एक प्यार ऐसा भी …(भाग – 5) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : – अभी तक आप सबने पढ़ा कि राजू की अम्मा ठीक हो चुकी है… अस्पताल से घर आ चुकी है… इधर निम्मी की माँ पैसे ना मिलने पर निम्मी को बहुत मार लगा रही हैँ…. राजू को पता लगने पर वह दौड़ा चला आया है निम्मी को बचाने…. निम्मी की माँ से अगले दिन ही पैसे वापस करने का वादा करता है राजू…. अगले दिन निम्मी स्कूल के लिए रवाना हुई है…उसे आशीष और उसकी टोली ने घेर लिया है…. दोस्त राकेश द्वारा इस बात की खबर होने पर राजू डंडा और हथियार लेकर निम्मी को बचाने  निकल चुका है ….

अब आगे ….

राजू गुस्से में आग बबूला हो स्कूल के रास्ते की ओर सायकिल से तेज तेज बढ़ा जा रहा है…

थोड़ा धीरे चला रे सायकिल राजू… मुझे गिरायेगा क्या … सायकिल के पीछे बैठा राकेश बोला….

आज नहीं छोड़ूँगा उस कमीने को…. बेचारी निम्मी के सब पीछे पड़ गए है…. राजू हांफता जा रहा है… ठंड का समय है… हाथ भी लाल पड़ चुके है उसके….

वो देख राजू अभी भी खड़ा है वो आशीष और उसका झुंड … पर निम्मी नहीं दिख रही…

राकेश राजू को उस ओर इशारा करके बताते हुए बोला….

राजू ने सायकिल वहीं छोड़ दी…. आशीष के पास गया….

निम्मी जमीन पर हाथ जोड़कर बैठी थी… और आशीष के सामने गिड़गिड़ा रही थी….

अब नहीं बात करूंगी राजू से कभी… आज छोड़ दे मुझे…. तेरे हाथ  जोड़ती हूँ आशीष….. पांव पड़ती हूँ….

मैं दो दिन स्कूल क्या नहीं आया तू उस राजू की तारीफ करने लगी…. उसे पैसे चुराकर दे आयी…..

आशीष भईया … वो कल पिक्चर में देखा था ना कि कैसे उस लड़की से वो गलत काम किया उस लड़के ने फिर उसे उससे ब्याह करना पड़ा … ऐसे ही कर लो आप भी … फिर तो राजी गैरराजी  चाची को निम्मी का ब्याह आपसे करना ही पड़ेगा…. आशीष की टोली का एक लड़का पिंटू बोला…

ये सही बोला तू पिंटू ….

बेचारी निम्मी अभी कुछ ज्यादा समझती नहीं थी… वो समझ नहीं पा रही थी कि ये क्या बात कर रहे है….

मुझे मारना मत  आशीष…..

बस बार बार रो रोकर इतना ही बोल रही निम्मी ….

तभी आशीष को निम्मी की तरफ आगे बढ़ता देख राजू ने डंडे से आशीष के सर पर प्रहार कर दिया…. आशीष एक ही डंडे में पछाड़ खाकर पीछे की ओर गिर गया….

राकेश का भी हौंसला  बढ़ गया….उसने भी आशीष के गैंग को मारना शुरू किया … मुक्के पर मुक्के मारता चला गया वो… निम्मी ने भी उठकर  राजू के हाथ से डंडा ले दो डंडे आशीष के पेट पर मार दिये ….

और मार ले निम्मी अगर तेरा गुस्सा शांत ना हुआ हो तो…

राजू गुस्से में आशीष की तरफ देखते हुए निम्मी से बोला….

निम्मी हंस पड़ी ….

ए राजू… तुझे कैसे पता चला कि आशीष मुझे परेशान कर रहा है??

वो राकेश ने बताया… तू ठीक तो है निम्मी ??

राजू दुखी होकर निम्मी से बोला….

हां…. पर ये बता राजू … आज़ तूने मेरी अम्मा से पैसे देने का वादा किया था … कहां से लायेगा तू इतने पैसे….?? बोल राजू….

निम्मी चिंता जताते हुए बोली….

वो मैने बाबा को सब बता दिया है निम्मी … उन्होने अपने खाते से निकालकर देने का वचन दिया है मुझे… वैसे कितने पैसे थे निम्मी.. मैने तो गिने भी ना ….??

राजू पूछता है….

मुझे भी नहीं पता राजू… मैं तो बस जल्दी से ले आयी… बापू  मंडी से सौदा बेचकर लायें थे पैसा…. तू दे देना पूछकर अम्मा से…..

