लांग ड्राइव – प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

बादल गरज गरज कर बरस रहे थे। खिड़की के सामने खड़ी नीकिता की आॅ॑खे भी आज बरस रही थी। रोते रोते नीकिता अतीत मे खो गई।

“अमन क्या बात है आज आप समय से पहले ही आफिस आ गए।” नीकिता ने अधरो पर मुस्कान बिखेरते हुए कहा।

हाॅ॑ नीकिता…वो मुझे तुमसे कुछ कहना है।”

“अरे तो फिर जल्दी से कहो किस बात का इंतजार है।”

नीकिता मै अपनी पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ गुजारना चाहता हूं। क्या तुम मुझे अपनी जिंदगी मे शामिल करोगी।

“नीकिता की चमकती आॅ॑खो ने पलकें झपका कर स्वीकृति दे दी।”

“नीकिता भी अमन से बेइंतहा प्यार करती थी और अपने प्यार को मन ही मन पूजती थी,आज उसकी पूजा सफल हो गई।”

दोनो के माता पिता को भी यह रिश्ता पसंद था इसलिए शुभ मुहूर्त मे दोनो की धूम धाम से शादी हो जाती है।

नीकिता घर आफिस की ज़िम्मेदारीयो को बखूबी निभा रही थी। घर के लोगो का पूरा ख्याल रखती थी और सबका आदर सम्मान भी करती थी। घर के सभी लोग नीकिता को बहुत प्यार और सम्मान देते थे। अमन तो नीकिता को पलको पर बैठा कर रखता था।

हॅ॑सते मुस्कुराते यूं ही जिन्दगी के दो साल कैसे गुजर गए पता ही नही चला।

नीकिता और अमन दोनो साफ्टवेयर इंजीनियर थे दोनो अपने काम मे मशगूल थे तभी अमन का एक दोस्त आया और बोला यार मेरे बच्चे का पहला जन्मदिन है इसी उपलक्ष्य मे एक शानदार पार्टी का आयोजन किया है तुम दोनो को पार्टी मे जरूर आना है।




अमन और नीकिता दोनो पार्टी मे गए सभी लोग पार्टी का आनंद ले रहे थे, हॅ॑सी मजाक मे एक दोस्त ने कहा यार अमन हम सभी दोस्त बाप बन गए हैं अब तू कब बाप बनेगा? देर मत कर यार दो साल हो गए हैं, कितना आनन्द उठाएगा शादी का? सभी दोस्त ठहाका मारकर हॅ॑सने लगे। अमन कुछ नही बोला पार्टी खत्म होने के बाद दोनो घर वापस आ गए।

नीकिता अमन का उदास चेहरा देख रही थी और समझ भी रही थी पर करती क्या वह तो स्वयं माॅ॑ बनने के लिए तरह रही थी। बाप न बन पाने की कुंठा ने अमन को चिड़चिड़ा बना दिया था। अब अमन नीकिता से सीधे मुॅ॑ह बात भी नही करता था। बात बात पर ताने मारता और उसका तिरस्कार करता… मुझे तुमसे शादी करके क्या मिला बाप बनने का सुख भी न दे सकीं तुम। तुमसे अच्छी तो वो कम पढ़ी लिखी घरेलू औरते हैं जो शादी के बाद तुरंत माॅ॑ बन गई। मेरे यार दोस्त बहुत भाग्यशाली हैं। अमन को नीकिता अब फूटी आॅ॑ख नही सुहाती थी , हर बात पर लड़ता और छोड़ने की धमकी देता था।

नीकिता अपने प्यार को नही खोना चाहती थी बहुत टेंशन मे थी। नीकिता की सासु माॅ॑ समझ रही थी उन्होने प्यार से नीकिता के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा बेटा डॉ॑क्टर को क्यों नही दिखाते हो?

