क्लासरूम – मंजू तिवारी

मम्मा आज पता क्लास में क्या हुआ,,, हां क्या हुआ बेटा,,,? मेरा कुछ काम रह रहा था इसलिए मैं अपना पूरा काम करने में लगा था मैं साइंस वाली मैम के क्लास में चुपके से दूसरे सब्जेक्ट का काम पूरा कर रहा था  काम पूरा नहीं हुआ तो मैम बहुत पनिशमेंट देंगी,,,,

साइंस वाली मैम ने प्वाइंट आउट कर आए थे उनको मैं अपनी बुक पर प्वाइंट आउट नहीं कर पाया,,,,, इसलिए मैंने अपने सीट पाटनर से कहा मुझे वह प्वाइंट आउट दिखा दे,,,,, और मम्मा उसने मेरी तरफ  आंखें टेढ़ी-मेढ़ी करने लगी,,

तब मम्मा मैंने समझा यह यह कह रही है कि मैंने भी प्वाइंट आउट नहीं किए,,,,, अपने पार्टनर से कहा क्यों झूठ बोल रही है तूने तो मेरे सामने ही पॉइट आउट किए थे,,,,,,,, और मेरा पार्टनर मेरे से बोला ज्यादा मत बन मैं तेरे में इंटरेस्टेड नहीं हूं,,,,,

अपने बेटे वंश की बात सुनकर रेनू को हंसी आ गई,,,,, और वंश रोने लगा,,,,,,, अभी बंश 12 साल का ही है और 7th क्लास में पढ़ता है।,,,, अब रेनू समझ रही थी कि बेटे का कहने का मतलब यह है कि वह उस बच्ची के साथ सीट शेयर करने में असहज है।

,,,,, इससे पहले वंश ने रेनू को बताया था मम्मा मेरी क्लास की कई बच्चे इंस्टा ग्राम पर है। और उस बच्ची के बारे में भी बताया था मम्मा वह बच्ची क्लास में बहुत शोर मचाती है। और वह सार्थक को खींच रही थी इंस्टा पर चैटिंग करने के लिए जबरदस्ती कर रही थी,,,, 

बच्चे मिलकर इंस्टाग्राम की बातें करते हैं और और 4:00 बजे इंस्टा पर आने के लिए एक दूसरे को फोर्स करते हैं।,,,,, बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड की बातें करते हैं।,,, मम्मा इंस्टा की आईडी भी बेचते हैं।,,,, बेटा आपको कैसे पता,,,,,?

मम्मा न पता होने वाली कौन सी बात है सारी बातें क्लास में ही तो होती है। तब रेनू ने पूछा मैम को पता है कि बच्चो ने इंस्टाग्राम पर आईडी बना रखी है। 

हां मैम ने बच्चों को बहुत डांटा मैम बच्चों के घर जब भी कॉल करती हैं तो  गर्ल्स और बॉयज ने  मैम का नंबर ब्लॉक कर दिया मैंम उनको नंबर बदलकर फोन लगाना पड़ता है।,,,,, रेनू ने पूछा मैंम ने आपसे भी पूछा था ,,,हां मम्मा ,,

मैंने तो कह दिया मैम से ,,,चाहो तो आप मेरी मम्मा को कॉल कर सकते हो,,,,,, मैम इन सब चीजों से मैं मतलब नहीं रखता,,,,, मैंम मेरे घर में  कार्टून तारक मेहता,,, और ज्यादातर तो न्यूज़ चैनल ही चलते रहते हैं,,,,, और मेरे मम्मी  डैडी भी मूवी और सीरियस नहीं देखते हैं।,,

इसलिए मैंम मुझे इंटरेस्ट नहीं है।,,,,, मैं फोन चलाता हूं ना मैं इंस्टा पर हूं मेरी मम्मा अलाऊड नहीं करते,,

वंश अपने क्लासरूम की सारी बातें बिना झिझक अपनी मम्मा से बता देता,,,,, रेनू हमेशा वंशसे कहती बेटा जैसी संगत होती है रंगत भी वैसी ही आती है इसलिए आप इन सब चीजों से दूर रहना,,,,,, अभी तुम्हारा पढ़ने का टाइम है मन लगाकर पढ़ो,,,, मम्मा आप क्यों टेंशन लेते हो मैं थोड़े ही ऐसा हूं।,,,




इन सब बातों को सुनकर रेनू ने वंश की क्लास टीचर को फोन किया वंश अपनी सीट पार्टनर को लेकर कंफर्टेबल नहीं है।,,,, और उस बच्ची का नाम भी बताया तो मैम अपने आप से कहने लगी मैंने इसकी मम्मी को कई बार कॉल करके इस बात की जानकारी दें लेकिन उनका कोई रिस्पांस नहीं मिला फिर रेनू ने कहा तो मैम आप उस बच्ची को बेहतर जानती होगी

हां मैम मैं उस बच्ची को जानती हूं और उसके आचरण भी जानती हूं लेकिन क्या कर सकते हैं।

हमारा काम तो माता-पिता को बताना है जब माता-पिता ही अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देंगे तो इसमें हम क्या कर सकते हैं। मैम मेरे बेटे की आप सीट पाटनर बदलवा  दीजिए और इस बात की चर्चा आप वंश से भी मत करना,,, मैम मैं नहीं चाहती मेरा बेटा असहज हो और आगे से मुझे कुछ भी बताना बंद कर दे,,,, मैंम ने आश्वासन दिया मैं कोई चर्चा नहीं करूंगी

