खुन के रिश्ते भी बदल जाते हैं !! – स्वाती जैन : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अरे बच्चों , तुम्हारी कविता बुआ आ रही हैं दो दिन बाद , अभी मेरी उनसे फोन पर बात हुई , रजनी जी अपने पोते मोनू और पोती रिदिमा से बोली !!

मोनू बोला अरे वाह !! मतलब यश और गुंजन भी आ रहे हैं , हम सब खुब साथ में खेलेंगे और मजा करेंगे , उतने में रिदिमा बोली और कविता बुआ के हाथ का खाना भी खाने मिलेगा मोनू , बुआ को तो बहुत अच्छी अच्छी खाने की डिश बनाने आती हैं !!

रजनी जी भी पोते – पोती की बात खुशी से सुन रही थी , आखिर दो साल बाद आ रही थी उनकी बेटी कविता !! पिछली गर्मी की छुट्टियों में दामाद वरुण जी अपने परिवार के साथ चार धाम यात्रा पर चले गए थे इसलिए कविता और बच्चे नहीं आ पाए थे !! रजनी जी और पति नंदलाल जी बेसब्री से बेटी और नाते- नातिन के आने का इंतजार करने लगे !!

दो दिन बाद कविता बच्चों के साथ अपने मायके आ गई , भाई राजू और भाभी शीला ने भी उसका स्वागत किया , शाम होते ही मोनू और रिदिमा बोले बुआ आप तो बहुत अच्छा खाना बनाती हो , हमें आपके हाथ का पिज्जा और पास्ता खाने का मन कर रहा हैं !!

रजनी जी बोली बच्चों , बुआ आज ही तो आई हैं , आज तो रूक जाओ , बुआ कल सबके लिए पिज्जा और पास्ता बना देगी !!

कविता बोली , मां आप मेरे साथ चलो , मैं मार्केट से सामान ले आती हुं , बच्चों को आज पिज्जा खाने का मन हैं तो आज ही बना देती हुं बोलकर कविता अपनी मां को लेकर मार्केट जाती हैं !!

कविता पिज्जा बनाने के लिए मैंदा , हरी सब्जियां ,चीस , पिज्जा सॉस सब ले आती हैं और रसोई में पिज्जा बनाने की तैयारी करने लगती हैं , पीछे से शीला भाभी आती हैं और सब्जियां काटने में कविता की मदद कर देती हैं !!

कविता पिज्जा बनाकर सभी को गर्म – गर्म सर्व करती हैं , सभी बच्चे पिज्जा खाकर बोलते हैं वाओ !! आज तो खाने का मजा ही आ गया , भाई राजू , मां – पिताजी सभी बहुत तारीफ करते हैं मगर शीला के मुंह से तारीफ का एक शब्द नहीं निकलता !!

शीला भाभी की आदत से कविता अनजान ना थी , वह जानती थी भाभी सब कुछ अच्छे से खाएगी मगर कभी भी तारीफ नहीं करेगी और जबकि खाना बनाने में मदद भी ना के बराबर ही की थी , रसोई में आकर सब्जियो को चॉपर में काट दिया था बस !! कविता जानती थी उसके मायके आने के बाद  शीला भाभी ओर भी बेफिक्र हो जाती हैं और घर के खाने की सारी जिम्मेदारी कविता पर आ जाती हैं मगर कविता कभी कुछ कहती नहीं थी क्योंकि वह तो सिर्फ अपने मम्मी – पापा के लिए आती थी , ऐसी बात नहीं थी कि उसने कभी भाभी को अपना नहीं माना , बल्कि कविता ने तो हर पल भाभी को बहन बनाने की कोशिश की थी मगर शीला उसने कभी ननद कविता को वह प्यार नहीं दिया !!

 कविता कभी इन बातों को बोलकर नहीं जताती थी , उसे तो बस घर में शांती चाहिए थी , वह नहीं चाहती थी कि इन बातों का बखेड़ा बने और घर में झगड़े हो !!

 कविता जब भी मायके आती , ज्यादातर वही मार्केट चली जाती और घर की सब्जियां , फल इत्यादि ले आती , पैसे भी वहीं निकालकर देती !!

कविता के मां – पिताजी अक्सर कविता को मायके आकर खर्च करने से मना करते मगर कविता कहती आप लोग मेरे अपने हो कोई पराए नहीं जो मुझे पैसा निकालने के लिए मना करते , आखिर खुन का रिश्ता है मेरा आपके साथ , यह रिश्ता बहुत मजबुत रिश्ता होता हें !! हां यह बात ओर थी कि कभी उसके भाई – भाभी उसे मायके में पैसे खर्च करने से मना नहीं करते !!

