दीदी , आपकी बहू गरीब मायके की बेटी हैं और मेरी बहू अमीर मायके की बेटी हैं !! – स्वाती जैंन : hindi Stories

hindi Stories : मम्मी जी मैं अपने मायके से भर – भरके सोना लाई हूं समझी !! मुझे कुछ बोलने से पहले सोच लिजिएगा अब इस घर की मालकिन मैं हूं आप नहीं रीमा अपनी सास गीता से बोली !!

गीता बोली भगवान से ड़र बहू , रोज सुबह से शाम सुनाती रहती हैं , जरा तो मेरी इज्जत का ख्याल कर , पड़ोस तक आवाजे जाती होंगी तुम्हारी !!

पड़ोस वाली सरिता जी यह आवाजे सुन अपने कमरे से बाहर आकर अपनी बहू काव्या से बोली अरे बहू , सुबह – सुबह टी.वी क्यूं चला दिया हैं तुमने , कितनी आवाज आ रही हैं !!

काव्या बोली मम्मी जी यह आवाज टी.वी की नहीं हैं , यह आवाज तो हमारे पड़ोस के घर से आ रही हैं !! लगता हैं आज फिर गीता चाची और उनकी बहू रीमा में लड़ाई हो गई हैं !!

सरिता बोली हां बहू इन दोनों का तो यह रोज का काम हैं ……

सरिता जी अपने कमरे में वापस आकर बैठ गई उतने में काव्या चाय लेकर आई और बोली मम्मी जी यह लिजिए चाय और नाश्ते में क्या बनाना हैं यह भी बता दिजिए ??

जो तुम्हारी मर्जी बना दो बहू बोलकर सरिता सोचने लगी हे भगवान तेरा लाख – लाख शुक्रिया जो तुने मुझे इतनी अच्छी बहू दी हैं वर्ना आजकल हर घर में सास – बहू के बढ़ते झगडों को देखकर लगता हैं जैसे हर घर , घर कम और युद्ध का मैदान ज्यादा हो !! यहां मोहल्ले में सबके घर में सास – बहू की अलग ही महाभारत चल रही हैं , अच्छा हैं भगवान तूने मुझे अच्छी बहू दी वर्ना मेरा घर भी आज अखाड़ा बन गया होता !!

शाम को पड़ोस वाली गीता सरिता के घर आई , गीता को देख सरिता अपनी बहू काव्या से बोली जा बहू तु चाय – पकोड़े बना ला , गीता हमारे घर रोज – रोज कहां आती हैं ?? और गीता को अपने कमरे में लाकर सरिता बोली गीता मैं तुझसे मिलने आने ही वाली थी , अच्छा हुआ तु ही चली आई !!

तुम दोनों सास – बहू रोज – रोज झगड़ते हो , आखिर ऐसा भी क्या हो गया हैं ??

गीता बोली सरिता रहने दे तु नही समझेगी …..

सरिता बोली भला मैं क्यूं नहीं समझूंगी , मैं भी तेरी तरह एक सास हुं !!

गीता बोली हां सरिता दीदी , आप सास तो हो मगर गरीब मायके की बेटी की सास हो और मैं ठहरी अमीर मायके की बेटी की सास !! अच्छा – खासा दहेज जो लाई हैं मेरी बहू रीमा , इसलिए अब हर बात पर ताने देती रहती हैं !!

सरिता बोली इस मामले में मैं बहुत भाग्यशाली हूं , मेरी बहू काव्या तो बहुत समझदार और सुलझी हुई हैं , झगड़ा करना तो दूर कभी आवाज ऊंची करके तक बात नहीं करती काव्या !!

गीता बोली सरिता दीदी अभी आपकी बहू को आए समय ही कितना हुआ हैं , दो महिनों में आपकी बहू थोड़ी अपना असली रंग बताएगी !! अभी महिने , साल गुजरने दो फिर देखना यह बहुएं कैसे अपना असली रंग दिखाती हैं ??

मेरी वाली भले स्वभाव की तेज हैं मगर कम से कम आपकी वाली की तरह अच्छा होने का ढोंग तो नहीं करती , जो हैं मुंह पर बोलती हैं , आपकी और मेरी बहू तो एक ही शहर से हैं और मेरी बहू रीमा बता रही थी कि काव्या इतनी सीधी भी नहीं हैं जितना तुम लोग उसे समझते हो और इसके परिवार ने तुम लोगों को जान- बूझकर दहेज नहीं दिया वर्ना आज की तारीख में भला कोई बाप अपनी बेटी को ऐसे खाली हाथ विदा करता हैं क्या ?? सरिता दीदी आप सीधी जो हो इसलिए आपको हल्के में ले लिया आपकी बहु के मायके वालो ने वर्ना अपनी बेटी को एसे खाली हाथ विदा करने की हिम्मत नहीं करते !! मैं तो कहती हूं आप आपकी बहू को इतना सर पर मत चढ़ाओ , हो सके तो उससे ढंग से बात भी मत करो , फिर देखना कैसे उसकी और उसके मां – बाप की अक्ल ठिकाने आएगी !!

