गंवार सास- अर्चना खंडेलवाल : Moral stories in hindi

“अरे!! सुजाता इस तरह से मुंह फुलाकर क्यों बैठी है? पार्क में आई है तो मजे कर, हम तो पार्क में आकर सारा तनाव भुल जाते है और तेरे माथे पर कितनी शिकन है, कुछ हो गया क्या?”

 रेखा जी ने अपनी सहेली से पूछा।

“हां, बहुत कुछ हुआ है, पर कैसे कहूं? जब से निशि घर में बहू बनकर आई है, तब से मुझे लगता है, वो हर बात में बस मेरा अपमान ही करती है, मै कम पढ़ी-लिखी साधारण सी घरेलू महिला हूं और निशि सोफ्टवेयर इंजीनियर हैं, उसका रहन-सहन भी अलग है, वो अपने आगे मुझे तो कुछ नहीं समझती है।”

“कितने चाव से मैंने अनुज की शादी की थी, सारी उम्र उसे पालने और शिक्षित करने में बीता दी, कभी अपने लिए सोचा ही नहीं, और आज उसी की पत्नी मुझे अपमानित करती है, तो बहुत दुख होता है, कल निशि का जन्मदिन था, हम सब होटल में गये थे, उसकी सहेलियों ने पूछा कि ये कौन है? तो बहू ने बताया कि ये तो हमारे घर की देखभाल करती है, ये सुनकर बड़ा दुख हुआ, अनुज तो अपने बिजनस टूर पर विदेश गया हुआ है, अब उसे फोन पर क्या  बताऊं? पर मुझसे ये अपमान बर्दाश्त नहीं हो रहा है।” 

“मै बहू से अपने अपमान का बदला लेकर ही रहूंगी।” वो तेज स्वर में बोली, पर मै क्या कर सकती हूं? ये सोचकर उनका स्वर फिर से धीमा हो गया।

“सुजाता, तू भी बहुत कुछ कर सकती है, ये आजकल की लड़कियां पढ़-लिखकर अपने आपको जाने क्या समझती है? बड़ो का जरा भी सम्मान नहीं करती है, 

संस्कार तो इनमें जरा भी नहीं होते हैं, और कमाई का घमंड भी इनमें बहुत होता है।” रेखा जी ने फिर से कहा।

“सुजाता, तू तो इतनी अच्छी कूकिंग करती है, तू अपना चैनल क्यों नहीं खोल लेती और उसमें वीडियो अपलोड किया कर, देखना तेरे कितने फॉलोअर बन जायेंगे और तेरी अच्छी-खासी कमाई भी हो जायेगी।”

“रेखा, मुझे तो ये सब कुछ आता नहीं है, तू सिखायेगी क्या? 

“हां, मै सीखा दूंगी, मेरी छोटी बेटी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है, और कुछ कमी रही तो वो और भी सीखा देगी, तू बस आज रात को मेरे घर आ जाना, मेरी बेटी सब कर देंगी।”

सुजाता जी अपने घर चली गई, शाम को निशि भी ऑफिस से आ गई थी, वो अपनी सास से कभी सीधे मुंह बात नहीं करती थी, घर में आते ही अपने कमरे में चली जाती थी, और खाना भी वही खाती थी, सुजाता जी को खाना बनाना बड़ा अच्छा लगता था, इसलिए दोनों समय खाना वो ही बनाती थी, उन्होंने खाना बनाकर टेबल पर रख दिया और निशि के कमरे के

दरवाजे की ओर गई, तभी उसे निशि की आवाज सुनाई दी।

“क्या मम्मी, क्या बताऊं? कैसी गंवार सास मिली है मुझे, पढ़ी-लिखी भी नहीं है और रहने का ढंग भी नहीं है, बालों में हमेशा तेल भरा रहता है और कुछ भी पहन लेती है, कपड़े पहनने का सलीका ही नहीं है, मैंने तो सब सहेलियों को कह रखा है कि ये तो हमारे घर की देखभाल करती है, खाना बनाती है,  मुझे तो इन्हें सास कहने में शर्म आती है।”

सुजाता जी को बहुत दुख हुआ, उनकी बहू उनके बारे में कैसे विचार रखती है, उन्होंने अपने आप को समझाया और रेखा जी के घर चली गई।

