काश समय रहते अपनी  माँ का सम्मान करने लगते… – रश्मि प्रकाश 

“ माँ बहुत दिन हो गए चलो ना नानी से मिल आते हैं ।” इस बार जब राशि मायके आई तो माँ सुमिता जी से बार बार बोल रही थी पर सुमिताजी टाले जा रही थी 

“ बेटा अब तेरी नानी बहुत बीमार रहती हैं.. कभी-कभी तो किसी को पहचानती तक नहीं है… तुम्हें नहीं पहचानेगी तो तकलीफ़ होगा।” माँ ने समझाते हुए कहा

फिर भी राशि की ज़िद्द पर माँ उसी शहर के दूसरे छोड़ पर ले गई जहाँ अब उनकी माँ यानि की राशि की नानी रहती थी 

दरवाज़े पर ही मामी और उनका बेटा मनु से सामना हो गया… मामा तब अपनी दुकान पर थे.. सुमिता जी और राशि को देख मामी नेपूछा,“ राशि बच्चों को लेकर नहीं आई… लाना चाहिए था ना हम भी मिल लेते।”

राशि ने बहाना करते हुए कहा,“ वो भैया के बच्चों के साथ सोसायटी के पार्क में खेलने में व्यस्त थे आने को तैयार ही नहीं हुए।” (अगरबच्चे आते तो नानी ,मामी को बच्चों को कुछ रूपये देने कहती जिसके लिए मामी बेमन से कुछ रूपये बच्चों को थमाती जो राशि कोकभी पसंद नहीं आता था मना करने पर मामी ये भी कहने से ना चुकती अब ग़रीब मामी नानी कितना ही दे सकती है) कहते हुए साथ लाए मिठाई और फल वही रख नानी के बाबत पूछने लगी 

“ जाइए ना उधर अंदर वाले कमरे में है।” नानी का कमरा इस बार बदल दिया गया था ये राशि को मामी के हाथ के इशारे से समझ आगया 

कमरे में गई तो एक अजीब सी दुर्गंध भरी पड़ी थी… मच्छरदानी ज़रूर लगा था पर वो जगह जगह से फट गया था जहाँ पर सेलोटेपचिपका दिया गया था.. नानी के सफ़ेद बाल जो हमेशा चोटी गुथे दिखते थे ऐसा लग रहा था चोटी पकड़कर काट दिया गया होबेतरतीबी से बिखरे बाल .. उस नानी के जिसे बालों को आख़िर तक गुँथे रहने की आदत थी रबड़ तो कभी लगाती ही नहीं थी….




सुमिता जी शायद माँ को पहले भी ऐसी हालत में देख चुकी होगी इसलिए ही राशि को आने से मना कर रही थी पर पगली राशि जो नानीघर हर गर्मियों की छुट्टियों में मजे करने जाती थी शादी बाद कम ही जाना हो पाता था…इस बार भी बहुत साल बाद मायके आई तो नानीसे मिलने का मोह छोड़ ना सकी

“ प्रणाम नानी !” राशि ने जैसे ही कहा नानी नज़रें उठा कर देखने लगी

“ कौन है… नहीं पहचान रहे बिटिया?” नानी की काँपती आवाज़ ने उसकी दयनीय स्थिति का वर्णन कर दिया 

“ राशि है नानी ।” 

“ अरे तू कब आई और मेहमान बच्चे सब कहाँ है… ?”इकलौती नातिन की आवाज़ सुन नानी में मानो जोश आ गया था 

“बाद में आएँगे सब तुमसे मिलने… ये बताओ कैसी हो?” राशि ने पूछा 

“ बस बेटा तेरे नाना के पास जाने के दिन गिन रही … सुमिता भी आई है?” नानी ने पूछा 

“हाँ माँ…।” सुमिता जी माँ को देख रो ही पड़ी थी इसलिए कोने में जाकर खड़ी हो आँसू पोंछ रही थी 

“ दीदी बाहर आइए ना चाय रखा है ।” मामी की आवाज़ आई

“नानी तुम भी चलो बाहर ।“ राशि कह नानी को उतारने की कोशिश करने लगी

“ राशि दी बुढ़िया को कहा लेकर जा रही है… ये इसी कमरे में रहती है ।” पन्द्रह साल के बच्चे के मुँह से ये सुन राशि धक से रह गई 

“ मनु ये तुम्हारी दादी है और ये क्या बोल रहे हो बुढ़िया… ठीक है वो बुढ़ापे में है इसका मतलब क्या ….दादी नहीं बोल सकते..आज केबाद ऐसे बोले तो सही नहीं होगा।” राशि डाँटते हुए बोली 

“ अरे राशि दी घर में सब इनसे ऐसे ही बोलते हैं…तो हम भी बोलने लगे।” मनु ने सफ़ाई दिया 

“ अरे बच्चा है राशि बोल गया…आइए ना आप बाहर चलिए… माँ को कहाँ लेकर जाइएगा ये यही ठीक है।” मामी ने कहा 




