आखिर खानदान का नाम मिट्टी में थोड़े ही न मिलने दूंगी.! – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अरे भाभी..! तुम समझाओ ना पल्लवी को, आखिर लड़कियों में इतना घमंड ठीक नहीं.. हमारे पूरे खानदान में आज तक किसी ने डिवोर्स की बात नहीं कि, इस लड़की ने तो पूरे खानदान का नाम ही डुबो दिया… रजनी अपनी भाभी माया से कहती है

माया:  अब क्या कहूं रजनी..? इतने पैसे खर्च करके इसकी शादी करवाई, पता नहीं कितने कर्जे लिए तुम्हारे भैया ने…? सब बर्बाद कर दिया इस लड़की ने, यहां आने से पहले एक बार भी नहीं सोचा कि एक छोटी बहन और भी है, जो इसका तलाक हो गया फिर दीप्ति भी की भी शादी नहीं हो पाएगी.. 

रजनी:   भाभी..! तुम्हें इस घर में घुसने ही नहीं देना चाहिए था, फिर झक मार कर वहां चली ही जाती.. अरे मैं कहती हूं झगड़े किस घर में नहीं होते..? फिर तो हर कोई तलाक ही ले ले.. उसकी सास से मिलकर आ रही हूं, कह रही थी बड़ी बदतमीज है, हर किसी से जुबान लड़ाती है.. 

माया:   देखती हूं मुझे ही कुछ करना पड़ेगा.. तलाक तो होने नहीं दूंगी.. मैं आज ही तुम्हारे भैया और मां जी से बात करती हूं… मैं भी देखती हूं कैसे यह यहां से नहीं जाएगी..? आखिर खानदान का नाम यूं ही मिट्टी में मिलने थोड़े ही ना दूंगी..! 

अगले दिन माया पल्लवी से कहती है, सुन पल्लवी अपना सामान बांध और तैयार हो जा.. तेरे पापा तुझे तेरे ससुराल छोड़ आएंगे 

पल्लवी:   पर मम्मी, मैंने कहा ना मुझे नहीं जाना वहां.. 

माया: तूने कह दिया और मैंने सुन लिया.. चल अब यह कोई मजाक नहीं है और मत भल तेरा असली घर अब वही है और उनका पूरा हक है तुझ पर हुक्म चलाने का.. हम औरतों को सब कुछ कह कर ही ससुराल में रहना पड़ता है.. अपनी दादी से पूछ क्या मैंने उनके आदेशों का पालन नहीं किया..? कभी-कभी अपनी गलती ना होने पर भी सर झुका कर मान लिया.. वह तेरा मायका नहीं जो तेरी मर्जी चलेगी वहां.. 

पल्लवी:   पर मम्मी, मर्जी की तो बात तब आएगी ना, जब वह लोग मुझे भी इंसान समझेंगे.. मम्मी मुझे हुक्म मानने में कोई दिक्कत नहीं है और ना ही काम करने में.. पर यहां तो बात मेरे आत्म सम्मान की है… 

माया:  चुप कर बड़ी आई आत्मा सामान वाली.. सुन मेरी एक बात को अच्छे से गांठ बांध ले.. जो तू अपने ससुराल नहीं गई तो यहां भी तेरी कोई जगह नहीं.. 

महेश जी:   माया यह सब क्या बोले जा रही हो..? जरा उसकी पूरी बात तो सुन लो 

माया:   आप ही सुनो इसकी बात.. क्योंकि मुझे तो रजनी ने पहले ही सारी बात बता दी है और मैं जानती हूं की सारी गलती इसकी ही है.. आप इसे छोड़ने जाएंगे या नहीं 

महेश जी माया के इस बात पर चुप्पी साध लेते हैं और तब माया कहती है.. ठीक है मैं ही दामाद जी को यहां बुला लेती हूं.. वहीं आकर ले जाएंगे इसे.. 

