Moral Stories in Hindi : – आप सबने अभी तक पढ़ा कि निम्मी और राजू दो मासूम 15 साल के बच्चे है… उन्हे नही पता कि प्यार क्या होता है…. बस बचपन से साथ रहे, साथ खेले….. पता नही कब एक दूसरे की फिक्र करने लगे…. तभी तो जब निम्मी को उसकी रानी मौसी अपने साथ शहर पढ़ाने ले जा रही है तो राजू पागल सा हो गया है…..
वो अपनी सायकिल दौड़ाये जा रहा है…. निम्मी भी राजू को देख आंसू बहा रही है…
अब आगे….
जहां तक निम्मी दिखती रही,,,,राजू उसे देखता रहा…
बोलता रहा…
निम्मी भूल मत जाना… जल्दी आना… धीरे धीरे निम्मी राजू की नजरों से ओझल हो गयी….
आखिर राजू की सायकिल कब तक मोटर सायकिल की रफतार का पीछा कर सकती थी…
आखिर में थककर राजू वहीं सायकिल फेंककर बैठ गया…
घंटो उदास बैठा रहा…
तभी राजू के बापू जो बेलदारी करके शहर से वापस घर की ओर लौट रहे थे…
राजू अपने लला को जमीन पर उदास बैठा देख रुक गए…
ए रे राजू… चल घर …. अम्मा बाट जोह रही होगी… तू यहां बैठा है… देख अंधेरा भी हो गया… बापू राजू का हाथ पकड़ घर ले गए…
राजू गुमशुम सा बस चला जा रहा था…
घर आकर राजू के बापू ने राजू की अम्मा से पूछा…
ये अपने राजू को क्या हुआ ??
बाँवरों की तरह वो शहर जाने वाली सड़क पर बैठा था…
वो जी… आज निम्मी को उसकी मौसी शहर ले गयी अपने साथ पढ़ाने के लिए…
राजू की अम्मा चूल्हे में फूँकनी मारती बोली…
धुआं भी तेज हो चला था….
ए रे राजू .. ज़रा अपनी लाडो को गोद तो ले ले… देख कैसे रोये जा रही खाट पे… मैं रोटी बनाके चूल्हा साफ कर आयी…
राजू अभी भी चुपचाप बैठा था… अभी भी उसे कुछ सुनायी नहीं दे रहा था…
तो जे बात है … तेरी लुगाई थोड़े ना है रे निम्मी,,लला… जो पीहर चली गयी और तू टेसुएं बहा रहा….
इतना तो तेरा बापू भी तेरी महताई के जाने पे ना रोया होगा…
राजू के बापू खाना खाते हुए उसे चिढ़ाते हुए बोले…
जब राजू ने अपनी बहन को गोद ना लिया तो बाबा खाट से उठकर आये….. लली को गोद में लिया… उसे चुप कराने लगे
ए रे लला….. खाना खा ले…..
सबेरे से कुछ ना खाया तूने….
बाबा राजू से लाड़ जताते हुए कहते है…
ना बाबा भूख ना है… कल खा लूँगा….
राजू बाबा की तरह निगाह डालता है…
अपनी अम्मा के हाथ से तो ज़रूर खायेगा ना राजू… देख रो रोके कैसा लाल पड़ गया है मेरे लाल का चेहरा….. तेरे लिए निम्मी से भी सुन्दर बहू लाऊंगी…. ठीक …
राजू की अम्मा राजू को समझाते हुए बोली…
तो मैं क्या ये कह रहा कि निम्मी मेरी बहू है…..पर निम्मी की मुझे बहुत फिकर होती है अम्मा….. पता नही उसकी मौसी उसे कैसे रखेगी… बहुत चालक लगती है वो मुझे रानी मौसी…… बेचारी निम्मी कैसे रहेगी… यहां थी तो देखता रहता था… अब तो बहुत दूर चली गयी निम्मी …
बोलते हुए राजू फिर भावुक हो गया…
दो दिन हो गए राजू ने अन्न का एक दाना ना खाया… अम्मा के पूछने पर झूठ बोल देता राजू कि कैलाश के घर खा आया… राजेश के घर खा आया…
आज राजू के सरजी राजू के घर आयें है …
नमस्ते मास्साब… राजू सरजी को देखते ही पैर छूता है…
नमस्ते राजू बेटा… खुश रहो…. ये बता तू कैसा है ??
इतने दिन से स्कूल क्यूँ नहीं आ रहा?? पता है परीक्षा शुरू होने वाली है…… फिर तेरा साल खराब हो जायेगा….
सर जी राजू को समझा रहे है….
