एक कहानी -गोविन्द गुप्ता

सीमा एक सीधी साधी लड़की थी दुनियां के किसी भी शौक को नही पालती थी यहाँ तक मोवाइल भी केवल की पैड बाला ही रखती थी,उसके पापा सोंचते थे कि किसी अच्छे से लड़के के साथ उसकी शादी हो तो वह तलाश में रहते थे,

अचानक एक बड़ी कम्पनी के मालिक का बेटा उनसे मिलने किसी काम से आया तो सुधीर जी ने उसे घर पर आदर के साथ बिठाया ओर जलपान कराया जलपान आदि की व्यवस्था सीमा ने ही की जाते जाते सुमित ने एक बार सीमा की ओर देखा और चल दिया फिर बात आई गई हो गई ,सीमा किसी प्रेम मोहब्बत के किस्सों पर विश्वास नही करती थी तो उस लड़के के देखने पर प्रभावित नही हुई,

कम्पनी के कार्य से जब सुधीर जी ऑफिस पहुंचे तो रंगराजन जी जो एक धार्मिक व्यक्ति थे उंन्होने सुधीर से कहा भाई आपकी बेटी मेरे बेटे को पसन्द है हम घरेलू लड़की चाहते है,जो परिवार को संभाल ले  बेटा बहुत प्रभावित है आपकी बेटी से आप चाहे तो यह दोस्ती हम रिश्ते में बदल लें,

सुधीर ने बोला कि बेटी से भी पूंछ ले एक बार मुझे एतराज नही है,

सुधीर ने जब सीमा से पूंछा तो सीमा ने कहा पापा आप जो सोंचेंगे वह अच्छा ही सोचेंगे ,

बेटी की स्वीकृति के बाद दोनों की शादी धूमधाम से हो गई और दोनो का सुखमय जीवन व्यतीत हो रहा था



एक बेटा भी हुआ जो नर्सरी क्लास में था ,अचानक लॉक डाउन लग गया और ऑनलाइन पढ़ाई का फरमान आ गया ,

सीमा ने इंटरनेट बाला मोवाइल मंगवाया पढ़ाई के वास्ते तो खाली समय पर इंटरनेट पर भी समय व्यतीत करने लगी,

फिर फेसबुक id बनाई और वाट्सअप अकाउंट तो बनाना ही था ,टीचर के लिये तो सब अच्छा लगने लगा वाहर के लोगो से सम्पर्क शुरू हो गया ,फेसबुक पर विभिन्न परिवारों की महिलाओ के तरह तरह के घूमने के वीडियो फोटो,मॉडलिंग के फोटो,नाचते गाते फोटो देखकर मन ही मन सीमा को यह लगने लगा कि जिंदगी कितनी सुखी है इन महिलाओ की कितनी मस्ती इंज्वाय करती है सब हंमे घर मे ही रहना पड़ता है विल्कुल शांत केवल बच्चा पति और ससुर,

शायद यही जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी कि फेसबुक को जिंदगी का सच समझ लिया सीमा ने ओर घर के बाहर कदम निकाल लिया जो कभी अंदर न आया और बच्चे पर ध्यान न दे पा रही थी न पति और ससुर पर एक दिन ससुर का भी निधन हो गया ,तो सिर्फ पति और बेटा सीमा ने जिद करके बेटे को हॉस्टल भेज दिया और खुद दिन भर महिलाओ की पार्टी आदि में व्यस्त रहने लगी,

इनमें से कुछ महिलाएं पति की कम्पनी के कर्मचारियों की थी जो चिढ़ती थी सीमा के रुतबे से ,



उंन्होने सीमा को उसके पति के चरित्र को लेकर बाते करनी शुरू कर दी सीमा ओर उसके पति में रोज झगड़े शुरू हो गये,

कम्पनी से देर से लौटने पर उसका शक पति के चरित्र पर ही जाता आखिर नजर लग गई एक हंसते खेलते परिवार को,सीमा और पति का अलगाव हो गया और वही महिलाएं इस अलगाव पर खुश थी,

सीमा को नशे की लत लग गई थी उन्ही महिलाओ के कारण वह बीमार रहने लगी और एक दिन हॉस्पिटल में भर्ती हुई तो देखरेख करने बाला कोई नही था ,डॉक्टर आया तो नया लड़का ही था पूंछा माता जी आपका कोई नही है क्या तो सीमा के आंसू निकल पड़े और पूरा किस्सा सुना दिया तो डॉक्टर भी रोने लगा बोला मैं ही आपका वह  बेटा हूँ जिसे आपने हॉस्टल में डाल दिया था पर पिता जी ने कभी आपके बारे में कोई जानकारी नही होने दी बस यही कहते रहे तुम्हारी मम्मी दुनियां की सबसे अच्छी मम्मी है,जब मैं घर आया तो आपको नही देखा तो पापा से पूंछा उंन्होने कहा कि 15 दिन के लिये उन्हें तीर्थ यात्रा पर भेज दिया है अच्छे से पैकेज के साथ मैं फैक्ट्री के कार्य से नही जा सका,आज ही मेरी ज्वाइनिंग इस हस्स्पिटल मे हुई है जो पापा ने आपके ही नाम से बनवाया है,



सीमा के आंसूं निकल रहे थे ओर कहानी लिखते हुये हमारे भी,

क्योकि अब सीमा के पति की इंट्री होने बाली थी और जैसे ही बेटे को ढूंढते हुये वह बेड के पास पहुंचे तो माँ बेटे का मिलन देख खुद को न रोक सके और सीमा ने जैसे ही देखा तो गिर पड़ी चरणों मे ,

सीमा के पति ने गले लगाते हुये कहा कि दूर की दुनियां अच्छी दिखती है होती नही यदि अपने आप पर उन महिलाओं की बातों का असर दिख रहा था जो रोज फेसबुक पर अपने अच्छे दिनों के फोटो पोस्ट करती है और घर मे दिन रात लड़ाई होती है,

सीमा ने तुरंत इंटरनेट बाले मोवाइल को पति को दे दिया कहा यह है हमारा सबसे बड़ा दुश्मन जब यह नही था हम सुखी थे,

सुमित ने सीमा को मोवाइल देते हुये समझाया यह दुनियां से जुड़ने के लिये है खुद के टूटने के लिये नही आप इसका प्रयोग अच्छे कार्यो में करे ,

इस तरह समझदारी से परिवार पुनः सुखी हो गया,,

अर्थ,,

शोशल मीडिया को जिंदगी न समझे,,

गोविन्द गुप्ता,

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