मैम ने वंश की सीट बिना कुछ कहे बदलवा दी,,,,

अब यहां बात साफ हो चुकी थी कि बच्चों पर माता-पिता कम ध्यान दे रहे हैं फोन टीवी , नेट का बच्चे अनुचित उपयोग करके समय से पहले परिपक्व होने लगे हैं जो शायद बच्चों के लिए ठीक नहीं

ऐसा भी नहीं है कि रेनू अपने बच्चों को फोन या नेट टेलीविजन से दूर रखती हो,,,, बच्चे जब भी फोन लेते फैक्ट्ज इन्वेंशन एयरक्राफ्ट आदि देखते और उसकी जानकारी रेनू को भी देते कि मम्मा नया-नया क्या इन्वेंट हो रहा है कौन-कौन सी कंपनियां आई है मार्केट में क्या चल रहा है सारे फैक्स बताते रेनू को बहुत अच्छा लगता है।,,,,

रेणुका छोटा बेटा फोन का  नन्हा सॉफ्टवेयर इंजीनियर है




जो कोई भी टेक्निकल प्रॉब्लम को जरा सी देर में सॉल्व कर देता है।,,, रेनू बच्चों पर विश्वास नहीं करती बच्चे तो बच्चे होते हैं फोन की हिस्ट्री और लाइब्रेरी चेक करती रहती कहीं बच्चे गलत रास्ते पर ना चले जाए,,,,,

 

रेनू के दोनों बच्चे बंह पर सिर रखकर चिपक कर सोते और अपनी सारी बातें मम्मा को बिना डर के बता देते मम्मा भी उन्हें सही गलत का बोध करवा देती क्योंकि यह बच्चे हैं इन्हें सही और गलत बताना जरूरी है। जैसे पतंग को उड़ान दी जाती है

लेकिन उसकी डोर सदैव हाथ में रखी जाती है फिर बच्चों को भी उसी तरह से ऊंचाइयों पर पहुंचाना है लेकिन उनकी डोर को सदैव हाथ में रखना है क्योंकि बिना डोर की पतंग का कोई अस्तित्व नहीं रहता आखिर वह गिर जाती है।

भटक जाती है ऐसे ही हमारे बच्चे हैं।,,,, आज के संदर्भ में बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।,,,, रेनू को हर वक्त फिक्र लगी रहती घर का माहौल बनाना तो उसके हाथ में है लेकिन बाहर के माहौल का क्या किया जाए,,,,,,

इसलिए वह अपने बच्चों को बताती रहती सही और क्या गलत क्या है अब बच्चे उससे भावनात्मक रूप से बहुत जुड़े हुए हैं और अपनी मां को बिना डर के सब कुछ बता देते,,,,, मां बेटे का भावनात्मक रिश्ता जोड़ा है।,,,,

यहां मैंने यह बताने की कोशिश की है जब छोटी क्लास के क्लास रूम का यह माहौल है आप अंदाजा लगाइए बड़े क्लास रूम का क्या माहौल होगा




 अगर ध्यान नहीं दिया जाएगा यही बच्चे गलत रास्ते पर चलेंगे,,,, यही बच्चियां घर से भागने वाली होगी,,,,,,,,, कम उम्र के बच्चे 9वीं 10वीं 11वीं 12वीं के बच्चे पार्क में आकर बैठते हैं छुट्टी के बाद घंटों बात करते हैं शायद उनके आचरण भी अनुचित होते हैं यह बात मैं यहां इसलिए कह रही हूं कि मेरा घर ठीक पार्क के सामने है यह सब चीजें मुझे अक्सर देखने को मिल जाती हैं।,,,, बच्चे तो नासमझ है किशोरावस्था में है।,,,,

उनके माता-पिता की जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वह अपने बच्चों पर ध्यान दें उनसे प्यार से बात करें कहीं उनके बच्चे भटक तो नहीं गए,,,,,,, किशोराअवस्था का बच्चो का नाजुक टाइम होता है जिसमें बच्चे को मार्गदर्शन की जरूरत होती है यहीं पर मां-बाप चूक कर जाते हैं और बच्चे भटक जाते हैं जिन माता पिता का मार्गदर्शन सही होता है उनके बच्चे ठीक निकलते हैं। जब बच्चे का अचरणों का पता पड़ता है कि बच्चा गलत है तो उसके साथ सख्ती से पेश आते हैं बच्चा हिंसात्मक हो जाता है।

इस समय बच्चे को प्यार सहयोग सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है। देखरेख की जरूरत होती है बच्चे की संगत का ध्यान रखना होता है बच्चे के क्रियाकलाप पर ध्यान देना होता है कि बच्चे क्या कर रहे हैं। जब बच्चे कहीं गलत होते हैं तो सारा ठीकरा मां बाप बच्चों पर फोड़ देते हैं। क्योंकि इसमें मां-बाप ज्यादा गलत होते हैं बच्चे बहुत ही कम गलत होते हैं उनके गलत रास्ते पर जाने की सारी जिम्मेदारी माता-पिता की है।

उन पर ध्यान दो उनकी जिंदगी को संभालो 

नेट का दौर है। आपके बच्चों को किस उम्र मे किस चीज की जानकारी हो इसका ध्यान आपको रखना है।

बच्चों को संभालो सही संस्कार दो,,,,, ना बेटे हिंसक होंगे ना बेटियां घर से मांगेंगी,,,, अपने बच्चों से भावनात्मक रिश्ता जोड़ो,,,,,, जब बच्चे भावनात्मक रूप से अपने माता-पिता से जुड़े होंगे तो वह आपको कभी भी कष्ट नहीं पहुंचाएंगे

 

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