खानदान – कामिनी मिश्रा कनक : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कमला जी रात का खाना खाकर, दवाई खाने के लिए सोफे पर बैठी ही थी ….की तभी अचानक दरवाजे की घंटी बजती है…….. 

इतनी रात को कौन आया होगा अब तो बहू भी सो गई है , सुदर्शन भी ऑफिस के काम से बाहर गया हुआ है…… वो भी 2 दिन बाद आयेगा….

पता नही कौन है इतनी रात को , हो सकता है सुदर्शन ही हो ……..बहु को सरप्राइज देने के लिए आज ही आ गया होगा । चलो अच्छी बात है …..मैं ही जाकर देखती हूँ ।

अरे दीपा …नंदोई जी 

आप अचानक…………..

कैसे आना हुआ …सब ठीक है ना… इतनी रात गए सब खैरियत है ना …….कमला जी चौंकते हुए दीपा से पूछती है । 

हाँ…..हाँ…..भाभी सब ठीक है क्या हम अचानक नहीं आ सकते हैं ….. अब अंदर आने को नहीं कहोगी क्या……या यही दरवाजे से ही भगाने का इरादा है….. भाभी आप भी ना …….बस सवाल जवाब दरवाजे पर ही कर लो यह मेरा भी तो घर है…… मैं कभी भी आ जा सकती हूं . …. 

 है ना शर्मा जी……. अब आप ही बताओ भाभी को….. मैं कोई पड़ाई थोड़ी ना हूं ….

 

अरे दीपा कैसी बातें कर रही हो यह तुम्हारा ही घर है ……आओ न…आओ ….अंदर आओ , आइये  नंदोई जी अंदर आइये…… यह भी आप दोनों का ही घर है आप जब चाहे तब आ सकते हैं, लेकिन आपको तो पता है कि अब मेरी भी उम्र हो चली है , दवाई खाकर मैं भी सोने ही जा रही थी ।  कमला जी दरवाजा बंद करते हुए. ……अच्छा दीपा इतनी रात को आई हो , तो खाना खाकर आई हो या कुछ …… 

तभी दीपा बोली अरे भाभी मैं यही खाना खाऊंगी मैं खाना-वाना खाकर नहीं आई हूं मायके भला कौन खाना खाकर आता है , बताओ तो शर्मा जी. .. आज माँ होती तो वह मुझसे पूछती थोड़ी ना वह तो प्लेट में खाना लेकर मेरे आगे रख देती है …. यही फर्क होता है माँ और भाभी में… 

कमल जी -हाँ…….हाँ…….दीपा मैं जानती हूं …लेकिन समय तो देखो रात के 11:30 बज रहे हैं…… शायद माँजी भी होती तो वह भी पूछती ….. शरीफ खानदान की बेटी- बहु इतनी रात को घर से बाहर नहीं जाती है. ….. 

खैर आना ही था तो तुम पहले ही इन्फॉर्म कर देती…… तो मैं बहू से कह कर खाना बनवा देती…. 

दीपा- अब कहां है आपकी महारानी . …? अब बना देगी। 

कमला जी-  दीपा वह अभी-अभी सोने गई है…. 

दीपा- तो उठा दो भाभी …..वह खाना बनाएगी नहीं क्या….? 

कमला जी -नहीं दीपा उसे सोने दो ……मैं देखती हूं मैं कुछ बना देती हूं , आप दोनों के लिए । उसे बच्चों की वजह से सुबह जल्दी उठना होता है ।

 

दीपा- अरे वाह भाभी कैसी बहू है आपकी……. जो बुआ सास और ससुर जी आए हुए हैं और महारानी सो रही है । बड़े खानदान का नाम रटते रहते हो……की खानदानी बहु लाए हो खानदानी…. 

खैर छोड़ो भाभी अभी भी मौका है अपने छोटे बेटे की शादी कम से कम हम लोगों से भी पूछ कर कर लेना. …… 

कमल जी- हां हां दीपा अगर कोई अच्छी सुशील और खानदान बढ़िया हो तो बताना जरूर करूंगी । 

दीपा – अरे भाभी पता है आपको मेरी बहू की  बहन नंदिता लंदन से पढ़ाई पूरी करके आई है ।  

मैं और आपके नंदोई सोच रहे थे कि आप नंदिता को अपनी छोटी बहू बना ले, 

कमला जी – अरे दीपा कैसी बातें कह रही हो , नंदिता मेरे घर में एडजस्ट नहीं कर पाएगी । 

दीपा – भाभी क्यों अच्छी है सुंदर है पढ़ी लिखी है , आपके घर में तो पढ़ी लिखी बहू आ जाएगी ।

कमला जी- बात पढ़ी-लिखी कि नहीं है दीपा और मैं कौन सा पढ़ी-लिखी का बोर्ड टांग रखी हूं कि मुझे पढ़ी-लिखी ही बहू चाहिए मुझे तो मेरे घर में जैसी मेरी बड़ी बहू सुनीता है वैसी ही मुझे छोटी बहू भी चाहिए ।

दीपा -अरे भाभी रहने दो सुनीता इतनी भी तारीफ के काबिल नहीं है , अभी देखो उठकर भी नहीं आई. …. 

