शादी की दावत – विनिता मोहता

सभी दोस्तों में से अनिरुद्ध की शादी ही नहीं हुई थी| सारे दोस्तों को और उनकी पत्नीओ के बीच अनिरुद्ध की शादी हमेशा हॉट टॉपिक होता था क्योंकि अनिरुद्ध शहर के जाने-माने व्यवसायी का बेटा था| सभी को लगता था कि अनिरुद्ध की शादी बहुत ही धूमधाम से होगी| मगर अनिरुद्ध ने कोर्ट मेरिज कर कर सबको चोका दिया|

एक दोस्त ने अनिरुद्ध को ताना देते हुए कहा -यह क्या अनिरुद्ध हमारे मन में तो तुम्हारी शादी के लिए कितने सारे ख्वाब पल रहे थे मगर तुमने तो सब पर पानी फेर दिया इस तरह चुपचाप शादी कर कर तुम शादी की पार्टी देने से बच गए| 

यह सुनकर अनिरुद्ध बोला- किसने कहा तुमसे कि मैं अपनी शादी की पार्टी नहीं दूंगा ?कहो कहां चाहिए पार्टी मिलकर मेरी शादी का जश्न मनाएंगे। तुम लोग चाहो तो हमारे फ्रेंड सर्कल के लिए शहर के बाहर वाला रिसोर्ट 1 दिन के लिए बुक कर देता हूं वहीं पर धूमधाम से सारे फ्रेंड पार्टी करेंगे|

शहर के बाहर के रिसोर्ट की बात सुनकर दोस्त ने कहा- अरे यार इतनी अच्छी पार्टी देनी ही थी तो कोर्ट मैरिज कुछ समझ में नहीं आया जरा समझा तो सही अचानक कोर्ट मैरिज का डिसीजन क्यों लिया?

दोस्त के सवाल सुनकर विरुद्ध अपनी पत्नी प्रतीक्षा की ओर देखने लगा| प्रतीक्षा की आंखें नीचे झुकी हुई थी मानो किसी अपराध बोध के तले दबी हो|

प्रतीक्षा को उदास देखकर अनिरुद्ध ने अपने दोस्त से कहा – बस पापा का मन था कि शादी शॉर्ट स्वीट तरीके से हो जाए तो हमने कोर्ट मैरिज कर ली |

अनिरुद्ध की बात सुनकर उसका दोस्त आश्चर्य से बोला – यह क्या कह रहे हो तुम अंकल का मन था! मगर अंकल तो हमेशा तुम्हारी शादी को लेकर बहुत एक्साइटेड रहते थे |फिर अचानक कैसे उनका मन बदल गया |

अनिरुद्ध मुस्कुरा कर बोला -कुछ बातें कभी राज ही रहे वही अच्छा होता है |बस तुम यह समझ लो मुझे और प्रतीक्षा को जीवन भर के लिए दूसरे का साथ चाहिए था, वह हम दोनों को मिल गया इससे ज्यादा कुछ नहीं|

अनिरुद्ध की बातें सुनकर प्रतीक्षा के मन की गाठ खुल गई |उसे अपनी सगाई से लेकर शादी तक का सभी कुछ याद आने लगा|

प्रतीक्षा की सगाई अनिरुद्ध से होने पर सबसे ज्यादा खुशी प्रतीक्षा की मां को थी, क्योंकि शहर के इतने बड़े बिजनेसमैन कि घर की बहू बनना  उनके लिए प्रतीक्षा के लिए देखे हुए सारे ख्वाब  पूरे होने के बराबर था| अनिरुद्ध प्रतीक्षा को अपने दोस्त की शादी में देखा था तभी से उसके मन में प्रतीक्षा को अपनी जीवनसंगिनी बनाने का विचार घर कर गया था |

अनिरुद्ध के घर वालों को भी प्रतीक्षा बहुत पसंद आई और उन दोनों की सगाई तय हो गई प्रतीक्षा के तो पैर जमीन पर नहीं थे मगर प्रतीक्षा के पिता दिन रात चिंता में डूबे रहने लगे|

