हर बीमारी का ईलाज सिर्फ दवा नही होती- करुणा शर्मा। Moral stories in hindi

पिता की बीमारी का सुन अर्चना तीन साल बाद विदेश से लौटी थी, उनकी ये हालत देखकर रो पड़ी थी, मां को गुजरे पांच साल हो गये थे, उन्हें देखकर वो फट पड़ी थी सामने तीनों भाई एवं भाभियां तथा पोते , पोतियां खडे़ थे”मुझे तुम लोगों से ये उम्मीद नहीं थी, सबके रहते हुए पापा डिप्रेशन में कैसे चले गए , सबके साथ रहते हुए उनका ये हाल कैसे हुआ, मुझे तो तभी शक हो गया था,जब वो फोन पर ठीक से बात भी नहीं कर पा रहे थे कोई जवाब देगा मुझे “

            अर्चना के पिता सुभाष गुप्ता शहर के जाने-माने वकील थे, इसके अलावा समाज सेवक के रुप में उनका नाम था, गरीब बच्चों की शिक्षा हो या किसी मजबूर मां बाप की लड़की की शादी हो वो हमेशा ही आगे रहते थे, आये दिन लोकल अखबारों में उनके आर्टिकल जो समाज सुधार से संबंधित होते थे, छपते रहते थे, पढ़ने के इतने शौकीन थे कि घर में हर तरह की किताबों की लायब्रेरी बना रखी थी,इतने जिंदादिल इंसान की हालत आज ऐसी हो गई थी कि सिर्फ शून्य में निहारते रहते थे,जो भी उन्हें देखता वो विश्वास ही नही कर पाता।

                 “दीदी हमने अच्छे से अच्छे डॉक्टर को दिखाया है, पापा की महंगी से महंगी दवाइयां भी चल रही है,पर पता नहीं, मां के जाने के बाद, तों और भी अकेलापन महसूस करने लगे थे”भाई ने कहा।

                   “बरसों साथ रहने के बाद जीवन साथी के बिछड़ जाने के बाद उनकी जगह कोई नहीं ले सकता, और उस वक्त जब एक दूसरे को सहारे की ज्यादा जरूरत होती , ऐसे में उनके दुःख का अंदाजा हम नहीं लगा सकते, लेकिन अभी मैं महसूस कर रही हूं, तुम सब लोग अपने-अपने कामों में व्यस्त रहते हों, पापा अकेले अपने कमरे में जैसे कैद होकर रह गये है, और तुम्हारे बच्चो को भी दादा से कोई लगाव नहीं है, तुम लोगों ने बच्चों को यही शिक्षा दी हैं,हम सब को भी तो एक दिन बूढ़ा होना है “हर बीमारी का ईलाज सिर्फ दवा नहीं होती”अपनापन, प्यार, उनकी केयर ,उनका सम्मान ही उनके जिंदा रहने का हौंसला देता है, अभी जब मैंने सबके फोटो, उनके लिखे आर्टिकल, उनको मिले सम्मान पत्र दिखाएं तो उनके चेहरे पर अलग ही चमक देखने को मिली”।

 

करुणा शर्मा।

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