जब गृहलक्ष्मी के मन में ही छल कपट आ जाए – स्वाती जैंन  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : बहु , इस बार दिवाली पर गांव जा रहे हैं तो मैंने और तुम्हारे ससुर जी ने सोचा हैं कि हम दोनों थोड़े महिने वहीं रुक जाएंगे अगर तुम्हें कोई दिक्कत ना हो तो ममता जी अपनी बहु रीवा से बोली !!

रीवा बोली मम्मी जी , आप तीन चार महिने में तो आ ही जाएंगी ना क्योंकि थोड़े दिनों के लिए तो मैं भी ऑफिस से छुट्टी लेने वाली हुं !! गांव में दिवाली मनाकर मैं थोड़े दिन अपनी मम्मी के यहां रहने चली जाऊंगी , फिर तो वापस वहीं ऑफिस की भागदौड करनी हैं और आप होती हैं तो मुझे बहुत सहारा मिलता हैं आपका !! आपके राज में सब कुछ हो जाता हैं मम्मी जी वर्ना सच आपके बिना मुझे कुछ काम समझ ही नहीं आता हैं !!

ममता जी बोली बहु मैं तीन चार महिनों में वापस आ ही जाऊंगी , मैं जानती हुं तुझे यहां मेरी बहुत जरूरत हैं खैर जितना हो सके इस मुंबई वाले घर की तो सफाई हो गई हैं और गांव वाले घर की सफाई करने मैंने विमला से कह दिया हैं , चाबी बगल वाली सुरेखा भाभी के वहीं पडी हैं तो विमला वहीं से चाबी लेकर सफाई कर लेगी !!

रीवा बोली हां मम्मीजी , यह आपने अच्छा किया कि विमला से सफाई करने कह दिया अब जाते ही घर तो साफ मिलेगा , चलिए मैं ऑफिस के लिए निकलती हुं , मुझे आज ऑफिस में बहुत काम हैं !!

ममता जी बोली हां हो सके तो थोड़ा जल्दी आ जाना , हमें गांव जाने के लिए कपड़े भी तो पैक करने हैं !!

रीवा बोली आज ऑफिस में रीटा भाभी से पूछती हुं कि गांव के लिए कब निकलना हैं , उस हिसाब से पैंकिंग कर लेंगें !!

रीवा के ससुर दीनदयाल जी कुल मिलाकर चार भाई थे जिसमें से दो भाई और उनका परिवार गांव में रहता था और बाकी के दो भाई और उनका परिवार यहां मुंबई में रहता था !! दीनदयाल जी और उनकी पत्नी ममता जी जब भी गांव जाते दो तीन महिने वहां गुजारकर आते , गांव से बहुत यादें जुड़ी हुई थी उनकी , उनका मन तो करता था कि वे लोग गांव में ज्यादा दिन रहे मगर यहां बेटा मोहित और बहु रीवा मल्टी नेशनल कंपनी में कार्यरत थे , दोनों अक्सर ऑफिस से आने में लेट हो जाते और सुबह भी बहुत बार उन्हें ऑफिस के लिए जल्दी निकलना पड़ता था एसे में ममताजी खाना और टिफिन तैयार कर देती , घर के अन्य काम भी वे खुशी खुशी कर देती थी , ससुर दीनदयाल जी भी बाहर से दुध , दही , सब्जी फल इत्यादि ला देते थे !!

इस बार गांव में दिवाली में ममता जी ने अपनी सभी देवरानी जेठानियों का खाना और पुजा अपने घर में रखी थी जिसकी तैयारियां जोरो शोरों से चल रही थी , गांव के घर में ले जाने दिए , लाईटस , फटाके सभी लाकर रख दिए थे बस पैंकिंग करनी बाकी थी !!

रीवा के काकाजी सोमनाथ जी की बहु रीटा भी रीवा के ऑफिस में ही काम करती थी , रीवा का और रीटा का परिवार साथ में ही गांव जानेवाला था इसलिए रीवा ऑफिस के लंच टाईम में रीटा से बोली रीटा भाभी , गांव कब चलना हैं ?? कौन सी तारीख की टिकट निकलवानी हैं ?? 

रीटा बोली मम्मीजी कह रही थी वे तुम्हारी सास ममता जी से इस विषय में आज बात कर लेंगी !!