उतने में काव्या चाय – पकोड़े लेकर आ जाती हैं …..

गीता काव्या को देख अपनी बात बदल कर बोली अरे काव्या !! इतना सब करने की क्या जरूरत थी , आ बैठ हमारे साथ !!

काव्या बोली गीता चाची आप लोग लिजिए , मैं रसोई के सारे काम निपटाकर अभी थोड़ी देर में आती हुं !!

काव्या के जाते ही गीता बोली देखा सरिता दीदी , तुम्हारी बहू तो मीठी चूरी हैं तुमको मीठा बन – बनके काटेगी , अरे मैं तो कहती हूं इसे गरीब मायके के ताना दिया करो दीदी फिर देखना कैसे इसके मायके से पैसे भी आने लगेंगें और आपकी बहू भी आपकी मुट्ठी में रहेगी कहकर गीता पकोड़ों और चाय का आनंद लेने लगी !!

गीता के जाने के बाद सरिता जी का हाल बेहाल हो गया , उहोने सोच लिया था कि अब वह अपनी बहू से ढंग से बात नहीं करेगी !! आखिर वह भी एक सास हैं , भला बहू के सामने क्यों झुकेगी ??

मेरे सीधे पन का फायदा उठा गए इसके मायके वाले तभी तो दहेज में एक फूटी कौड़ी नहीं दी मुझे इन लोगो ने !!

गीता तो अपना काम करके जा चुकी थी , शक का बीज सरिता जी के मन में उग चुका था !!

सरिता जी को रात भर नींद नहीं आई और उन्हें अपनी बहू काव्या की मीठी जबान पर शक होने लगा !!

उन्हे लगने लगा कि काव्या सिर्फ अच्छे होने का ढ़ोंग करती हैं और जान – बूझकर मीठा बोलती हैं ताकि मेरे घर मेरी जायदाद पर कब्जा करने में उसे आसानी हो पाए और मैं तो इतनी बड़ी मूर्ख निकली कि मैंने इसके दिखावे को सच मानकर इसे बेटी जैसा प्यार दिया मगर बस अब ओर नहीं , आखिर मैं एक सास हुं , इसे और इसके मायके वालो को सबक सिखाकर ही दम लुंगी !!

दूसरे दिन सरिता मंदिर से आई तो काव्या बोली मम्मी जी मैं कब से आपको ढूंढ रही हूं ?? आप मंदिर गई थी और आज बताकर भी नहीं गई !!

सरिता बोली मैं क्या तुम्हारी गुलाम हुं , जो तुम्हें हर बात बताकर जाऊंगी !!

काव्या बोली मम्मी जी मैं आपका चाय के लिए इंतजार कर रही थी बस इसलिए पूछ बैठी और आपने अब तक दवाई भी नही ली बोलकर काव्या अपने और सरिता के लिए चाय – बिस्किट ले आई !!

सरिता बोली हां मेरा काम मैं कर लूंगी , तुझे ज्यादा चाशनी भरे लब्जों में बात करने की जरूरत नहीं और यह काजू – बादाम वाले बिस्किट ले तो आई हो मगर तुम्हारे मायके में तो तुमने कभी ऐसे बिस्किट खाए भी ना होंगे , यहां आकर तो तुम्हारे मजे हो गए हैं !!

काव्या धीरे से बोली मम्मी जी आपको चाय के साथ यह बिस्किट पसंद हैं इसलिए ले आई , आइंदा से ध्यान रखूंगी !!

थोड़ी देर बाद काव्या ने सभी के लिए खाना लगा दिया , जैसे ही काव्या सभी के साथ खाना खाने बैठी , सरिता बोली काव्या अगर तुम हम सभी के साथ खाना खाने बैठ जाओगी तो सभी को खाना कौन परोसेगा ??

काव्या के ससुर मुकेश जी बोले रोज तो काव्या हमारे साथ बैठकर ही खाती थी फिर आज क्या हो गया ??

काव्या का पति रोहन बोला हां मम्मी आप ऐसे क्यूं बोल रही हैं ??

सरिता बोली तब काव्या नई – नई शादी करके आई थी इसलिए मगर अब इसे यहां के रिति – रिवाज सीखने होगें , पति मुकेश जी की ओर देखकर सरिता बोली आपको क्या याद नहीं आपकी मां भी मुझे सबसे अंत में खाना खाने कहा करती थी !! सभी बहुओं के लिए हमारे घर में यही परंपरा चली आ रही हैं , भला मैं इस परंपरा को कैसे तोड़ सकती हूं ??