उसके बाद शाम को पल्लवी के पति रोहन को माया घर पर बुलाती है और कहती है.. दामाद जी इससे जो भी गलती हुई है, उसके लिए मैं भी मैं माफी मांगती हूं.. मैंने इसे समझा दिया है आगे से यह ऐसा नहीं करेगी 

रोहन:   ठीक है मम्मी.. अब उसे जल्दी भेजिए.. मुझे इसे घर पर छोड़कर कहीं और जाना है.. इतने में पल्लवी भी तैयार होकर बाहर आती है और रोहन से कहती है… चलिए मैं तैयार हूं.. रोहन उठकर जाने लगता है.. इतने में पल्लवी अपने सूटकेस को संभालने में अपने साड़ी से लिपटकर खुद को संभालने के चक्कर में रोहन के पीछे से उससे टकरा जाती है, जिस पर रोहन तुरंत पलट कर उसके बाल पड़कर कहता है.. कमबख्त औरत, देखकर चल नहीं सकती..? मार खाने की आदत हो गई है तुझे.. पता है तुझे देखते ही मेरा खून खौल जाता है.. और भी अनाप शनाप वह कहता चला जाता है.. वह अपने गुस्से में यह भी भूल जाता है कि वह अपने ससुराल में है… जब उसे यह एहसास होता है कि वह अपने ससुराल में है और उसके सास ससुर सब वहीं खड़े हैं, तो वह तुरंत हंसकर बात को पलटते हुए कहता है.. यह तो ऐसी ही है हर काम में लापरवाही… बस वही सिखाता है मेरा परिवार इसे,  तो इसे बुरा लग जाता है… ठीक है कोई नहीं सीख जाएगी सब धीरे-धीरे.. अब चलते हैं 

पल्लवी अपने आंसू को पोंछते हुए जा रही थी कि, तभी माया कहती है… रुको दामाद जी सच कहा आपने… बड़ी लापरवाह है यह और आज से इसकी लापरवाही आप लोगों को सहनी नहीं पड़ेगी.. आप लोग अपने परिवार की सोचो.. मैंने अपनी बेटी सौंपी थी आप लोगों को, कोई मंदिर का घंटा नहीं.. जिसे जब चाहा तब बजा दिया.. अब तो आप लोग हमारे केस का इंतजार कीजिए.. अरे जो आदमी इसे यहां हम सबके सामने ऐसे मार सकता है, वह अकेले में तो क्या ही करेगा..? जाओ यहां से और हमारे सारे सामान निकाल कर रखना… सारे सूद समेत वापस लूंगी… गलती मेरी ही थी.. पूरी दुनिया की बातों को सुना, पर अपनी बेटी की नहीं.. जब एक बेटी की शादी करवानी होती है, पूरा खानदान उसके पीछे लग जाता है और जब उसी बेटी की शादी नहीं चल पाती, वही खानदान उसके पीछे पड़ जाता है.. और मैं बेवकूफ उसी खानदान को अपनी बेटी के आगे रख रही थी… चल पल्लवी अपना सामान अंदर रख और आप रोहन निकलो यहां से.. रोहन गुस्से में तमतमाता वहां से चला गया… 

पल्लवी:   मम्मी शुक्रिया मेरा साथ देने के लिए, जो आज आपने मेरा साथ ना दिया होता मैं यहां से चली तो जाती, पर शायद फिर आप लोगों को कभी नहीं दिखती.. 

महेश जी:   पर माया एक बात बताओ..? जो आज रोहन ने सबके सामने ऐसी हरकत ना की होती, तुम तो पल्लवी को उसके साथ भेजी ही देती.. 

माया:   देखिए जी मैं जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करना चाहती थी… जब मैंने रजनी की बात सुनी, मुझे लगा पल्लवी कहीं सच में बदतमीजी तो नहीं कर रही है ना..? इसलिए मैंने दामाद जी को इसे लिवाने बुलाया… क्योंकि इसके मुंह से मैंने सुना था कि वह जब गुस्सा करता है तो सबके सामने इस पर हाथ उठाता है और इसलिए पल्लवी के सूटकेस को मैंने ईट से भारी कर दिया था… जिससे वह लड़खड़ा जाए और उसे लड़खड़ाता देख रोहन का गुस्सा बाहर आए… बेटी की बातों में आकर सीधे उसका घर तोड़ दूं यह भी तो नहीं कर सकती थी ना..? इसलिए दूध का दूध पानी का पानी करने का इरादा बना लिया.. 

पल्लवी:   मम्मी मतलब यह सब अपने जानबूझकर..? 

माया:   हां बेटा शादी करवाई थी तेरी, कोई फेंका थोड़े ही ना था… जरूरी नहीं की जो पूरे खानदान में कभी ना हुआ, वह आगे भी नहीं होगा… उसके बाद पल्लवी अपनी मम्मी से लिपटकर खूब रोने लगती है…

धन्यवाद 

#खानदान

रोनिता कुंडु 

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