Moral Stories in Hindi : एक पार्टी के बाद नशे में धुत अभय को घर छोड़ने आया उसका दोस्त सुमेश, अभय की बेहद खूबसूरत बीवी को देखकर, मौके का फायदा उठाने के उद्देश्य से स्वाति का हाथ पकड़कर बोला…”स्वाति तुम इतनी सुंदर हो और ये तुम्हारा पति, तुम्हारी बिलकुल कदर नही करता”…..
क्यों नहीं तुम मेरी बन जाती?….. इस शराबी को कुछ पता भी नही चलेगा और हम दोनों खूब ऐश करेगें, तुम्हें महंगे महंगे तोहफ़े, गहनें सब लाकर दूंगा, बस एक बार तुम मेरी बन जाओ और बेशर्मी से स्वाति से बिल्कुल सटकर खड़ा हो गया… “पिछले कुछ दिनों से देख रही हूं की तुम अभय के कुछ अधिक ही सगे बनने की कोशिश कर रहे हो, रोज़ पार्टी करने के बहाने दारू पिलाते हों और नशे की हालत में घर छोड़कर जाते हो,
हम स्त्रियों की छठी इंद्री गंदी नज़रों को पहचानने में कभी गलती नहीं करती, तुझ पर तो शक मुझे पहले से ही था पर आज यकीन भी हो गया है”. स्वाति दूर हटते हुए गुस्से से बोली तो सुमेश घिनौनी हंसी हंसते हुए कहता है की बात तो बिल्कुल सही कह रही हो मेरी जान, पर तेरी बात पर यकीन करेगा कौन?…
ये तेरा शराबी पति, जिसे मैंने महंगे पब और दारू की आदत लगा दी है, देख अब या तो तू खुद मेरी हों जा वरना मैं कुछ भी कर सकता हूं,…. सुमेश की आंखों में वासना और दारू के नशे से उतरे लाल डोरे स्वाति को किसी अनहोनी की आहट दे रहे थे की तभी किसी ने सुमेश को गले से पकड़कर एक झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दिया….., स्वाति ने देखा की उसकी सास और देवर खुले पड़े दरवाजे से जानें कब अंदर आ गए और अब देवर रोहित ने सुमेश को थप्पड़ लगाकर अपनी मजबूत बाहों में जकड़ा हुआ था।….
स्वाति रोती हुई अपनी सास सरला जी के गले लग गई और बोली.. “माजी ये आदमी मेरे साथ गलत करने की कोशिश कर रहा था”…. हमने सब अपनी आंखों से देखा और अपने कानों से सुना है बहू साथ ही रोहित ने वीडियो भी बना ली है ताकि इस नालायक ( अभय) को भी इसके प्यारे दोस्त की करतूत दिखाई जा सके,
जो थोड़ी देर के सुख के लिए अपनी घर गृहस्थी में आग लगाने पर तुला हुआ है… सरला जी ने सुमेश को भी अच्छे से समझा दिया की आगे से मेरे बेटे और बहू से दूर रहे वरना तेरे घर से घसीट कर सीधा पुलिस स्टेशन ले जाकर छोडूंगी…. बचपन से ही सास की छवि को लेकर स्वाति के मन में एक अनजाना भय बसा हुआ था,
उसी डर के कारण स्वाति ने शादी के तुरंत बाद, कुछ दिन ससुराल में सास ससुर के साथ बिताने से ज्यादा पति के साथ रहना उचित समझा परंतु कल रात भावुक होकर सुमेश वाली बात स्वाति ने अपनी सास को फोन पर बताई तो मामले की नजाकत और गंभीरता देखकर अचानक ही बेटे बहू के पास आने का निर्णय ले लिया और सब कुछ अपने सामने देख भी लिया… रोती हुई स्वाति के सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए सरला जी बोली….
“बहू तुम मेरी बेटी की तरह हों” और अपनी मां के होते हुए तुझे अब चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है…. “मां” कहते हुए स्वाति भी सरला जी के गले लग गई, आज उसके मन से सास शब्द का भय तो निकल ही चुका था साथ ही खुद को सुरक्षित हाथों में पाकर चिंतामुक्त भी हों गई थी।
स्वरचित, मौलिक रचना
# वाक्य से कहानी बनाओ प्रतियोगिता
कविता भड़ाना