लिटिल एंजल  – गीता वाधवानी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :

शिखा की छोटी सी, प्यारी सी 10 वर्षीय बेटी कनिका पांचवी कक्षा में पढ़ती थी। पढ़ाई में अव्वल, खेलकूद में अव्वल, स्वभाव ऐसा प्यारा कि सबका मन मोह लेती थी। पूरे घर की लाडली परी। दादा दादी, नाना नानी, चाचा चाची, मामा या मौसी कोई ऐसा ना था जिसका उसने प्यार ना पाया हो। 

हर पल मुस्कुराती रहती, बेहद समझदार किसी बात की जिद नहीं करती थी। सब उसे प्यार से लिटिल एंजल कहते थे। एक बार स्कूल के फैंसी ड्रेस कंपटीशन में सफेद नेट का गाउन पहनकर, हाथ में सुंदर जादुई छड़ी लेकर गई थी उस दिन तो सचमुच एंजल लग रही थी। घर वापस आते ही दादी ने अपनी प्यारी कनिका की नजर उतारी। 

कनिका के पापा अश्विन उससे पूछते-“हमारी प्यारी बिटिया बड़ी होकर क्या बनना चाहती है?” 

कनिका-“पापा, मैं तो मॉडलिंग करूंगी।” 

चाचा चिढ़ाते-“लेकिन कनिका, तुम्हारी नाक तो बहुत मोटी है और कान भी टेढ़े हैं कैसे मॉडल बनोगी?” 

कनिका-“दादू दादू, देखो ना चाचा कैसे चिढ़ा रहे हैं?” 

दादा जी-“अरे नालायक, खबरदार जो मेरी सुंदर सी गुड़िया में कोई कमी निकाली, छड़ी से मारूंगा।”और फिर सब मिलजुल कर हंसने लगते। कनिका  ही उनके घर आंगन की रौनक थी। 

    कनिका रोज शाम को दादी के साथ कहीं ना कहीं जाती थी। उसे अपनी दादी जी के साथ जाना बहुत अच्छा लगता था। दादी उसे कभी मंदिर, कभी गुरुद्वारे तो कभी पार्क ले जाती। कनिका को आरती और गुरबाणी बहुत अच्छी तरह से याद हो गई थी और वह उन्हें बहुत ही मीठी आवाज में भोलेपन से गाती थी। 

    कनिका का जन्मदिन आने वाला था। उसके जन्मदिन पर क्या-क्या करना है पापा प्लानिंग कर रहे थे। दादा दादी ने सोचा था कि कनिका को सोने की बालियां गिफ्ट करेंगे। नाना नानी, चाचा चाची हर कोई कुछ ना कुछ सुंदर उपहार देने की योजना बना रहा था। कनिका भी अपने जन्मदिन को लेकर बहुत उत्साहित थी। 

कनिका हमेशा की तरह इस बार भी कक्षा में प्रथम आई थी। आज भी वह स्कूल गई हुई थी। दोपहर में स्कूल की छुट्टी होने वाली थी और शिखा दरवाजे पर खड़ी उसका इंतजार कर रही थी। 

थोड़ी देर बाद शिखा ने देखा कि कनिका

अपनी सहेली जो घर के पास ही रहती थी उसके साथ पैदल चली आ रही है। शिखा ने पूछा-“बच्चों, आज वैन वाला नहीं आया था क्या?” 

कनिका-“मम्मी, वैन वाले अंकल आए थे, पर उन्होंने हमें रोड के उस तरफ ही उतार दिया था, वह कह रहे थे कि मुझे देर हो रही है।” 

शिखा को उसकी लापरवाही पर गुस्सा आ रहा था। सुबह उसने वैन वाले से कहा-“भैया, तुम बच्चों को रोड के उस पार क्यों उतार देते हो, गली के अंदर तक आकर छोड़ना तुम्हारी जिम्मेदारी है, आगे से कभी ऐसा मत करना, जानते हो ना उस रोड पर कितना ट्रैफिक होता है।” 

 वैन वाला -“भाभी जी, दूसरे स्कूल के बच्चों को लेना था और कल मैं बहुत लेट हो गया था। आप चिंता ना करें, आगे से ऐसा नहीं होगा।” 

1 सप्ताह तक सब कुछ ठीक था फिर उसके बाद एक दिन वैन वाले ने फिर से दोनों बच्चियों को रोड के उस पार उतार दिया। सड़क पार करते समय दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ लिया और इधर उधर देखते हुए सड़क पार करने लगी, तभी अचानक एक तेज रफ्तार काली कार न जाने कहां से काल का रूप लेकर आई और दोनों बच्चियों को जोरदार टक्कर मारती हुई ,वहां से गुजर गई। 

दोनों लड़कियां हवा में उड़ी और फिर तेजी से सड़क पर गिरी। भीड़ इकट्ठी हो गई। किसी भले आदमी ने बच्चों के आई कार्ड से फोन नंबर देखकर उनके माता-पिता को फोन किया। वे बदहवास से दौड़ते हुए आए और दोनों को तुरंत अस्पताल ले गए लेकिन डॉक्टर ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। 

दोनों परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। कनिका तो चली गई लेकिन घर आंगन को सूना कर गई। 

कनिका के पापा अश्विन ने उसी समय अस्पताल में बहुत हिम्मत जुटाते हुए, अपने आंसुओं पर बांध लगाते हुए डॉक्टर साहब से पूछा-“डॉक्टर साहब क्या मैं कनिका के स्वस्थ आंतरिक अंगों को दान कर सकता हूं, अगर किसी को जरूरत हो।” 

डॉक्टर साहब-“जी बिल्कुल, कर सकते हैं हो सकता है कई लोगों का भला हो जाए।” 

घर परिवार के सारे लोग अश्विन के खिलाफ थे। उनका कहना था कि” हमारी बिटिया पहले ही इतना कष्ट सहकर गई है, तुम उसे अब और कष्ट क्यों देना चाहते हो?” 

अश्विन ने कहा-“हमारी लिटिल एंजल दूसरे लोगों को जीवन दान देकर उनमें जीवित रहेगी” 

उसने फॉर्म भर दिया और कनिका द्वारा चार लोगों को, जिनमें की एक छोटी बच्ची भी थी अंगदान किए गए। दिल, लीवर ,किडनी और आंखें। जाते-जाते कनिका 4 परिवारों के घर आंगन महका घर गई थी। 

वे चारों परिवार कनिका के जन्मदिन वाले दिन कनिका के घर उसके परिवार से मिलने आए और उन्हें ढेरों दुआएं दीं। शिखा ने जब उस छोटी बच्ची को गोद में लिया, जिसे कनिका का दिल ट्रांसप्लांट किया गया था, तब उसकी धड़कन सुनकर उसे लगा कि उसने कनिका को गोद में उठा रखा है। शिखा ने उसे थोड़ा कसकर अपने हृदय से लगा लिया, बच्ची उसकी धड़कन महसूस करते ही, कनिका की तरह मुस्कुराने लगी। शिखा ने उसे प्यार से देखते हुए कहा-“मेरी प्यारी लिटिल एंजल।” 

स्वरचित अप्रकाशित

गीता वाधवानी

दिल्ली

#घर-आँगन 

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