एक बार फिर (भाग 8 ) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi शेखर प्रिया के घर आता है और उसे कहता है कि उसे फोन पर अनब्लाक कर दे। नहीं तो वह उससे रोज मिलने आएगा। अब आगे-

वो टहलने के बाद अंदर आ कर बेडरूम में लेट गई।

फोन बजा तो शेखर का ही फोन था। उसने नहीं उठाया।

जब दूसरी कॉल आई तो उसने उठा लिया।

हैलो!

अच्छा लगा जान कर कि तुम मेरे फ़ोन का वेट कर रही थी उसने हंसते हुए कहा।

वो चुप रही।

देखो ये चुप्पी मुझे नाकाबिले बर्दाश्त है लगता है कल तुमसे रूबरू होना पड़ेगा।

बोलिए मैं सुन रही हूं।

अच्छा! सच्ची सुन रही हो वो जोर से हंस दिया तो फिर मेरी हार्टबीट सुनो जबसे तुम मुझे मिली हो मेरे दिल की धड़कनें काबू में नहीं रही हैं। मेरा दिल कहीं बाहर उछल कर तुम्हारे पास न आ जाए।

अगर मुझे कुछ हुआ तो सारा इल्जाम तुम पर आएगा।

पता नहीं तुम कब तक मुझसे दूर रहोगी???

जानती हो तुम हर रोज मेरे सपनों में आती हो और मुझसे कहती हो कि मुझसे मिलने कब आओगे??? तभी तो मैं आज आया था।

तुम एक काम करो मेरा फ़ोन टेप करके पुलिस में कम्पलेन कर दो।

मैं चाहता हूं कि मेरी दीवानगी दुनिया देख ले।

मुझे नींद आ रही है।

मेरी जान मोहब्बत के बाजार में ये हीरा कौड़ियों के भाव बिक रहा है।

हाथ से मत जाने देना वो हंस दिया।

ओके गुडनाईट स्वीट ड्रीम्स

सिर्फ मेरे सपने देखने की इजाजत है तुम्हें।

प्रिया ने झुंझलाकर फोन रख दिया।

ना समझ इंसान अभी तो यहां पर इतना कुछ बक बक करके गया था।

फिर फोन भी कर दिया।

कहता है मेरा फ़ोन टेप करके पुलिस में दे दो और मेरे साथ तुम भी बदनाम हो जाओ तुम्हारे पोस्टर भी सारे शहर में चस्पा हो जाएं तुम्हारा नाम भी न्यूज पेपर में छप जाए।

अमीर लोगों को फर्क नहीं पड़ता ऐसी न्यूज तो उनके लिए गोल्ड मेडल होती है पर मुझे ऐसा गोल्ड मेडल नहीं चाहिए। जिसका जवाब देना मुझे भारी पड़ जाए।

अब तो सारी गालियां भी खत्म हो गई हैं मेरे पास वो गुस्से में भुनभुनाती हुई सोचने लगी।

पता नहीं किस लड़की की किस्मत फूटेगी जो इसकी बीवी बनेगी।

सोचते सोचते उसे नींद आ गई।

गजब कि वो उसके सपने में भी प्रकट हो गया था

“उसे अपनी बाहों में समेटे हुए”

और इससे भी हैरतअंगेज बात ये थी कि वो उसकी बाहों में खुश नजर आ रही थी।

उसकी नींद खुल गई। उसके दिल की धड़कनें तेज हो ईश्वर करे कि ये भयानक सपना सपना ही रहे। मैं उसे बर्दाश्त नहीं कर सकती।

अगले दिन सुबह उठी देर से उठी संडे था।

नाश्ते के बाद बैठी हुई थी तो कविता का कॉल आया।

हेईई लक्की गर्ल

कैसी हो???

