दूसरा मौका – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : ” साधना….कहाँ हो? ज़रा..मेरी साड़ी की मैंचिंग ब्लाउज ढ़ूँढ तो दो…मिल नहीं रही है..।”

    ” अभी देखती हूँ मम्मी…।” कहते हुए साधना अपना टैब बंद करने लगी।

   ” कुछ काम रही हो तो पूरा कर लो बेटा..।”

” नहीं मम्मी…वो…बस..ज़रा…।” साधना हकलाने लगी।

  तब गायत्री जी प्यार-से उसके सिर पर हाथ रखते हुए बोली, ” याद है साधना…जब तुम इस घर में आई थी तो मैंने तुमसे कहा था कि मुझे सिर्फ़ मम्मी कहना ताकि हमारे बीच माँ-बेटी का रिश्ता रहे और तुम खुलकर अपने दिल की बात मुझसे कह सको।”

  ” हाँ मम्मी…याद है।” धीरे-से साधना बोली।

” तो फिर अब क्या है जो इतने बरस बाद भी कहने में संकोच कर रही हो।”

    ” मम्मी, अपनी सिटी में…” अपना टैब खोलकर दिखाते हुए बोली,” डांस इंडिया डांस सुपर माॅम ‘ का ऑडिशन होने वाला है।इस बार उम्र सीमा 25- 45 रखा गया है तो मैं सोच रही थी कि….।”

” अरे वाह! ये तो बहुत अच्छी बात है।कब है और फ़ार्म कब तक भरना है।” गायत्री जी बहुत खुश थीं।

  ” एक प्राॅब्लम है…अगर सिलेक्ट हो गई तो मुंबई जाना पड़ेगा….एक-दो महीने…..नित्या के पापा नहीं मानेगें मम्मी..।” साधना उदास हो गई।तब गायत्री जी बोली,” तुझे पता है साधना…मुझे गाने का बहुत शौक था।बचपन में एक गुरुजी मुझे सिखाने भी आते थें लेकिन शादी के बाद सास की हिटलरशाही में मैं गाना तो क्या बोलना भी भूल गई थी।तूने आकर मेरे आत्मविश्वास को फिर से जगाया…, मेरे हर काम की प्रशंसा की और अब तू ही…।मैं जानती हूँ कि तू अपने स्कूल-काॅलेज़ की बेस्ट डांसर रही है।तूने कई शोज़ भी किये हैं।शादी के बाद बच्चों और परिवार के पीछे तू खुद को, अपने डांस को भूल गई।लेकिन बेटे….किस्मत तुझे अपनी ज़िंदगी जीने का दूसरा मौका दे रही है।इसे मिस मत कर और चल….अब जल्दी से फ़ार्म भर ले….फिर आगे की तैयारी और शाॅपिंग…।”

  ” फ़ाॅर्म तो नित्या ही भरेगी…उसे कहूँ कैसे…।”

 ” तू रुक…उस नकचढ़ी को मैं लेकर आती हूँ।” कहते हुए गायत्री जी ने नित्या को आवाज़ लगाया।

        स्क्रीन पर सुपर माॅम का फ़ार्म देखकर नित्या हा-हा करके हँसने लगी।

   ” अरे मम्मी….क्यों अपनी इंसल्ट करा रही हो…तुमसे ये सब होने से रहा।” 

   ” नित्या…अभी फ़ाॅर्म भर, लेक्चर बाद में…।” दादी की कड़कती आवाज़ सुनकर नित्या साधना से पूछ-पूछकर फ़ार्म भरने लगी।

        सुपर माॅम का फ़ार्म सब्मिट हो गया।पाँच दिनों के बाद साधना को ऑडिशन के लिये जाना था।सास के साथ उसने शाॅपिंग कर ली और अपनी तैयारी में जुट गई।गायत्री जी ने घर का इंचार्ज अपने हाथ ले लिया, नित्या-कार्तिक को बुलाकर समझाया कि तुम्हारी मम्मी बहुत अच्छी डांसर है।अपने बच्चों और परिवार के पीछे वह खुद को भूल ही गई थी लेकिन ईश्वर उसे फिर से एक मौका दे रहा है और हम सबको मिलकर उसे सपोर्ट करना है।उसके पास तीन दिनों का समय है…,मैं किचन देख रहीं हूँ, तुम लोग भी अपना काम खुद करने की आदत डाल लो।”

  ” लेकिन दादी…।” दोनों ने समवेत् स्वर में आपत्ति जताई।

 ” कोई लेकिन-वेकिन नहीं….।” कहकर गायत्री जी बहू को दूध का गिलास देने चली गईं।

       साधना के डांस करने की भनक उसके पतिदेव को लगी तो वो साधना पर चिल्लाये,” तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है।इस उमर में ता-ता थईया करोगी….,परिवार के मान-सम्मान…।”

    ” ख्याल है इसे।” गायत्री जी का स्वर तीव्र था।बोली,” जिसका तू दिमाग खराब कह रहा है ना, उसी की बदौलत तू बेफ़िक्र होकर अपने ऑफ़िस में काम कर रहा है।सुबह के पाँच बजे से लेकर रात के ग्यारह बजे तक मशीन की तरह काम करती है।तुमलोगों की सेवा करने और तुम्हारी फ़रमाइशों को पूरा करने में तो वह खुद को भूल ही गई थी लेकिन अब वह अपनी एक नई पहचान बनाना चाहती है…खुद को साबित करने का उसे एक सुनहरा अवसर मिला है…।”

   ” परन्तु माँ….।”

” अब कोई परंतु नहीं..तेरा लंचबाॅक्स टेबल पर रखा है।”कहकर गायत्री जी रसोई में चली गईं।

     सास के साथ साधना ऑडिशन देने गई और सेलेक्ट होकर मुंबई चली गई।टीवी पर उसका परफ़ाॅमेंस देखकर लोगों को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि दिनभर किचन में घुसी रहने वाली साधना इतनी अच्छी डांसर भी हो सकती है।नित्या-कार्तिक को भी उसके मित्र बधाई देते और उसके पति को तो लोग साधना का पति कहने लगे थें।

      सुपर माॅम की प्रतियोगिता में साधना ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया।मंच पर जब उसे फ़र्स्ट रनर अप की ट्राॅफ़ी और चेक दिया जाने लगा तो उसने गायत्री जी को मंच पर बुलाया,उनका आशीर्वाद लिया और बोली,” इस ट्राॅफ़ी की सही हकदार मेरी सासूमाँ…।” कहते हुए वह भावुक हो उठी।सास ने बहू को गले से लगाया तो पूरा हाॅल तालियों से गूँज उठा।नित्या-कार्तिक अपनी माँ के गले लगकर बोले,” आप हमारी सुपर माॅम हो।” पतिदेव भी मुस्कुराते हुए बोले,” प्राउड ऑफ़ यू..।”

                                    विभा गुप्ता

                                     स्वरचित 

#बच्चों और परिवार के पीछे वह खुद को भूल ही गई…

# वाक्य प्रतियोगिता

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