घर !सबकी खुशियों से बनता है – अंजना ठाकुर : hindi stories with moral

hindi stories with moral : रंजना को घर  सजाना बहुत पसंद था उसकी निगाहें बाजार मैं भी उन चीज़ों को ढूंढती जो उसके घर को नयापन दे

रंजना किराए के घर मैं रहती थी कुछ बातों के लिए उसे मन मारना पड़ता था क्योंकि मकान मालिक का आदेश था की घर मैं ज्यादा ठोका पीटी नही कराने का जिस कारण रंजना अपने मन मुताबिक  सजावट नही कर पाती रंजना का एक ही सपना था की छोटा ही सही मगर मेरा अपना घर हो ।

पति और दो बच्चों की पढ़ाई के कारण इतनी बचत संभव नहीं थी की मकान की किस्त भी निकाल पाए इस कारण रंजना ने भी काम करने का मन बनाया और पति की सहमति से सिलाई का काम शुरू कर दिया उसके पास नए नए आइडिया थे तो उसके सोफा कवर ,पर्दे और कुशन के बहुत ऑर्डर मिलने लगे देखते देखते उसका काम अच्छा चल निकला अब उसने कारीगर रख लिए और एक दुकान भी ले ली साथ मैं बैग बनाने का काम भी शुरू कर दिया।

रंजना घर का काम ,बच्चों की देखभाल के साथ पूरे दिल से काम करती उसका एक ही सपना था की जल्दी से उसका घर बन जाए।

रंजना का पति विशाल ,रंजना से बहुत प्यार करता था पर कान का थोड़ा कच्चा था जल्दी ही लोगों की बात पर विश्वास कर लेता था।

आज रंजना के जीवन का वो खास दिन आ गया जब उसकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने अपना घर बुक कर दिया जल्दी ही नए घर मैं आ गए

रंजना के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे उसने घर को बहुत ही खूबसूरती से सजाया जो भी देखता तारीफ करता ।

रंजना को काम के लिए कई लोगों से मिलना पड़ता अब उसको थोक मैं ऑर्डर मिलने लगे उनकी तरक्की देख लोगों को जलन होने लगी ।

आज विशाल का दोस्त और उसकी फैमिली घर आई थी घर देखकर उसने बोल दिया भाई खुशकिस्मत है जो ऐसी पत्नी मिली  जिसकी बदौलत घर बन गया नहीं तो हम अपनी तनख्वाह मैं घर चला ले यही बहुत है  ।

विशाल को उसकी बाते चुभ गई एक आदमी पत्नी को ऊंचा उठते हुए कम ही देख पाते है अब विशाल खुद को नीचा समझने लगा और इस बात के लिए  रंजना को बात बात पर ताना मारने लगा ।

अक्सर पहले रंजना लेट हो जाती तो विशाल खाना बना कर रख लेता और भी काम मै हाथ बंटाता लेकिन अब उसे ये सब करना ऐसा लगता जैसे रंजना का नौकर हो आज रंजना वापस आई तो उसने रसोई मैं देखा कुछ भी तैयारी नही है

विशाल से पूछने पर भड़क गया की तुम आराम से घूमो और मैं खाना बनाऊं नौकर नही हूं

उसके इस तरह शब्द सुनकर उसने गुस्से की बजाय विशाल से पूछा क्या बात है आपको मेरा काम करना पसंद नही है क्या

विशाल के अंदर का लावा भी  छलक गया बोला लोग किस तरह की बातें करते है मैं चाहता हूं तुम काम छोड़ दो और अपना घर देखो

रंजना बोली मुझे कोई दिक्कत नही है ठीक है हम वापस किराए के घर मैं रह लेंगे मैं इतनी मेहनत सिर्फ खुद के लिए नही हमारे लिए कर रही हूं ये घर मेरे अकेले का नहीं सबका है और इस घर की खुशी तभी रहेगी जब हम एक दुसरे को खुशी के बारे मैं सोचेंगे ना की लोगों के बारे मैं ।

विशाल रात भर सोचता रहा ये क्या कर रहा था मैं लोगों की बातों मैं आकर अपना घर बिखेरने चला था

सुबह उठ कर चाय नाश्ता बनाकर रंजना के पास जा कर बोला तुम सही थी घर एक की खुशी से नही सबकी खुशियों से कहलाता है मुझे माफ कर दो मैं लोगों की बातों मैं आ गया

रंजना मुस्कुरा दी ,ध्यान से देखा तो आज घर की दीवारें भी मुस्कुरा उठी थी कई दिन बाद..।

#घर

स्वरचित

अंजना ठाकुर

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