रीवा बोली भाभी , आपकी सास और मेरी सास दोनों देवरानी जेठानी और उपर से  उनकी गांव वाली दो जेठानी देवरानी बाप रे अब सभी लोग मिलकर दिवाली की तैयारी करेगें , मुझे तो एक बात समझ नहीं आई , अपने अपने घरों में चुपचाप अपना अपना परिवार पुजा कर लो , यह सभी को इकटठा करना फिर साथ में खाना रखना इंसान कितना थक जाता हैं बिचारा !! मुझे तो यह सब बिल्कुल पसंद नहीं मगर मम्मी जी की वजह से सब करना पड़ता हैं !!

रीटा बस मुस्कुरा दी , वह कुछ बोली नहीं क्योंकि वह रीवा की आदतों को अच्छे से जानती थी !! यहां कंपनी में भी रीवा रीटा के साथ कांपेटिशन की होड करती जबकि रीटा हमेशा उसे अपनी चचेरी देवरानी होने के कारण उसकी ऑफिस के काम में भी मदद करती !!

दूसरी तरफ रीटा की सास नर्मदा जी ने अपनी देवरानी ममता को फोन किया और सभी ने दिवाली के दो दिन पहले गांव जाने का मन बना लिया , उसी आधार पर दीनदयाल जी ने सभी की टिकटस बुक करवा दी !!

रीवा की सास ममता जी , रीटा की सास नर्मदा जी सगी देवरानी जेठानी थे , दोनों में आपस में बहुत बनती थी , वे सब पहले गांव में संयुक्त परिवार में रहते थे !! गांव में रह रही दोनों जेठानी देवरानी भी मुंबई में रह रही देवरानी जेठानी का इंतजार करती कि कब वे भी वापस गाव आएंगी और सभी मिलकर साथ में त्योहार का आनंद लेंगें !!

रीवा यही मुंबई में एकाकी परिवार में पली बढ़ी अपने मां पिता की इकलौती बेटी थी !!

उसे अपनी सास और गांव के सारे लोगो पर बहुत ताज्जुब होता , उसे बस अपना काम निकलवाने से मतलब था !!  ममता जी उसकी बहुत मदद किया करती थी इसलिए वह भी उनके साथ अच्छे व्यवहार का दिखावा कर देती मगर रीवा के मन में उन लोगों के लिए बिल्कुल आदर भाव नहीं था !!

दिवाली पर गांव जाने के लिए सभी लोगो ने अपने कपड़ों की पैंकिंग कर ली , रीवा ने सारे वेस्टर्न कपड़े साथ डाल दिए और जिस दिन गांव जाना था उस दिन भी वेस्टर्न कपड़े पहनकर रेडी हो गई !!

ममताजी उसे देखते ही बोली बहु , हम गांव जा रहे हैं और वह भी दिवाली की इतनी बड़ी पुजा के लिए !! वहां ऐसे कपड़े मत पहनो , गांव में लोग दो बातें बनाने में वक्त नहीं लगाते !!

मम्मीजी मुझे तो इन कपड़ों में कोई बुराई नहीं लग रही , गांव तो गांव ही रहेगा और मैं तो यहां शहर में पली बढ़ी लड़की हुं , गांव वालो को जो बोलना हैं बोलने दिजिए हमें क्या ??

ममताजी बोली बहु , मैं भी किसी के कहने का कोई अर्थ नहीं निकालती मगर मुझे खुद यह महसुस हो रहा हैं कि दिवाली जैसे मौके के लिए साड़ी , सलवार कमीज तुम पर ज्यादा सुट करता , यह वेस्टर्न परिधान तो पार्टीज में ही अच्छे लगते हैं !!

रीवा बोली मम्मीजी , रीटा भाभी भी यहां मुंबई में ही पली बढ़ी लड़की हैं , आपको लगता हैं वह वहां गांव में ऐसे ट्रेडिशनल कपड़े पहनेंगी , देख लेना नहीं पहनेंगी इसलिए मैंने तो सुटकेस में भी सारे वेस्टर्न कपड़े ही भरे हैं !!

ममताजी ने भी बहु के आगे हथियार डाल दिए और सोचने लगी जो करना हैं करो , मुझे क्या ?? कौन से परिधान कौन से अवसर पर अच्छे लगेंगें यह सीख भी मुझे ही देनी पड़ रही हैं और कुछ जवाब ना देते हुए अपने कमरे में चली गई !!