अब रोज कविता ही मार्केट के लिए निकल जाती और घर का सारा सामान ले आती !! कविता की अपने ससुराल में भी सुबह जल्दी उठने की आदत थी इसलिए उसे मायके में भी ज्यादा देर सोया नहीं जाता , वह यहां भी जल्दी उठकर सभी के लिए चाय नाश्ता बना देती और खाने की तैयारी भी लगभग कर देती , रजनी जी भी बेटी के साथ मिलकर काम संभाल लेती क्यूंकि वे जानती थी उनकी बहु शीला तो नौ या साढ़े नौ बजे से पहले उठती नही हैं !!

शीला जब उठती तो चाय नाश्ता लेकर अपने कमरे में चली जाती , शुरुवाती दो – तीन दिन तो उसने ननद कविता से दिखावटी बातें कर ली मगर अब वह वापस रोज की तरह ज्यादातर अपने कमरे में ही रहती !!

कविता के दोनों बच्चों को आज आईस्क्रिम खाने का मन कर रहा था , वे बोले मम्मा यहां आए दस दिन हो गए , हमने एक बार भी आईस्क्रिम नहीं खाई , आज आईस्क्रिम खिलाओना प्लीस !!

वहीं बैठा भाई राजू बोला , अरे बच्चों आजकल तो सब ऑनलाईन आर्डर हो जाता हैं , मम्मी से बोलो कि आईस्क्रिम ऑनलाईन आर्डर कर दें , वो क्या हैं ना मैं ही आर्डर कर देता मगर मेरे मोबाईल में नेट खत्म हो गया हैं: 

कविता बोली कोई बात नहीं राजू , मैं सभी के लिए आईसक्रीम आर्डर कर देती हुं !!

कविता ने सभी के लिए आईस्क्रीम आर्डर कर दी और सोचने लगी राजू शादी से पहले कभी ऐसा ना था , बच्चों के लिए जान न्यौछावर करने वाला राजू जब से खुद के बच्चे आए तब से अपने माता – पिता , बहन सभी के लिए पराया हो गया !! शादी के बाद खुन के रिश्तें भी बदल जाते हैं शायद !! हर वक्त दोनों पति – पत्नी बस खुद का खर्च ना हो यह सोचते रहते हैं , कविता भलीभांति सब कुछ देखती और समझती थी बस कहती कुछ नहीं थी !!

कविता के पति वरुण का फोन बजा और वह बोला कविता मैं तुम्हारी और बच्चो की कल की टिकट करवा देता हुं , यहां से कविता बोली ठीक हैं मैं आज पैंकिंग कर देती हुं !!

रजनी जी और पति नंदलाल जी ने बेटी को ओर थोडे दिन रुकने की जिद की तो कविता बोली वरुण को भी वहां खाने की दिक्कत हो रही हैं , टिफिन वाली को बोल रखा हैं दो समय का खाना देने इसलिए इतने समय वरुण ने मैनेज कर लिया , अगले साल फिर से आऊंगी !!

कविता अपनी पैंकिंग करने चली जाती हैं तभी राजू टीवी ऑन करके बैठता हैं तो न्यूज में खबर फैलती हैं कि सब जगह कल से लॉकडाउन लग रहा हैं वह भी पुरे दो महिनों के लिए , जिसमें कोई भी कहीं भी आ – जा नहीं पाएगा !!

वहां से वरुण फोन करके कविता से कहता हैं कविता अभी तुम जहां हो वहीं रहो , अभी कोई कहीं आ जा नहीं पाएगा !! कविता बोली आप कैसे मैनेज करेंगे अभी तो टिफिन व्यवस्था भी बंद हो जाएगी !! वरुण बोला ऑफिस भी तो बंद हो रहे हैं घर से काम करना पड़ेगा , मैं पूरा दिन घर में ही हूं तो घर में कुछ भी एडजस्ट कर लूंगा , बस तुम वहां अपना और बच्चों का ध्यान रखना !!

 शीला को जैसे ही पता चलता हैं कि लॉकडाउन की वजह से अब कविता दो महीने यही रहने वाली हैं उसका मुंह ओर चढ़ जाता हैं और रात को वह अपने पति राजू से बोली जब से तुम्हारी बहन आई हैं , हम कहीं घूमने भी नहीं जा पाए थे और अब यह लॉकडाउन लग गया , मैंने कितने सपने संजोए थे कि यह जैसे ही वापस रवाना होगी हम चारो कहीं घूमने चलेंगे क्योंकि तुमने कहा था कि कविता को वापस ससुराल जाने दो , वर्ना उसे और उसके बच्चों को भी घूमाने ले जाना पड़ेगा और हमारा खर्चा बढ़ेगा !!

राजू बोला तुम भी ना शीला , बात को समझा करो , यहां तुम्हें घुमने की पड़ी हैं , कल से लॉकडाउन हैं मतलब कामवाली बाई भी नहीं आएगी , तुम्हारा काम तो आसान हो गया हैं वैसे भी !! कविता दीदी तो बिचारी गाय हैं , तुम्हारा बाई वाला भी सारा काम वहीं कर दिया करेगी !!

