किस्मत का खेल (भाग 1) – स्वाति जैन : Moral stories in hindi

बुड्ढे जल्दी उतर कार से नीचे , वर्ना तुझे भी तेरे सामान की तरह नीचे फेंक दूंगी रोमा अपने ससुर अशोक जी से झुंझलाकर बोली थी !! अशोक जी को वृद्ध आश्रम मे रह रहकर बेटे बहु का यह व्यवहार याद आ रहा था और वह अतीत में खो गए !!

 पापा आपको चाचाजी बहुत दिनों से याद कर रहे हैं , अपना सामान पैक कर लिजिए ताकि मैं आपको कल वहां छोड़ आऊं , राजीव अपने पिता अशोक जी बोला !!

अशोक जी अपने भाई रामचरण का नाम सुनकर खुश होकर बोले बेटा , मैं भी बहुत दिनों से उससे मिलना चाहता था मगर उसका घर दूसरे शहर में होने की वजह से बस सोचता ही रह गया !! मैं तो कब से वह सारे गिले – शिकवे भूला चुका हुं जो हम भाईयों के बीच कभी थे , मैं तो दिन भर यही सोचा करता था कि सिर्फ मैं ही रामचरण को याद करता हुं या वह भी मुझे याद करता होगा मगर देख तो जरा मुझ पर फोन करने के बजाय तुझ पर फोन कर रहा हैं और मुझे बुला रहा हैं !!

मैंने तो उसे पहले भी कई फोन किए मगर कोई उत्तर नहीं दिया उसने मेरे फोन का और ना कभी वापस फोन किया फिर मैंने भी थक हारकर फोन करना बंद कर दिया !! मुझ पर ना सही तुझ पर फोन करके उसने सारे गिले शिकवे मिटा दिए यही सोचकर खुश हुं चलो , अच्छा हुआ बेटा जो तुम मुझे छोड़ने आ रहे हो वहां वर्ना एक अरसा हो गया हम दोनों भाईयों को मिले यह कहकर अशोक जी अपने कमरे में चले गए और दूसरे दिन सुबह अपने भाई के घर जाने के लिए अपने कपड़े पैक करने लगे !!

अशोक जी के कमरे में जाते ही राजीव की पत्नी रोमा आकर पति से बोली – राजीव , इस बार कोई गलती नहीं होनी चाहिए हमसे !! पिछली बार भी हमने यह काम करने का सोचा था मगर तुम्हारी एक गलती की वजह से हमारा यह काम नहीं हो पाया था !!

राजीव बोला – रोमा , तुम भी कल मेरे साथ चलना और अपनी आंखों से देख लेना इस बार मुझसे कोई गलती नहीं होगी !!

दूसरे दिन सुबह राजीव और रोमा जाने के लिए तैयार हो चुके थे मगर अशोक जी रोमा से बोले बहू मेरा वह कुर्ता – पजामा नहीं मिल रहा हैं जो मैंने दिवाली पर पहना था , तुमने देखा क्या ??

रोमा उसके बेटे तन्मय के कमरे में गई और कबाट खोलकर मन ही मन बोली बुड्ढे को जरा भी चैन नहीं हैं , यह यहां से जाए तो बला टले , फिर उनका सफेद कुर्ता – पजामा बाहर ले आई !! अशोक जी ने खुशी से उन्हें भी अपने कपड़ों में पैक कर लिया , उतने में उन्हें उनका टूथब्रश याद आया !! राजीव ने झटपट उन्हें टूथब्रश थमाया और बोला पापा जल्दी करिए !!

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किस्मत का खेल (भाग 2)  : Moral stories in hindi

लेखिका : स्वाति जैन

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