 उन्हें इस तरह उदास देखकर 1 दिन प्रतीक्षा ने उनसे  सवाल किया -क्या हुआ बाबा जब से मेरी सगाई हुई है आप उदास हो गए हो| क्या आप मेरी शादी की खबर सुनकर खुश नहीं है| आपको इस तरह उदास देखकर मेरा मन बेचैन हो रहा है|

उन्होंने प्रतीक्षा के सर पर हाथ रख कर कहा- शायद भगवान ने बेटियों का दिल ही ऐसा बनाया है, कि पिता की परेशानी को समझ जाती है| मगर यह परेशानी तेरी सगाई या शादी से जुड़ी हुई नहीं है |बल्कि तुझ से जुदा हो जाऊंगा इसलिए परेशान हूं|

प्रतीक्षा मुस्कुरा कर बोली -बाबा आप तो ऐसी बातें कर रहे हैं ,जैसे मैं कहीं दूर जा रही हूं |इसी शहर में तो हूं आपका जब मन करे मेरे घर मिलने आ जाना या मुझे बुला लेना मैं आ जाऊंगी|

बेटा शादि होने के बाद बेटी पराई हो जाती है| उस पर मां-बाप का कोई हक नहीं होता |बस यही सोच कर परेशान हूं |तू मेरी चिंता मत कर |तेरी शादी की शॉपिंग कैसी चल रही है बता|

 अपने पापा की बात सुनकर प्रतीक्षा उन्हें अपनी शादी की शॉपिंग के बारे में बताने लगती है| उसके पापा भी मुस्कुरा कर सारी बातें सुन रहे थे, मगर मां को समझ में आ रहा था कि पिता को क्या चिंता खाए जा रही है? वह भी अपने पति की परेशानी समझ उदास हो गई|

उसी रात उन्होंने अपने पति से कहा -दोपहर में तो आपने प्रतीक्षा को अपनी बातों से बहला दिया, मगर मुझे समझ में आ रहा था  आप क्यो परेशान हो!

उन्होने मुस्कुरा कर अपनी पत्नी की ओर देखा और कहा- तुम शुरू से लेकर आज तक मेरे बिना कहे मेरी बातें समझ जाती हो| और मेरी परेशानियों को चुटकी में हल कर देती हूं मगर इस बार इस परेशानी का कोई हल समझ में नहीं आ रहा| अनिरुद्ध जी के पापा ने कह तो दिया कि आप शादी के लिए कोई चिंता मत करना सब कुछ हो जाएगा |मगर बेटी का बाप हूं उसे ऐसे कैसे विदा कर दू ससुराल में जाकर उसकी कुछ तो इज्जत होनी चाहिए| गहने कपड़े तो आसानी से हो जाएंगे ,मगर उनके स्टैंडर्ड का बारात का स्वागत और दावत सब कुछ कैसे होगा कुछ समझ नहीं आ रहा| उनके रिश्तेदारों को मिलनी भी करनी होगी किसी भी रिश्तेदार ने कोई कमी रहने के कारण मेरी बेटी को कुछ कहा, तो मुझसे सहन नहीं होगा |बस यही सोचकर परेशान हो रहा हूं, कि इतने पैसों का इंतजाम कैसे करूं|

प्रतीक्षा की मां कुछ देर सोचकर बोली -क्यों ना हम इस बारे में अनिरुद्ध जी के घर वालों से बातें करें सभी लोग बहुत सुलझे हुए हैं, हमारी परेशानी का हल उनके पास जरूर हो जाएगा|

कैसी बातें कर रही हो तुम कोई अपने लिए या नहीं नई नई रिश्तेदारी में कोई पैसे की कमी का रोना रोता है तुम्हारे कहने बेचकर हम लोग उन लोगों को देने के लिए चांदी के सिक्के ले लेंगे और दावत में मोटा मोटा 15 -20 लाख का खर्चा होगा| उसके लिए मैंने सोच लिया है जो अपना घर बनाने के लिए जमीन खरीदी थी उसे बेच दूंगा |आराम से 20 लाख  मिल जाएंगे| सब कुछ अच्छे से हो जाएगा|

