लड़के वाले सीजन -3 (भाग – 21) : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि उमेश का टीका चढ़ने वाला हैँ…. शुभ्रा के घरवालें गेस्ट हॉउस के लिए निकल चुके हैँ…. उमेश भी नीले रंग का गर्म सूट पहन तैयार हो चुका हैँ …. वो टीका में जाने से पहले शुभ्रा से बात करना चाहता हैँ…. झट से मौका पाकर छत पर आता है … शुभ्रा फ़ोन उठाती हैँ…

शुभ्रा के यह कहने पर कि तैयार होने पर सुन्दर लग रहे होंगे आप… इस बात पर उमेश कहता हैँ – देखना नहीं चाहोगी शुभ्रा तुम्हारे उमेश पर शुभ्रा के प्यार का कितना रंग चढ़ा हैँ…

शुभ्रा कहती हैँ जी क्यूँ नहीं…देखना चाहूँगी … उमेश शुभ्रा को वीडियो कॉल करता हैँ….

अब आगे….

शुभ्रा सामने उमेश का चमकता चेहरा देखती ही रह ज़ाती हैँ..

और उमेश शुभ्रा को निहारता रह जाता हैँ…

कुछ बोलो तो सही यार… तुम तो चुप हो गयी…मैं अच्छा नहीं लग रहा क्या ??

जी आपके चेहरे से नजर हटे तभी तो कुछ बोलूँ … जी अब बंद कर दीजिये कॉल… नहीं तो शुभ्रा की ही नजर लग जायेगी आपको…. बिल्कुल मेरे सपनों  के   राजकुमार लग रहे हैँ आप…. सच में बहुत किस्मत वाली हूँ….

मेरी शुभ्रा भी तो लाखों में एक हैँ… ट्राउजर टी शर्ट में इतनी प्यारी लग रही हो तुम तो जब दुल्हन के रुप में सजोगी तो कितनी सुन्दर लगोगी…. कहीं मैं तुम्हे देखके बेहोश ही  ना हो जाऊँ……

शुभ्रा हंस पड़ती हैँ… आप भी …. अच्छा जाईये अब… नहीं तो जाने नहीं दूँगी ….. मन तो कर रहा कि कुछ ना बोलूँ बस आपको देखती जाऊँ…. रुकिये आपकी नजर ऊतार दूँ  कहीं मेरे उमेश जी बिमार न पड़ जायें …

फ़ोन पर कैसे ऊतारोगी नजर तुम ??

आप रुकिये बस… शुभ्रा जल्दी से छत पर सूख रही साबूत लाल मिर्च और पास में रखा काला नमक का टुकड़ा लेती हैँ…. आप टोकियेगा नहीं… ऐसे ही चुपचाप खड़े रहिये…

ठीक हैँ मैडम शुभ्रा…

शुभ्रा फ़ोन सामने ईंट पर टिकाकर अपने हाथों में ली मिर्च नमक को उमेश के ऊपर से नीचे सात बार गोल  फिराती हैँ… उस पर थू थू कर पास में रखे कंडे के ढेर पर फेंक देती हैँ…. मन में कुछ बोलती भी है …

उमेश की हंसी नहीं रुक रही… .

जी उतर गयी नजर… अब आप जाईये….

तो तुम शादी के बाद रोज मेरी नजर ऊतारने वाली हो…. इतनी प्यारी बीवी को छोड़कर कैसे जाऊंगा मैं जॉब पर है…… बहुत याद आओगी शुभ्रा….

जल्दी जल्दी आ जाया करियेगा …

अच्छा शुभ्रा सब आवाज लगा रहे हैँ… चलता हूँ…. आई लव यू …

आई लव यू टू …. बाय बाय….

बाय शुभ्रा …

नीचे आकर राहुल धीरे से उमेश के कान में बोलता हैँ… कर आया भाभी से बात … इतनी जल्दी हैँ तो क्यूँ कर रहा हैँ ये सब … जा ले आ भाभी को आज ही…

चुप रह… चुपचाप बैठ जा गाड़ी में…. उमेश बोला…

सभी लोग गाड़ी में बैठ चुके हैँ…. गेस्ट हॉउस आ गए हैँ….