शीला खुश होकर बोली अरे हां !! यह तो मैंने सोचा ही नहीं था !!

अब दूसरे दिन से शीला ओर बेफिक्र होकर सोने लगी ताकि सारा काम उसके उठने से पहले हो जाए !! कविता और उसकी मां रजनी जी सुबह जल्दी उठकर घर का सारा काम निपटाने लगते , अब तो झाडू – पौछा , बर्तन वह भी हाथ से ही करना पड़ रहा था क्योंकि बाई भी नहीं आ रही थी !!

शीला के बच्चे भी सुबह जल्दी उठ जाते , जिनका चाय – नाश्ता सब कविता ही तैयार करती !! घर में क्या – क्या सामान खत्म हुआ हैं और क्या – क्या बचा हुआ हैं ?? यह भी सब कविता को पता रहने लगा था !! लॉकडाउन में वहीं बाहर जाकर खाने – पीने का सामान लाती !! राजू और शीला सिर्फ खाने पीने से मतलब रख रहे थे , वे जान बुझकर कविता से पूछते ही नही थे कि क्या खत्म हैं ?? क्या लाना हैं क्योंकि उनके लिए तो कविता बिना पगार वाली नौकरानी बनकर रह गई थी जो काम तो करती ही थी साथ अपने ही पैसे भी खर्च करती थी !!

शीला सारा दिन अपने कमरे में रहती और अपने मायके वालों या अपनी सहेलियों को फोन लगाकर बातें करती रहती !!

एक दिन जब कविता शीला के कमरे से बाहर जा रही थी तो उसके कानों में आवाज गूंजी देखो ना बुआजी , कविता दीदी यहीं लाकडाउन में अटक गई हैं , उनके आने से हमारा कितना खर्चा बढ़ गया हैं यह हम ही जानते हैं , पुरा दिन मैं घर का काम करती रहती हुं , चलो मेरा काम बढ़ गया वह तो कुछ नहीं मगर खर्चा बढ़ जाए तो किसी को भी दुःख होता हैं !!

आप तो जानती ही हैं , अभी लॉकडाउन में वैसे ही राजू का भी घर से काम चल रहा हैं , अब कौन कितना कैसे कमा रहा हैं यह तो बेचारे घरवाले ही जानते हैं और उसमें भी ननद का खर्चा उठाना पड़ जाए तो भारी तो पड़ता ही हैं !!

वहां से बुआजी भी शीला भाभी को सांत्वना दे रही थी !! कविता ने जब यह सारी बातें सुनी तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई , कविता ने जाकर अपनी मां रजनी जी को सारी बातें बताई तो रजनी जी बोली बेटा भले शीला रिश्तेदारों में तेरा कितना भी नाम खराब करना चाहे वह नहीं कर सकती क्योंकि सभी को पता है की कविता का स्वभाव कैसा है ?? तू जब सारा सामान लेकर मार्केट से आती है तो मेरी सोसायटी वाले भी बोलते हैं , आपकी बेटी कितना करती है अपने मायके के लिए !! कल ही जब तेरी चाची जी का फोन आया था और तू रसोई मैं खाना बना रही थी तो वह कह रही थी हमारी कविता कितनी अच्छी बेटी है जो घर में भाभी के रहते हुए भी रसोई में काम करती है और सभी शीला का व्यवहार भी अच्छे से जानते हैं की शीला कितनी बड़ी-बड़ी बातें करती है और काम कुछ भी नहीं करती !!

कविता बोली मां मैं कभी भी दिखावे के लिए या तारीफ पाने के लिए काम नहीं करती और ना दिखाने के लिए पैसे खर्च करती हूं कि मेरे पास बहुत पैसे हैं !! मैं तो इसीलिए यह सब करती हूं कि मैं अपने भाई भाभी को अपना समझती हूं !! मेरा इस घर से खुन का रिश्ता हैं , मेरा मेरे भाई भाभी से लगाव है !!

भाभी सुबह इतनी लेट उठती है फिर भी मैं कभी उन्हें कुछ नहीं कहती , मैं बिना झिझक घर का सारा काम कर लेती हूं फिर भी वह पीठ पीछे मेरी इतनी बुराई करेगी यह मैंने सोचा भी नहीं था !!

रात को राजू घर का हिसाब कर रहा था , उसे लगा उसके और शीला के अलावा हॉल में कोई नहीं हैं वहीं बालकनी में कविता खडी थी !!

राजू बोला शीला हमारी फ्री कामवाली कविता दीदी की वजह से इस महिने हमारा बहुत कम खर्च हुआ हैं !! शीला बोली अब यहां मायके में अटक जाएगी तो ओर क्या होगा बोलकर दोनों हंसने लगे !!

