एक प्यार ऐसा भी …(भाग -15) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि राजू निकल आया है अकेले ही शहर की ओर आगे की पढ़ाई के उद्देश्य को लेकर…

पर  अभी वो शहर की गंदगी, वहां के लोगों की चालाकियों से वाकिफ नहीं है …. तभी तो वेश्यावृत्ति के धन्धे में लगी आंटी,,राजू को भोला समझ अपना शिकार बनाना चाह रही थी… वो अपने उद्देश्य में पूरी तरह से सफल होती भी दिख रही थी ….

राजू को लगा आंटी उसे रहने के लिए किराये पर कमरा दिलवा रही है पर वो तो राजू से बस पैसे एँठना चाहती थी …. और ऐसे दलदल में धकेलना चाहती थी जिसने निकलना युवावर्ग के लिए बहुत ही मुश्किल हो जाता है … राजू ने 5000 रूपये आंटी को कमरे के नाम पर दिये है …. राजू को कमरा अच्छा लगता है … वो पलंग पर लेट जाता है …. तभी आंटी सामने से एक लड़की के साथ आती हुई दिख रही है ….

अब आगे…

ले छोकरे… तेरा आईटम ….

कल ही आयीं है दूर पहाड़ की जगह से… बिल्कुल गोरी चिट्टी मासूम है तेरी तरह…. एक घंटा रहेगी तेरे पास…. फिर और पैसा लगेगा अगर रखनी है तो….

आंटी मैं क्या करूँगा इन दीदी का…. मुझे तो अकेले ही रहना है कमरे में … किसी के साथ नहीं रहना …. मुझे पढ़ना है ….

वो लड़की राजू को आश्चर्य से ऊपर निगाह करके देखती है …..

वो आंटी जोर से गंदी हंसी हंसती है …..

सुन रे छोकरे…. अगर तुझे इसके साथ कुछ नहीं करना तो भाग यहां से….. पैसा तो मिल ही गया पूरा… तुझे ना वसूलना  तो तेरी मर्जी ….

तो आंटी कमरा तो मेरा है ना ये…. मैं क्यूँ जाऊँ,, पैसे दिये है पूरे….. आप और दीदी जाईये यहां से… मुझे सोने दीजिये मेरे कमरे में… गांव से आकर थक गया हूँ….

भाग यहां से चिरकूट ….. ये कमरा तेरा कहां से हो गया रे …. इसमें और ग्राहक आयेंगे……

तो पैसा तो दिये ना आंटी मैने पूरे 5000…..अगर आपको नहीं देना मुझे ये कमरा तो पैसे तो दीजिये मेरे…..

मैं कहीं और कमरा देख लूँगा …..

राजू घबराया हुआ है कमरा और पैसे हाथ से ज़ाते देख…..

तो पैसे के बदले छोकरी दे रही हूँ ना एक घंटे को….. चाहे तू उसे रख य़ा ना ….. पैसे तो पूरे लगेंगे अगर यहां आया है तो…..

आंटी प्लीज मेरे पैसे दे दो…..

राजू आंटी के आगे गिड़गिड़ा रहा है ….

तभी एक आदमी एक औरत को साथ लेकर आ रहा है ….

तुम सब जाओ यहां से…. मुझे अपना काम करने दो…. जल्दी निकलना है ….

वो आदमी बोला…

सेठ जी… जरा इसे भगाओ यहां से…. दिमाग की दही कर दी है इसने….

क्यूँ इस छोकरी को ज्यादा परेशान कर दिया क्या इसने….

वो आदमी पूछता है ….

साला पैसे देकर काम नहीं कर रहा… अब पैसे मांग रहा है ….

पैसे तो गए इसके …. यहीं उसूल है अपने धन्धे का….

राजू अब कुछ  समझ जा रहा था कि उसे कहां लाया गया है ….

क्यूँ रे  छोकरे….. तू मर्द ना है जो भाग रहा छोकरी से….

एक जोर की हंसी गूँजती है कमरे में…..

अंकल ऐसी मर्दानगी आपको ही मुबारक हो….थूकता हूँ मैं  ऐसी मर्दानगी पर …..जो उनको भी नहीं  छोड़ते जो आपके साथ ये काम मर्जी से करना नहीं चाहती….

ईश्वर ने अगर मुझे अच्छे मुकाम पर पहुँचाया तो ऐसी लड़कियों को तो इस गंदे  काम से ज़रूर बाहर निकालूँगा ….

सुनो तो सही… ये बच्चा क्या कह रहा….

वो औरत राजू को धक्का देते हुए बाहर की ओर धकेलती है …..

जा यहां से पागल लड़के…. टाइम खोटी कर रहा है …. नहीं तो पड़ेंगे डंडे …..

राजू आंटी का हाथ अपनी शर्ट से जोर से झटकते हुए बोला….

