फर्ज –  हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : नीरज.. आज तुम फिर से यह गुलाब जामुन उठा ले आए! तुम्हें कितनी बार मना किया है .. चासनी वाली कोई भी चीज घर में मत लाया करो!  कितना ही तुम्हारा ध्यान रख लूं , फिर भी तुम ऐसी बचकाना हरकतें कर ही देते हो! अब एक काम करो इनको फ्रिज में मत रखना! अरे.. इनको फ्रिज में नहीं रखूंगा, तो बाहर तो इनमें चीटियां हो जाएगी, तुम  फिर मेरी जान खाओगी!

मुझे समझ में नहीं आता ,मैं करूं तो क्या करूं! यार.. अपनी मनपसंद चीज  भी नहीं खा सकता क्या? कभी तुम चॉकलेट की  मना कर देती हो, कभी आइसक्रीम लाने की, और कभी यह चाशनी वाली मिठाइयां लाने की! तुमने तो घर में भी अच्छी मिठाइयां या खीर बनाना बंद कर दिया ! हम इस उम्र में ही अच्छी-अच्छी चीजों को खाने के लिए मोहताज हो जाए? बेचारे हमारे छोटे-छोटे बच्चे ,वह भी क्या सोचते होंगे..

कैसी हिटलर मम्मी से पाला पड़ गया! यार.. तुम कुछ भी कहो.. मुझे तो खाने के बाद में अच्छा सा मीठा चाहिए ही चाहिए! ठीक है. खा लो.. मेरी तरफ से तो ..और जब मम्मी जी मांगे ना, तो उन्हें भी दे देना, और जब उनका शुगर बढ़ जाए, तो फिर उनसे या मुझ से कुछ मत कहना? अरे बाबा.. तुमसे कितनी बार कहा है, तुम्हें अगर ऐसी चीजों को खाने की इच्छा होती है तो बच्चों को ले जाकर बाहर खा लो, पर नहीं..

तुम्हें घर में लाकर ही खानी है! क्या इन सभी चीजों को देखकर मम्मी जी का मन इन्हें खाने को नहीं करता होगा?सौम्या… कभी-कभी मैं सोचता हूं तुम मेरी मां की बहु हो या बेटी हो! मां  ने तुम्हें इतने सालों से इतने कष्ट दिए हैं, इतना सताया है, इतने तानों से तुम्हें सुशोभित किया है ,फिर भी तुम मां के लिए इतना सब सोचती हो, करती हो! यहां तक की उनके कारण तुमने खुद भी मीठा खाना छोड़ रखा है!

क्योंकि नीरज वह तुम्हारी ही नहीं मेरी भी मां है! थोड़ी देर बाद सौम्या की सासू मां हाल में आ गई और बोली अरे नीरज बेटा आज कुछ लाया नहीं है क्या ,नहीं मां.. आज कुछ भी नहीं ला पाया! हां हां मुझे सब पता है तू लाया होगा और चुपचाप से अपनी बीवी बच्चों को कमरे में खिला देगा! क्या मेरा मन नहीं करता है मीठी चीजों को खाने का? तेरी पत्नी ने तो वैसे भी मेरा जीना हराम कर रखा है?

हर चीज सोच समझ कर देती है, खाने में भी पाबंदियां लगा रखी है? ऐसा लगता है जैसे जेल में रह रही हूं! पता नहीं कैसी बहू दी है भगवान ने जो हर समय खाने पर नजर  रखती है! अरे मेरा भी मन करता है, मसालेदार चीज, कोई अच्छी सी मिठाइयां खाने का ,पर वह महारानी तो खुद ही सब खाना पीना जानती है, आजकल तो घर में भी कुछ नहीं बनती, कितनी आलसी हो गई है,!

मेरा बुढ़ापा तो ऐसे रोते-रोते ही कट जाएगा !खैर भगवान तू अब मुझे अपने पास ही बुला ले, ऐसी जिंदगी में रहने का भी क्या फायदा! इतना सुनकर नीरज अपनी मां से कहने लगा… मां सौम्या को सिर्फ तुम्हारी तबीयत की फिक्र रहती है, आपको याद है ना जब आपकी तबीयत सही थी तो  कितनी तरह की चीज बना बनाकर आपको खिलाती थी! हालांकि आपने कभी भी उसका मनोबल नहीं बनाया नहीं उसे कभी प्यार किया !

आज वह आपकी डायबिटीज और हार्ट की प्रॉब्लम की वजह से आपके खाने पर कंट्रोल करती है, और आपकी वजह से वह स्वयं भी इन चीजों को नहीं खाती पीती है! आप सौम्या में हमेशा ही कमियां निकलती रहती हो! सौम्या ने हमेशा अपने परिवार की परवाह की है!

मां आपने कभी सौम्या की कदर नहीं करी किंतु सौम्या आपको अपनी मां से भी बढ़कर मानती है! इतना सुनकर पास खड़ी सौम्या ने कहा ..चाहे मां ने मेरी कदर कि या नहीं की, किंतु मेरा फर्ज है कि मैं इनकी देखभाल करूं!  जैसे  मेरी मां है ,वैसे यह भी मेरी मां है! यह मेरी जिम्मेदारी है, और मैं कभी अपने फर्ज से पीछे नहीं हटसकती!  

   हेमलता गुप्ता (स्वरचित)

#सासू जी तूने मेरी कदर न जानी

 (betiyan fb M)

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!