कस्तूरी ” – रणजीत सिंह भाटिया

  बहुत ही सुहानी सुबह थी I गुनगुनी धूप निखरी  थी l पंछी चाह- चाहा  रहे थे l जसबीर रोज की तरह प्रातः भ्रमण  के लिए घर से निकला घर समुंदर के पास था,और वहां बहुत ही खूबसूरत पार्क था l जहां सुबह-सुबह लोग टहलने आते थे l जसबीर भी पार्क में चक्कर लगाने लगा, अचानक उसकी नजर बेंच पर बैठे एक व्यक्ति पर पड़ी जो एक टक उसी की ओर देखे जा रहा था l शायद कुछ कहना चाहता था, जसबीर कुछ चक्कर लगाकर उसके पास बेंच पर ही बैठ गया l तो वह हल्का सा मुस्कुराया पर आंखें बहुत ही उदास लग रही थीं  l

ऐसा लग रहा था जैसे अभी आंसू निकल आएंगे, जसबीर ने अपना परिचय दिया तो उसने हाथ मिलाते हुए कहा ” मेरा नाम जगतार है l मैं अभी कुछ महीने पहले ही इंडिया से आया हूं,” तब जसबीर ने कहा “आपको पहली बार यहां देखा है, मुझे इंडिया से यहां आए तीस साल हो गए हैं ” तब जगतार ने कहा    ” तीस साल !!!  पता नहीं लोग यहां कैसे रह लेते हैं मेरा तो यहां बिल्कुल मन नहीं लगता है, इंडिया की, अपने यारों  दोस्तों की और रिश्तेदारों की बहुत याद आती है l खाना भी अच्छा नहीं लगता और नींद भी नहीं आती,!!!  अभी कुछ महीने पहले ही  यहां  अमेरिका आया हूँ,..!! मेरी बेटी और दामाद ने यहां बुला लिया मेरा बहुत ध्यान रखते हैं, सब तरह के सुख हैं, पर फिर भी मन नहीं लगता l अमृतसर में बैंक में था l

अब रिटायर हो गया हूं, अमृतसर में घर भी है पर बच्चे वहां  जाने नहीं देते कहते हैं ” पापा जी आप वहां अकेले क्या करोगे यहां रहो हमारे साथ ” तो फिर यहां चला आया वरना उनका ध्यान मुझ में ही लगा रहता l एक ही बेटी है और दामाद तो बेटों से भी बढ़कर है “!! कहते कहते उसकी आंखों में आंसू आ गए..तब जसबीर ने कहा फिकर मत करो शुरू शुरू में सब के साथ ऐसा ही होता है l जब किसी पौधे एक जगह से  उखड़ा जाता है  l तो वह अपने साथ जड़ों में वहां की कुछ मिट्टी लेकर आता है  और फिर उसे  दूसरी जगह पर लगा दिया जाता है l पर उसे नई जमीन में पनपने के लिए थोड़ा समय जरूर लगता है l पहले  तो वह मुरझा जाता है पर फिर धीरे-धीरे जड़ें पकड़ लेता है l ऐसा ही हम इंसानों के साथ भी होता है “



              फिर जसबीर ने पूछा कि “आप कहां रहते हो ” तब जगतार ने अपना पता बताया तो जसबीर ने कहा ” अरे वह तो हमारे घर के पास में ही है ” अब जगतार को बहुत हल्का पन महसूस हो रहा था l फिर दोनों ने अपने अपने फोन नंबर एक दूसरे को दिए जसबीर ने कहा  ” चलो अब चलते हैं रास्ते में बातें करते जाएंगे और कोई भी बात हो तो मुझे फोन कर लेना मैं, अभी पिछले साल ही रिटायर हुआ हूं ज्यादातर घर पर ही रहता हूं l तुम ऐसा करो आज लंच पर मेरे घर आ जाओ कोई संकोच मत करो “!! जगतार मान गया जसबीर घर पहुंचा तो पत्नी से कहा आज लंच पर एक दोस्त को बुलाया है “!! तो पत्नी ने कहा  ” वह तो ठीक है,..पर घर में कोई सब्जी नहीं है,आलू, प्याज भी खत्म हो गए हैं l तब जसबीर ने कहा मैं  “अभी शावर  लेकर फिर बाजार से लेकर आता हूँ “l

