दूसरा आदमी ! – रमेश चंद्र शर्मा

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राहुल (पत्नी प्रियंका से) ” आज दोपहर बाद तुम्हारे ऑफिस गया था। तुम वहां नहीं थी”?

प्रियंका “हां राहुल, हमारे साहब की माताजी सीरियस हो गई थी ।उन्हें देखने गए थे “।

राहुल “हां,तुम्हारा बाँस जो ठहरा। उनकी मां के हाल चाल लेना बहुत जरूरी है”।

प्रियंका “स्टाफ के और भी लोग साथ थे। मानवता के नाते जाना जरूरी था”।

राहुल अनसुना करके बेडरूम में चला गया। प्रियंका आज फिर राहुल की पूछताछ से परेशान रही। जैसे तैसे राज गुर्जर गई । दिनचर्या सामान्य चलने लगी। अवकाश के दिन प्रियंका की सहेली उषा और उसके मिस्टर  घर अचानक आ जाते हैं ।

प्रियंका “अरे वाह उषा, आज तो सूरज पश्चिम से निकल आया । एक ही शहर में पिछले एक साल से रह रहे हैं। आज पहली बार घर आई हो “।

उषा “क्या करें, महानगर की भाग दौड़ में समय ही नहीं मिल पाता”।

प्रियंका “गनीमत है तुम्हारे मिस्टर पटेल साहब का ऑफिस मेरे ऑफिस के पास है। इसलिए कभी कभी हमारी मुलाकात हो जाती है”।

मिस्टर पटेल “कई दिनों से आपके घर आने का प्लान बना रहे थे ।आखिर आज आप दोनों से मुलाकात हो गई”।

उषा “क्या बात है राहुलजी, आज आप कुछ ज्यादा ही सीरियस लग रहे हैं”?

राहुल “ऐसी कोई बात नहीं है ।मैंने मिस्टर पटेल को पहले भी प्रियंका के पास वाले काफी हाउस में देख रखा है । लेकिन मुलाकात आज हुई”।

मिस्टर पटेल “क्या करें साहब  हमारी नौकरी ही ऐसी है । टूरिंग जॉब है । ऑफिस में ज्यादा काम रहता नहीं। इसलिए इधर-उधर टाइम पास कर लेते हैं”।

              नाश्ता पानी करने के बाद दोनों घर वापसी कर लेते हैं। कुछ दिन सामान्य गुजर जाते हैं।

राहुल (प्रियंका से) ” आज तो बहुत गपशप हो रही थी। कॉफी हाउस में वह दूसरा आदमी कौन था”?

प्रियंका “आज तो मेरे साथ जींस शर्ट पहनने की शॉपिंग मेरी कलीग सुरेखा कॉफी पीने गई थी। उसके अतिरिक्त मेरे साथ कोई नहीं था”।

राहुल( जोर से) “मैं पूछ रहा हूं । वह दूसरा आदमी कौन था”?

प्रियंका “दूसरा आदमी कौन था? यह तुम तय करो मुझे नहीं मालूम। दूसरा आदमी कौन होता है मुझे अच्छी तरह मालूम है”।

इतना कहकर प्रियंका अकेले ही स्कूटी लेकर चली जाती है । राहुल उसे बहुत दूर तक देखते रहता है।

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# रमेश चंद्र शर्मा

16 कृष्णा नगर- इंदौर

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