थोड़ा तमीज से आंटी…. मारना मुझे भी आता है …

मेरी अम्मा की ऊमर की है आप…. इसलिये हाथ नहीं उठा सकता… जा रहा हूँ इस गंदी जगह से…

राजू अपना थैला उठाके उस कमरे में थूकते हुए चला गया बाहर….

राजू बाहर आकर उस एरिया को ध्यान से परखता है … वहां का पता झट से अपनी कॉपी निकालके लिख लेता है …..

राजू को अब बस अपने गांव की, अम्मा की याद आ रही है … एक बेंच पर बैठके घंटो रोता है ….

फिर उठके पास में बैठे एक अंकल से बोला….

अंकल क्या मैं आपके फ़ोन से अपने सर जी को फ़ोन लगा सकता हूँ…. जो पैसे लगे आप बता  दीजियेगा..

थोड़े से बचे है … दे दूँगा….

क्यूँ बेटा… आपका फ़ोन चोरी हो गया है बेटे??

वो अंकल बोला…

जी नहीं अंकल… मेरे पास तो कभी फ़ोन रहा ही नहीं… अभी तो मैं छोटा हूँ….. अब शहर पढ़ने आया हूँ ,, ले लूँगा… आप बात  करा देते अंकल तो अच्छा रहता….

हां हां… क्यूँ नहीं बेटा… लो कर लो बात ….

अंकल ने अपना फ़ोन राजू के हाथ में रखते हुए कहा …..

मन ही मन अंकल सोच रहे है …. एक आजकल के हमारे बच्चे,,12-14 साल से ही अपना फ़ोन रख रहे है …. और ये इतना बड़ा लड़का,,, ज़िसकी दाढ़ी ,, मूँछ भी है अच्छी खासी….. वो फ़ोन ही नहीं रखता….

अंकल… आप सुन रहे है क्या ??

फ़ोन का लोक तो खोल दीजिये …

अंकल सोच से बाहर आयें…..

सोरी बेटा… लाओ…. खोलता हूँ….

अंकल ने फ़ोन खोलके राजू को दिया….

राजू ने डायरी से सर का फ़ोन नंबर डायल किया ….

हेलो मास्साब. … मैं राजू बोल रहा….

हां राजू…. बोल….

मैं पहचान गया तेरी आवाज….. कब आय़ा तू …. अभी कहां है …. कबसे तेरी राह  देख रहा था….

सर जी…. मेरे साथ बहुत कुछ हुआ है …. सब बताऊंगा…. अब तो पैसे भी चोरी हो गए है …. थोड़े से ही बचे है ….

अब कमरा कैसे लूँगा…..

राजू दुखी मन से बोला….

तू पैसे वैसे की फिकर मत कर … ये बता है कहां तू …. पता बता वहां का…. अभी आता हूँ…. तूने कुछ खाया राजू….

सर जी…. खाने का तो होश ही नहीं रहा…. अम्मा ने डब्बा दिया है …. अब तो साग खराब हो गया होगा…..

अचार से खा लेता हूँ…..

हां तू खाना खा… बस पता बता …..

अंकल…. ज़रा मेरे सर जी को इस जगह का पता बता दो….

हां हां…. लाओ… फ़ोन…. बताता हूँ….

जी ये शिवाजी पार्क है ना अपना गांधी जी की मूर्ती के सामने….. बस वहीं …….

जी धन्यवाद….. राजू से कह दीजिये …. वही रुके मैं आता हूँ…..

जी ठीक है …..

राजू अपना खाने का डब्बा निकालता है …..

अचार से जल्दी जल्दी बड़े बड़े कौर पूड़ी के खाने लगता है …..

अंकल राजू को गौर से खाता हुआ देख रहा है ….

एक मेरे बच्चे है चाहे छप्पन भोग बना दे उसकी माँ,,, इतने नखरे दिखाते है खाने में…. शायद ही कभी इस लड़के राजू की तरह खाना खाया हो उन्होने अचार से…..

लड़का समझदार है ….

अंकल मन ही मन सोच रहे है ….

बहुत भूख लगी है बेटे …. मुझे भी लगी है …. चलो सामने ढ़ाबे पर चलते है बेटा….. वहां सब्जी भी मिल जायेगी….

अंकल बोलते है ….

नहीं अंकल… अब मुझे किसी के साथ कहीं नहीं जाना… एक बार धोखा खा चुका हूँ…. बार बार नहीं…..

पता चला अम्मा के दिये जितने पैसे बचे है वो आप उड़ा ले जाओ…

मैं कहीं नहीं जाऊंगा….. बस यहीं सर का इंतजार करूँगा…..

वो अंकल जोर से हंसे…. तुम्हे पता है मैं कौन हूँ…..

इधर राजू के गांव में हंगामा हो गया है …. राजू के बाबा को करिया सांप ने काट लिया है …..

पूरा गांव सपेरे को घेरकर खड़ा हुआ है …..

आगे की कहानी कल….. तब तक के लिए जय संतोषी माँ

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