                दोपहर को 1:00 बजे जगतार लंच पर आया जसबीर ने पत्नी का परिचय कराया ” यह है मेरी पत्नी सुखविंदर है ” फिर सब ने साथ में लंच किया l जगतार ने कहा  ” बहन जी खाना बहुत ही स्वाद था, बहुत दिनों के बाद ठीक से खाना खाया ”  तब जसबीर ने कहा “अजी ये तो अगर घाँस भी बना देंगी तो उसमें भी  साग का स्वाद आ जाएगा मेरी अच्छी सेहत का राज यही है ” सुखविंदर मुस्कुराते हुए काम में लग गई l

                  जसबीर ने जगतार से कहा आओ  में तुम्हें अपना आर्ट स्टूडियो दिखाता हूं l फिर दोनों बैकयार्ड की ओर चल दिए बैकयार्ड से समुंदर का खूबसूरत नजारा दिखाई देता था, बैकयार्ड में  बहुत ही सुंदर सुंदर फलों और फूलों के पेड़ पौधे लगे थे l एक कोने में पानी का एक छोटा सा झरना  था l जहां पंछी चाह- चाहा  रहे थे l पास ही उनके लिए दाना भी रखा था l थोड़ा सा आगे जाकर  आर्ट स्टूडियो था l जिसमें सुंदर सुंदर सी पेंटिंग थीं जो जसबीर द्वारा बनाई गई थी, एक बुक सेल्फ था, जिसमें करीने से किताबें  रखी थीं l जगतार हैरान रह गया..!! कहने लगा ” मैं भी पहले पेंटिंग करता था l पर अब बहुत समय हो गया छोड़ दी तब जसबीर ने कहा  ” हर इंसान के अंदर एक ना एक कस्तूरी जरूर छुपी  होती है, पर वह उसे पहचानता नहीं तुम फिर से शुरू कर दो मन भी लगा रहेगा, अपनी बनाई पेंटिंगस जब पूरी हो जाती है, तो उसे देखकर जो सुख मिलता है l उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता “!! जाते समय जसबीर ने जगतार को अपनी बनाई एक पेंटिंग उपहार में दी l


                   जसबीर से मिलकर जगतार को लगा कि जैसे  बरसों  से बिछड़ा कोई पुराना मित्र मिल गया हो  मिल गया हो l अब दोनों के घरों में आना-जाना शुरू हो गया l  जगतार की बेटी और दामाद जी बहुत खुश थे, कि पापा अब खुश हैं, पेंटिंग करते हैं बैकयार्ड  में पेड़ पौधे लगाते हैं, ड्राइविंग लाइसेंस भी ले लिया है, सब कहीं भी आ जा सकते हैं l एक दिन जब जसवीर का जन्मदिन था, तो जगतार ने उसे अपने घर पर सरप्राइस पार्टी दी जसबीर बहुत ही खुश हुआ और उसका बहुत धन्यवाद किया तब जगतार ने कहा  ” नहीं यार तूने जो मेरे सुने जीवन में अपनी पेंटिंग के के समान खूबसूरत रंग भर दिए हैं उसका  बहुत बहुत शुक्रिया ”  दोनों एक अनोखे खूबसूरत मित्रता के बंधन में बंध गए l

                अब दोनों हर जगह साथ साथ जाते l जीवन के रंग जो फीके पढ़ने लगे थे, फिर से निखर आए दोनों ने मिलकर बहुत सी पेंटिंग बनाई पर दोनों की शैली अलग अलग थी l अपनी-अपनी जगह  दोनों की कला अद्भुत थी l फिर दोनों ने मिलकर आर्ट एग्जीबिशन लगाई जहां लोगों ने उनके काम को बहुत सराहा, और अच्छे दामों पर उनकी पेंटिंग्स बिकने भी लगी इस तरह पैसा भी मिला और शोहरत भी मिली l

              फिर एक दिन जसबीर ने जगतार से पूछा कि  “अब इंडिया की याद आती है..? तो उसने कहा  ” वो बीती यादें तो मरते दम तक साथ रहेंगी l पर हां यार अब मन पहले जैसा उदास नहीं रहता, वह भी जिंदगी का एक हिस्सा था l और यह भी जिंदगी का एक हिस्सा है ” l तब जसबीर ने कहा हां ये बात तो  एकदम ठीक है l बस  जहां रहो खुश रहो और ओरो को भी खुश रक्खो यही जीवन  है l

 

 मौलिक एवं स्वरचित

 

 लेखक रणजीत सिंह भाटिया 

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!