थोड़ी देर बाद जब मोहित ने रीवा को देखा तो बोला रीवा , गांव में यह कैसे कपड़े पहनकर साथ चल रही हो ?? हम वहां पुजा के लिए जा रहे हैं पार्टी के लिए नहीं !!

मोहित के मुंह से यह सब सुनकर रीवा को लगा जैसे अकेले में उसकी सास ने ही उसके पति को रीवा के खिलाफ भड़काया होगा , मोहित ने जब रीवा का बैग खोला तो देखा कि उसने अपने साथ सारे वेस्टर्न कपड़े ले रखे थे , मोहित ने रीवा से सारे वेस्टर्न कपड़े खाली करवाके सलवार कमीज बैग में भरने कहा !!

रीवा को मन ही मन बहुत गुस्सा आ रहा था मगर उसे मोहित की बात माननी पडी क्योंकि उसके पास ओर कोई चारा ना था !! वह मोहित का गुस्सा भलीभाँति जानती थी इसलिए चुपचाप बैग में से वेस्टर्न कपड़े निकालके सलवार सूट डाल दिए !!

ममता जी को भी यह देखकर तसल्ली हुई कि चलो अच्छा हुआ बहु ने मेरी ना सही मोहित की बात तो मानी वर्ना कोई मेरी बहु के कपड़ों को लेकर उंगली उठाए यह मैं बर्दाश्त नहीं कर पाती !!

दिवाली के दो दिन पहले सभी गांव पहुंच गए , रीवा की सास और सभी देवरानी जेठानी ने मिलकर एकसाथ दिवाली का सारा नाश्ता बनाया और फिर दिवाली के दीप जलाए ,इन दो दिनों में रीवा को लग रहा था घर में कितनी भीड़ एकत्रित हो चुकी हैं ,  वह अपना मी टाईम मिस कर रही थी कि काश !! इतनी भीड़ ना होती तो मैं अकेले अपने कमरे में जाकर सिर्फ टी.वी देखती  मगर सोचने लगी चलो चार दिन ओर सही फिर तो अपनी मम्मी के घर जाकर अकेले खुब मजे करेगी !!

दिवाली के दिन सभी का खाना रीवा के घर में रखा गया था , खाना बनाने के लिए रीवा की सास ने पहले ही विमला और रानी को अपनी मदद के लिए बुलवा लिया था और विमला से कहने लगी सुनो दिवाली खत्म हो जाए फिर विमला तुम वापस मेरे घर मेरी मदद के लिए आ जाना क्योंकि मुझे पापड , वडी , केर – आंवले का आचार यह सब बनाना हैं !!

विमला बोली सेठानी जी अभी पापड , वड़ी , आचार यह सब क्यों ??

ममताजी बोली बेटा बहु वापस मुंबई जा रहे हैं , उनके साथ पापड़ – वडी बनाकर भेजने हैं , मेरी बहु को मेरे हाथ के पापड , वडी , आचार बहुत पसंद हैं !! विमला बोली सेठानी जी आपके लिए तो जान भी हाजर है , जब चाहे बुला लेना मैं आपकी सब मदद करवा दुंगी !!

दिवाली की पुजा के समय रीवा ने एक सलवार सूट का सेट पहन लिया जो दिखने में थोड़ा हैवी था मगर यह क्या जब उसकी रीटा भाभी पुजा के लिए तैयार होकर आई तो रीवा की नजरे उसे निहारती रह गई !!

रीटा ने क्रीम कलर का लहंगा – चोली , गले में हार , कान में बड़े झुमके और माथे पर बिंदी लगाई थी !!

जिस बहु को मुंबई में रीवा ने कभी सलवार कमीज में भी नहीं देखा वह बहु यहां लहंगा – चोली पहनकर घूम रही थी , वहां तो ऑफिस में रीटा हमेशा जींस टॉप पहनकर ही ऑफिस आती मगर यहां उसका अलग ही रूप था !!