ठीक है निम्मी … चल मैं छोड़ आऊँ तुझे स्कूल….?? राजू बोला…

ना रे राजू… आज से ना तू मुझसे बात करेगा ना मैं तुझसे…. आशीष मुझे मार डालेगा … अम्मा बापू भी इस आशीष की बात माने  है… मुझे पढ़ना है राजू… वो कलेक्टर बनना है… तेरी तरह बकरियां ना चरानी….अब तुझे आशीष होश आने पर  बहुत मारेगा…. तेरे अम्मा बापू को और मेरे घर में भी खबर कर देगा … अम्मा तो अब वैसे भी स्कूल जाने को मना करें है… अब तो कल से ही ना भेजेगी…. यह बोलते हुए बेचारी निम्मी रोने लगी…

राजू कुछ कहता उस से पहले ही स्कूल के  सर जी वहां से गुजरे तो निम्मी और राजू को वहां खड़ा देख वहीं रुक गए…

ए रे राजू… तूने ही मारा है ना आशीष को… बोल??

सर जी प्रफुल्लित  होते हुए बोले…

हां मास्साब. … ये निम्मी को परेशान कर रहा था…मैं कैसे बर्दाश्त करता… बोलो…

राजू सर जी से रोष में बोला….

ये तो तूने मेरे मन की कर दी रे राजू… मैं तो मार नहीं सकता इसे… तूने इसे मारकर दिल खुश कर दिया रे …

सर जी सीना चौड़ा  करते हुए बोले….

निम्मी और राजू सर जी इस बात पर खिलखिला कर हंस पड़े….

अब ये बताओ… क्या क्या हुआ था…. तुम सब पुलिस के सामने बयान दे पाओगे … बोलो??

चलो थाने चलकर रिपोर्ट लिखवाते है इस आशीष और इसकी टोली की…

राजू और राकेश तो राजी हो गए पर निम्मी सहमी हुई थी…..

सरज़ी अम्मा बापू को पता चलेगा तो मुझे मार डालेंगे वो….

कुछ नहीं होगा निम्मी बेटा… मैं हूँ  ना … गलत के खिलाफ तो आवाज उठानी  चाहिए… तुम तो बहादुर लड़की हो… यहीं तो पढ़ाया है मैने तुम्हे ….

जी सर.. ठीक हैँ…. आप मेरे अम्मा बापू को समझा देना….

राजू, निम्मी , राकेश, सर जी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराते है… आशीष को पुलिस लेकर आती है….

आशीष निम्मी और राजू को देख गुस्से में धीरे से बोलता है…

देख लूँगा तुम दोनों को…. प्रधान का बेटा हूँ…. आने दो बाहर … नानी ना याद दिला दी तो कहना… कहीं का नहीं छोड़ूँगा निम्मी तुझे तो…..

सर जी की तरफ देख आशीष बोला…

मेरे आने से पहले बोरिया बिस्तरा बांध निकल जा मास्टर … ज़िन्दा नहीं जायेगा इस गांव से….

सभी लोग आशीष को चिढ़ाते रहे….

समय ज्यादा हो गया था…. राजू और निम्मी अपने अपने घर की ओर रवाना हो गए….

शाम को निम्मी की माँ से किये वादे अनुसार राजू बाबा के साथ जाकर पैसे निकालकर लाया….

निम्मी के घर पहुँचा राजू….

निम्मी को रोता देख घबरा गया वो…

निम्मी तू कहां  जा रही है??

राजू निम्मी को नये कपड़े पहना देख बोला…

तूने मेरी छोरी का जीना हराम कर दिया है रे … पूरा गांव गलत बात करता है…तू मेरी निम्मी के पीछे क्यूँ पड़ा है… आशीष और प्रधान जी के घर से भी बैर हो गया हमारा तेरी वजह से नाश पीटे …

जा तू ले जा रानी (निम्मी की मौसी) इसे अपने साथ शहर … वहीं पढ़ेगी अब ये….

निम्मी की अम्मा गुस्से में बोली…

चाची… तुम्हारे हाथ ज़ोड़ूँ … मैं ना परेशान करूँगा निम्मी को… तुम्हारे और  उसके सामने भी ना पड़ूँगा … पर निम्मी को गांव से दूर ना भेजो….

आँखों में आंसू भरे डबडबायी आँखों से निम्मी की अम्मा के आगे गिड़गिड़ाया राजू  ….

ए राजू….. बचपन के  खेल और बड़े होकर छोरा छोरी के संग रहने में फर्क होवे हैँ लला…. तू समझता क्यूँ नहीं….

चाचा बजरंगी बोले…

निम्मी तू बोल ना चाची से…. ना भेजे तुझे…. राजू का दिल निम्मी के दूर जाने की बात  से ही बैठा जा रहा था….

निम्मी सुबकती जा रही थी….

निम्मी की निर्दयी मौसी रानी  ने निम्मी को मोटरसायकिल पर बैठा लिया….

ठीक है जीजी… हम जा रहे… याद आयें लली की तो आ जइयो… निम्मी की मौसी बोली….

ठीक है… जा छोरी…. मन लगाकर पढ़ना…. निम्मी की अम्मा ने निम्मी के गालों और हाथों को चूम लिया….

मोटरसायकिल ने जैसे ही रफतार पकड़ी तो वैसे ही राजू ने अपनी   सायकिल निम्मी के पीछे पीछे दौड़ा दी….

राजू चिल्लाता जा रहा था…. निम्मी मत जा…. सुन निम्मी …

पूरा गांव बांवरे राजू को देख हंस रहा था….

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