एक ससुराल ऐसा भी – सुभद्रा प्रसाद: hindi Stories

hindi Stories : रमा बहुत परेशान थी | आज राखी का त्यौहार है  |हर साल राखी में उसकी ननद अपने भाई को राखी बांधने आती थी| 

ननद उसके शहर में ही रहती थी और कभी-कभी आते रहती थी, पर राखी के दिन तो जरूर आती थी |रमा को उसके आने से कुछ परेशानी न थी |वह भी अच्छे मन से उसका स्वागत करती थी |पिछले साल तक तो सब ठीक ही था, पर इस साल वह क्या करेगी? 

पिछले साल की बात याद आते ही रमा का मन अतीत में भटकने लगा |

           उसका परिवार एक सामान्य परिवार था |पिता एक फैक्टरी में काम करते थे |एक भाई और एक बहन थी | पिताजी का वेतन ज्यादा न था, इसीलिए उसके बारहवीं पास करते ही उन्होंने उसकी शादी कर दी |ससुराल भी सामान्य ही था | पति राजेश दो भाई और एक बहन में सबसे बडे थे |ससुर की एक कपड़े की दुकान थी |ग्रेजुएशन करने के बाद  राजेश ने कुछ समय तक एक अच्छी नौकरी खोजने का बहुत प्रयास किया, पर सफल न होने पर पिताजी के साथ दुकान में बैठना शुरू  कर दिया |

छोटा भाई रमेश और बहन रागिनी दोनों पढाई कर रहे थे |रमेश पढाई पूरी कर  एक नौकरी पा गया |रमेश और रागिनी दोनों की शादी हो गई |रमेश शादी के बाद अपनी पत्नी को अपने साथ ले गया |घर में राजेश, रमा और माँ- पिताजी रह गये |रमा एक पुत्र और एक पुत्री की माँ बन गई |

रमेश और रागिनी आते जाते रहते, पर माँ- पिताजी की सारी जिम्मेदारी मुख्य रूप से  राजेश और रमा ही निभाते |रमेश और रागिनी आते,  बात बात में रमा के कामों में कमी निकालते, अनेक नसीहत देते राजेश को समझाते और अपनी जिम्मेवारियों को पूरा कर दिया,समझ लेते | 

रमा अपनी जिम्मेवारियों को अच्छी तरह समझती थी और उन्हें निभाने तथा राजेश का साथ देने में कोई कमी न रखती,पर रमेश और रागिनी के व्यवहार से चिढ़ जाती, पर राजेश उसे समझा- बुझाकर शांत कर देता |रमा को सबसे बुरा तब लगता, जब माँ भी उनका साथ देने लगती  | उसे लगता ससुराल में किसी को उसकी कद्र नही और कोई उसे पसंद नहीं करता |

वह उपर से तो शांत रहती पर अंदर ही अंदर वह उनलोगों से चिढी   रहती |उसे अपना ससुराल सबसे खराब लगता, जहाँ न कोई उसकी बात समझता है,  न उसका कोई महत्व है |सब उसमें कमियाँ ही निकालते रहते हैं |सब मतलबी हैं|

         रमा की शादी के पंद्रह साल हो गये | उसके ससुर पांच साल पहले गुजर गये |अब दुकान अकेले राजेश सम्हालता था |दुकान कोई बहुत बड़ी तो न थी, पर घर का खर्च अच्छी तरह चल जाता था |रमा अपनी कुशलता से सब संभाल लेती थी |जिंदगी सामान्य रूप से ठीक ही चल रहा था, तभी आठ महिने पहले दुकान से आते वक्त राजेश का एक्सीडेंट हो गया |

उसका स्कूटर एक गाड़ी से टकरा गया और वह गंभीर रूप से घायल हो गया | उसके सिर में चोट लग गई और पैर भी फ्रैक्चर हो गया |उसका जीवन बचाने में घर की सारी जमापूंजी तो खत्म हो ही गई, साथ ही  दुकान पर भी कर्ज ले लिया गया |दुकान भी बंद हो गया |माँ बुढ़ी थी और बेटा मात्र बारह वर्ष का |रमा रातदिन राजेश की देखभाल में लगी थी , दुकान कौन देखता | रमेश, रागिनी और उसके भाई ने भी थोड़ी बहुत मदद की, पर वह पर्याप्त न था | 

घर की हालत अत्यंत दयनीय हो गई |राजेश की हालत अब सुधर गई थी और वह अब दुकान पर बैठ सकता था, पर जिससे दुकान पर कर्ज लिया था, वह बिना कर्ज चुकाये दुकान खोलने नहीं दे रहा था | राजेश की हालत इतनी भी नहीं सुधरी थी कि वह और कुछ कर सके |

रमा भी प्रयास कर रही थी, पर कुछ ढंग का मिल ही नहीं रहा था |उसने एक दो घरों में खाना बनाने का काम पकडा  था, जिससे किसी तरह भोजन का प्रबंध हो जा रहा था| घर तो छोटा ही सही, पर अपना था, तो किराये की बात तो नहीं थी, पर अन्य अनेक खर्च थे|बच्चों की पढ़ाई भी छूटने ही वाली थी | रमा इन सब बातों से बहुत ही परेशान थी, उपर से यह राखी का पर्व | वह क्या करे, कैसे प्रबंध करे? क्या दे रागिनी को, यह भी एक समस्या थी? 