रीटा के घरवाले अपने यहां की पुजा संपन्न कर रीवा के घर पुजा में सम्मिलित होने आए थे , पुजा के बाद रीटा सभी को मुस्कुराहट के साथ खाना परोस रही थी जबकि रीवा सिर्फ नाम की रसोई में सभी के साथ जाकर खड़ी हो गई थी !!

ममता जी को भी मन ही मन रीटा का व्यवहार बहुत अच्छा लगता मगर उन्होंने यह बात कभी रीवा से नहीं कही क्योंकि वे जानती थी कि कभी भी एक बहु की तारीफ दुसरी बहु के सामने नहीं करनी चाहिए !!

अकेले में मौका पाकर रीवा रीटा से बोली भाभी , आप शहर से होकर यहा आकर गाववालों जैसी हरकतें क्यों कर रही हो ??

रीटा बोली रीवा , मेरा मानना है कि हम जहां जिस काम के लिए उपस्थित होते हैं , हमें वैसा परिधान और वैसे संस्कार अपनाने चाहिए !!

हम जब ऑफिस जाते हैं तो जींस – टॉप पहनते हैं , जब हम पार्टीज में जाते हैं तो वेस्टर्न पहनते हैं और जब पुजा में जाते हैं तो साडी या लहंगा पहनते हैं , परिधान का भी तो जिंदगी में बहुत महत्व होता हैं !!

रीवा यह सब बातें ध्यान से सुन तो रही थी मगर ग्रहण कितना कर रही थी वह उसे  खुद नहीं पता !!

ममता जी ने भी रीटा की सारी बातें सुनी और सोचने लगी रीटा भी मुंबई में ही पली बढी हैं मगर संस्कार और रीति रिवाजों को बखुबी निभाती हैं !!

ममता जी रीटा की बातो से प्रभावित थी मगर रीवा के लिए उनको कोई ग्लानि नहीं थी क्योंकि उनका मानना था कि रीवा में धीरे धीरे सुधार जरूर आएगा !!

दिवाली के दो दिन एक दूसरे के घर आने जाने और एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देने में यूं ही बीत गए !!

जब रीवा ने कहा कि वह लोग दो दिन बाद वापस मुंबई के लिए रवाना होंगे क्योंकि थोड़े दिन वह अपनी मम्मी के यहां जाना चाहती हैं ममता जी ने जल्दी से विमला को बुलाकर पापड- वडी बनाने में मदद करने कहा ताकि वह बेटे बहु के साथ उनके लिए उनके साथ ही सामान भेज पाए !!

रीवा बोली मम्मी जी थैंक यू सो मच आप मेरे लिए कितना सोचती हैं , आप जानती हैं मुझे पापड़ वडी बहुत पसंद हैं इसलिए आप सब काम छोड़कर पहले मेरे लिए यह बनाने बैठी !!

ममता जी भी मुस्कुराकर बोली बेटे बहु के लिए नही करूंगी तो किसके लिए करूंगी भला ??

ममता जी और विमला पापड़ वडी बनाने लगे तब विमला बोली मेरी देवरानी पारूल को भी पापड़ वड़ी बहुत पसंद हैं सेठानी और वह पेट से भी हैं !! मेरे बच्चे भी बीच बीच में याद करते हैं पापड – वडी मगर मुझे बनाने का समय ही नहीं मिल पाता !!

ममता जी बोली तुम छोटे लोगों की यही दिक्कत हैं , पहले ही नीयत खराब कर देते हो , ले जाना तेरी देवरानी के लिए भी और तेरे बच्चों के लिए भी थोड़े से पापड़ – वडी , अभी फटाफट हाथ चला !!

विमला बोली अरे सेठानी !! मेरा कहने का वह मतलब नहीं था , मुझे नहीं चाहिए आपकी पापड वडी , मैं तो बस कह रही थी कि समय के अभाव के कारण मैं पापड वडी नहीं बना पाती !!

उतने में ममता जी के पति आकर बोले ममता , बहु तो आराम से उसके कमरे में बैठी हैं और तुम यहां अकेले अकेले इतनी मेहनत कर रही हो और वह भी उन्ही के साथ मुंबई भेजने के लिए !!

ममता जी बोली अरे कभी कभी तो गांव आती हैं बेचारी , कर लेने दो उसे आराम , उसे मेरे हाथ के पापड वडी बहुत पसंद हैं आप जानते तो हो और आप जाईए अभी यहां से , मुझे काम करने दिजिए , थोड़ी देर बाद मुझे केर और आंवले का आचार भी बनाना हैं वह भी उन्हीं के लिए !!

