बेटे भी सुरक्षित नहीं  – प्रीति सक्सेना

“रवि….. … जल्दी आ बेटा, दूध ठंडा हो रहा है, सैंडविच भी सूख गया, कर क्या रहा है”?

” आया मम्मा….. अरे अरे…. आराम से बेटा, फंदा लग जाएगा, सैंडविच तो खा लो…. टिफिन मैंने रख दिया है पानी की बॉटल ये है…. चलो बाय बेटा, गुड लक “!!

“एक रीना है… हर चीज़ कायदे से करती है, टाइम से तैयार भी हो गई, ब्रेकफास्ट भी कर लिया, एक ये है…. आपका आलसी बेटा, देखो गीला टॉवल बेड पर छोड़ गया, बहुत बिगाड़ रखा है उसे आपने लाड़ में ” प्यार से उलाहना देते हुए सीमा ने राजीव को मुस्कुराते हुए कहा “!!

” जानेमन प्यार तो हम तुमसे भी बहुत करते हैं पर तुम तो नहीं बिगड़ी, हंसते हुए राजीव ने शेविंग ब्रश सीमा के गाल पर लगा दिया “!!

” क्या करते हो… देखो मेरे चेहरे पर क्रीम लग गई न ” बनावटी गुस्सा दिखाती हुईं सीमा राजीव का ब्रेकफास्ट और टिफिन बनाने किचन में चली गई!!

ये है एक प्यारा और सुखी परिवार, राजीव और सीमा का……बेटी रीना दसवीं में और बेटा रवि आठवीं क्लास में पढ़ते हैं!!

  राजीव एक चार्टर्ड एकाउंटेंट है, अच्छा पैसा, शानदार रहन सहन किसी बात का कोई तनाव नहीं, सीमा एक इंजीनियर है, पर अब जॉब नहीं करती… बच्चों के जन्म के बाद वो एक कुशल गृहणी है, बच्चों की पढाई उनकी कोचिंग क्लास, उनका उचित खान पान का ध्यान रखना…. अब बस यही उसकी दिनचर्या का हिस्सा है!!

राजीव.. उसकी खूबियों पर बुरी तरह फिदा है… बहुत इज्जत करता है उसकी!! सीमा की वजह से उसका जीवन पूर्णतः व्यवस्थित है, बच्चे भी शानदार रिजल्ट लाते हैं…… इसका पूरा श्रेय वो सीमा को ही देता है!!

राजीव अपने परिवार सहित एक बहुमंजिली इमारत में पांचवी फ्लोर पर रहता है, महानगरों में सब इतनी व्यस्त जिन्दगी जीते हैं कि किसी को किसी से मिलने का वक्त ही नहीं फिर भी उसका परिवार व्यावहारिक है..सबसे हाय हैलो होती है!!




सीमा… नीचे सब्जी लेने गई….. तभी बिल्डिंग की कुछ सखियां मिल गईं… जहां चार महिलाऐं मिलीं और बातें शुरु न हो.. ऐसा तो हो ही नहीं सकता, बातों ही बातों में सजल बोली…”. पता है पेंट हाउस में कुछ स्टूडेंट्स आए हैं,  मेरे हसबैंड से मिले तो कह रहे थे, बच्चों को अगर किसी विषय में दिक्कत हो तो कृपया भेजें, उन्हें आर्थिक मदद हो जाएगी… मैं तो सोनू को भेजूंगी, अच्छा है न कहीं दूर जाना भी नहीं पड़ेगा बच्चे अपनी बिल्डिंग में ही रहेंगे अपना टेंशन भी ख़त्म.”.. रंजना, आरती, सुनीता ने अपने बच्चों को भी भेजने की बात कही, सीमा और राजीव मिलकर ही फैसला लेते थे.. उसने कहा मैं सोचकर बताऊंगी!!

रात को खाने के बाद… सीमा ने राजीव से पूछा, दोनों को ठीक लगा… बच्चे को दूर भेजने से अच्छा है पास ही सही कोचिंग मिल जाए!!

रीना पढ़ने में गंभीर लड़की है, उसने कोचिंग के लिए मना कर दिया, सीमा सभी सहेलियों के साथ कोचिंग की बात करने गई, लड़के होशियार लगे, फीस की बात तय करके, कल से बच्चों को भेजने का कहकर वो सभी अपने फ्लैट में आ गई!!

दूसरे दिन सीमा खुद रवि को लेकर गई, लड़के शिष्ट और समझदार लगे!! रवि से उनका परिचय करवाया, उस पर ध्यान देने का कहकर वापस आ गई!!रवि के अलावा और भी चार बच्चे थे!!

कुछ दिन निकले, रवि को भी अच्छा लगा, आकर सीमा को बताता… आज भईया ने ये पढ़ाया वो पढ़ाया, कुल मिलाकर सभी बच्चे खुश थे, उनका मन लग गया, पढाई अच्छी चल रही है सबकी मम्मियां भी निश्चिंत हुईं!!

     एक दिन…. सीमा को नीचे सुनीता मिली…. सीमा से पूछने लगी..” सीमा! क्या रवि कोचिंग में जाने से आनाकानी करता है “?

