घर -आंगन – संगीता श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :  मन ही मन बहुत चाहता था निखिल उसे लेकिन मन की बातें मन में ही दबा रखा था। साहस नहीं जुटा पाता था कि उससे कह सके,”मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।”डरता था कि यदि कहूं और मिनी फट पड़ी तो……..? ना बाबा ना, मैं नहीं कहूंगा। मिनी बस उसे एक अच्छा दोस्त समझती थी।

उसे थोड़ी सी भी भनक नहीं थी कि निखिल उसे टूटकर  प्यार करता है। निखिल और मिनी एक ही मोहल्ले के थे और एक ही स्कूल में पढ़ते भी थे। दोनों 12वीं कर आगे की पढ़ाई कॉलेज में एक ही साथ किए थे। मिनी को अपनी पढ़ाई को ग्रेजुएशन के बाद विराम देनी पड़ी क्योंकि उसके पापा आगे की पढ़ाई कराने में असमर्थ थे।

मिनी के पापा एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक थे। तनख्वाह बहुत ही कम थी। जैसे -तैसे जुगाड़ कर मिनी की पढ़ाई करा पाए थे इसलिए मिनी आगे की पढ़ाई के लिए जिद नहीं की। मिनी में अपने मां-बाप का संस्कार कूट-कूट कर भरा था। निखिल के पापा एक बहुत बड़े बिजनेसमैन थे निखिल उनका इकलौता बेटा था ।वह बहुत ही सहज और हंसमुख था। निखिल के पापा चाहते थे कि वह उनके कारोबार में हाथ बंटाये लेकिन वह बिजनेस नहीं,नौकरी करना चाहता था।

एक दिन मिनी के पापा उसकी मां से कह रहे थे,”सुनो ना, शर्मा जी ने मिनी की शादी के लिए एक लड़का बताया है। बता रहे थे कि वह इकलौता है और घर चलाने लायक कमा लेता है ।उसकी मां है ,पापा नहींरहे। क्यों न मिनी से इस रिश्ते के लिए पूछ ली जाए!”
“हां ठीक कह रहे हैं आप! हमें मिनी से बात कर लेनी चाहिए।

उसकी मर्जी भी तो जान लें!”मिनी की मां ने कहा। मिनी ने शादी के लिए हामी भर दी। मिनी की शादी धूमधाम से कर दी गई। मिनी अपने ससुराल में बहुत खुश थी। उसकी ससुराल का घर -आंगन प्यार की रंगों से सराबोर था।
निखिल ग्रेजुएशन के बाद प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए दूसरे शहर चला गया था। उसे मिनी की शादी के बारे में कुछ भी पता नहीं था। जब वह अपने घर आया तो उसके एक दोस्त ने बताया  कि मिनी की शादी हो गई है।वह चौंक गया था।  “उसकी शादी हो गई?

मुझे पता भी नहीं चला?अब मैं क्या करूं?”वह अपने आप को कोसने  लगा कि” क्यों नहीं वह मिनी से अपने प्यार को जताया! यदि जताया होता तो मेरी होती ना! अब तो वह किसी और की होकर रह गई।”वह पश्चाताप की अग्नि में जलता रहा। अपने आप को माफ नहीं कर पा रहा था। उदास रहने लगा था।

बेवजह किसी भी बात पर झल्ला जाता था।
एक दिन मां ने उससे पूछा,”बेटा, बता क्या बात है? क्यों इतने उखड़े -उखड़े रहते हो और ना ही पढ़ाई करने शहर जा रहे हो?”मां का इतना कहना था कि बच्चों की तरह फफक- फफक कर वह रोने लगा। मां घबरा गई।”क्या हुआ? रो क्यों रहा तू? बोल बेटा!” वह कुछ बताने के बजाय, मां की गोद में सिर छुपा कर रोने लगा।

मां उसे सहलाने लगी। जब धीरे-धीरे वह शांत हुआ तब मां ने  उससे प्यार से पूछा,”अच्छा बेटा, अब तो बता ,तू रो क्यों रहा? तुम मुझसे नहीं बताएगा तो किससे बताएगा!”
कुछ देर तक खामोशी बने रहने के बाद निखिल ने कहा,”मां तुम्हें मिनी याद है ना, मैं उसे बहुत चाहता था और चाहता हूं। मैं नहीं जानता कि वह मुझसे प्यार करती थी या नहीं। मैंने उससे अपने मन की बात कभी नहीं बताई। यहां आने पर जब मुझे पता चला कि मिनी की शादी हो गई तो मुझे इस सदमा -सा हो गया है। इससे उबर नहीं पा रहा हूं मां! तुम्ही बताओ मैं क्या करूं ?”कह वह सिसकने लगा।
“इन सब बातों को अपने दिमाग से निकाल दो बेटा। कहते हैं न, जोड़ा भगवान बना कर भेजते हैं। तुम्हारी और मिनी की जोड़ी भगवान ने नहीं रची थी तो कैसे हो जाती? अपने आप को संभालो बेटा! वह तुम्हारे लिए नहीं बनी थी बेटा।यदि सही में उससे प्यार करते हो तो भगवान से प्रार्थना करो कि वह हमेशा खुश रहे।