निम्मी चली गयी है गांव से….. इसलिये ही बांवरा हो रहा है छोरा मास्साब… अब तुम ही समझाओ इसे…. रोज कह रही मैं …पढ़ने चला जा लला… पर ये सुने ही ना है किसी की……
राजू की अम्मा पतीले में अदरक घिसते हुए घूंघट से ही बोली…
अच्छा ये बात है … तभी मैं सोच रहा कि निम्मी तो हमेशा स्कूल आती है…. अब क्यूँ नहीं आ रही…. तेरे घर के बाद उसी के घर पूछने जाने वाला था….
तो क्या हुआ राजू निम्मी चली गयी तो…. मुझे पता है तू और निम्मी पक्के वाले दोस्त हो…. पर इस तरह से पढ़ने ना जाना गलत है ना राजू…
सर जी … मुझे निम्मी की बहुत याद आती है… अब किससे झगड़ा करूँगा… कौन मेरे कान खींचेगा …. पता नहीं कैसी होगी निम्मी … मेरा मन ही नहीं लग रहा मास्साब……
समझ रहा हूँ राजू….. पर अगर तू नहीं पढ़ेगा तो तू गंवार रह जायेगा… निम्मी शहर में पढ़कर अंग्रेजी बोलेगी…. फिर वो पढ़ लिखकर तेरी तरफ देखेगी भी नहीं … तुझे देखकर हंसेगी अलग…. फिर तो सब शहर के दोस्त,,,सहेलियां होंगी उसकी… तो पढ़ेगा तभी तो निम्मी का पक्का वाला दोस्त बन पायेगा तू …
सर जी चाय की चुस्कियां लेते हुए राजू को समझा रहे है…
कह तो सही रहे हो मास्साब आप… निम्मी तो वैसे भी मुझे बकरियां चराने वाला बोलती है… अभी तो इतनी पढ़ी भी नहीं वो मुझे गंवार बोलती है……मास्साब आप मुझे पटर पटर अंग्रेजी बोलना सीखा दोगे ना …
राजू उत्सुक होकर सरजी से बोलता है….
हां तू रोज स्कूल आयेगा तो अंग्रेजी क्या भूगोल, इतिहास, गणित सब में तुझे होशियार कर दूँगा …..
तब तो मास्साब कल से रोज स्कूल आऊंगा मैं ….. एक भी दिन नागा ना करूँगा… उस निम्मी की बच्ची को दिखाऊँगा … देख निम्मी तू तो शहर में रहकर भी इतना ना सीख पायी… मैं गांव में मास्साब से ही सीख गया…. कभी ना कभी तो आया करेगी निम्मी गांव…..मुझसे ना सही अपने अम्मा बाबा से मिलने…
राजू अपनी शर्ट की कोलर ऊपर करते हुए बोला….
हा हा.. तो कल से इस कामचोर कैलाश और राकेश को भी ले आना….
सर जी बोलते है…
ठीक है मास्साब……सर जी की बातों से राजू में जोश आ गया… ज़िसे देख उसकी अम्मा भी हाथ जोड़ शुक्र मनाती है… चलो राजू को किसी ने समझाया तो सही….
इधर निम्मी अपनी मौसी के घर आ चुकी है… घर के अंदर घुसते ही मौसी की बेटी आयी…
मम्मा तुम निम्मी दीदी को लेकर आयी हो….. मुझे बहुत अच्छी लगती है निम्मी दीदी ….. चहकती हुई यही कोई 8 साल की मन्नु बोली….
पास में ही खड़ा निम्मी का मौसा निम्मी को ऊपर से नीचे तक निहारता है …
निम्मी ने भी छोटी सी बहन को गले से लगा लिया…
अब ये यहीं रहेगी तेरे साथ खेलेगी….
रानी मौसी बोली…
मौसा भी इस बात से खुश नजर आ रहा था….
आज निम्मी को आये आठ दिन हो गए है …
वो डरते हुए मौसी से बोलती है …
मौसी मेरा स्कूल में एडमिशन करा दो… बहुत दिन हो गए… ना ही अम्मा बापू से एक भी दिन बात करायी तुमने….
क्या बोली तू … स्कूल जायेगी पढ़ने…. रुक बताती हूँ तुझे….
आगे की कहनी बहुत जल्द
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एक प्यार ऐसा भी …(भाग – 8) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
एक प्यार ऐसा भी …(भाग -5)
एक प्यार ऐसा भी …(भाग – 5) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा
Repeat
Next part jaldi upload kriye
part 6 do baar repeat Kiya h plz correct kijiye aur aage ki kahani upload kijiye
Lagta h ye story upload krke bhul gye h aage ke part hi nhi aarhe h
कृप्या आगे के भाग पोस्ट कीजिए।
Ji 34 tak bhag aa gye h
but humare phone me to 7part ke aage show nhi ho rhe aage ke part kaha milenge
Same mere phone me bhi part 7 se aage show nahi ho raha hai