा जिंदगी का सबक दे गई ममता जाते जाते..

शुभा मायके जाती तो बच्चों से निश्चिंत हो जाती सारी जिम्मेवारी भाभी भावना पर दे मुक्त हो जाती.. भावना घर रसोई बच्चे सब संभालते संभालते पस्त हो जाती.. मां बेटी खूब मस्ती करती भाभी बीच बीच में चाय नाश्ता पहुंचाती रहती.. मां बेटी बहु की शिकायतें भी एक दूसरे से शेयर करती.. मां को थोड़ा टाइट हो कर रहने की ताकीद देती..

भाभी को अक्सर मां के कमजोर और दुबले होने की उलाहना देती.. मां को पैर में दर्द रहता है भाभी मालिश क्यों नही कर देती हो.. भाभी इतना थक जाती थी की अक्सर रात को बिना खाए सो जाती.. ऐसे हीं एक रात को पानी पीने उठी शुभा तो भैया को बिस्किट और दूध कमरे में ले जाते देखा.. अगली सुबह मां बेटे को बुला कर पूछा क्यों रे तेरी महारानी को रोटी नहीं घुसता गले में जो दूध बिस्किट खिला रहा था तू.. बेटा बोला भावना को बुखार था एंटी वायटिक देने से पहले कुछ खिलाना जरूरी था रात में उसने खाना भी नहीं खाया था..

मां को लगता बेटी को क्या उठा के दे दूं.. जितने दिन रहती महारानियों से ठाठ रहते और बेचारी भावना कोल्हू के बैल सा जूती रहती.. पति उसे समझता एक हीं बहन है और मैं उसका इकलौता भाई या बाप जो कहो मैं हीं हूं.. कुछ दिन बर्दाश्त कर लोगी तो मैं तुम्हारा हमेशा ऋणी रहूंगा.. मां को भी लगेगा पापा नही है इसलिए…..

आज शुभा को महसूस हो रहा था अपना ओछापन और भाभी का बड़प्पन..

एक झटके में अपने आंसू पोंछ शुभा सच्चे दिल से अब तक के अपनी गलतियों को सुधारकर नए रूप में इस सावन अपने मायके जायेगी. और भाभी को इतना प्यार मान सम्मान देगी कि भाभी की आंखे सचमुच मेरे ससुराल वापसी में बरस जायेंगी… ममता को मन हीं मन धन्यवाद और आशीर्वाद दे रही हूं, जिससे मैने सिखा #रिश्तों के बीच कई  बार छोटी छोटी बातें  दरार बढ़ाने में भी और प्यार बढ़ाने में भी बड़ा रूप ले लेती है #

🙏❤️✍️…..veena singh

# बेटियाँ वाक्य कहानी प्रतियोगिता 

#रिश्तों के बीच कई बार छोटी छोटी बातें बड़ा रूप ले लेती है।

gkk(M)

1 thought on “रिश्तों के बीच कई बार… – वीणा सिंह   : Moral Stories in Hindi”

  1. इसी से ही तो रिश्ते बनते हैं. भले वह सास-बहू का, नणंद-भाभी का हो एक दुसरे को समजकर, संभालकर ले तो उनके संबंध शक्कर से भी जादा मधुर हो जाये.
    लोगो ने खामखा इन रीश्तो को बदनाम कर रखा हैं.अगर आप इन रीश्तो के मामले में समजदार हो तो कोई भी दिक्कत नही आयेगी.

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