एक प्यार ऐसा भी …(भाग – 9) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

आप सबने अभी तक पढ़ा कि निम्मी की रानी मौसी और मौसा जी ने निम्मी को चरित्रहीन साबित कर दिया है उसके अम्मा बापू की नजरों में…. निम्मी खुद को सही साबित ही नहीं कर पा रही….. निम्मी के अम्मा बापू भी मौसी की बात पर विश्वास कर लेते है … अम्मा बोलती है अब इसकी पढ़ाई लिखाई बंद… इसके लिए कोई लड़का देख दे री रानी….. रानी मौसी एक लड़के के बारे में बताती है …. जी निम्मी से 9-10 साल बड़ा है …निम्मी की  शादी एक महीने बाद होना तय हुआ है …. इस बात की खबर निम्मी की ताई की बेटी के माध्यम से राजू को स्कूल में मिलती है …राजू निम्मी की शादी का सुन बेचैंन हो गया है … उसके स्कूल के सर बोलते है … चल राजू शहर ….

अब आगे…..

पर मास्साब. … शहर जाकर क्या करेंगे हम…..?? हमें तो निम्मी की मौसी का घर  भी नहीं पता….

राजू सर जी से बोलता है ….

ये तो तूने सही कहा …. तो ऐसा कर रिनी तू क्या निम्मी की रानी मौसी का नंबर ला सकती है ….??

सर जी निम्मी की ताई की लड़की से पूछते है …

सर जी वो तो मुश्किल है … मुझे डर भी बहुत लगता है चाचा चाची से…. आजकल वो गुस्सा भी बहुत रहते है निम्मी जीजी की वजह से… पर हां एक आईडिया है सर जी….

रिनी उत्साहित होते हुए बोली…

हां बोल रिनी क्या कह रही…

राजू रिनी के चेहरे पर आयें ख़ुशी के भाव देखकर बोला…

राजू भईया ,, सर जी……कल चाचा चाची , निम्मी जीजी का भाई बाकी एक दो लोग और,,,रानी मौसी के यहां शहर जा रहे है ट्रैक्टर से….. अब निम्मी जीजी के ब्याह के दिन ही कितने बचे है ….आप भी चुपचाप पीछा कर लेना सर जी ट्रैक्टर  का…… रानी मौसी के घर पहुँच ज़ायेंगे….

निम्मी का ब्याह मैं कभी नहीं होने दूँगा …. निम्मी खूब पढ़ना चाहती है ….. मैं और निम्मी साथ में पढ़ेगे …पता नहीं निम्मी कैसी होगी….मुझे पता है बहुत रोती होगी वो….हैं ना सर जी….

राजू थोड़ा भावुक होते हुए बोला…

अभी निम्मी 21 साल की नहीं हुई… उसकी शादी एक कानूनन अपराध है  राजू …..मैं आज ही जाके पुलिस को सूचना देता हूँ… वो  भी वहां पहुँच जायेगी और उन्हे जेल ले जायेगी……बस एक शादी का कार्ड भी चाहिए होगा निम्मी के ब्याह का……..

सर जी बोले….

वो तो सर जी हमारे घर धरा है …. मै दे दूँगी आपको….

रिनी बोली….

ये ठीक रहेगा…..

राजू भी सर जी की बात से हामी भरता है …

राजू हम दोनों बाइक से चलेंगे…. हेलमेट लगा लेंगे तो निम्मी के अम्मा बापू पहचान नहीं पायेंगे….

सर जी बोले…

बहुत दिमाग वाले है सर जी आप… ऐसे ही मास्साब ना बन गए…. बस निम्मी उन लोगों के घर से निकलकर गांव आ जाए बस…. फिर तो मैं उसका पूरा ख्याल रखूँगा गांव मे… कहीं नहीं जाने दूँगा उसे…

राजू को निम्मी की बहुत फिकर है ….

सभी लोग कल के प्लान का तय कर अपने अपने घर आ गए है …

राजू खाना खा ले लला…. पता नहीं किस सोच में डूबा हुआ है … जबसे निम्मी गयी है उसकी याद में कितना कमजोर हो गया है रे राजू तू ….. अपने हाथ से खिला दूँ खाना…. बोल मेरे लाल….

