ज्वाइंट फैमली में ब्याह–ना भई ना” – कुमुद मोहन

“सीमा। देखो अपनी इना के लिए कितना अच्छा रिश्ता आया है।” सुरेश ने घर में घुसते ही कहा।

 

“कौन है कहाँ से आया लड़का क्या करता है कितने भाई-बहन है?” एक सांस में सीमा बोलती चली गई।

“अरे भई। जरा ठहर तो जाओ सब बताता हूँ”

कहकर सुरेश ने बताया यहीं दिल्ली के बिजनेसमैन हैं उनका बेटा है। लंदन से एमबीए करके आया है बिजनेस में अपने पिता और चाचा का हाथ बंटाऐगा। आनंद विहार में बहुत बड़ी कोठी है सब साथ रहते हैं।

लड़के के दादा भी हैं जो परिवार के मुखिया हैं

चाचा के दो बेटे दो बेटीयां है शादी किसी की नहीं हुई है।

लड़के की दो छोटी बहनें और एक छोटा भाई है।

सीमा ने चटक-पटक ऊंगलियों पर हिसाब लगाया यानि 10-12 लोग तो होंगे ही।

 

“आप बस ना कर दें ,इतने सारे लोग एक ददुआ ससुर,दो सासें, दो ससुर,निरे ननद देवर सबको कैसे झेलेगी,सबकी फरमाइशें पूरी करते और उनकी खिदमत करते करते मेरी इना का क्या हाल होगा सोचा भी है? आग लगे ऐसे पैसों को और ऐसी अमीरी को”!

मेरी बेटी तो ना मन का खा पाऐगी,ना पहन ओढ़ सकेगी ,घूमने फिरने की तो सोचो ही मत ,कहीं जाना भी होगा तो बिना ननद देवरों की फौज लिऐ कहां निकल सकेगी!

सुरेशजी ने बहुत समझाया पर सीमा किसी हालत तैयार नहीं हुई।वह अपनी बहन की मिसाल देकर बोली”तुम्हे नहीं पता मेरी बहन कोमल की शादी मम्मी पापा ने बड़ा बिज़नेस और पैसा देखकर ज्वाइंट फैमिली में कर दी थी!बेचारी दस बरस से चचिया,ममिया सासों की खिदमत और उनके बच्चों की जचगी कराती कराती उम्र से पहले बूढ़ी दिखने लगी है!”

भई। मिल तो लो हो सकता है हम ही उन्हें पसंद ना आऐं कहकर सुरेश ने बहुत समझा बुझाकर सीमा को लड़के और परिवार से मिलने को राजी कर लिया।



नियत समय पर धवल उसके दादा जयपाल जी पापा दुर्गश जी, मां उमा जी चाची वसुंधरा, उसका बेटा धैर्य और घवल की बहनें निकिता और मनिका इना को देखने आऐ।

जयपाल जी ने पहले से ही कहलवा दिया था कि किसी तरह की खातिर तवज्जो व तकल्लुफ़ न करें हम बेटी को मिलने आ रहे हैं किसी दावत में नहीं।

 

धवल  लंबा चौड़ा,गोरा चिट्टा, बहुत ही संजीदा ,हंसमुख,स्मार्ट लड़का था उसे देखकर और घरवालों से मिलकर सीमा को बहुत तसल्ली हुई उसने कभी सोचा भी नहीं था कि इतने बड़े लोग इतने अच्छे और सुलझे होंगे। कहीं से नहीं लग रहा था कि वे लोग लड़की देखने आए हैं।

इना भी निकिता और मनिका के साथ ऐसे घुल-मिल गई जैसे बरसों की जान-पहचान हो।

जाते समय सुरेश जी ने जयपाल जी की इना और परिवार के बारे में राय पूछी तो जयपाल जी ने बड़ी नम्रतापूर्वक जवाब दिया पहले आप इना बेटी से पूछें कि हमारा धवल और हम सब उसे कैसे लगे? ज़िंदगी उसकी है तो फैसला भी उसी का होना चाहिए। हमारे यहाँ सबको अपने अपने फैसले लेने का हक हमने दे रखा है। जब तक किसी बच्चे के किये गए फैसले में हमें कोई गलती नजर नहीं आती हम बीच में दखल नहीं देते।