“मां उसे हमेशा समझाती रहती थी। धीरे-धीरे वह अपने आप को समझा लिया लेकिन शादी के नाम से चिढ़ जाता था। उसकी पढ़ाई से मन भी हट गया था। अब वह अपने पापा के साथ ही बिजनेस में हाथ बताने लगा।
                            ‌‌ मिनी की शादी को देखते-देखते 3 साल गुजर गए। उसे एक बेटी हुई जो अब 1 साल की हो गई थी। मिनी जब मायके आई थी तो एक दिन इत्तेफाक से निखिल मिल गया। निखिल कुछ पूछता इसके पहले मिनी पूछ बैठी,”तुम कब शादी की जंजीर में बंधोगे? देखो, अपनी शादी में मुझे जरूर बुलाना वरना मैं तुमसे कभी बात नहीं करूंगी।” जवाब में उसने हल्की मुस्कान बिखेर दी।
सब कुछ बढ़िया चल रहा था मिनी की जिंदगी में लेकिन समय के झंझावात को किसने देखा है। कब किस पर विपत्ति आ जाए कोई नहीं जानता। वही हुआ मिनी के साथ। उस दिन वह अपने पति और बेटी के साथ बाइक से कहीं जा रही थी। एक बड़ी गाड़ी ने टक्कर मार दी। मिनी और बेटी तो बच गई लेकिन उसका पति काल के गाल में समा गया।

मिनी की हंसती- खेलती दुनिया ही उजड़ गई। कुछ महीने बाद बेटे के गम में सास भी स्वर्ग सिधार गईं। जहां कल तक मिनी का घर -आंगन फूलों सा सुंदर था वही अब कांटों की तरह चुभ रहा था। चुभन का दर्द असहनीय था मिनी के लिए। उसका आशियाना जो  गया था। मिनी के ससुराल में मां -बेटी के अलावा कोई और था ही नहीं। मिनी के मां -पापा उसे अपने घर ले आए। बेटी की किलकारियों के बीच से होकर समय अपनी रफ्तार से चल रहा था।
निखिल को जब‌‌‍ इस घटना के बारे में पता चला  तो वह मां के साथ उससे मिलने उसके घर पहुंचा। ढांढस बंधाने  के लिए उसके पास शब्द ही नहीं थे। वह नि:शब्द था। मिनी की झुकी आंखों में पानी डबडबाए हुए थे। बेटी उसकी गोद में बैठी उसे टुकुर-टुकुर देख रही थी।

उस बेचारी को क्या समझ! निखिल की मां ने जैसे ही उसकी ओर बांहें फैलाई, उछलकर उनकी गोद में चली आई। उन्होंने उसे गोद में चिपका लिया। मिनी कुछ नहीं बोली ।उसके  आंसू ही अनकहे शब्दों को वयान कर रहे थे। मिनी की मां ने ही सब कुछ बताया। निखिल की मां जब घर आईं तो रात भर मिनी और बेटी के बारे में ही सोचती रहीं।

निखिल की स्थिति तो और बदतर थी।”ओह! तूने यह क्या कर दिया भगवान! कैसे कटेगी पूरी जिंदगी!”तभी अचानक से उनके दिमाग में एक बात कौंधी।” क्या ऐसा नहीं हो सकता कि मैं उसे अपनी बहू बना लूं! मिनी की जिंदगी फिर से खिल उठे और निखिल के जीवन की बगिया महक उठे! क्या मैं मिनी से बात करूं? नहीं -नहीं।

अभी जल्दी बाजी अच्छी नहीं। पहले मैं उसे समझ लूं फिर धीरे-धीरे मनाऊंगी। निखिल को उसका प्यार मिल जाएगा और मिनी को जीने का आधार!”
निखिल की मां अक्सर मिनी से मिलने चली जाया करती थीं। बातचीत के क्रम में ही उन्होंने  मिनी के प्रति निखिल के प्यार को बताया और शादी का प्रस्ताव रखा।
निखिल की मां की बात सुन मिनी रोने लगी।”नहीं आंटी, मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए।लोग क्या कहेंगे!” “लोगों की चिंता क्यों कर रही है तू? स्वयं की चिंता करो, अपनी बेटी की चिंता करो। कल यदि तुम्हारे मां -बाप नहीं रहे, तू कैसे अकेले कर पाओगी सब कुछ! बोलो मिनी ,बोलो! महत्वपूर्ण ये नहीं कि लोग क्या कहेंगे, महत्वपूर्ण यह है कि तुम्हारी बेटी का जीवन कैसे अच्छा हो।तुम अच्छे से सोच ले बेटा।”कहकर निखिल की मां चली गईं।

मिनी की मां ने उसे समझाया कि”मिनी,  भगवान भी तुम्हें इस परिस्थिति से उबारना चाह रहा है, तभी तो निखिल जैसा लड़का तुम्हारी जिंदगी को संवारने के लिए अभी तक बैठा है। तू हां कह दे बेटा!”  मिनी तो पहले खूब रोई कुछ जवाब नहीं दिया। अंततः उसने हामी भर दी।
निखिल की मां उसे अपने घर बहू बना ले आई। निखिल को अपना प्यार मिल गया, वहीं दूसरी ओर मिनी के जीवन में खुशियों के गुलाब के फूल पुनः खिल उठे। बेटी की खिलखिलाहट से निखिल और मीनू का घर-आंगन फूलों सा खिलने और महकने लगा ……..।

संगीता श्रीवास्तव
लखनऊ
स्वरचित, अप्रकाशित।

#घर-आंगन

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