मोहित को मेरे हाथ का आचार बहुत पसंद हैं !!

एक दिन बाद ममता जी ने सारा सामान मुंबई भेजने के लिए तैयार कर दिया था !!

रीवा और मोहित भी दूसरे दिन मुंबई वापस निकलने के लिए अपने कपड़े पैंकिंग कर रहे थे , उतने में रीवा की मां सरला जी का फोन बज उठा और वे बोली रीवा कब आ रही हो बेटा ??

रीवा बोली बस मां कल निकल रहे हैं !!

सरला जी बोली बेटा , तु आ जाए तो तेरे लिए पापड़ वडी बना दुंगी , तुझे बहुत पसंद हैं मैं जानती हुं !!

रीवा हंसकर बोली मम्मी , शायद तुम जानती नहीं मेरी सास एक नम्बर की बेवकूफ हैं , मैं उनके बनाए खाने से लेकर उनकी बनाई हर चीज की इतनी तारीफ करती हुं कि बेचारी ने मेरे ले जाने के लिए पापड – वडी , आचार सब बना दिया हैं और आपको इस उम्र में क्यूं इतनी मेहनत करनी हैं ??

मेरी मां इस उम्र में इतनी मेहनत करें यह मुझसे देखा नहीं जाएगा , आप तो बस आराम करो , यहां मेरी सास हैं जो कोल्हू के बैल की तरह सारा काम कर देती हैं और बस बदले में मुझे अपनी जबान मीठी रखनी पड़ती हैं गुड की तरह और दोनों मां बेटी हंसने लगे !!

 ममता जी जो बेचारी रीवा के कमरे में उससे यही पूछने आ रही थी कि रास्ते के लिए कितने पराठे भरूं और कौन सी सब्जी बनाऊं , यह सब सुनकर उनको अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ , वह एक पल वहीं रुक गई और उनकी आंखों से आंसू बह निकले !!

ममता जी को अपने पति की बातें याद आ गई , जो हमेशा कहते थे बहु को इतना मत सर चढाओ कि वह सर पर बैठकर नाचने लगे !!

अब तक ममता जी रीवा की हर गलती नजर अंदाज करती आई थी क्योंकि उन्हें लगता था रीवा बच्ची हैं , अभी नादान हैं मगर आज उन्हें पता चला था कि रीवा तो सिर्फ उपर से मीठा मीठा बोलती हैं ताकि मैं उसका सारा काम करूं बाकी मन में उसके इतना पाप भरा हैं यह बात वह आज समझ पाई थी !!

ममता जी नम आंखें लिए रसोई में वापस आ गई , थोड़ी देर में रीवा रसोई में आकर बोली मम्मी जी पापड – वड़ी और आचार दे दिजिए , उनको अलग बैग में ही पैक कर दे देती हुं !!

ममता जी बोली बहु बेवकूफ लोग सभी को अपना मानकर उनके लिए खटते रहते हैं मगर लोग जब उनके इस अपनेपन का नाजायज फायदा उठाने लग जाए तो उन्हें यह बेवकूफी करनी छोड़ देनी चाहिए !!

यह पापड वडी और आचार मैं अपनी सहायक कर्ता विमला को दे दुंगी जो बेचारी मेरी इतनी मदद करती हैं , अब तुम यह सब यही रहने दो !! 

रीवा को समझ में आ गया क़ि उसकी सास ने उसके द्वारा उसकी मां से कही सारी बातें सुन ली हैं !!

वह शर्म से जमीन में गडे जा रही थी और उसे अपनी गलती का मन ही मन अहसास हो रहा था !!

दोस्तों , लोग एक दूसरे को अपना मानकर उनके लिए हर काम करने को तैयार हो जाते हैं मगर जब कोई इस बात का नाजायज फायदा उठाने लगे तो उसे सबक सिखाना जरूरी हो जाता हैं !!

आपको यह कहानी कैसी लगी कृपया अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें तथा मेरी अन्य रचनाओं को पढ़ने के लिए मुझे फॉलो अवश्य करें !!

धन्यवाद !!

आपकी सहेली

स्वाती जैंन

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