कविता को अपने भाई राजू से यह उम्मीद नहीं थी उसे राजू और शीला की बातें दिल से लग जाती हैं और दूसरे दिन कविता की तबीयत बहुत खराब हो जाती है , उससे सुबह उठा तक नहीं जाता हैं !! 

थोड़ी देर बाद उसके बच्चे आकर कहते हैं मम्मी बहुत जोरो से भूख लगी हैं , कुछ खाने को हो तो दो ना , अब तक हमने कुछ नहीं खाया !! कविता धीरे से उठकर रसोई में जाती हैं तो देखती हैं कढ़ाई , पतीला सब खाली हैं , शीला रसोई साफ कर रही थी !! कविता बोली भाभी , आपने अब तक बच्चों को कुछ खाने नहीं दिया क्या ??

शीला चिल्लाकर बोली मैं आपके बच्चों की नौकरानी नहीं हुं समझी जो आप सोई रहे और मैं इनको सब बना बनाकर दुं !! हम चारो का खाना बनाकर हमने खा लिया हैं , आप लोग अपना देख लो !!

कविता ने देखा कि उसके मम्मी – पापा और उसके बच्चे भूखे बैठे हैं !! कविता आज बहुत गुस्से में थी क्योंकि जब कोई इंसान रोज सबके लिए काम करता हैं और वह एक दिन काम नहीं कर पाता तो जरूरत के समय उसकी कोई मदद नहीं करता मतलब मेरे इतने दिनों तक यहां रहने का बदला ऐसे चुकाएगी उसकी भाभी यह उसने कभी नहीं सोचा था , रजनी जी ने जल्दी से उन सभी के लिए खिचड़ी बनाई और सभी को खिलाई उतने में कविता की ननद माया का फोन आ जाता हैं जो उसके मायके से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही रहती हैं ,  माया के पति रोहित बहुत बड़े ऑफिसर थे !!

कविता बोली दीदी , क्या आप मेरे यहां से निकलने का कुछ इंतजाम कर सकती हैं ?? अब बहुत दिन हो गए मुझे यहां , वहां वरुण भी अकेले हैं !!

माया बोली भाभी मैं कल ही आपको लेने आती हुं , रोहित आपका पास बनवा देंगें जिससे आप वापस वरूण के पास जा सकती हैं !!

दूसरे दिन रोहित और माया कविता को उसके मायके लेने पहुंच जाते हैं , कविता ने जाने के लिए पैंकिंग कर रखी थी और ननद ननदोई के लिए खाना और मीठा भी बना रखा था क्योंकि वह जानती थी उसकी भाभी तो कुछ करने वाली नहीं !!

सभी ने खाना खाया और वे लोग जाने के लिए कार में बैठ गए !! पीछे से राजू और शीला भागकर आए और बोले दीदी कुछ गलती हुई हो तो माफ करना और दोनों बच्चों को पांच सौ पांच सौ रूपए पकड़ाते हुए बोले हमारी तरफ से बच्चों के लिए कुछ कपड़े ले लेना !! 

कविता ने बदले में दो हजार का नोट पकड़ाते हुए शीला से कहा यह लो मेरी तरफ से आपके बच्चों के लिए कपड़े ले लेना !!

 रास्ते में कविता सोचने लगी जब मेरे साथ इतना बुरा व्यवहार करना था तो अब अंत में यह सब दिखावा क्यों बस इसलिए की दूसरों के सामने अच्छा कैसे बना जाए ??

लॉकडाउन की वजह से आज सारे रिश्तें बेनकाब हो गए थे !! अपने ही मायके आकर जब कोई लड़की नौकरानी जैसा अहसास करें उससे बुरा कुछ नहीं हे सकता !! कविता को खुन के रिश्तों पर से विश्वास उठ चुका था क्योंकि खुन के रिश्ते भी बदल जाते हैं यह वह जान चुकी थी !!

कविता थोड़े दिन अपनी ननद के घर रुकी जहां उसे माया ने खुब मान – सम्मान दिया और रोहित ने उसका पास बनवाया जिससे वह वापस पति वरुण के पास पहुंच पाई !! 

आज उसे अपने घर वापस आकर बहुत खुशी महसूस हो रही थी !!

दोस्तों , इस कहानी के माध्यम से हर भाभी को यही विनती हैं कि वह अपनी ननद को मान – सम्मान और प्यार दें क्योकि एक बेटी अपने मायके में बस प्यार की ही भूखी होती हैं मगर कहीं कहीं तो उन्हें बस नौकरानी बनाकर रख दिया जाता हैं !!

दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरुर देंतथा ऐसी ही अन्य रचनाओं को पढ़ने के लिए मुझे फॉलो अवश्य करें !!

धन्यवाद !!

स्वाती जैन

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