कमला जी- मुझे पता है मेरी सुनीता कैसी है और मेरा बड़ा बेटा सुदर्शन कैसा है सुनीता सुदर्शन जैसे लड़के को संभाल सकती है , जिस लड़के के व्यवहार और आदत की वजह से. …..मैं और तुम्हारे भैया ने छोड़ दिया यह बात किसी से छुपी नहीं है । 

दीपा- बस करो तारीफ  करनी भाभी 

नंदिता जैसी बहू पाकर आप धन्य हो  जाओगी ।

कमला जी – दीपा मैं तुम्हारी बहू को भी जानती हूं , अगर तुम्हारी बहु इतनी ही अच्छी होती तो तुम और नंदोई जी 11:30  बजे रात में  बिना खाए- पिये यहां नहीं आते….. 

नंदोई जी -अरे भाभी आप भी कहां से कहां बात ले जा रही है… वह मुझे आपके हाथ का खाना खाना था इसलिए हम आए हैं , हम तो बस कुणाल बेटे के लिए एक पढ़ी-लिखी लड़की का रिश्ता बता रहे हैं ..और आप है कि हमारी ही बहू की बात करने लगे… 

कमला जी – नंदोई जी मुझे क्षमा कीजिए ….अगर मेरी बात आपको बुरी लगी है तो …. लेकिन दीपा एक बात बताओ. … जब 4 दिन पहले तुम मेरे पास आई थी. …. उस दिन भी बिना खाए हुए आई थी क्योंकि तुम्हारी बहू किटी पार्टी में गई थी । 

दीपा- भाभी वह पढ़ी लिखी है उसका स्टैंडर्ड अलग है उसका अपने दोस्तों के साथ उठना बैठना है । बड़े दफ्तर में काम करती है , घर में नौकर चाकर इसीलिए थोड़ी ना लगा रखें है । 

कमला जी – देखो दीपा मैं यह नहीं कहती हूँ कि  वह अपनी लाइफ नहीं जिए , लेकिन अपने साथ आप दोनों को भी देखें ……. आज कहां गई है आपकी बहु. …? 

दीपा- वो….. वो भाभी उसके मायके में इंगेजमेंट थी ….वहां गई है… 

कमल जी -अच्छा तो आप दोनों क्यों नहीं गए ….. 

दीपा- वो उसकी खाश सहेली की नंद की इंगेजमेंट है…. बस इसलिए गई है । 

कमल जी – देखो दीपा एक तो सहेली नहीं सहेली की नंद की इंगेजमेंट है तुम रोक सकती थी अपनी बहू को …. क्या उसे नहीं पता नंदोई जी की तबीयत खराब रहती है. …. इन्हें नौकर चाकर कि नहीं अपनों की जरूरत है ।  अगर तुम्हारी बहू ऐसी है दीपा , तो नंदिता कैसी होगी । तुम्हारी बहु सिर्फ अपने मायके के बारे में सोचती है हमेशा तुम्हारी बहू पढ़ाई का धोस दिखाती है तो क्या नंदिता नहीं दिखाएगी ।

मैं यह नहीं कहती कि नंदिता बुरी है वह भी किसी की बेटी है , पर मैं सुनीता जैसी ही बहू लाऊंगी । 

दीपा -भाभी वह तो पढ़ी लिखी है ना इसीलिए पढ़ी-लिखी का धोस दिखाती है । पर पैसे की कमी नहीं होने देती है हमें । 

कमला जी – दीपा अगर पैसों से ही सब कुछ खरीदा जाता तो क्या तुम सुख शांति पैसों से खरीद सकती हो …… नही ना………

मेरी सुनीता तो तारीफ के लायक है दीपा ….. तुम्हारे भैया के जाने के बाद वह मुझे और सुदर्शन को संभाल रखा है , साथ मे उसके खुद के दो-दो बच्चे हैं ।

मैं जब बीमार पड़ गई तो उसने अपनी नौकरी तक छोड़ दी । बल्कि मेरा बेटा कैसा है वह तुम भी जानती हो. …….मैं अपने बेटे की गलती की सजा बहू को नहीं दे सकती हूँ ।

अरे बुआ जी ……फूफा जी प्रणाम ….आप दोनों अचानक… मम्मी जी आपने मुझे उठाया क्यों नहीं सुनीता बहुत धीमी स्वर में कमला जी से कहती है. …. 

कमला जी -अरे कोई बात नहीं बेटा.. देर रात हो गई थी इसलिए नहीं उठाया …. 

सुनीता -अच्छा आप सब बैठिए मैं कुछ खाने के लिए लेकर आती हूं । 

तभी सुनीता किचन में चली जाती है 

कमला जी -सुनीता रुको मैं भी आती हूं ….कुछ मदद कर दूंगी.. 

सुनीता -नहीं मम्मी जी आप अपनी दवाई लीजिए … आपने शायद अभी तक दवाई नहीं ली है…….मैं जल्दी कुछ बना कर ले आती  हूं । 

कमला जी- देखा दीपा यह है मेरी सुनीता बहू जो कितनी सुशील और समझदार है । इसे कहते हैं खानदान का नाम रौशन करना । 

दीपा -अच्छा-अच्छा भाभी मत करो नंदिता से कुणाल की शादी. .. आप अपनी चहीती बहू सुनीता जैसी ही छोटी बहू लाना ।

कमला जी- हाँ….हाँ……दीपा मेरी सुनीता तो हीरा है हीरा अपनी छोटी बहू भी हीरा ही लाऊंगी ।

कामिनी मिश्रा कनक

फरीदाबाद

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