बहु का जन्मदिन क्यों नहीं?- hemlata gupta : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : अरे बहू.. यह सुबह-सुबह घर का काम धाम छोड़कर, कागज पेन लेकर क्या कर रही है? कुछ सामानों की लिस्ट बना रही है क्या? ठीक है लिस्ट बाद में बना लेना.. पहले घर का काम देख! जी मां.. मैं लिस्ट ही बना रही हूं!, आपको पता है मां.. कल मेरा जन्मदिन है, तो मैं बस उसी की तैयारियों में लगी हूं!

किस-किस को बुलाना है, क्या-क्या सामान लाना है, और केक कौन सा मंगवाना है, और सबसे बड़ी बात तो कि मुझे कल क्या पहनना है, बस यही सब सोच रही थी! कुछ भूल ना जाऊं… इसीलिए कागज में लिख रही थी! शेफाली ने  चहकते हुए कहा …जिसे इस घर में आए हुए अभी 2 महीने ही हुए थे!

भरा पूरा परिवार था, जिसमें पति के अलावा दादा दादी, सास ससुर और ननद देवर थे !क्योंकि शादी के बाद उसका पहला जन्मदिन था, तो खुशी के मारे पागल हुई जा रही थी! छोटे बच्चों की तरह उत्साह उसके  चेहरे पर साफ झलक रहा था! तभी सास गोमती जी ने कहा.. अरे बहू जरा धीरे बोल! अगर दादी जी ने सुन लिया तो घर में भूकंप आ जाएगा!

वह कभी नहीं चाहेंगे की बहू का भी जन्मदिन मनाया जाए,! और तू भी क्या बच्चों की तरह उछल रही है अपना जन्मदिन मनाने के लिए! अब तो शादीशुदा है, और तेरी इस घर के प्रति बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं! उन पर ध्यान दें! चल.. अब जल्दी कर, घर में बहुत सारा काम पड़ा है! विवेक  को ऑफिस और पिंकी सोनू को स्कूल जाना है!

चल जल्दी से खाने की तैयारी कर !ऐसा कहकर सास तो चली गई ,किंतु शेफाली की आंखों में आंसुओं के साथ साथ अनगिनत सवाल भी छोड़ गई! शेफाली.. तीन बहनों में सबसे छोटी थी! सुधाकर जी की तीनों बेटियां ही सुंदर सुशील और संस्कारी थी! अतः सुधाकर जी को उनकी शादी संबंधों के लिए बिल्कुल भी परेशान नहीं होना पड़ा!

और तीनों ही बेटियां अच्छे घरों में शादी करके चली गई! शेफाली को बचपन से ही अपना जन्मदिन बनाने का बहुत उत्साह रहता था! किंतु शेफाली के परिवार की ऐसी स्थिति नहीं थी कि उसका धूमधाम से जन्मदिन मना सके! किंतु शेफाली की मां उसके जन्मदिन पर सूजी के हलवे का केक बना देती ,और शेफाली की दो सहेलियां और पड़ोस के कुछ बच्चे आ जाते थे!

बस शेफाली उस समय बहुत खुश हो जाती थी! शेफाली इसी तरह जन्मदिन मनाते हुए बड़ी हो रही थी !समय के साथ कॉलेज में आ गई, वहां उसकी सहेलियां असली का केक ले आती, और वह उनके साथ मिलकर जन्मदिन मना लेती! इन सब बातों को याद कर उसके आंसू बहने लगे और शेफाली उदास हो गई!

किंतु उसने अपने मन को समझा लिया, “की बहुओं का जन्मदिन नहीं मनाया जाता”! दिन भर वह उदास ही रही! शाम को जब विवेक को यह बात पता चली तो उसने कहा.. देखो शेफाली हमारे घर में आज तक मैंने मम्मी, चाची या दादी का जन्मदिन मनाते नहीं देखा !हमारे घर में जन्मदिन सिर्फ बच्चों का मनाया जाता है!

किंतु तुम उदास मत हो,.. कल तुम्हारे जन्मदिन पर हम दोनों कहीं बाहर चलेंगे और वही जाकर खाना भी खा लेंगे, और तुम्हारी पसंद का केक भी काट लेंगे !शेफाली को तो अपना जन्मदिन सबके साथ मनाना था! पर खैर.. शेफाली मन मसोसकर सो गई !अगली सुबह उसे उठने में बहुत देर हो गई!

घड़ी में समय देखकर वह हड़बड़ा कर कमरे से बाहर आई तो देखा.. सामने उसका पूरा परिवार खड़ा है! यहां तक की उसके मम्मी पापा और उसकी बहने भी! उसे देखते ही सभी जोर-जोर से जन्मदिन की मुबारकबाद देने लगे, और एक स्वर में गाने लगे..” हैप्पी बर्थडे टू यू,.. हैप्पी बर्थडे टू यू..!

तभी दादी जी ने कहा.. बहू यह बात सच है कि हमारे घर में कभी बहु का जन्मदिन नहीं मनाया, सिर्फ बच्चों का ही मनाते आए हैं! किंतु आज हमें एहसास हुआ की बहू भी तो हमारे बच्चों की जैसी है! जब हम बच्चों का जन्मदिन धूमधाम से मना सकते हैं, तो बहू का क्यों नहीं? आज शाम को धूमधाम से हमारी बहू का भी जन्मदिन मनेगा! यह सुनकर शेफाली की आंखों में फिर से आंसू बहने लगे! किंतु इस बार यह दुख के नहीं.. खुशी के “आंसू” थे!

#आंसू  

हेमलता गुप्ता 

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