एक और मौका – हेमलता गुप्ता  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: जयंत हमेशा से चाहता था कि उसकी शादी एक ऐसी लड़की से हो जो बेहद खूबसूरत हो, और साथ ही टैलेंटेड और नौकरी पेशा हो! ताकि वह अपने दोस्तों में अपनी  धाक जमा सके! जयंत के अरमान जल्दी ही पूरे हो गए जब उसकी शादी की चर्चा ऐसी ही एक लड़की रिचा से चली! रिचा में यह सारे गुण थे, जिनकी कल्पना जयंत ने की थी!

किंतु रिचा में बस एक कमी थी कि उसे बचपन से मिर्गी के दौरे पडते थे! जब उसने जयंत को यह बात बताई तो एक बारगी तो उसने रिश्ते को मना करना चाहा, किंतु वह रिचा की खूबसूरती पर दीवाना सा हो गया, और उसने यह सब जानते हुए भी रिचा से शादी कर ली! रिचा को भी इससे पहले कई लड़के वाले संबंध के लिए मना कर चुके थे!

हर लड़की की तरह रिचा ने भी अपनी शादी को लेकर बहुत अरमान देखें थे! उसकी जिंदगी में दोस्त तो बहुत बने, किंतु जिसे वह अपना सच्चा साथी कह सके, ऐसा कोई नहीं बना! सब जानते थे की मिर्गी के दौरे कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है, फिर भी सब रिचा से दूर रहने की कोशिश करते थे! अब तो रिचा को मिर्गी के दौरे पडना भी बहुत कम हो गए थे!

पिछले 5 सालों से रिचा को कभी भी दौरा नहीं पड़ा !खैर… धूमधाम से जयंत और रिचा की शादी हो गई! सुहागरात वाले दिन जिस रात का पति पत्नी दोनों सपना देखते हैं, वह रात भी आई! किंतु जैसे ही जयंत रिचा के पास आया, रिचा को मिर्गी के  दौरा पढ़ने शुरू हो गया! रिचा जोर-जोर से कांपने लगी!

करीबन 1 घंटे तक रिचा को  दौरा पढ़ते रहे! जयंत एक कंपाउंडर था! रिचा  की  स्थिति को देखते हुए जयंत ने रिचा को एक इंजेक्शन लगा दिया, जिससे वह थोड़ी देर बाद सो गई! किंतु जयंत को पता नहीं क्या हुआ ,की वह रिचा से  दूर-दूर रहने लगा! उसे रिचा के पास बैठना अच्छा नहीं लगता था! वह पूरे दिन भर घर से बाहर रहता था!

नई-नई शादी होने के बावजूद उसे शादी के सारे अरमान समाप्त होते नजर आ रहे थे! हालांकि इसमें रिचा की तो कोई गलती भी नहीं थी! एक दिन रिचा ने जयंत से पूछ लिया.. कि जब तुम्हें पता था कि मुझे दौरे पड़ते हैं, तुम उस वक्त ही इस शादी से इनकार कर देते, तो मुझे इतना दुख तो ना होता! अब तुम मुझसे इतनी दूर-दूर रहते हो, पूरे दिन भर घर नहीं आते, मैं रात भर तुम्हारा इंतजार करके सो जाती हूं, किंतु तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता!

ऐसी क्या बात है! तब जयंत ने कहा… क्यों क्या मैं तुम्हें मारता हूं, तुम्हें सताता हूं, फिर तुम्हें किस बात का दुख है ?और तुम मुझसे दूर ही  रहो, तो ही अच्छा है! मैंने तुम्हें लेकर न जाने क्या-क्या अरमान पाल रखे थे, और तुमने मेरे सारे अरमान  मिट्टी में मिला दिए! जयंत की ऐसी दिल दुखाने वाली बातें सुनकर  रिचा रोते-रोते ही सो गई! इसी प्रकार से सात आठ महीने निकल गए! परिवारजन और मिलने वाले सब रिचा से पूछते… खुशखबरी कब सुन रही है?

  तब रिचा कहती.. अरे वह दिन भी आ जाएगा! किंतु रिचा जानती थी कि उसकी जिंदगी में यह दिन कभी नहीं आएगा! वह अपना यह दुख किसी को बता भी नहीं सकती थी! एक दिन जब वह अपने मायके गई तब मां ने भी यही बात पूछी, और कहा.. की रिचा क्या बात है.. तुम पहले की तरह हंसती खिलखिलाती नहीं हो !

बहुत गुमसुम गुमसुम सी रहती हो! जयंत तुम्हें परेशान तो नहीं करता! तुम जो भी बात हो मुझे साफ-साफ बता देना !…बेटा तुम्हारा जो भी फैसला होगा, हमें मंजूर होगा! रिचा.. पति से अलग होना इतना बड़ा मुद्दा नहीं है, मेरे लिए मेरी बेटी का दुखी होना बहुत बड़ा मुद्दा है! तुम कभी भी अपने घर आ सकती हो! तुमसे कोई सवाल नहीं करेगा! तो रिचा ने कहा.. नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है! किंतु जयंत के पास जाकर उसने जयंत से तलाक का फैसला ले लिया!

ताकि जयंत खुश रह सके! कुछ दिनों बाद जयंत को चेचक निकल गई! चेचक छुआछूत की बीमारी मानी जाती है, किंतु ऐसे समय में रिचा ने जयंत की पूरे दिल से सेवा की, और उसका बहुत अच्छे से ध्यान रखा! यह जानते हुए भी कि यह बीमारी उसे भी लग सकती है, पर वह नहीं डरी ,क्योंकि वह जयंत को प्यार करने लगी थी! जयंत को दवाई देना, उसके आसपास नीम रखना,  रोज बिस्तर साफ करना, उसके सारे काम  रिचा ही करती!

जयंत यह देखकर अपने आप पर बहुत शर्मिंदा होता, कि मैने तो रिचा से सिर्फ इसलिए दूरी बना ली, कि उसको कभी-कभी दौरे पड़ते हैं, और जब लोगों को पता चलेगा तो मुझे कितनी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा! किंतु अब नहीं… अब मैं समझ गया, की रिचा ही वह लड़की है, जिसको लेकर मैंने इतने अरमान सजाए थे!

तब रिचा ने जब जयंत  सही हो गया ,तब उसको तलाक के पेपर देते हुए कहा… की जयंत शायद मैं तुम्हारे लिए सही लड़की नहीं हूं ,यह तलाक के पेपर हैं! मैंने इन पर साइन कर दिया है, अब तुम भी इनको साइन साइन करके अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर सकते हो!.. ताकि तुम्हारे सारे अरमान पूरे हो सके, जो मैं ना कर पाई !

तब जयंत ने तलाक के कागजों को फाड़ते हुए कहा… रिचा क्या तुम मुझे माफ कर पाओगी?  मेरी जिंदगी में वापस आ सकती हो रिचा ?और मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता! क्या हम दोनों फिर से नई जिंदगी की शुरुआत नहीं कर सकते ?हम पुराने दिनों को नहीं भूल सकते? इतना सुनते ही रिचा जयंत के गले लग गई, और भावुक होकर बोली.. हां जयंत ..बिल्कुल ..हम अपनी जिंदगी को एक और मौका अवश्य देंगे ,ताकि हमारे अरमान, हमारे सपने पूरे हो सके!

हेमलता गुप्ता

स्वरचित

#अरमान

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