ऐसा भी क्या लक है मेरा उसने हंसते हुए कहा

शेखर ने कहा कि वो तुम्हें प्यार करने लगा है और तुम भी उसे पसंद करती हो।

“व्हाट” वो आसमान से गिर पड़ी

व्हाट क्या??? मानना पड़ेगा तेरी च्वाइस बहुत अच्छी है

मैं तेरे लिए बहुत खुश हूं चल बाद में बात करती हूं।

उसने बम फोड़ कर फोन रख दिया।

“अच्छी च्वाइस माई फुट”

कहता है कि “मैं उसे पसंद करती हूं” उसे सोच कर ही गुस्सा आ गया।

अभी मिल जाए तो मुंह नोच लूंगी।

इतने में मालती आई मेमसाब दिन में क्या बनाऊं???

कुछ नहीं मालती मैं बाहर जा रही हूं।

शायद शाम तक लौटूंगी। तुम खा लेना किचन समेट कर घर चली जाना।

वो बिस्तर पर औंधे मुंह लेट गई। आज उसे बहुत बोरियत महसूस हो रही थी।

बोरियत दूर करने के लिए उसने शॉपिंग करने का फैसला किया।

वॉकिंग करके जाऊंगी बहुत दिनों से वॉकिंग नहीं की है।

शॉपिंग तो नाममात्र की ही होगी बस पैदल चलना हो जाएगा।

आज मौसम बहुत खुशगवार है। अच्छी धूप है।

तैयार हो कर‌ वो मार्केट के लिए निकल गई।

सड़क के किनारे देवदार के ऊंचे ऊंचे पेड़ बहुत खूबसूरत लग रहे थे।

बारिश के बाद सड़कें धुली हुई महसूस हो रही थीं।

आज हवा में अजीब सा ताजापन था। उसने एक गहरी सांस खींच कर फेफड़ों में भर ली।

घर से बाहर निकल कर उसे अच्छा महसूस हो रहा था।

ये मेरा अपना शहर है।

आंखें बंद करके सड़क के किनारे अकेले में एक पेड़ से टेक लगाकर खड़ी हो गई।

वो चुपचाप प्रकृति को महसूस कर रही थी।

सच में जिंदगी इन पेड़ों के बिना कुछ भी नहीं है। कितना खूबसूरत है सब कुछ

वो अपनी पिछली जिंदगी के बारे में सोचने लगी अभय एक बार फिर उसे याद आ गया था जो उसके दिलो दिमाग में कड़वाहट घोल गया।

क्या सब लोग ऐसे ही होते हैं???

क्या प्यार का कोई मोल नहीं होता ????

सब भावनाओं से खेलते हैं। जिसे कभी मैं प्यार करती थी वो मेरी इज्जत से खेलना चाहता था। वो तो भगवान ने मुझे बचा लिया।

और दूसरा……. छि उसे ना तो खुद शर्म है ना किसी की परवाह है। और ऊपर से सबसे झूठी बात उसे चार दिन में मुझसे प्यार हो गया है।

वो तो कुछ दिन साथ घूम कर छोड़ने वालों में से एक है।

दुःख से उसकी आंखें भर आईं

मैं भी कहां उसके बारे में सोचने लगी कौन सा मैं उसे प्यार करती हूं?? उसके हजार झूठ…. झूठा कहीं का

चल प्रिया तू अपने लिए अकेले ही काफी है।

किसी से भी कोई उम्मीद मत करना।

उसके दिमाग पर एक बोझ सा हो गया था।

भारी कदमों से से चलते चलते उसका मन उदास हो गया

जिंदगी अजीब सी हो गई है

ऑफिस से घर घर से ऑफिस घर में रह कर भी क्या करूं???