राजू की अम्मा राजू के सर पर हाथ फिराते हुए बोली…

ना अम्मा अब मैं खाना कल ही खाऊंगा… जब निम्मी आ जायेगी….. वो मन ही मन बुदबुदाया ……

राजू किसी उधेड़ बुन में लगा हुआ है ….. अम्मा सबेरे भोर में उठके पूरी और आलू का सूखा साग बना देना…

राजू अम्मा से बोला…..

क्यूँ रे कहां जा रहा है तू ??

राजू की अम्मा आश्चर्य से पूछती है …

वो अम्मा कल स्कूल के  मास्साब मुझे कोई ज़रूरी पेपर दिलवाने शहर लेकर जा रहे है ….. सो जल्दी निकलना है ….

राजू अपनी अम्मा से नजर नहीं मिला पा रहा है …. आज पहली बार जीवन में निम्मी  के लिये राजू ने अपनी अम्मा से झूठ बोला था …. अगर वो बता देता तो कबकि ये खबर निम्मी के अम्मा बापू के कानों तक पहुँच ज़ाती…..

राजू की आँखों से आज़ नींद कोसो दूर थी….

इधर शहर में रानी मौसी के यहां निम्मी की आँखें रो रोके पत्थर सी हो गयी है …

जा देख ले तेरे ब्लाऊज सिल कर आ गए है … देख ले सही आ रहे तुझे….. फिर उसके बाद कपड़ा धो ले… कल जीजी जीजा जी आ ज़ायेंगे…. बखत नहीं बचा अब ज्यादा तेरे ब्याह का….

और हां नेक अपने होने वाले दूल्हा से बात करना शुरू कर दे… छोरा कह रहा कि छोरी गूँगी बहरी है क्या … जो बात ना करें है …

मेरे फ़ोन से एक दो बार कर लिया कर …. समझी …..

निम्मी की रानी मौसी निम्मी के हाथों में ब्लाऊज की थैली पकड़ाते हुए बोली…

जा रानी बहुत काम है घर में … तू वो सब देख… इस निम्मी की छोरा से बात मैं कराता हूँ… कैसे ना करेगी….

निम्मी का  मौसा निम्मी पर सरसरी निगाह डालते हुए बोला….

ठीक है ….. आप ही देखो इस छोरी को ….. मैं जीजी से बात कर लूँ कितने बजे निकल रही…

यह बोलते हुए रानी मौसी बाहर आंगन में आ गयी….

मौसा निम्मी की तरफ कदम बढ़ा रहा है ….

आयी थी बड़ा मुझे बदनाम करने….अब पता चलेगा तुझे… ब्याह तो हो जाने तेरा….मेरा ज़िगरी यार है तेरा होने वाला… हम दोनों में सब तय हो गय़ा है …. अब तू दो दो लोगों की दुल्हन बनेगी…

अगर मान ज़ाती उस दिन तो आज बच ज़ाती…

हा हा हा हा… मौसा गंदी हंसी हंस रहा है … निम्मी की कमर पर हाथ फिराता है … इस से पहले कि निम्मी के किसी  और संवेदनशील अंग पर  अपना हाथ ले जाता मौसा,,,,छोटी सी मन्नु कमरे में आ गयी… ज़िसे देख मौसा ने अपना हाथ हटा लिया…. . सुबह हो चुकी है …. राजू उठ गया है…… कुल्ला मंजन करके नहा धोकर निकलने के लिए तैयार हैं ……

मास्साब भी अपनी बाइक लेके राजू के घर आ चुके है …

अम्मा मुझे टीका तो लगा दे… दही भी खिला दे… बहुत बड़े पेपर के लिए जा रहा है आज तेरा राजू…..

राजू अपनी अम्मा से बोला…..

अम्मा थाली में रोली चावल दही लेकर आयी… राजू का टीका किया … उसे दही खिलाया……

जा रे लला … सफल होके आ….. अम्मा ने राजू की बलायें ली…

खाने का डब्बा रख दिया ….

राजू अम्मा ,,बापू ,,,बाबा,,,सबके चरण स्पर्श कर सर जी के साथ निकल चुका है ….

निम्मी के अम्मा बापू भी ट्रैक्टर पर शादी का सब सामान लाद बैठ चुके है ….

सर जी की बाइक उनसे छुपते हुए उनका पीछा कर रही है …

पर यह क्या ….. आगे तो….

आगे की कहानी कल….

काल्पनिक कहानी

तब तक के लिए जय खाटू श्याम बाबा

अगला भाग

एक प्यार ऐसा भी …(भाग -10) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

मीनाक्षी सिंह की कलम से

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!