 

हां एक बात और बता दूं हमारे घर का उसूल है जियो और जीने दो सबकी अपनी अपनी स्पेस है उसका मान सबको रखना होता है फिर चाहे वो पति-पत्नी हों ,बाप-बेटा हो या सास-बहू।

इसी वजह से बरसों से हमारा परिवार एक छत के नीचे बिना लड़ाई झगड़े और तू तू मैं मैं के साथ खुशी खुशी रह रहा है।

पैसा ही सब झगड़ों की जड़ होता है !हम अपने रिश्तों के बीच पैसा नहीं आने देते!

वैसे तो हमारे घर में झगड़ों की नौबत नहीं आती पर अगर कभी भी किसी को किसी से शिकायत या गिला-शिकवा होता भी है तो बजाए बढ़ाने के हम लोग बातचीत कर बीच का रास्ता निकाल कर उसे सुलझा लेते हैं।”

जयपाल जी फिर बोले मैं इसी लिए ये बातें आपके सामने कह रह हूं क्योंकि लोगों को लगता है ज्वाइंट फैमिली मे इतने सारे लोग रहें और झगड़े झंझट ना हों ,हो ही नहीं सकता चार बर्तन जहाँ रहेंगे खनकेंगे ही।हमारी कोशिश होती है बर्तन की तरह रिश्ते टूटें ना!

 



“बेटी इना और आप लोगों का जो फैसला हो आप राय करके बता दें” जयपाल जी ने कहा।

 

और एक बात हम दहेज के एकदम खिलाफ हैं भगवान का दिया सबकुछ है सिर्फ बेटी की जरूरत है। आप अपने घर का अनमोल रत्न हें दे देगे उसके आगे बाकी सब चीज़ें बेमानी हैं। हम ये दिखाने के लिए नहीं सच में कह रहे हैं।

सुरेश जी ने इना और सीमा से सलाह लेकर जयपाल जी को हां कह दिया।

दो दिन बाद इना का जन्मदिन था सुबह-सुबह जयपाल जी परिवार सहित गाड़ी से उतरे साथ में फूलों के गुलदस्ते?बहुत सारे गिफ्ट पैक सबने एक एक कर रीना को बधाई दी प्यार और आशीर्वाद दिया।

 

फिर जयपाल जी ने सुरेश जी और परिवार को अपने मंदिर में पूजा के लिए चलने का निमंत्रण दिया।

 

मंदिर जाकर देखा जयपाल जी ने अपनी होने वाली बहू के जन्मदिन के अवसर पर हवन और भंडारे का आयोजन किया हुआ था।

जयपाल जी ने इना के हाथों पूजा करवा कर गरीबों को भोजन बंटवाया।

उन्होंने बताया हम अपने घर के हर सदस्य का जन्मदिन ऐसे ही मनाते हैं।

इना के ससुराल वालों का इना के प्रति इतना प्यार और दुलार देखकर सीमा और सुरेश जी की आँखों में खुशी के आँसू आ गए।

सुरेश जी ने सीमा को टहुंका मार कर कहा”तुम्हें तो अपनी बेटी ज्वाइंट फैमिली में नहीं देनी थी ,अब क्या कहती हो?

 

दोस्तों

हमारा कहना है कि तालमेल बैठाकर आपसी समझदारी धैर्य बर्दाश्त और जिम्मेवारी अगर घर के हर सदस्य में हो तो संयुक्त परिवार में रहना अभिशाप नहीं वरदान होता है। जो संस्कार शिक्षा और प्यार संयुक्त परिवार में अधिक मिलते है वे एकल परिवार में नहीं मिल पाते। रिश्तों की अहमियत संयुक्त परिवार में रहने पर ही पता चलती है।

 

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#परिवार 

आपकी

कुमुद मोहन

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