          “अरे भाभी, क्या सोच रही हो? ” रागिनी की आवाज से रमा का ध्यान भंग हुआ |सिर उठाकर देखा तो रागिनी और रमेश दोनों सपरिवार खड़े थे | रमा उन्हें एकसाथ देखकर आश्चर्यचकित रह गई |एक क्षण को खुश भी हुई, पर तुरंत ही परेशान हो गई |

          “भाभी, अबकी हम तीनों भाई बहन एकसाथ राखी मनायेंगे |इसीलिए हमसब आये हैं |” रमेश अपने साथ लाये सामानों को टेबल पर रखते हुए बोला |

           “मैं राखी का थाल सजाकर लाती हूँ|” कहती हुई रागिनी किचन में गई और अपने साथ लाये मिठाई, नमकीन और नाश्ते का सारा सामान प्लेट में सजाकर ले आई | 

उसने अपने साथ लाये भाई के परिवार के लिए नये कपड़े जिद करके सभी को पहनाये  |सबने नये कपड़े पहने |रागिनी ने दोनों भाइयों को तिलक लगाया, राखी बांधी और मिठाई खिलाया | रमेश और रागिनी बहुत खुश थे, पर राजेश और रमा परेशान |

राजेश अपनी जेब में हाथ डालने ही जा रहा था कि रागिनी ने उसका हाथ पकड़ लिया और  चाबियों का एक गुच्छा पकडा दिया |

        ” यह क्या है? ” राजेश ने पूछा |रमा भी उसका मुंह देखने लगी |

          “यह आपके दुकान की चाबियाँ है |भईया, आज से आपकी दुकान फिर से आपकी हो गई |आप दुकान पर बैठ सकते हैं  |” रागिनी चहकते हुए बोली |

      “क्या, कैसे? ” राजेश ने आश्चर्य से पूछा |

      “यह सब रमेश भैया ने किया है|” रागिनी रमेश की ओर देखते हुए बोली |

       “पर तरकीब तो मैंने बताई थी ना |” रागिनी का पति सुधीर बोला |

        “हां, यह सच है |हम दोनो भाई-बहन तुम्हारी मदद करना चाहते थे |रागिनी ने कहा कि राखी में मुझे नेग देने के बदले राजेश भैया की मदद कर दो |तभी सुधीर बाबू ने सुझाया कि कुछ मदद करने से अच्छा है कि हमसब मिलकर भैया के दुकान का सारा कर्ज चुका दे |जिससे भैया की दुकान उन्हें वापस मिल जाए और वे अपनी दुकान फिर से चला सकें  |” रमेश ने बताया |

        “पर राखी में तो भाई बहन को नेग देता है,लेता नहीं है |” राजेश बोला     “भैया इसबार  तो सिर्फ आशीर्वाद दे दो |अगले साल दुगना नेग दे देना |” रागिनी हंसते हुए बोली |       “हां बहू, मैं भी यही चाहती हूँ कि राजेश अपनी दुकान चलाये और तुम भी उसमें मदद करो | दूसरों के घर जाकर काम करने से अच्छा है अपनी दुकान देखना | तुम राजेश के साथ दुकान में रहो , घर मैं देख लूंगी |” माँ भी बोल पडी |

         ” दीदी हमसब आपके साथ है | “रमेश की पत्नी रमा के हाथ में रूपये देते हुए बोली -” ये मेरे छिपाये हुए कुछ पैसे है ं |इनसे आप बच्चों की स्कूल की फीस भर दिजियेगा |”

        “आपसब हमारे लिए इतना सोचे और मै आपलोगो के बारे में क्या क्या सोचती रही  |माफ कर दिजिए मुझे |” रमा ने कहा और रोते हुए माँ के पैर पकड़ लिये |

          “उठो बहू, आज रोने का नहीं, खुश होने का दिन है |बहुत दिनों के बाद हमारे घर खुशी आई है |सबका मुंह मीठा कराओ |” माँ रमा को गले लगाते हुए बोली |

           ” जी माँ, जरूर |”रमा सबको मिठाई देते हुए सोचने लगी |ससुराल ऐसा भी होता है, जहाँ सभी एक दूसरे की परवाह करते हैं |

भाग्यशाली है वह जिसे ऐसा ससुराल मिला है |

  #ससुराल

स्वलिखित और अप्रकाशित

सुभद्रा प्रसाद

पलामू, झारखंड |

1 thought on “एक ससुराल ऐसा भी – सुभद्रा प्रसाद: hindi Stories”

  1. कहानी अच्छी लगी, परिवार के प्रेम और अपनत्व के बीच ग़लतफ़हमी भी थी, जिसके कारण अपने भी पराये लगते हैं, इस बात को दर्शाते हुए कहानी का अंत बहुत ही सुखदायक है. धन्यवाद !

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