शाम गहराने लगी थी थोड़ी बहुत शॉपिंग जो उसने की थी उसके बैग्स उसके हाथों में थे।

ठंड भी बढ़ गई थी। पहले सोचा कि रिक्शा कर लूं पर फिर वो जल्दी जल्दी चलने लगी जिससे जल्दी से घर पहुंच जाए।

अपने ध्यान में खोई हुई वो चली जा रही थी कि बगल में गाड़ी आ कर रुकी

अंधेरा हो रहा है।

शेखर ही था चलो घर छोड़ देता हूं।

वो उसे अनसुना करके चलने लगी।

एक तो पहले ही उसका मन उदास और खिन्न था। ऊपर से उसने अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर उसका पारा हाई कर दिया।

शेखर ने गाड़ी एक तरफ लगाई और उसके साथ चलने लगा।

वो रुक गई और उसकी तरफ देखने लगी।

दोनों आमने-सामने खड़े हो ग‌ए।

आप चाहते क्या हैं मुझसे?? कुछ नहीं मैं तुम्हें चाहता हूं

“आई लव यू” प्रिया

जीतने के लिए आप कुछ भी कर सकते हैं।

चाहे किसी को कितनी भी तकलीफ क्यों न हो???

जब से मेरी जिंदगी में आए हैं मेरी जिंदगी जहन्नुम बना कर रख दी है। वो जोर से रो पड़ी।

आपका प्यार एकतरफा है। वैसे ये प्यार है ही नहीं एक एक मजाक है मेरे साथ।

अगर ऐसा ही चलता रहा तो मैं अपने आप को कुछ कर लूंगी। बड़ी मुश्किल से मेरी जिंदगी पटरी पर लौटी है। दोबारा अगर कुछ भी हुआ तो मैं संभल नहीं पाऊंगी।उसकी हिचकियां बंध गई।

शेखर पहली बार चुप था वो उसे रोते हुए देख रहा था।

जिंदगी में कुछ भी परफेक्ट नहीं होता बनाना पड़ता है।

मुझ में जो भी कमी है वो तुम ठीक कर सकती हो न शेखर ने धीरे से कहा।

तुम्हें मेरे पैसे से रूतबे से हर चीज से प्राब्लम है तुम्हें लगता है कि अमीर लोग हमेशा बुरे होते हैं।

ऐसा नहीं है कि मेरी जिंदगी में तुमसे पहले कोई लड़की नहीं थी।

पर यकीं करो तुम आखिरी लड़की जरूर हो।

वो सुनती रही और सिसकियां भरती रही।

तुम मेरा प्यार हो और तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं।

मैं तुम्हें खुश देखना चाहता हूं।

मेरा प्यार इतना खुदगर्ज नहीं है।

जो किसी के मरने की वजह बन जाए।

तुम मुझसे चाहती क्या हो???

तो ठीक है फिर आप मेरा पीछा छोड़ दीजिए।

उसने अस्फुटशब्दों में कहा।

ठीक है अब रोना बंद करो शेखर ने शांत स्वर में कहा।

रात हो गई है घर चलो।

मैं खुद चली जाऊंगी।

ठीक है जाओ।

वो चलने लगी।

शेखर उसके साथ नहीं पर उससे कुछ कदम पीछे चल रहा था।

चुपचाप बिना कुछ बोले।

वो घर पहुंच ग‌ई। उसने गेट खोला अंदर गई पीछे मुड़कर देखा शेखर गेट के बाहर खड़ा था।

बिल्कुल खामोश अब की दफा वो अंदर नहीं आया।

वहीं से मुड़ गया।

पहली बार प्रिया ने उसके चेहरे पर खामोशी देखी थी। एक अजीब सा भाव उसके चेहरे पर महसूस किया था।

वह अंदर आई आज उसके भीतर भी कुछ सूना हो गया था।

कुछ देर चुपचाप सोफे पर बैठ गई।

सोचती रही कि आज मैंने सब कुछ ठीक कर दिया है।

पर शायद वो नहीं समझ रही थी।

कि प्यार उसके दरवाजे तक चल कर खुद आया था।

और उसने उसे वापस लौटा दिया था।

आज उसका कुछ खाने का मन नहीं था पानी पीकर चुपचाप लेट गई।

चुपचाप लेटी रही आज न कोई फोन‌ कॉल न कोई मैसेज

कुछ नहीं आया।

काफी देर तक उसे नींद नहीं आई। सोई तो सुबह जब उठी सबसे पहले फोन चैक किया।

कुछ ऑफिस के मैसेज थे वो उसने दो बार चैक किया

फिर अपने आप से पूछा कि फोन में मैं क्या ढूंढ रही हूं???