उमेश और घरवालों का शुभ्रा के घर वाले माला पहनाकर स्वागत कर रहे हैँ… सबसे पहले कंपकपाते हाथों से माला दादा नारायण जी ने पहनायी…. उमेश ने दादा जी के हाथों को पकड़ उन्हे माला पहनाने में सहयोग किया ….

स्टेज पर शुभ्रा के घर वालों द्वारा लायें गए स्टील के डिब्बों से द्वार बनाया गया हैँ… बाकी सारे सामानों को भी सजा दिया गया हैँ…

इतना हाई फाई गेस्ट हॉउस और वहां की व्यवस्था देख शुभ्रा के रिश्तेदार तारीफ करते नहीं थक रहे….उमेश पालथी मारकर बैठा हैँ..उसके सामने विक्की को बैठाया गया हैँ…पंडित जी भी उन दोनों के बीच में बैठे हैँ…बाकी लोग उनके चारों तरफ बैठे हुए हैँ…उमेश ने सर पर रुमाल रखा हुआ हैँ…सभी ने बारी बारी से उमेश का रोली और चावल से टीका किया …उमेश ने भी उनका टीका किया ….तभी दादा नारायण जी बड़ी सी थाल में उमेश के लिए कपड़े और पैसे लेकर झुके हुए से आगे की तरफ आयें… उन्होने उमेश के हाथ में रखे…. ज़िसे लेते उमेश बहुत सकुचा रहा हैँ… वो पापा नरेश जी की तरफ देखता हैँ… तभी उमेश के फूफा जी पूछ बैठते हैँ… कितने पैसे हैँ समधी सा ….

शुभ्रा के ताऊ बबलू जी बोले… 2 लाख …. बाकी छोरे के लिये सोने को सामान… घड़ी … कपड़ा ….

अरे नारायण जी… हमने मना किया था कि कुछ देने की ज़रूरत नहीं… आप 51 रूपये रख देते थाल पर बहुत था…. उमेश के ताऊ रमेशजी  बोले….

तो तुम का समझे छोरे के ताऊ कि तुम ही बड़ी पार्टी हैँ… हम हूँ कम ना हैँ…. तुम इतनो कर रहे हमारो तो कछु फर्ज बन्त  हैँ….दादा नारायण जी जोश में बोले….

पापा की सहमति मिलने पर उमेश ने थाल पकड़ ली… उमेश ने दादा जी के पैर छूये ….

नारायण जी ने पैर पीछे कर लिए… पाप ना चढ़ा लाला मोपे ….

आप बड़े हैँ…. मेरा फर्ज हैँ… उमेश बोला….

नारायण जी ने मुस्कुराकर बिना कुछ बोले दोनों हाथ आशीर्वाद के लिए उठा दिये … और पीछे की तरफ आकर बैठ गए….

भ्ई बिन मांगे मोती मिले,मांगे मिले ना भीख. … धीरे से उमेश के जीजा नरेश जी और रमेश जी से बोले… जिस पर रमेश जी ठहाका मारकर हंस पड़े….

कोई भी लड़की वाला अपनी लड़की को बिना कुछ दिये विदा नहीं करता… वो अपनी सामर्थ्य से ज्यादा ही करने की कोशिश करते हैँ…पर फिर भी लड़के वाले मुंह खोलकर मांगकर अपनी इज्जत उनकी नजरों में गिरा देते हैँ…. फिर जो चीजें ए वन होनी चाहिए… वो थर्ड क्लास में बदल ज़ाती हैँ…

उमेश के घरवाले भी शुभ्रा के यहां से आयें हुए सामान और व्यवहार से बहुत ही खुश हैँ… सब तारीफ करते थक नहीं रहे….

टीका होने के बाद उमेश अपने साले विक्की को समझाता हैं साथ में उमेश के सभी दोस्त भी विक्की से बात कर उसके मन के बोझ को कम करते हैँ… विक्की भी ऐसे जीजा जी मिलने पर भावुक हो उमेश के गले लग जाता हैँ….

सभी लोग अपने अपने घर विदा हो चुके हैँ….