“आंटी जी, आप तो बहुत अच्छा खाना बनाती हो, मम्मी के मुंह से आपकी बड़ी ही तारीफें सुनी है, आप अपना मोबाइल दीजिए, और रेखा जी की बेटी ने उनका यूट्यूब पर एक चैनल बना दिया, और कैसे वीडियो बनाकर अपलोड करना है, ये भी सीखा दिया, शुरू-शुरू में सुजाता जी को थोड़ी परेशानी हुई, पर धीरे-धीरे वो ये सब सीख गई।

निशि के ऑफिस जाने के बाद और ऑफिस से आने के पहले वो कूकिंग करके वीडियो बना लेती थी। 

वो सारे वीडियो एडिट करके रेखा जी की बेटी यूट्यूब पर अपलोड कर लेती थी।

अब सुजाता जी भी व्यस्त रहने लगी थी, अपने रोजमर्रा के खाने की रेसिपी वो रिकॉर्ड करके डाल देती थी, उनके खाना बनाने के तरीके और खाने को बहुत तारीफें मिल रही थी, और उनके फॉलोवर्स की संख्या बढ़ती जा रही थी, त्योहार पर वो नये-नये पकवान की भी रेसिपी डाल देती थी। अब सोसायटी में उनके नाम के चर्चे होने लगे थे, अब वो तरीके से भी रहने लगी थी। उनमें आया बदलाव देखकर निशि भी हैरान थी।

एक दिन सुबह-सुबह निशि की मम्मी का फोन आया,” तेरी सास तो छुपी रूस्तम निकली, आजकल उनके वीडियो बड़े हिट हो रहे हैं, बड़ा नाम हो रहा है, और अब तो उनकी कमाई भी शुरू हो गई होगी?

निशि को खबर तो लग गई थी कि उसकी सास खाने का वीडियो बनाने लगी थी, पर उसे लगा, यूट्यूब पर वीडियो तो सभी अपलोड करते हैं, इसमें कौनसी बड़ी बात है, पर उसकी सास के खाने की इतनी तारीफें होगी, इसका उसे अंदाजा नहीं था।

अनुज का भी विदेश से फोन आया था कि वो अगले महीने आ रहा है और सबको बड़ी सी पार्टी देगा, आखिर उसकी मम्मी ने उसका नाम रोशन किया है।

अब निशि के व्यवहार में भी सुधार आने लगा था, उसकी ऑफिस की सहेलियां उससे यही कहती थी कि तेरे यहां खाना बनाने वाली तो कमाल की है, बड़ा ही अच्छा खाना बनाती है, हम खुद उन्हें फॉलो करते हैं, ये सुनकर निशि को ग्लानि महसूस होती थी, कि उसने अपनी सास का कितना अपमान किया था, काश! वो सबको बता पाती कि वो उसकी सास हैं।

एक महीने बाद अनुज विदेश से आ गया, उसने अपनी मम्मी से वादा किया था कि वो आते ही बड़ी सी पार्टी देगा, आखिर मम्मी की सफलता का जश्न मनाना चाहिए। अनुज ने निशि को भी कहा कि वो कुछ रिश्तेदारों और अपने दोस्तों को बुला रहा है, तो निशि भी अपने ऑफिस के दोस्तों को बुला लें।

ये सुनते ही निशि की आंखों में आंसू आ गये, उसने सुजाता जी से माफी मांगी, “मम्मी जी, मुझे माफ कर दीजिए, मैंने आपका बड़ा ही अपमान किया है, और आपको हमेशा गंवार समझा, पर मुझे अब समझ आ गया है कि इंसान अपने रहने के तरीके से नहीं, बल्कि अपने गुणों से बड़ा बनता है, मैंने आपका कभी सम्मान नहीं किया, फिर भी आपने एक मां की तरह हमेशा मेरे खाने-पीने का ध्यान रखा, कभी मुझसे कुछ नहीं कहा।”

“बहू, तुम्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, यही बहुत है।” ये कहकर सुजाता जी ने अपनी बहू को गले से लगा लिया।

अर्चना खंडेलवाल

मौलिक अप्रकाशित रचना 

बेटियां छठवां जन्मोत्सव कहानी -6

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