सीमा ने कहा .”. नहीं तो, क्यों क्या हुआ “?  

“पता नहीं कुछ दिनों से जाना नहीं चाहता, मैं तो ठेल ठेलकर उसे भेजती हूं, पढ़ाई न करने के बहाने हैं सब , कहकर हंसने लगी “!!

कुछ दिन बाद यही बात काजल ने कही, सोनू जाना नही चाहता पर जैसे ही कोचिंग वाले भईया का फ़ोन आता है, चला जाता है, ये बच्चों के न पढ़ने के बहाने हैं, अच्छा है भईया लोगों से डरते तो हैं!!




“रवि लो बेटा जूस लो, कुछ खाओगे तो बताओ.. देखो कोचिंग का टाइम हो रहा है”!!

 ” मम्मा! मुझे नहीं जाना, मुझे अच्छा नहीं लग रहा, मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही”

सीमा तुरंत आई.. उसका माथा छुआ, गर्म था…. ठीक है आज मत जाओ, आराम करो, मैं दवा देती हूं “!!

आधी रात का समय, अचानक बैडरूम का दरवाजा खटखटाया, सीमा चौंक कर उठ गई, लाइट जलाई…. दरवाजा खोला तो देखा… रीना घबराई सी खड़ी थी…. सीमा उसे देखकर बोली….

” क्या हुआ बेटा, इतनी डरी सी क्यों हो “!!

” मम्मा .. मम्मा “

” हां बोलो बेटा राजीव भी उठकर आ गए”

 ” वो रवि……. पता नहीं क्या बड़बड़ा रहा है, रो भी रहा है”

“क्या…. रो रहा है? दोनों बच्चों के कमरे में भागे…. नाइट बल्ब की रौशनी में रवि के पास जाकर सुनने की कोशिश करने लगे!!

रवि.. अस्पष्ट शब्दों में बड़बडा रहा था !!

 ” नहीं भईया नहीं ….भईया मत करो ,  ये गंदा है, नहीं मम्मा को मत बताना, किसी को मत बताना, मैं किसी को कुछ नहीं कहूंगा”

ये सुनते ही राजीव की क्रोध से आंखें लाल हो गई, सीमा थर थर कांपने लगी, क्या किया उन लोगों ने मेरे बच्चे के साथ!!

 समय देखा सुबह के साढ़े पांच बजे थे, राजीव ने उन सभी के घर इंटरकॉम से फ़ोन लगाया ,जिनके बेटे कोचिंग में पढ़ने जाते थे, सभी ने यही कहा, बच्चे जाना नहीं चाहते….. डर से जाते हैं, भईया का फोन आता है तो चले जातें हैं!! बहुत डरने लगे हैं कोचिंग के नाम से, पर पूछो तो कुछ बताते भी नहीं “!! हमें तो लगा.. पढाई से बचने का ड्रामा है”!!

राजीव ने उन सभी को अपने घर आने को कहा….. सोसायटी के प्रेसिडेंट और सेक्रेट्री को फ़ोन करके अपने घर बुलाया, सबके आने पर खुलकर बात की,  सुनकर सबके चेहरे की हवाइयाँ उड़ गई !!

 उसके बाद पुलिस को खबर की, मामला संगीन और बच्चों का था !! पुलिस तुरंत हरकत में आई और कुछ ही देर में  सोसायटी में पहुंच गई!!

 पेंट हाउस में चारों तरफ़ सिपाही तैनात किए और दरवाजे पर जाकर घंटी बजाई…. थोड़ी देर बाद दरवाज़ा खुला, पुलिस पर नज़र पड़ते ही लड़कों ने बाहर भागने की कोशिश की, जिसे सिपाहियों ने तुरंत दबोच लिया, सभी को अपनी गिरफ्त में लेने के बाद…. तलाशी ली गई …… अश्लील किताबें, बच्चों के साथ गलत तरीके से बनाए वीडियो ,जिनके माध्यम से उन्हें डराकर अपने पास बुलाते थे!!

हकीकत जानकर सभी के होश उड़ गए, सभी महिलाऐं फूट फूटकर रो पड़ीं….. अपने बच्चों के मन की व्यथा को ही न समझ पाए, बच्चों ने, न जाना चाहा फिर भी हम ठेलकर भेजते रहे!!

ये सिर्फ़ एक कहानी ही नहीं, बहुत बड़ा सबक है…. उन सभी पालकों के लिए, जो अपने बच्चों को विश्वास के साथ पढ़ने भेजते हैं!!

खतरा सिर्फ लड़कियों को ही नहीं लड़के भी असुरक्षित हैं, मनोरोगी और विकृत मानसिकता वाले लोग किस हद तक गिर सकते हैं ये हम पढ़ चुके हैं!! 

 बच्चा कुछ कहना चाहे तो जरूर सुनें, उसे नजरंदाज न करें, उन पर भरोसा करें!! समय रहते अपने बच्चे को बचा लें वरना पछतावे के अलावा हाथ कुछ नहीं लगेगा!!

#पांचवां जन्मोत्सव

कहानी no पांच

प्रीति सक्सेना

इंदौर

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