सभी खाना खाकर चले जाते हैं और बेचारी काव्या अंत में अकेले खाना खाने बैठती हैं , आज उसके गले से निवाला जाने तैयार ना था और उसे रोना आ गया !!

काव्या ने आज तक अकेले बैठकर खाना नहीं खाया था और सासू मां का रुखा स्वभाव कहीं ना कहीं उसके दिल को ठेस पहुंचा रहा था !!

बारिश का मौसम शुरू हो गया था , काव्या बोली मम्मी जी मैं सोच रही थी कमरे में हीटर लगवा दूं , ठंड भी बहुत लगती हैं और कपड़े भी नहीं सूखते हैं , हीटर लग जाने से कपड़े भी जल्दी सूखने लगेंगे !!

सरिता बोली हीटर और उसको लगवाने के पैसे क्या तुम्हारे मायके वाले देंगे ??

अपने मायके में तो दो कमरों के घर में बड़ी हुई हो मगर यहां आकर तो तुम्हारे ठांट ही अलग हो गए हैं !!

यहां आकर तो रजवाड़ो वाली जिंदगी जीने मिल रही हैं तुम्हें …..

काव्या फिर से आंसूओं के दो घूंट पीकर रह गई और उसने सासू मां की किसी बात का जवाब नही दिया !!

दिन , महिने बीतने लगे मगर सरिता जी के तानों की बौछार बढ़ती गई !!

पड़ोसन के भड़कावे में आकर सरिता जी आए दिन घर में क्लेश करती !!

एक दिन अचानक सरिता जी को चक्कर आए और वह नीचे गिर पड़ी !!

काव्या घर में अकेली थी वह तुरंत कार चलाकर सरिता जी को लेकर हॉस्पिटल पहुंची !!

डॉक्टर ने चेक – अप के बाद बताया कि सरिता जी इतने दिनों से जो दवाईयां ले रही थी वह फायदा कि बजाय नुकसान कर गई हैं जिनकी वजह से उनकी किड़नी खराब हो गई हैं और इसलिए उनकी किडनी बदलनी पड़ेगी मगर डोनर मिलने में समय लग सकता हैं !!

काव्या बोली डाक्टर साहब आप मेरी किड़नी ले लिजिए मगर मेरी मम्मी जी को बचा लिजिए !!

रोहन और मुकेश जी हॉस्पिटल पहुंचे तो देखा काव्या अपनी किड़नी ट्रांस्प्लेंट करवाने तैयार हो चुकी थी !!

सरिता जी को होश आया तो उन्हें बेटे रोहन ने सब बताते हुए कहा जानती हो मम्मी , जिस काव्या के मायके वालों को तुम इतने तानें देती थी आज उन लोगों ने ही मेरी मदद की !! मैंने सारे पैसे व्याज पर घूमाने दे रखे हैं , मेरे पास केश रूपए नही थे तब उन्होने अपनी जमा पूंजी मेरे हाथों में रखते हुए कहा दामाद जी आपकी मां की जान बचाने के लिए आप यह पैसे रखिए और जब सविता जी को पता चला कि उनकी बहू ने अपनी किड़नी देकर उनकी जान बचाई हैं !! वे फूट-फूटकर रो पड़ी और बोली बहू मुझे माफ कर दो , मैंने तुम्हारे साथ जो भी व्यवहार किया वह भड़कावे में आकर किया !!

काव्या को जब पता चला कि पड़ोस की गीता चाची ने सरिता जी को भड़काया था वह बोली मम्मी जी जिन लोगों के खुद के घर में सुख – शांति का माहौल नहीं रहता वे लोग दूसरों के घर में भी उलझने डालते हैं ताकि दूसरों के घर की भी सुख -शांति भंग हो , हमें एसे लोगों से सावधान रहना चाहिए !!

सरिता जी ने अपनी बहू को गले लगा लिया और बोली बहू अब मैं किसी की बातों में नहीं आऊंगी , ना जाने मैंने भड़का वे में आकर अपने घर में ही कितने कलेश कर लिए !!

दोस्तों , अक्सर लोगों को दूसरों के घर की सुख शांति भंग करने में आनंद आता है इसीलिए हो सके तो दूसरों के भड़कावे में कभी ना आए क्योंकि आजकल लोग किसी का सुख बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं !!

दूसरे लोग कभी – कभी हमारे मन में ऐसा शक का बीज बो जाते हैं जिसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ता हैं , इसलिए हो सके तो कभी दूसरों की बातों में ना आए !!

आपकी क्या राय है नीचे कमेंट में जरूर बताइएगा मेरी कहानी पसंद आई तो लाइक कमेंट करिएगा और मुझे फॉलो अवश्य करिएगा !!

आपकी सखी

स्वाती जैंन

(व)

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!