” क्यों मामी जी जो नानी पूरे घर में शान से घुमती थी आज एक कमरे में सिमट गई है…कहना तो नहीं चाहती हूँ पर कह रही हूँ आपसे ज़्यादा तो अपनी नानी को जानती हूँ… माना आप बहू है इनकी सेवा करती है…क्या करती है कैसे करती है वो तो दिख ही रहा है… मेरी नानी भी अपने उसूलों की पक्की है अपना घर छोड़कर जाने से रही नहीं तो सच में मैं बहुत बार चाही उसे साथ ले जाऊँ…. अब तो वो उम्र केउस पड़ाव पर है जाने कब सबकुछ छोड़ कर चली जाए … पर याद रखिएगा….माँ को सम्मान नहीं दीजिएगा तो कल को आपको कितना सम्मान मिलेगा वो भी भगवान ही जानता है… कम से कम बच्चों के सामने तो नानी की इज़्ज़त करते दादी बोलने में मनु की शान चली जाएगी क्या…चलो माँ अब यहाँ से ।” नानी की दयनीय हालत देख राशि से अब वहाँ नहीं रहा जा रहा था 

तभी दरवाज़े पर आहट हुई मतलब मामा भी आ गए थे जो राशि की सारी बातें सुन चुके थे….और नज़रें झुकाए हुए थे…

“ मामा जी नानी की इस हालत के लिए मामी से ज़्यादा आप दोषी है….धिक्कार है आप पर ।” राशि कह कर निकलने को हुई तो मामा बोले ,“कुछ देर रूक जा राशि,…मामा मामी के लिए भगना भगनी भगवान समान होते है वो नाराज होकर ऐसे नहीं जाते ।”

“क्या रूक कर देखूँ मामा जी…… जब से मेरा ब्याह हुआ आप सब की नाज़ुक आर्थिक स्थिति देख कर निकुंज ने बहुत बार आप लोगों की मदद के लिए कई जगहों पर नौकरी लगवाई पर आपसे वो ना हुआ तो दुकान करवा दिया… ताकि आप लोग भी एक अच्छी ज़िन्दगी जी सको.. हमारा यहाँ से तबादला नहीं हुआ था तबतक नानी को देखने हम कभी ना कभी आ जाते थे पर इतने सालों बाद तो नानी की बदतर हालत कर दी आप लोगों ने…उपर से मनु नानी को बुढ़िया कहने लगा…ये सब सीखा रहे आप उसको…?” राशि को नानी के साथ किया सलूक बहुत चुभ रहा था….

शुरू से ही राशि की आदत रही वो गलत बर्दाश्त नहीं कर पाती और ये परिवार वाले बख़ूबी जानते थे…. सुमिता जी भी बेटी का हाथ पकड़कर चुप रहने कह रही थी पर राशि बिना रूके बोले जा रही थी 

“ अच्छा बैठ तो सही इतने सालों बाद आई है खाना खा कर जाना।“ मामा ने मनुहार करते हुए कहा 

“ नहीं मामा जी … आपको भी पता है नानी मेरे लिए क्या है उसके साथ ये सब देख कर मुझे बहुत बुरा लग रहा है… बस भगवान से आप मनाना कि आप दोनों को मनु के इस अपमान का सामना ना करना पड़े जो आप नानी के साथ कर रहे हो ।” कहते हुए राशि बाहर निकलगई आँखों से झरझर आँसू बह रहे थे 




“ माँ नानी को यहाँ से क्यों नहीं ले जाती हो… मामा से नहीं होता तो तुम बेटी होकर उसकी देखभाल नहीं कर सकती?” रोते रोते राशि नेमाँ से पूछा 

“ बेटा तुम्हें लगता मैंने कोशिश नहीं की वो बाबूजी की क़सम दे रखी है अब तो इसी घर में दम टूटे पर कहीं नहीं जाना….भगवान भी मेरेसहने की क्षमता की परीक्षा ले रहे ले लेवे… अब तू ही बता क्या कर सकती हूँ ?” सुमिता जी रोते हुए बोली 

कुछ दिनों बाद राशि अपने शहर चली गई…. महीने भर बाद नानी भी दुनिया छोड़कर कर अनन्त में लीन हो गई… समय कब किसी केलिए रूका है ….मनु का भी ब्याह हो गया…पता चला आज मनु भी अपने माता-पिता के साथ उसी तरह का व्यवहार कर रहा जैसा उसनेअपने घर में देखा ।समय हर रूप दिखा देता है जो कर्म हम करते हैं इसी दुनिया में उसका फल मिल जाता है … 

सुमिता जी उसे बता रही थी ,मामा कह रहे थे राशि ठीक ही कह रही थी…ऐसा व्यवहार मत कीजिए जो आगे आपको भारी पड़ जाए।

काश मामा मामी नानी का सम्मान करते तो आज उनके अपने बेटे बहू भी सम्मान देते पर जब हम आप ही अपने माता-पिता का सम्माननहीं करेंगे तो हमारे बच्चे कैसे कर सकेंगे… जो देखेंगे वही तो सीखेंगे ।

मेरी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा .. रचना पसंद आये तो कृपया उसे लाइक करे और कमेंट्स करे ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

# तीसरी रचना 

#अप्रैल_मासिक_कहानी_प्रतियोगिता

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