दिन में तारे नज़राना-माधुरी गुप्ता Moral stories in hindi

एम बीए पास रचना का रिश्ता जब संयुक्त परिवार में तय होगया,तो उसकी माँ ने कहा बेटा माना तुम्हें कुकिंग में जरा भी रूचि नही है,बैसे भी जॉव करते समय तुम्हें इस सब के लिए शायद समय भी न मिले।

लेकिन थोड़ी बहुत कुकिंग आना बहुत जरूरी है,ताकि ससुराल जाने पर कुछ सुनना न पड़े।हां मां कह तो आप ठीक रही है ,कबीर ने कहा भी था कि उसके परिवार में सभी लोग बिबिध प्रकार के पकवान खाने के बहुत शौकीन है।

शादी से पहले रचना ने एक कुकिंग क्लास जॉइन कर ली।इस कुकिंग क्लास में रचना ने तरह-तरह के कोफ्ते,कटलेट, समोसे कचौरी व पुडिंग व केक बनाने सीख लिए।

ससुराल जाने पर एक सप्ताह तक रचना ने कुकिंग क्लास में सीखें पकबानों से सबका दिल जीत लिया और खूब बाहवाही बटोरी।सभी खुश थे नित-नए पकवान खाकर।

एक सप्ताह बाद रचना की सासूमां ने कहा। बेटे पकवान खा-खाकर अब पेट अफर गया है,ऐसा करोआजतुम सिम्पल दाल-रोटी व भिंडी की सब्जी बनालो जी मम्मी जी,रचना ने कहतेो दिया लेकिन रसोईघर में आतेही उसको #दिन में तारे नज़र आने लगे# उसने कभी आटा नहीं गूंधा था।जब आटा गूंध ने लगी तो पानी अधिक गिर जाने से आटा बहुत गीली होगया फिर ढेर सारा सूखा आटा मिलाते मिलाते ढेर सारा आटा गूंध गया।

इसी तरहदाल बनाने के लिए फिर वही समस्या सामने आई,रचना को समझही नहीआरहा था कि कितनी दाल लेनी है और कितना पानी डालना है।ढेर सारा पानी डालकर दाल चढ़ा दी।दाल तो पकगई लेकिन पानी सुखाते सुखाते मूंग की दाल ने सूप का रूप ले लिया।अभी तो भिंडी की सब्जी बनानाी बाकी थी।

रचना भिंडी काट कर धोने लगी तो भिंडी में लेस आगया,जबकि भिंडी हमेशा काटने से पहले ही धोई जाती हैफिर भिंडी पकाते समय भी रचना ने भिंडी की सब्जी में पानी डाल दिया। रचना कुकिंग तो कर रही थी लेकिन उसको दिन में ही तारे नजर आ रहे थे।

साथ ही रोना भी आरहा था तभी सासूमां की आबाज आई, रचना बेटा खाना तैयार हो गया हो तो लगादो सभी को भूख लग गई है।

जी मम्मी जी,आप यहां आऐंगी, मुझे कुछ पूछना है, सासूमां ने रसोई में जाकर देखा कि मूंग की दाल में दाल तो कहीं नजरही नहीं आरही थी और आटा भी परात भर के गुंध गया था।यही हाल भिंडी की सब्जी का था,पानी डालने से भिंडी लसलसीहो गई थी।

सासूमां के रसोई में आने पर रचना उनसे लिपट कर रोने लगी। क्या हुआ मेरी बच्ची ,रो क्यों रही हो, तुमने तो इतने अच्छे पकबान बना कर खिलाए, लेकिन शायद कुकिंग की बेसिक बातें नहीं सीख पाई।कोई बात नही

खाना पकाना एक कला है इसमें पारंगत होने में समय लगता है और फिर कुकिंग की बेसिक बातें तो कहीं भी नहीं सिखाई जाती,यह सब तो करते करते अंदाज खुद ही होता जाता है।

मैं भी बेटा शादी करके आईथी तो खाना पकाने में तुमसे भी ज्यादा अनाड़ी थी,मेरी सास ने ही मुझे सब कुछ सिखा दिया,मै हूं न मैं धीरे-धीरे सब सिखा दूंगी ।

तुमने वह दोहा पढा होगा बचपन में,करत,करत अभ्यास के जडमति होता सुजान,रसरी आबत जात सों सिल पर परत निशान।

घबराने की कोई बात नहीं है,नया घर नई रसोई ऊच नीच होहीजाती है,चलो आज दाल का सूप पीते हैं सब मिल कर,सास बहू दोनों मिलकर हंसने लगी।

स्वरचित व मौलिक

माधुरी गुप्ता

नई दिल्ली

#दिन में तारे नजर आना#

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