आज उसका‌ मन किसी काम में नहीं लग रहा था। आफिस से छुट्टी ले कर घर पर ही रह गई।

मालती घर का काम कर रही थी। उसने पूछा मेमसाब आपकी तबीयत तो ठीक है।

हां क्यों क्या हुआ??

आप इतनी चुपचाप नहीं रहती हैं इसलिए पूछा।

वो चुपचाप सोफे पर लेट गई।

सोचने लगी सारा दिन शेखर के बारे में सोचने का काम खत्म हो गया।

कल रात वो मेरे साथ होने के बावजूद भी मेरे साथ नहीं मेरे पीछे था।

इतना कुछ सुनाने के बाद भी वो मुझे घर तक छोड़ कर गया।

पर कल उसके चेहरे पर अजीब सी खामोशी थी

वो सचमुच ऐसे अच्छा नहीं लगता।

उसने एक झटके में जो कुछ कहना था वो कह तो दिया था।

पर शेखर ने उसके खाली जीवन में एक हलचल तो मचा ही दी थी।

उसने एक हफ्ते तक छुट्टी बढ़वा दी।

जिस शेखर ने उसके घर आ,आ कर उसे परेशान किया था उसका कोई अता-पता नहीं था।

वो एक अजीब सी घुटन और कशमकश में फंस गई थी।

सोच रही थी कि वो भी अजीब नौटंकीबाज है सोचता है

कि मैं उसके पीछे जाऊंगी।

कहता है कि प्यार करता है तो जो प्यार करते हैं क्या वो ऐसे छोड़ देते हैं???

पर मैंने ही तो कहा था।

मैं उसके पीछे हरगिज नहीं जाऊंगी आखिर मेरी भी कुछ सेल्फ रेस्पेक्ट है। उसके भाव फालतू में बढ़ जाएंगे।

क्या पता मुझे गोल्ड डिगर समझ ले??? उसके रुपए पैसे से मुझे कोई लेना देना नहीं है।

पर वैसे इतना बुरा भी नहीं था बंदा।

हफ्ता बीत गया प्रिया अब रोज शेखर के बारे में सोचने लगी‌ थी।

फिर एक दिन कविता का‌ फोन आ गया???

कैसी है ‌????

आज बहुत दिनों बाद फोन किया।

भ‌ई तू तो शेखर से मिलते ही मुझे भूल ग‌ई।

बाय द वे शेखर से तो रोज तेरी बात होती होगी।

पर तू उसे देखने यहां नहीं आई।

क्यों??? क्या हुआ ???

उसने तुझे नहीं बताया???

प्रिया का दिल धक हो गया पर वो चुप रही।

पच्चीस तारीख रात वापस लौटते हुए उसका एक्सीडेंट हुआ था बाल बाल बचा।

पच्चीस तारीख तो उस दिन थी जिस दिन मैंने उससे झगड़ा किया था वो गहरी सोच में डूब ग‌ई।

बड़ा केयरिंग है तुझे नहीं बताया सोचा होगा कि तू खामखां परेशान हो जाएगी।

तू बड़ी किस्मत वाली है। उसने तेरा हाथ थामा है कभी मत छोड़ना।

जब वो अमेरिका से वापस आएगा उससे तुरंत शादी कर लेना।

कहीं ऐसा न हो वहां से किसी अंग्रेजी मेम को मेरी देवरानी बना कर ले आए। लगाम खींच कर रखा कर उसकी। कविता हंसते हुए बोली।

“चल बाय”

एक बार फिर उसके दिमाग में तूफान उमड़ पड़ा।

वो अमेरिका चला गया।

उस दिन मैंने ही उससे कहा था कि मेरा पीछा छोड़ दो।

उसने फोन हाथ में ले लिया प्यार न सही पर उसे जानती तो हूं ।

बात कर लूं उससे???? सोचते हुए शेखर का नंबर मिला दिया।

क्रमशः

© रचना कंडवाल

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