अगले दिन हल्दी हैँ दोनों तरफ हल्दी की तैयारियां जोरो शोरों से चल रही हैँ…

ट्रेंड के अनुसार दोनों तरफ लोगों ने पीले रंग के कपड़े पहन रखे हैँ…. पूरा घर गेंदों के फूलों  , झालरों से जगमगा रहा हैँ…. घर भी दुलहन की तरह सजे  हुए हैँ…

उमेश को हल्दी चढ़ाने के लिए बुलाया जा रहा हैँ…..

चल भाई…. आज तो तुझे हल्दी से नहलाना हैँ…. ज़ितनी कसर हो सब निकालूँगा मैं तो भाई के गालों को इतना रगड़ूँगा कि लाल ही पड़ ज़ायेंगे…. यूनिट में मार मारके मुझे आधा कर दिया हैँ इसने… आज मौका हाथ लगा हैँ… राहुल अपने हाथों को मलते हुए बोला….

कमीने लौटकर तो तू यूनिट ही जायेगा ….. सोच लेना अगर ज्यादा हल्दी लगायी तो मेरे हाथों से बचेगा नहीं तू …. बड़ा आया मुझे रगड़ रगड़ कर हल्दी लगाने वाला…. उमेश राहुल से बोला….

बाद में तू कुछ भी करें आज तो कसर निकालूँगा ….

इधर शुभ्रा के यहां भी शुभ्रा को तेल और हल्दी चढ़ाने के लिए मोहल्ले की सभी औरतें आ चुकी हैँ… फर्श बिछा दिया गया हैँ…. जिस पर ढ़ोलक लेकर बुआ शन्नो और बन्नो बैठी हैँ….

हल्दी गीत की शुरुआत ताई सुमित्रा ने करी … उनकी ढ़ोलक की थाप पूरे घर में गूंज रही हैँ…

आया है सारा ब्रह्माण्ड बन्नी तेरी हल्दी में

बन्नी तेरी हल्दी में बन्नी तेरी हल्दी में

आया है…

पहली हल्दी गणपति ने पिसाई – …..रिद्धि सिद्धि ने चढ़ाई

सफल हुए सब काज बन्नी तेरी…

दादा नारायण जी को ढ़ोलक की धुन इतनी अच्छी लगी कि उनसे  रहा ना गया… उठकर आयें… 100 रूपये का नोट निकाल सुमित्रा जी की बलायें लेते हुए बगल में बैठी नाईन को पकड़ा दिया… और एक ठुमका लगा दिया नारायण जी ने….सुमित्रा जी ने नारायण जी को देख घूंघट को थोड़ा बढ़ाकर थाप और तेज कर दी… ढ़ोलक की  आवाज से औरतों के आने का सिलसिला बढ़ता जा रहा था….

शुभ्रा को बीच में बैठाया गया हैँ… उसने पीले रंग की साड़ी पहन रखी हैँ… पतले दुबले शरीर की शुभ्रा बहुत ही प्यारी लग रही हैँ…

माँ बबिता ने पहली हल्दी और तेल चढ़ाया  … उनके आंसू रुक नहीं रहे… अपनी बिटिया को विदा करना इतना आसान नहीं…. शुभ्रा अपनी माँ के लुढ़कते आंसुओं को पोंछ रही हैँ.. इतनी देर से खुद को रोकी हुई थी शुभ्रा … माँ को देख वो भी फफ़क गयी…. माँ के सीने से लग गयी…. माँ ने अपनी लाली को जी भरकर पुचकारा … ज़िसे देख सभी की आँखें नम थी….

तभी विक्की हांफता हुआ आया…. दादा जी पापा बाहर चलिये….

का हैँ गयो बाहर… तू ऐसो घबराये हुए काय कूँ हैँ… मोये तो जे घरवारे समय से पहले ही ठाकुर जी के पास पहुँचा देंवेंगे… ऐसो हो लाग रहो मोये तो…चल देख के आऊँ का हैँ गयो बाहर…. दादा नारायण जी बबलू जी का सहारा लेकर बाहर आयें…

बाहर पुलिस की चार गाड़ी देख सब घबरा गए …..

आगे की कहानी और अंतिम भाग कल…. लाइक ज़रूर करके जायें …. तब तक के लिए ॐ नमः शिवाय

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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