घर आँगन – पूनम अरोड़ा : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : अन्य  सभी लड़कियों   की तरह नीति  ने भी मन में  सतरंगी इंद्रधनुषी  सपने सजाए ,वैवाहिक  जीवन की  स्वप्निल  मादकता को आँखो में  बसाए अपने “घर आँगन” को छोड़ कर ससुराल की दहलीज के अंदर प्रवेश किया था। 

कल्पना  के अनुसार  ही  भव्य और शानदार  स्वागत  हुआ उसका वहाँ ।  पहले तो दो तीन दिन की थकान , पूरी रात का  जागरण और सुबह बिदाई के बाद ढेरों  रस्मअदायगी  के कारण बहुत  थकान महसूस  हो रही थी उसे।

तभी रिश्ते की एक ननद ने उसे उसके कमरे में  ले गई  और उसे आराम  करने को कहकर चली गई । नीति को जैसे जन्नत  मिल गई । वह तो कब से आराम करना  चाह रही थी ।उसने  एक नजर कमरे पर डाली —सुन्दर ,आधुनिक  ढंग से सजा विशाल कमरा था । खिड़कियों  पर हलके नीले रंग के परदे लगे थे।

बेड के आसपास  फूलों  की सजावट से कमरे का वातावरण  खूबसूरत और  सुगन्धित  हो रहा था। एक खुशनुमा  एहसास  नीति की चेतना पे छाता जा रहा था और पता नही  कब वो इन लम्हों  की सुखद छाँव की परितृप्त निद्रा  में  विलीन हो गई ,उसे पता भी न चला।

अचानक  दरवाजे  खुलने  और फिर बंद होने की आवाज  से उसकी नींद  खुली। उसने देखा मनन –उसके पति ने अंदर प्रवेश  किया था।वह तुरंत उठकर संभल कर बैठ गई ।

उसे लगा कि मनन के साथ साथ एक अरूचिकर  सा दुर्गंध  का  झोंका  भी कमरे में प्रविष्ट हुआ हो या शायद उसका वहम हो।

लेकिन जैसे ही मनन बेड के नजदीक आया वह समझ गई कि मनन  ने ड्रिंक की हुई है और वो भी ओवर। कमरे  का कुसुमित  सुवास और मन  के खुशनुमा  एहसास एक पल में  ही  धूमिल  से हो गए।

एक तो वो वैसे ही शराब पीने वालों को पसंद नहीं करती थी फिर भी पहली ही रात तो बिल्कुल भी अपेक्षा नहीं  की थी उसने ।वो रात जो हमेशा के लिए अविस्मरणीय  स्मृतियों के सुखद एहसास  का सबब बन जाती है उसे एक कटु अनुभूति के रूप में नहीं संजोना चाहती थी इसलिए न चाहते हुए भी उसने कोई अप्रियता अभिव्यक्त नहीं  की तभी मनन की रोबीली सी रूखी सी आवाज सुनाई दी “सोई नहीं  अब तक ? ” नीति ने कहा “आप का इंतजार कर रही थी कैसे सो पाती ।अभी तो आपसे अच्छी तरह मुलाकात  भी नहीं हुई।”

इस कहानी को भी पढ़ें: 

भगवान का दूसरा रूप – डॉ. पारुल अग्रवाल

मनन ने कहा ,”क्या करना है मुलाकात करके मैं कौन सा भागा जा रहा हूँ ।अब तो गले पड़ ही गई  हो रोज जान खाना मेरी ।”
नीति को काटो तो खून नहीं एकदम अवाक स्तब्ध !! यह कैसा व्यवहार!!

  क्या गलती हो गई  उससे या घरवालों  से ?हाँ  माना कोई  ज्यादा दहेज नहीं  दिया लेकिन यह बात तो पहले ही स्पष्ट  हो गई  थी ।इन लोगों  की कोई  डिमान्ड नहीं  की फिर भी हर माँ  बाप की तरह  यथाशक्ति  बल्कि उससे भी ज्यादा भरसक भरपूर दिया था और ससुराल वाले  भी खुश  ही लग रहे थे तो क्या बात है ?

एक साथ ही न जाने कितने सवालों  ने नीति को  व्यथित उद्वेलित  कर दिया। तभी मनन ने कहा “मैं तुमको आज ही क्लियर  कर दूँ कि यह शादी मेरी मर्जी  से नहीं  हुई है ।मैं  जिससे प्यार करता हूँ  वह बहुत  ही खूबसूरत,स्मार्ट,माडर्न माॅडल है लेकिन  हमारी  जाति ,धर्म  और ख्यालों  से बिलकुल पृथक जिस कारण किसी भी हालत में  उसे हमारे घरवाले बहू नहीं  बनाना चाहते थे।

मुझे इमोशनल ब्लैकमेल  करके जबरदस्ती  शादी के लिए हाँ करवाई कि शादी के बाद हम संभाल लेंगे ।अब संभाले वो अपनी बहू को ।मेरी  कोई जिम्मेदारी  नहीं तुम्हारे  लिए हाँ  यह जरूर  है कि आर्थिक  रूप से तुम्हें  कोई  कमी नहीं  होगी ।जब चाहो आवश्यकता अनुसार मुझसे माँग सकती हो ।”

नीति तो जैसे अचेत होते होते रह गई ।सारे स्वप्निल इन्द्रधनुषी रंग एक पल में  धूमिल कालिमा से आवृत हो गए ।एक पल नहीं  लगा मनन को आजन्म रिश्ते को ख॔डित विखंडित करते हुए ।क्या यही परिणिति है मेरी परिणय सूत्र  की? पढ़े लिखे होकर भी लोग एक लड़की के जीवन से ज्यादा अपने दकियानूसी विचारों  को अधिक महत्व देकर उसकी जिन्दगी को दाँव पर लगा सकते हैं? उनका जमीर उन्हें  ऐसा करने की इजाजत कैसे दे सकता है?

अब क्या करे वो ,वो पढ़ी लिखी होकर ऐसी अपमान की,एहसान की दी जिन्दगी नहीं  जी सकती । अपने आत्मसम्मान  को गिरवी रख ऐसे खोखले रिश्ते को आजन्म  तो क्या एक दिन नहीं  निभा सकती  ।ऐसे लोगों  को उनके कृत्य का प्रतिकार तो मिलना ही चाहिए जो किसी  लड़की की जिन्दगी और भावनाओं से ऐसे खिलवाड़ करते हैं जैसे गुड्डे गुड़िया की शादी रचा रहें हों ।
वो अवश्य ही उन पर कानूनी कार्यवाही  कर के उनको यथोचित दंड दिलवाएगी ताकि और लोग भी ऐसा करने से पहले अपने  अपमान  के बारे मे  पहले ही सोच लें।

उसने उसी समय अपना सूटकेस उठाया और बहुत ही आत्मविश्वास से डोली के साथ आए भाई को  बाहर ड्राइंगरूम से साथ लेकर बिना किसी की प्रश्नों  की और नजरों की परवाह किए बगैर उस “घर आँगन” से निकल गई  जहाँ  कुछ देर पहले उसके स्वागत में  सम्पन्न किए गए  शुभ कदमों  के चिन्ह अभी भी  ताजा थे।

पूनम अरोड़ा

error: Content is Copyright protected !!