क्या चाहती हो तुम कि तुम्हारे बेटे को जेल हो जाए, …हर बात में बीच-बीच में तुम्हारा टांग अड़ाना जरूरी है क्या? जब मैं बात को अपने हिसाब से हैंडल कर रहा हूं तो क्या जरूरत है तुम्हें अपनी राय मशवरा देने की..? तुम बेवकूफ थी और बेवकूफी रहोगी, बजाए अपने बेटे का साथ देने का, उस आवारा बदचलन लड़की का साथ दे रही हो जिसे तुम जानती भी नहीं हो!
अरे यार… तुम जानती हो यह उम्र ही ऐसी है कि इसमें कई बार कदम बहक जाते हैं, बहुत नाजुक उम्र होती है यह, हो गई आर्यन से भी गलती… कितनी बार तो माफी मांग चुका है तुमसे वह, पर तुम हो कि महान औरत बनना चाहती हो, क्या राष्ट्रपति से वीरता पुरस्कार का मेडल पाना चाहती हो, और अगर तुम सीधी तरीके से नहीं मानी तो खबरदार अगर तुम मेरे और मेरे बेटे के बीच में आई, फिर मैं भूल जाऊंगा कि तुम मेरी पत्नी हो और आर्यन की मां! जब लड़की के घर वाले सेटलमेंट के लिए राजी है तो तुम्हें क्या परेशानी हो रही है,
देखो… मेरी बात मानो.. जब पुलिस घर पर आए या कुछ भी पूछे तो कह देना कि हमारे बेटे ने ऐसा कुछ भी नहीं किया, हमारा बेटा तो यहां पर उस समय था ही नहीं.. वह तो अपनी पढ़ाई के लिए विदेश गया हुआ था, यह तो यह लड़की ही बदचलन है, यह अमीर घर के लड़कों को फसाती है और फिर उनसे खूब सारा पैसा वसूलती है, बस इसके अलावा तुम्हें अपना मुंह खोलने की जरूरत नहीं है!
अपने पति डॉक्टर वीरेंद्र की बात सुनकर स्वाति सोच में पड़ गई.. क्या करें वह… एक तरफ उसका 22 वर्ष का बेटा है जिसने अपनी जिंदगी की शुरुआत ही की है और एक तरफ वह लड़की मेघा है जिसे वह जानती तक नहीं है, क्या पति वीरेंद्र सही कह रहे हैं..? मेरे पति का शहर में इतना नाम और इज्जत है, सब मेरे एक बयान से मिट्टी में मिल जाएगा.?
मेरा एक बयान मेरे बेटे की जिंदगी को तहस-नहस कर देगा और उस पर हमेशा के लिए चरित्रहीन होने का धब्बा लग जाएगा, अभी तो उसने अपने करियर की शुरुआत ही की है, उसका करियर तो शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा, क्या मुझे पुलिस में बयान दे देना चाहिए कि मेरे बेटे की कोई गलती नहीं है, ,मेरा बेटा यहां उस हादसे के समय था ही नहीं, किंतु उस लड़की का क्या… जिसकी इज्जत मेरे बेटे और उसके दोस्तों ने तार तार कर दी,
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क्या गरीब घर की बेटी की इज्जत, इज्जत नहीं होती, माना कि वह लोग इतने गरीब हैं की 10-20 लाख रुपए में समझौता करने को तैयार है और इन 10 20 लाख रूपों से उनकी जिंदगी संवर जाएगी और हमारी हमारी जिंदगी में भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा, और मेरे बेटे की जिंदगी भी सुचारू रूप से चलती रहेगी, तो क्या करूं मैं…?
अगर बेटे का पक्ष लेती हूं तो मेघा के साथ अन्याय करती हूं और अगर मेघा का साथ देती हूं तो आर्यन की जिंदगी तबाह करने की जिम्मेदार कहलाऊंगी, इसी कशमकश में स्वाती परेशान होती रही, किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था, यहां तक की जैसे ही वह किसी पुलिस वाले को घर के बाहर से जाते हुए देखती तो उसे लगता कि वह उसके बेटे को गिरफ्तार करने आई है!
आज हिम्मत करके वह मेघा के घर चली गई जहां मेघा के घर वाले 20 लाख रुपए में समझौता करने के लिए तैयार थे किंतु वह एक बार मेघा से मिलना चाहती थी और जब वह मेघा से मिली, उसकी हालत देखकर अपने आंसू रोक नहीं पाई! मेघा के शरीर पर जगह-जगह खरोच के निशान थे, मेघा शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से टूट चुकी थी! स्वाती को देखते ही मेघा उनके गले लगकर फूट-फूट कर रोने लगी और कहने लगी…
आंटी मुझे नहीं चाहिए पैसे … आंटी मेरी तो कोई गलती भी नहीं थी, मैं तो अपने कॉलेज जा रही थी, किंतु आपके बेटे आर्यन और उसके दोस्तों ने मुझे बुरी तरह से नोच डाला, आंटी तन के घाव तो फिर भी भर जाएंगे किंतु मन के घाव का क्या करूं …जो कम होने का नाम ही नहीं ले रहे! आंटी…क्या पैसे मेरे मन के जख्मों को शांत कर पाएंगे…?
आपके बेटों के जैसों के कारण ही हम लड़कियों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है, हमारे मां-बाप हर समय आसंकित रहते हैं, आंटी.. अगर यह हादसा आपकी बेटी के साथ होता तब भी क्या आप पैसों से सेटलमेंट करवा लेते..? तो मेरे साथ न्याय क्यों नहीं आंटी..? जब तक आर्यन को और उसके दोस्तों को कड़ी से कड़ी सजा नहीं होगी मेरे मन के जख्म कभी नहीं भर सकते!
हालांकि एक मां को अपने बेटे को जेल में देखना बहुत कठिन होगा, आगे मुझे कुछ नहीं कहना.. जैसी आपकी इच्छा हो वैसा ही करना! घर जाकर स्वाती पूरी रात करवट बदलती रही किंतु आज नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी! उसने उठकर अपने बेटे को देखा जो बड़े आराम से गहरी नींद में सोया हुआ था ,और और उसके चेहरे पर इस बात का तनिक भी पश्चाताप नहीं था की उसने एक लड़की के साथ क्या किया है!
नहीं नहीं… अब मैं ऐसा नहीं होने दूंगी! और यह समाज…… समाज क्या कहेगा, कि एक मां ने अपने बेटे को ही गुनहगार साबित कर दिया? हे भगवान मुझे कुछ फैसला लेने की शक्ति दो! और मन ही मन स्वाती एक अहम फैसला करके निश्चिंत होकर सो गई! सुबह उठकर सबसे पहले पुलिस थाने गई और अपने बेटे के खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज करवाया!
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उसके बाद पुलिस ने अपनी कार्यवाही करते हुए आर्यन और उसके दोस्तों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाइ !आर्यन और उसके पिता दोनों ही स्वाति से बेहद खफा थे किंतु स्वाति को अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं था! अगर आज स्वाती यह फैसला नहीं लेती तो आर्यन आगे भी ऐसा कुछ कर सकता था! आर्यन को सबक मिलना बहुत जरूरी था और स्वाती के इस फैसले से मेघा और उसके घर वाले बहुत खुश थे! किंतु स्वाती के लिए क्या आर्यन को जेल जाता देखकर दुखी होना ज्यादा सही था या मेघा को न्याय मिलने से होने वाली खुशी ज्यादा बड़ी थी! क्या स्वाती ने ऐसा फैसला लेकर सही किया, कृपया जरूर बताइएगा!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
कहानी प्रतियोगिता #फैसला