मगर वह जमीन तो आपने कितनी मेहनत कर कर खरीदी थी| अभी प्रतीक्षा की शादी के बाद हम लोगों को मुकुंद के फ्यूचर के बारे में भी सोचना है |सब कुछ प्रतीक्षा की शादी में लगा देंगे तो उसका क्या होगा? नहीं आप वी जमीन नहीं बेच सकते| कहते हुए प्रतीक्षा की मा ने अपने पति के निर्णय को अस्वीकार कर दिया|

प्रतीक्षा कमरे के बाहर खड़ी खड़ी उन दोनों की बातें सुन रही थी| उसकी आंखों में आंसू आ गए| वह सारी रात नहीं सो सकी| सुबह उसमें सबसे पहले अनिरुद्ध को फोन लगा कर शादी करने के लिए मना कर दिया| इस तरह प्रतीक्षा के मना करने से अनिरुद्ध परेशान हो गया उससे मिलने के लिए कैफे में बुलाया|

परेशान अनिरुद्ध ने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- क्या बात है प्रतीक्षा तुम इस तरह शादी के लिए क्यों मना कर रही हो क्या तुम्हें मैं पसंद नहीं?

प्रतीक्षा में अपना हाथ अनिरुद्ध के हाथों में से लिया और कहा- अनिरुद्ध तुम्हारे जैसा जीवन साथी पाना मेरे लिए एक सपने के पूरे होने जैसा था| मगर……

“मगर क्या तुम इस तरह  क्यों बातें कर रही हो? अनिरुद्ध ने प्रतीक्षा से दोबारा सवाल किया|

प्रतीक्षा में जब अनिरुद्ध को सारी बातें बताई तो अनिरुद्ध ने कहा वह इस बारे में एक बार अपने घर वालो से जरूर बात करेगा|

अनिरुद्ध के घर पर जब इन सारी बातों के बारे में पता चला तो अनिरुद्ध के पापा नाराज होकर अपने होने वाले  समधि के पास पहुंचे- भाई साहब यह क्या सुन रहा हूं |आप बच्चों की शादी के लिए अपनी जमीन बेचना चाहते हैं ,वह तो मुकुंद के फ्यूचर के लिए आप ने खरीदी थी|



प्रतीक्षा के पापा हैरान थे, कि उन्हें कैसे पता चला कि वे अपनी जमीन को बेचने के बारे में सोच रहे हैं|

उन्हें हैरान देखकर अनिरुद्ध के पापा ने कहा- देखिए भाई साहब हम नहीं चाहते ,कि बच्चों की शादी आपके मन पर किसी भी तरह के बोझ तले हो| शादी बहुत ही सिंपल तरीके से होगी कोई दिखावा नहीं होगा|

यह कैसी बात कर रहे हैं आप सिंपल सी शादी! पर अनिरुद्ध जी तो आपके इकलौते बेटे हैं |उनकी शादी को लेकर आपके कई सारे अरमान होंगे |जमीन का क्या है वह तो दोबारा खरीद ली जाएगी| मगर आप के मान सम्मान में कोई कमी नहीं रहेगी| प्रतीक्षा के पापा ने अपनी बात रखी मगर अनिरुद्ध के पापा ने उनकी एक बात ना सुनी- भाई साहब 1 दिन की शादी के मे रिश्तेदारों को खुश करने को लड़की का पिता अपनी जीवन भर की कमाई उजाड़ दे, यह मुझे कतई मंजूर नहीं| आप मेरे घर की लक्ष्मी को खुशी खुशी विदा कीजिए| इस से ज्यादा मुझे और कुछ नहीं चाहिए|

उनके विचार सुनकर प्रतीक्षा के मन में उनके लिए और ज्यादा सम्मान और अपनापन हो गया|

विनिता मोहता

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!