बहु भी बेटी- गौरी भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : श्यामू काका !बहू को नीचे बुलाओ।
मेम साहब बहू घर पर नहीं है उनको बाहर गए तीन घंटे हो गए।
श्यामू काका की बात सुनकर सुषमा जी गुस्से में बोली-क्या !!!…बहू घर में नहीं है?
नहीं मैम साहब…… श्यामू धीरे से बोला।

“मां देख लो आप की नई बहू आपका कहना नहीं माना और चली गई अपने काम पर” गुंजन की ननंद ने आग में घी का काम किया…….
अपनी मां को अपनी भाभी के विरुद्ध भड़काया।
आने दो आज गुंजन को घर में उसकी खैर नहीं… सुषमा गुस्से में तमतमा कर बोली।
” सुबेक , सुना आपने आप की लाडली बहू घर पर नहीं है” सुषमा अपने पति को सुनाकर बोली।
सुषमा ,शांत हो जाओ।
गुंजन तुम्हारी मर्जी के बिना वह काम पर नहीं जाएगी मैं गुंजन को अच्छी तरह से जानता हूं। उसको जरूर कोई काम होगा या फिर अपने मायके गई होगी,। गुस्सा मत करो थोड़ी देर में आ जाएगी।

रीना ,तुम उसके मायके फोन लगाओ, यदि बहू वहां नहीं गई होगी और अपनी वह घटिया नौकरी डिलीवरी केलिए गई होगी तो मैं उसे घर में ही नहीं आने दूंगी।
कह देती हूं सूबेक…..
वह मेरी मर्जी के खिलाफ जाएगी यह मुझे कतई पसंद नहीं। सुषमा गुस्से में बोले जा रही थी।
सुषमा अब तो शांत हो जाओ और बहू पर विश्वास रखो वह ऐसी नहीं है तुम्हारे खिलाफ कभी जाएगी नहीं जाएगी। तुमसे पूछ कर ही जाएगी।
गुंजन पर पूरा विश्वास है मैं जानता हूं उस बच्ची को……..

सूबेक अपनी पत्नी को समझा कर बोला।
तो आप ही बताइए वह तीन घंटे से कहां गई हुई है?? सुषमा फिर बोलती है।

सुषमा मैं मानता हूं गुंजन गरीब घर की बेटी है उसके पिता के मरने के बाद उसने अपने घर की सारी जिम्मेवारी को संभाला है खुद ने मेहनत करके अपने बहन की शादी की है।बेटी नहीं वो अपने घर का बेटा है।
परिवार का पूरा खर्चा चला रही थी, लेकिन बहुत स्वाभिमानी लड़की है…. मेहनती लड़की है….. ….
और अब उसे अपनी मम्मी और दादी की चिंता है उनके खर्चों की चिंता है उसका परिवार कैसे चलेगा इसीलिए वह बार-बार अपने काम पर जाने के लिए तुमसे कह रही थी।
लेकिन मैं जानता हूं वह तुम्हारी मर्जी के खिलाफ अपनी मर्जी से कभी नहीं जाएगी।
थोड़ा विश्वास करो और धैर्य रखो।
सुबेक फिर से समझा कर अपनी पत्नी से बोला
“मैं यहां हूं मम्मी जी” पीछे से गुंजन की आवाज आती है।
सुषमा ने मुड़कर देखा कि गुंजन रोहित को लिए खड़ी थी और रोहित के सिर पर पट्टी बंधी हुई थी।

देखकर सुषमा और रीना चौक गई।
रोहित बेटा,,, रोहित को क्या हुआ यह पट्टी क्यों बंधी ?
रीना और सुषमा एक साथ बोली।
रीना ने जल्दी से अपना बेटा गुंजन की गोद में से ले लिया।
लेकिन रोहित बोला- मामी बहुत अच्छी है मामी ने मुझे डॉक्टर के ले गई पट्टी कराई।

“बेटा रोहित को क्या हुआ”- सुबेक शांत स्वभाव में बोले।
पापा जी, घर पर कोई नहीं था रीना दीदी अपनी किट्टी पार्टी में व्यस्त थी उनका फोन बजा लेकिन उन्होंने उठाया नहीं…

लेड लाइन पर फोन आया तो मैंने उठाया मुझे पता चला रोहित को स्कूल में चोट आई है कोई घर पर नहीं था श्यामू काका भी रीना दीदी का सामान लेने बाजार गए थे।
“फोन सुनकर मैं घबरा गई थी हड़बड़ाहट में मैं आपको फोन करना भी भूल गई थी, सॉरी मम्मी जी ,लेकिन रोहित बाबा को संभालना जरूरी था” गुंजन धीमे स्वर में बोली।
गुंजन सुषमा के बेटे की पसंद थी और सुषमा के पति भी अपनी बहू को बहुत पसंद करते थे लेकिन सुषमा गुंजन को पसंद नहीं करती थी।
लेकिन आज गुंजन की यह बात देखकर सुषमा ने उसको अपने गले से लगा लिया और आंखों में आंसू आने लगे …..
बेटा में कितनी गलत थी तुम भी मेरी बेटी ही हो तुम भी अपने काम कर सकती हो। आज के बाद मैं तुम्हें कभी रोकूंगी नहीं
माफ करना गुंजन…. मैंने तुम्हारा बहुत अपमान किया था।”सुषमा रोती हुई बोली।
मम्मी जी आप रो मत आप भी मेरी मां के समान है-गुंजन शांत स्वर में बोली।
रीना ने भी अपनी भाभी को गले से लगा लिया भाभी मुझे माफ कर दो ….आज आपने मेरे बेटे को संभाला….

धन्यवाद भाभी।
गुंजन अपनी ननद और सास के गले लग गई माफ की क्या बात यह तो मेरा फर्ज था। परिवार के सुख-दुख में हम सब साथ हैं।
यह देखकर सुबेक बहुत खुश हुए। गुंजन को बहुत आशीर्वाद।
सुषमा ने भी अपनी बहू गुंजन को काम करने की इजाजत दे दी।
सुबेक की जान पहचान से गुंजन एक अच्छी कंपनी में जॉब करने लगी। और अपने मायके की मदद करने लगी। ससुराल
और पीहर दोनों से उसे बहुत प्यार मिला।अब उसने बेटे बेटी और बहू का सारा फर्ज निभा रही हैं।

बहू भी बेटी होती है।


गरीब हो या अमीर हो बहू बेटी ही होती।

गौरी भारद्वाज  

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित

1 thought on “बहु भी बेटी- गौरी भारद्वाज : Moral Stories in Hindi”

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!