माॅ॑ मैने अमन से कई बार डाॅ॑क्टर को दिखाने के लिए कहा लेकिन वो कहता है उसके दोस्त की पत्नियां बिना डाक्टर को दिखाए माॅ॑ बन गई तुम क्यों नही बन पाई माॅ॑? जरूर तुममे कोई कमी होगी।

“अच्छ तुम औरत हो इसलिए तुममे कमी होगी, क्या उसमे कमी नही हो सकती?” माॅ॑ ने गुस्से मे कहा

“माॅ॑ वो मर्द है न इसलिए उसमे कहां कमी होगी सारी कमियाॅ॑ तो हम औरतो मे ही होती है।”

अमन तू डाक्टर को दिखाने क्यों नही जा रहा है और ये क्या सुन रही हूं मै, बिना डाक्टर को दिखाए ही तू यह कैसे कह सकता है कि नीकिता मे कोई कमी होगी, कमी तो तुझमे भी हो सकती है। पढ़ा लिखा होकर भी अनपढ़ों जैसी बातें कर रहा है। कल तुम दोनो छुट्टी लेकर डाक्टर को दिखाने जाओगे ये मेरा आदेश है।




दोनो डाक्टर को दिखाने जाते हैं जांच के बाद पता चलता है कि नीकिता की रिपोर्ट नार्मल है परन्तु अमन की रिपोर्ट गड़बड़ है। डाक्टर ने कहा अमन जी रिपोर्ट के हिसाब से आप कभी भी बाप नही बन सकते। डाक्टर की बात सुनते ही दोनो अचंभित हो गए। नीकिता ने अमन की ओर देखा अमन ने नजरे झुका ली।

अमन को समझ नही आ रहा था कैसे माॅ॑ और पत्नी से नजरें मिलाए। अमन नजरे झुकाए हुए चुपचाप अपने कमरे मे जाकर बैठ जाता है। नीकिता माॅ॑ को रिपोर्ट पकड़ा देती है। रिपोर्ट देखते ही माॅ॑ सहम गई और अमन के पास जाकर बोली।

अमन बोलो अब तुम्हारा क्या कहना है ? जिस तरह तुमने नीकिता का तिरस्कार किया उसे छोड़ने की धमकी दी… क्या इसी तरह नीकिता भी तुम्हारा तिरस्कार करे… तुम्हे छोड़ दें?

अमन शर्मिंदा था, नीकिता माॅ॑ से कहती है माॅ॑ मेरा प्यार इतना तुच्छ नही है कि एक बच्चे के लिए मै अपने प्यार का तिरस्कार करूं या उसे छोड़ दूं। इतना कहकर नीकिता अपने कमरे मे चली जाती है।

कई दिन बीत गए नीकिता अमन से बात नही कर रही थी। अमन की भी हिम्मत नही पड़ रही थी नीकिता से बात करने की।

बादलों के गर्जन की तरह आज दोनो के अन्तर्मन मे भी गर्जन हो रही थी। नीकिता के आंसुओं से अमन का हृदय भीग रहा था…वह खिड़की के पास जाकर नीकिता के कंधे पर हाथ रखता है नीकिता अतीत से बाहर आती है। अमन नीकिता के आंसुओं को पोछता है और उसे सीने से लगा लेता है।

नीकिता चलो लांग ड्राइव पर चलते हैं देखो अब तो बारिश भी बंद हो गई है और मौसम भी कितना सुहाना हो गया है। नीकिता ने पलकें झुका कर स्वीकृती दे दी।

दोनो लांग ड्राइव पर निकल पड़ते हैं, कुछ दूर पहुंचते ही एक भिखारिन जो अपने नवजात बच्चे को लेकर सड़क पार कर रही थी अमन की कार के सामने आ जाती है। अमन ब्रेक लगाता है परन्तु वह कार से टकरा कर गिर जाती है और बच्चा उसके हाथ से छिटक जाता है। नीकिता तुरंत बच्चे को गोदी मे उठा लेती है।

अमन भिखारिन के पास जाता है भिखारिन होश मे थी। भिखारिन जैसे ही बच्चे को नीकिता की गोद मे देखती है मारे खुशी के उसकी सांसे रूक जाती है।

अमन नीतिका से कहता है शायद भगवान को यही मंजूर था। यह बच्चा ही अब हमे मम्मी पापा कह कर बुलाएग। नीकिता बच्चे को सीने से लगा लेती है।

प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

प्रयागराज उत्तर प्रदेश 

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